बसपा द्वारा एकला चलो रे चुनाव लड़ने की घोषणा के बाद उत्तरप्रदेश में समाजवादी पार्टी छोटे-छोटे दलों के साथ गठबंधन करके लड़ेगी विधानसभा चुनाव, अभी छोटे दलों और बागी नेताओं पर नजर attacknews.in

लखनऊ 27 जून ।बहुजन समाज पार्टी द्वारा एकला चलो रे चुनाव लड़ने की घोषणा के बाद वर्ष 2014 से पिछले तीन बड़े चुनावों में करारी हार झेल चुकी समाजवादी पार्टी (सपा) उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले छोटे दलों से तालमेल के अलावा बड़े दलों के बागी नेताओं पर नजर बनाये हुये है।

वर्ष 2014 और 2019 में लोकसभा चुनाव के अलावा 2017 में विधानसभा चुनाव में हार का सामना करने के बाद सपा नेतृत्व का बड़े दलों से तालमेल को लेकर मोहभंग हो चुका है।

2017 में कांग्रेस के साथ मिलकर विधानसभा चुनाव लडने का खामियाजा उसे करारी शिकस्त के साथ उठाना पडा था जबकि 2019 में लोकसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) के साथ गठबंधन को भी जनता ने नकार दिया था।

दूध का जला छाछ भी फूंक-फूंक कर पीता है की कहावत को आत्मसात करते हुए सपा अध्यक्ष इस बार किसी बड़े दल को साथ लेने के बजाय छोटे दलों को गले लगाने के मूड में है वहीं उनकी नजर बसपा और कांग्रेस जैसे बड़े दलों के अंसतुष्ट नेताओं पर है जिनकी मदद से वह चुनावी वैतरिणी पार लगाना चाहते है हालांकि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जाट वोटों पर खास पकड़ बनाने वाली रालोद इस बार भी उनकी दोस्त बनी रहेगी।

रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी पहले ही साफ कर चुके हैं कि उनकी पार्टी सपा का साथ नहीं छोड़ेगी और जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में रालोद सपा उम्मीदवारों के पक्ष में खड़ा रहा।

सपा ने महान दल के साथ भी गठबंधन किया है जिसका प्रभाव खासकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मौर्य, कुशवाहा और सैनी जाति के मतदाताओं पर है। महान दल ने भी विधानसभा चुनाव में सपा के समर्थन की घोषणा की है।

सपा के सूत्रों ने बताया कि पार्टी नेतृत्व की चिंता गैर यादव अति पिछडा वर्ग और गैर जाटव अनुसूचित जाति वर्ग के मतदाताओं को लेकर है जिसका रूझान सपा के प्रति फीका पडा है और पार्टी को इसका खामियाजा पिछले तीन चुनावों में उठाना पडा है।

पार्टी परंपरागत यादव-मुस्लिम वोट बैंक पर खासी पकड़ बनाए रखने की पक्षधर है। सपा उन छोटे दलों के साथ गठबंधन को तवज्जो देगी जो अति पिछड़ा वर्ग का प्रतिनिधित्व करते है।

उन्होने बताया कि 11 फीसदी यादव और 19 प्रतिशत मुस्लिम वोट के साथ अति पिछड़ों और अनुसूचित जाति का साथ सपा को मिलता है तो पार्टी भाजपा को करारी टक्कर देने की स्थिति में होगी।

2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 119 अति पिछड़ी को दिए जिनमे राजभर, कुशवाहा और मौर्य शामिल थे वहीं 69 टिकट जाटव दलित समुदाय के लोगों को दिए गए और यही कारण रहा कि उसे चुनाव में बडी सफलता हासिल हुई।

सूत्रों ने कहा कि अब यही रणनीति सपा अपनाएगी और छोटी जाति आधारित पार्टियों को अपने में मिलाकर भाजपा को कड़ी टक्कर देगी।

बसपा,कांग्रेस के नेता सपा में शामिल

इधर समाजवादी अध्यक्ष अखिलेश यादव की मौजूदगी में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और कांग्रेस के कुछ नेताओं ने सपा की सदस्यता हासिल की।

पार्टी प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी ने बताया कि जनसेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं कांग्रेस नेता दीपक कुमार अग्रवाल पिपराइच विधानसभा के सैकड़ों समर्थकों के साथ समाजवादी पार्टी में शामिल हुए। उनके साथ शामिल होने वालों में राम निवास उपाध्याय, कांतिप्रभा ,राम दयाल उर्फ शेरा जो बसपा छोड़कर समाजवादी पार्टी में आए हैं। श्री मोहन गुप्ता कांग्रेस और त्रिभुवन गुप्ता भाजपा छोड़कर समाजवादी पार्टी में शामिल हुए है। इनके अलावा मोहम्मद अफरोज उर्फ गब्बर, नागेन्द्र सिंह और तमाम अन्य साथी भी समाजवादी पार्टी के सदस्य बने हैं।

चुनाव आयोग ने आम चुनाव 2019 पर एटलस जारी किया;एटलस में महत्वपूर्ण घटना के सभी डेटा और सांख्यिकीय आंकड़े शामिल,इसमें 42 विषयगत नक्शे और 90 तालिकाएं attacknews.in

नईदिल्ली 27 जून । मुख्य चुनाव आयुक्त सुशील चंद्र ने चुनाव आयुक्त राजीव कुमार और चुनाव आयुक्त अनूप चंद्र पांडे के साथ मिलकर ‘आम चुनाव 2019 – एक एटलस’ जारी किया।

श्री सुशील चंद्र ने इस अभिनव दस्तावेज को संकलित करने के लिए आयोग के अधिकारियों की सराहना की और उम्मीद जताई कि यह शिक्षाविदों और शोधकर्ताओं को भारतीय चुनावों के विशाल परिदृश्य को बेहतर तरीके से जानने के लिए प्रेरित करेगा।

एटलस में इस महत्वपूर्ण घटना के सभी डेटा और सांख्यिकीय आंकड़े शामिल हैं। इसमें 42 विषयगत नक्शे और 90 तालिकाएं हैं जो चुनाव के विभिन्न पहलुओं को दर्शाती हैं। एटलस भारतीय चुनावों से जुड़े रोचक तथ्य, घटना और कानूनी प्रावधान भी साझा करता है।

1951-52 में हुए पहले आम चुनाव के बाद से, आयोग चुनावी आंकड़ों को विवरणात्मक और सांख्यिकीय पुस्तकों के रूप में प्रकाशित करता रहा है। 2019 में आयोजित 17 वां आम चुनाव मानव इतिहास में हुआ सबसे बड़ा लोकतांत्रिक अभ्यास था, जिसमें भारत के 32 लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले 10.378 लाख मतदान केंद्रों पर 61.468 करोड़ मतदाताओं ने वोट डाले।

भारतीय चुनावों में, चुनावी आंकड़ा मुख्य रूप से निर्वाचक पंजीकरण अधिकारियों द्वारा निर्वाचक नामावली की तैयारी के दौरान और साथ ही निर्वाचन अधिकारियों द्वारा चुनाव के संचालन की प्रक्रिया के दौरान जमा किया जाता है। इसके बाद यह आंकड़ा इन वैधानिक प्राधिकरणों द्वारा संकलित किया जाता है। तत्पश्चात, चुनावी प्रक्रिया समाप्त होने के बाद, भारत का चुनाव आयोग यह चुनावी आंकड़ा जमा करता है और संकलन, रिकॉर्ड और प्रसार
और जानकारी हासिल की जा सकती है। अगर कोई
सुझाव देना चाहे तो उसे आयोग के ईडीएमडी संभाग के साथ साझा कर सकता है।

उद्देश्यों के लिए विभिन्न रिपोर्ट तैयार करता है।

अक्टूबर 2019 में, आयोग ने 543 संसदीय क्षेत्रों के निर्वाचन अधिकारियों द्वारा उपलब्ध कराए गए चुनावी आंकड़ों के आधार पर सांख्यिकीय रिपोर्ट जारी की। इस एटलस में पेश किए गए नक्शे और तालिकाएं उस जानकारी को दर्शाते हैं और देश की चुनावी विविधता की बेहतर समझ के लिए जानकारी प्रदान करते हैं।

आकंड़े को संदर्भ के हिसाब से पेश करने के अलावा, ये विस्तृत नक्शे विभिन्न स्तरों पर चुनावी तरीके को दर्शाते हैं और साथ ही इसकी स्थानिक और अस्थायी समायोजन को दिखाते हैं। चुनावी आंकड़े की बेहतर परिकल्पना और प्रतिनिधित्व करने के उद्देश्य से, यह एटलस एक सूचनात्मक और सचित्र दस्तावेज के रूप में कार्य करता है जो भारतीय चुनावी प्रक्रिया की बारीकियों को प्रकाश में लाता है और पाठकों को रुझानों एवं परिवर्तनों का विश्लेषण करने के लिए सशक्त बनाता है।

एटलस उन 23 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के आंकड़े जैसी प्रमुख विशेषताओं को दर्शाता है जहां महिलाओं द्वारा किए गए मतदान का प्रतिशत पुरुषों के मतदान प्रतिशत से ज्यादा था। साथ ही यह मतदाताओं, उम्मीदवारों और राजनीतिक दलों के प्रदर्शन सहित अन्य मापदंडों के लिहाज से सबसे बड़े और सबसे छोटे संसदीय क्षेत्र के बारे में जानकारी जैसी विशेषताएं भी पेश करता है।

एटलस अलग-अलग श्रेणियों में और विभिन्न आयु वर्गों के मतदाताओं एवं मतदाता लिंग अनुपात जैसी विभिन्न तुलनात्मक सूचियों के माध्यम से मतदाताओं के आंकड़े को दर्शाता है। 2019 के आम चुनावों में भारतीय चुनावों के इतिहास में सबसे कम लैंगिक अंतर देखा गया। मतदाता लिंग अनुपात, जिसने 1971 से सकारात्मक रुझान दिखाया है, 2019 के आम चुनावों में 926 था।

एटलस 2014 और 2019 के आम चुनावों के दौरान विभिन्न राज्यों में प्रति मतदान केंद्र के लिहाज से मतदाताओं की औसत संख्या की तुलना भी करता है। भारत के चुनाव आयोग ने आम चुनाव 2019 में 10 लाख से अधिक मतदान केंद्रों की स्थापना की, जहां प्रति मतदान केंद्र के लिहाज से सबसे कम मतदाता (365) अरुणाचल प्रदेश में थे।

विभिन्न अन्य श्रेणियों में, एटलस 1951 के बाद से आम चुनावों में खड़े होने वाले उम्मीदवारों की संख्या की तुलना करता है। 2019 के आम चुनाव में, देश भर में दाखिल किए गए कुल 11,692 नामांकनों में से नामांकन रद्द किए जाने और नाम वापस लेने के बाद 8,054 योग्य उम्मीदवार थे।

चुनाव सुधारों की प्रक्रिया तेज : हलफनामे में गलत जानकारी देने पर 2 साल सजा का प्रावधान,6 साल चुनाव लड़ने पर रोक, पेड न्यूज’ बनेगा अपराध, मतदान के दिन विज्ञापनों पर रोक का भी प्रस्ताव attacknews.in

नयी दिल्ली, आठ जून । मुख्य निर्वाचन आयुक्त सुशील चंद्रा ने कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद को पत्र लिखकर आग्रह किया है कि चुनावी हलफनामे में गलत जानकारी देने के लिए दो साल की जेल के प्रावधान समेत कई चुनाव सुधारों से संबंधित प्रस्तावों पर तेज गति से कदम उठाए जाएं।

चंद्रा ने बताया, ‘‘मैंने कानून मंत्री को लिखा है कि इन प्रस्तावों पर तेज गति से कदम उठाए जाएं और आशा करता हूं कि इन पर मंत्रालय की ओर से जल्द विचार किया जाएगा।’’

निर्वाचन आयोग ने जिन चुनावों सुधारों के प्रस्ताव दिए है उनमें एक मुख्य प्रस्ताव चुनावी हलफनामे में गलत जानकारी देने पर छह महीने जेल की सजा को बढ़ाकर दो साल करने के प्रावधान से संबंधित है। दो साल की सजा होने पर संबंधित उम्मीदवार के चुनाव लड़ने पर छह साल तक की रोक लग जाएगी।

चंद्रा का कहना है, ‘‘मौजूदा समय में छह महीने की जेल का प्रावधान है जिससे किसी को अयोग्य नहीं ठहराया जा सकता।’’

आयोग ने यह प्रस्ताव भी दिया है कि ‘पेड न्यूज’ को जन प्रतिनिधित्व कानून के तहत अपराध बनाया जाए और इसके लिए ठोस प्रतिरोध के प्रावधान किए जाए।

मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने याद दिलाया कि आयोग ने चुनाव प्रचार के खत्म होने और मतदान के दिन के बीच वाले समय ‘साइलेंट पीरियड’ के दौरान अखबारों में राजनीतिक विज्ञापनों पर रोक लगाने का भी प्रस्ताव दिया है ताकि मतदाता प्रभावित नहीं हो और खुले मन से अपने मताधिकार का उपयोग करे।

इस कदम के लिए जन प्रतिनिधित्व कानून में संशोधन की जरूरत होगी।

मतदान से 48 घंटे पहले प्रचार के संदर्भ में कानूनों के बदलावों के लिए प्रस्ताव देने के मकसद से गठित समिति ने सिफारिश की थी कि मतदान वाले दिन अखबारों में विज्ञापन दिए जाने पर रोक लगाई जाए।

फिलहाल, मतदान संपन्न होने से पहले 48 घंटों के दौरान प्रचार सामग्री दिखाने पर इलेक्ट्रानिक मीडिया को प्रतिबंधित किया गया है। परंतु समिति ने सिफारिश की है कि अखबारों को भी इस रोक के दायरे में लाया जाए।

चंद्रा ने कहा कि एक और प्रस्ताव मतदाता सूची को आधार से जोड़ने का है ताकि एक से अधिक स्थान पर मतदाता सूचियों में नाम पर रोक लग सके।

कानून मंत्री प्रसाद ने हाल ही में लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा था कि चुनाव आयोग का प्रस्ताव सरकार के विचाराधीन है और इसके लिए चुनाव कानूनों में संशोधन करना होगा।

निर्वाचन आयोग ने सर्वसम्मत राय जारी की: मीडिया रिपोर्टिंग पर पाबंदी नहीं होनी चाहिए attacknews.in

नईदिल्ली 6 मई ।भारत निर्वाचन आयोग ने मीडिया से संबंधित अपनी स्थिति पर हाल के बयानों का संज्ञान लिया है। आयोग ने इस संबंध में कुछ निश्चित प्रेस रिपोंर्टों का भी संज्ञान लिया है। आयोग ने हमेशा कोई निर्णय लेने से पहले उचित विचार-विमर्श किया है।

मीडिया के संबंध में आयोग यह मत स्पष्ट करना चाहता है कि वह स्वतंत्र मीडिया में गंभीर रूप से आस्था रखने के लिए संकल्पबद्ध है। संपूर्ण आयोग और इसके सदस्य अतीत और वर्तमान में संपन्न सभी चुनावों तथा देश में चुनावी लोकतंत्र को मजबूत बनाने में मीडिया द्वारा निभाई गई सकारात्मक भूमिका को मानते हैं। निर्वाचन आयोग की यह सर्वसम्मत राय है कि मीडिया रिपोर्टिंग के संबंध में माननीय उच्चतम न्यायालय के समक्ष किसी तरह की याचिका प्रस्तुत नहीं की जानी चाहिए।

आयोग निर्वाचन प्रक्रिया प्रारंभ होने से लेकर समाप्त होने तक चुनाव प्रबंधन को प्रभावी बनाने तथा पारदर्शिता लागू करने में मीडिया की भूमिका को विशेष रूप से मानता है। मीडिया के साथ सहयोग के बारे में भारत निर्वाचन आयोग का दृष्टिकोण स्वाभाविक सहयोगी का रहा है और इसमें परिवर्तन नहीं हुआ है।

विधानसभा चुनाव परिणाम:पश्चिम बंगाल में तृणमूल, तमिलनाडु में द्रमुक, केरल में वाम मोर्चा और असम में भाजपा को बहुमत ,ममता बनर्जी को शुभेंदु अधिकारी ने हराया attacknews.in

नयी दिल्ली, 02 मई । पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल भारी जीत की ओर अग्रसर है हालांकि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी नंदीग्राम विधानसभा सीट से चुनाव हार गयी हैं जबकि असम में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और केरल में वाम मोर्चा सत्ता में वापसी करती हुई दिख रही हैं।

तमिलनाडु में अन्नाद्रमुक को करारा झटका देते हुए द्रमुक सत्ता हासिल करने की ओर अग्रसर है। केन्द्र शासित प्रदेश पुड्डुचेरी में 22 सीटों के परिणाम आ गये हैं जिनमें एन आर कांग्रेस ने 10 सीटें जीत ली है।

पश्चिम बंगाल में 139 सीटाें के नतीजे आ चुके हैं और 153 पर विभिन्न पार्टियां बढ़त बनायी हुयी हैं। इनमें से तृणमूल ने 111 सीटों पर जीत हासिल की है और 103 सीटों पर आगे चल रही है जबकि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी नंदीग्राम सीट पर कांटे की टक्कर में भाजपा के शिवेन्दु अधिकारी से करीब 1957 मतों से चुनाव हार गयी हैं। भाजपा ने 27 सीटें जीती हैं और 49 सीटों पर बढ़त बना रखी है। राज्य में निर्दलीय के खाते में अभी तक एक सीट आई है।

तृणमूल प्रत्याशी अरूप विश्वास ने टॉलीगंज सीट जीत ली है। उन्होंने भाजपा उम्मीदवार एवं केन्द्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो को 50 हजार से अधिक मतों से करारी शिकस्त दी है।

केरल में 113 सीटों के नतीजे आ चुके हैं और 140 सीटाें पर विभिन्न पार्टियाों ने बढ़त बना रखी है। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने 49 सीटें जीती हैं और 13 सीटों पर बढ़त बना रखी है। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के खाते में 14 सीटें आयी हैं और तीन पर आगे चल रही है। कांग्रेस को 15 सीटें मिली हैं तथा छह सीटों पर वह आगे चल रही है। इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग ने 13 सीटें जीती हैं और वह दो पर आगे चल रही है।

तमिलनाडु में 234 सीटों में से 19 सीटों के नतीजे आ चुके हैं और विभिन्न दल 215 सीटों पर बढ़त बनाये हुए है। अन्नाद्रमुक ने नौ सीटें जीती हैं और वह 61 पर आगे चल रही है जबकि द्रमुक के खाते में नौ सीटें आयी हैं तथा वह 121 सीटों पर आगे चल रही है। कांग्रेस को अभी तक एक सीट मिली है और वह 15 सीटों पर आगे चल रही है।

पुड्डुचेरी में 22 सीटों के नतीजे आ चुके हैं और सात सीटों पर विभिन्न दल बढ़त बनाये हुए हैं। इनमें आल इंडिया एन आर कांग्रेस ने 10 सीटें जीत ली है। भाजपा और द्रमुक ने तीन-तीन सीटें जीती है। भाजपा तीन तथा द्रमुक दो सीटों पर आगे चल रही है। निर्दलीय के खाते में चार सीटें गयी हैं और इसने दो पर बढ़त बना रखी है। कांग्रेस दो सीटों पर सिमट कर रह गयी है।

असम में 49 सीटाें के परिणाम घोषित किये जा चुके हैं और 77 सीटों पर विभिन्न पार्टियों की बढ़त जारी है। भाजपा ने 26 सीटें जीत ली हैं और 33 पर आगे चल रही है। राज्य में कांग्रेस के आठ उम्मीदवार जीत हासिल करने में कामयाब हो गये हैं और 23 सीटों पर उसके प्रत्याशी आगे हैं।

सुश्री बनर्जी ने आज शाम कोलकाता में संवाददाता सम्मेलन के दौरान कहा कि चुनाव आयोग ने उनकी पार्टी को सहयोग नहीं किया और वह इसके खिलाफ उच्चतम न्यायालय जायेंगी।

उन्होंने कहा कि यह जीत बंगाल की जीत है। उन्होंने नंदीग्राम सीट से अपनी पराजय स्वीकार करते हुए कहा,“ नंदीग्राम के बारे में चिंता मत करिए, मैंने नंदीग्राम के लिए आंदोलन किया था और वहां संघर्ष किया है। नंदीग्राम के लोगों ने जो जनादेश दिया है, उसे मैं स्वीकार करती हूं। तृणमूल कांग्रेस ने 221 से अधिक सीटें जीती हैं। भाजपा को करारी हार का सामना करना पड़ा है।

उन्होंने कहा कि उनकी सरकार का शपथ ग्रहण कार्यक्रम एक सादे समारोह के रूप में होगा।

चार राज्यों और एक केंद्रशासित प्रद्रेश में वोटों की गिनती रविवार को उस वक्त हुई , जब देश कोरोना वायरस संक्रमण के गंभीर संकट का सामना कर रहा है।।

मतदान के बाद आए ज्यादातर एग्जिट पोल में पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस और भाजपा के बीच कड़ी टक्कर का अनुमान जताया गया था। दूसरी तरफ, असम में राजग की जीत तथा केरल में वाम मोर्चे के सत्ता में बने रहने का अनुमान व्यक्त किया गया था।

एग्जिट पोल में असम और केरल में कांग्रेस की हार की संभावना जताई गई थी और अब तक के रुझानों में यही स्थिति बनती दिख रही है। तमिलनाडु में द्रमुक की अगुवाई और कांग्रेस की मौजूदगी वाले गठबंधन की जीत की संभावना जताई गई थी।

कांग्रेस के लिए अच्छी खबर केवल तमिलनाडु से है जहां एग्जिट पोल में द्रमुक के नेतृत्व वाले गठबंधन की जीत का अनुमान जताया गया था।

चार राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश में चुनावी नतीजे यह भी दर्शा सकते हैं कि कोविड-19 महामारी से निपटने की तैयारी ने मतदाताओं पर कैसे असर डाला।

पश्चिम बंगाल में 27 मार्च से 29 अप्रैल के बीच आठ चरणों में जबकि असम में तीन चरणों में मतदान संपन्न हुआ था। तमिलनाडु, केरल और पुडुचेरी में एक ही चरण में मतदान हुए थे।

पश्चिम बंगाल में चुनाव आयोग का जश्न मनाने वालों के खिलाफ सख्त निर्देश:FIR दर्ज करने और थाना प्रभारियों को निलंबित करने को कहा attacknews.in

कोलकाता, 02 मई । चुनाव आयोग ने पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के नतीजे निकलने से पहले ही कुछ पार्टी समर्थकों के गलियों में निकलकर जश्न मनाये जाने की घटना पर कड़ा रुख अख्तियार किया है और कोरोना प्रोटोकॉल के उल्लंघन को लेकर कड़े निर्देश जारी किये हैं।

आयोग ने पश्चिम बंगाल, असम, केरल, तमिलनाडु और केन्द्रशासित प्रदेश पुड्डुचेरी की सरकारों को इस तरह के मामलों में प्राथमिकी दर्ज करने और संबंधित क्षेत्रों के थाना प्रभारियों को निलंबित किये जाने का निर्देश दिया है।

निर्वाचन आयोग ने रविवार को कहा कि उसने कई जगहों पर जीत का जश्न मनाने के लिए लोगों के जमा होने को लेकर कड़ा रुख अपनाया है और संबंधित राज्यों के मुख्य सचिवों से कहा कि ऐसी स्थिति में प्राथमिकी दर्ज की जाए तथा थाना प्रभारी को निलंबित किया जाए।

कई जगहों पर जीत का जश्न मनाए जाने की खबरों के बारे में पूछे जाने पर आयोग के एक प्रवक्ता कहा कि निर्वाचन आयोग ने लोगों के जमा होने और जश्न मनाने संबंधी कुछ खबरों का संज्ञान लिया है।

उन्होंने कहा, ‘‘निर्वाचन आयोग ने पांचों राज्यों के मुख्य सचिवों को निर्देश दिया है कि वे ऐसे मामलों में प्राथमिकी दर्ज कराएं और संबंधित थानों के प्रभारियों को निलंबित करें तथा ऐसी घटनाओं के बारे में तत्काल कार्रवाई के बारे में रिपोर्ट करें।’’

चुनाव आयोग ने कोरोना वायरस संक्रमण के मद्देनजर भीड़ जमाकर जीत का जश्न बनाने और विजय जुलूस निकालने पर पाबंदी लगाई है।

गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल, असम, केरल, तमिलनाडु और पुडुचेरी में विधानसभा चुनावों की मतगणना चल रही है।

पश्चिम बंगाल में रविवार को किसकी बनेगी सरकार के लिए सुबह 8 बजे से कडी सुरक्षा के बीच मतगणना की तैयारी पूरी,होगा 2116 उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला attacknews.in

कोलकाता, 01 मई । पश्चिम बंगाल में कोरोना वायरस संक्रमण के बढ़ते प्रकोप के बीच रविवार सुबह आठ बजे से कड़ी सुरक्षा के बीच मतगणना शुरू हो जाएगी। राज्य में 292 सीटों के लिए 2116 उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा था जिनके चुनावी किस्मत का फैसला कल होगा।

राज्य की कुल 294 विधानसभा सीटों में से 292 सीटों पर आठ चरणों में मतदान कराये गए थे। राज्य के शमशेरजंग और जंगीपुर विधानसभा क्षेत्र के दो उम्मीदवारों के निधन होने के कारण वहां चुनाव स्थगित कर दिए गए।

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नेतृत्व में तृणमूल कांग्रेस पिछले 10 साल से राज्य में सत्तारूढ़ है। इस बार के चुनाव में तृणमूल कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी के बीच कड़ा मुकाबला है। कांग्रेस और वामपंथी पार्टियों ने भी एड़ी चोटी का जोर लगाया है।

चुनाव आयोग ने मतगणना की तैयारी पूरी कर ली है। आयोग के अनुसार मतगणना केंद्र के 100 मीटर के दायरे में किसी भी वाहन को जाने की अनुमति नहीं होगी। राज्य के सभी मतगणना केंद्रों पर कोविड-19 प्रोटोकॉल के पालन को लेकर के चुनाव आयोग प्रतिबद्ध है। साथ ही इसके लिए विशेष प्रबंध चुनाव आयोग की ओर से किया गया है।

मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) आरिज आफताब ने साफ-साफ कहा है कि कोरोना वायरस की गाइडलाइन का पालन करना अनिवार्य होगा। मतगणना की पूरी प्रक्रिया संचालित करने के लिए आयोग की ओर से ठोस इंतजाम मतगणना केंद्रों पर किए गए हैं। मतगणना केंद्र के अंदर टेबल की संख्या भी इस बार बढ़ाई जा रही है, ताकि सामाजिक दूरी का पूरा पालन किया जा सके।

एक अधिकारी ने बताया कि 108 मतगणना केंद्रों पर सुरक्षा की त्रि-स्तरीय व्यवस्था की गई है, जहां बने स्ट्रांग रूम में ईवीएम मशीन और वीवीपैट को कड़ी सुरक्षा में रखा गया है। उन्होंने बताया कि 23 जिलों के मतगणना केंद्रों पर कम से कम 292 पर्यवेक्षकों और केंद्रीय सुरक्षा बलों की 256 कंपनियों को तैनात किया गया है। इस बार राज्य में 27 मार्च से 29 अप्रैल के बीच आठ चरणों में मतदान कराया गया। इस दौरान हिंसा की कुछ छिटपुट घटनाएं भी हुई थी।

नंदीग्राम में सुश्री बनर्जी या फिर कभी उनके दाहिने हाथ माने-जाने वाले शुभेन्दु अधिकारी जो अब भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए है इनमें से कौन जीतेंगे, इस पर भी सब की नजर रहेंगी।

चुनाव आयोग ने आज एक बयान में कहा कि पश्चिम बंगाल विधानसभा के लिए चुनाव रुझान और परिणाम सभी मतगणना केंद्रों से कल सुबह 8.05 बजे के बाद से आने शुरू हो जाएंगे।

इस बीच, मुख्यमंत्री ने शुक्रवार को राज्य भर के उम्मीदवारों और पार्टी के मतगणना एजेंटों को मतगणना प्रक्रिया पूरी होने तक केन्द्रों पर डटे रहने का निर्देश दिया है।

मुख्यमंत्री ने दावा किया कि तृणमूल कांग्रेस तीसरी बार दो तिहाई बहुमत से जीतेगी। राज्य विधानसभा की कुल 294 सीटें जिनमें से दो तिहाई बहुमत के लिए किसी भी पार्टी को 148 सीटों पर जीतना जरूरी है।

निर्वाचन आयोग ने आगामी दो मई को पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव परिणामों के बाद होने वाले जीत के जश्न पर पाबंदी लगायी attacknews.in

नयी दिल्ली 27 अप्रैल । देश में कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए मंगलवार को भारतीय निर्वाचन आयोग ने एक बड़ा निर्णय लेते हुए आगामी दो मई को पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव परिणामों के बाद होने वाले जीत के जश्न पर पाबंदी लगायी है।

गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल, केरल सहित पांच राज्यों में 27 मार्च से 29 अप्रैल के बीच में चुनाव हो रहे हैं।

चुनाव आयोग ने मद्रास हाईकोर्ट की दखल के बाद यह निर्णय लिया है। इससे पहले मद्रास हाईकोर्ट ने कोरोना काल में विधानसभा चुनाव कराए जाने को लेकर निर्वाचन आयोग और उसके अधिकारियों को कड़ी फटकार लगाई थी।

चुनाव आयोग ने अपने बयान में कहा, “आगामी दो मई को मतगणना के बाद कोई भी पार्टी जीत का जश्न नहीं मना पाएगी । दो से अधिक व्यक्तियों को जीतने वाले उम्मीदवार के साथ जाने की अनुमति नहीं होगी। उसके अधिकृत प्रतिनिधि ही संबंधित निर्वाचन अधिकारी से चुनाव परिणाम का प्रमाण पत्र प्राप्त कर सकेंगे।”

उन्होंने कहा कि देश भर में काविड-19 मामलों में तेजी के मद्देनजर आयोग ने मतगणना की प्रक्रिया के दौरान और अधिक कड़े प्रावधान करने का फैसला किया है, जिसमें 21 अगस्त, 2020 के मौजूदा व्यापक दिशानिर्देशों को जोड़ा गया है।

इससे पहले सोमवार को मद्रास उच्च न्यायालय ने राजनीतिक रैलियों को प्रतिबंधित नहीं करने के लिए चुनाव आयोग को आड़े हाथों लेते हुए देश में कोरोना महामारी के दूसरे दौर के लिए अकेले चुनाव आयोग को जिम्मेदार ठहराया।

न्यायालय ने यह भी चेतावनी दी कि अगर चुनाव आयोग ने काेविड-19 प्रोटोकॉल का सख्ती से पालन नहीं किया गया तो उसे दो मई को मतगणना प्रक्रिया पर रोक लगाना होगा।

न्यायालय ने कहा कि चुनाव आयोग के अधिकारियों पर हत्या के आरोप का मुकदमा दर्ज होना चाहिए।

पश्चिम बंगाल में सोमवार को सातवें चरण में 34 विधानसभा सीटों के लिए मतदान कोरोना महामारी के प्रकोप के कारण चुनाव आयोग की ओर से जारी कड़े प्रतिबंधों एवं व्यापक सुरक्षा प्रबंधों के बीच होगा attacknews.in

कोलकाता 25 अप्रैल । कोरोना वायरस महामारी के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए चुनाव आयोग की ओर से जारी कड़े प्रतिबंधों एवं व्यापक सुरक्षा प्रबंधों के बीच पश्चिम बंगाल में आठ चरणों में हो रहे विधानसभा चुनावों के सातवें चरण में 34 विधानसभा सीटों के लिए मतदान सोमवार को होगा।

सातवें चरण में पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार राज्य के पांच जिलों के 36 सीटों पर चुनाव होना था। लेकिन शमशेरगंज और जांगीपुर क्षेत्रों के उम्मदवारों के निधन के कारण अब कुल 34 सीटों पर 37 महिला प्रत्याशियों समेत कुल 268 उम्मीदवारों की किस्मत दांव पर लगी हुई है।

चुनाव आयोग ने शमशेरगंज और जांगीपुर विधानसभा क्षेत्रों के लिए फिर से चुनाव अधिसूचना जारी की है। इन दोनों स्थानों पर अब 16 मई को चुनाव होंगे तथा पूरी चुनाव प्रकिया 21 मई तक पूरी कर ली जाएगी।
राज्य में अब तक हुए छह चरणों के चुनाव में 294 सदस्यीय विधानसभा सीटों में से 223 पर मतदान संपन्न हो चुके हैं।

जिन पांच जिलों में कल मतदान होना है उनमें मालदा, कोलकाता दक्षिण, मुर्शिदाबाद, पश्चिम वर्द्धमान और दक्षिण दिनाजपुर शामिल हैं।

चुनाव आयोग ने सातवें चरण का चुनाव स्वतंत्र, निष्पक्ष एवं शांतिपूर्ण संपन्न कराने के लिए सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किये हैं। मतदान केंद्रों पर व्यापक संख्या में केंद्रीय एवं राज्य बलों की तैनाती की गयी है।

उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला 39.87 लाख महिला मतदाताओं एवं 221 उभयलिंगी मतदाता समेत 81.88 लाख से अधिक मतदाता करेंगे। मतदान के लिए कुल 11,376 मतदान केंद्र बनाये गये हैं।

राज्य में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी सभी 34 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। संयुक्त मोर्चा के बैनर के तहत चुनाव लड़ रही कांग्रेस 18, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी 12, आईएसएफ चार, आरएसपी तीन एवं एआईएफबी एक सीट पर चुनाव लड़ रही है। इसके अलावा बहुजन समाज पार्टी 25 सीटों, 63 निर्दलीय और 74 अन्य भी अपनी किस्मत आजमा रहे हैं।

इस चरण में हो रहे चुनाव में राज्य के मंत्री सुब्रत साहा (सागरदीघी), फिरहाद हकीम (कोलकाता बंदरगाह), सुब्रत मुखर्जी (बैलीगंज) एवं मलय घटक (आसनसोल उत्तर) शामिल हैं। मलय का मुकाबला भाजपा उम्मीदवार और अभिनेता से राजनेता बने सोवनदेव चट्टोपाध्याय से है जबकि अभिनेता रुद्रनील घोष मुख्यमंत्री एवं तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी की पुरानी सीट से अपनी किस्मत आजमा रहे हैं।

भाजपा ने बालुरघाट से अर्थशास्त्री अशोक कुमार लाहिड़ी और पांडेबेश्वर से आसनसोल के पूर्व मेयर जितेन्द्र तिवारी को मैदान में उतारा है जबकि दुर्गापुर पूर्व से माकपा की केंद्रीय समिति के सदस्य अभास रॉय चौधरी, हरिश्चंद्रपुर से कांग्रेस नेता मुश्ताक आलम, फरक्का से मोइनुल हक तथा लालगोला अबु हीना शामिल हैं।

इसके अलावा, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के छात्र संघ अध्यक्ष आइशी घोष जमुरिया से माकपा की उम्मीदवार हैं, जबकि भाजपा उम्मीदवार और फैशन डिजाइनर अग्निमित्र पॉल तथा तृणमूल उम्मीदवार सायानी घोष आसनसोल दक्षिण में एक दूसरे के साथ खिलाफ चुनावी मैदान में उतरे हैं।

अमित शाह ने ममता बनर्जी पर जमकर निशाना साधते आरोप लगाया कि तृणमूल कांग्रेस सरकार ‘तोलाबाजी’, ‘तानाशाही’ और ‘तुष्टिकरण’ के थ्री टी मॉडल पर चलती है attacknews.in

सीतलकूची (पश्चिम बंगाल), दो अप्रैल । केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर शुक्रवार को जमकर निशाना साधा और आरोप लगाया कि राज्य की तृणमूल कांग्रेस सरकार ‘तोलाबाजी’, ‘तानाशाही’ और ‘तुष्टिकरण’ के थ्री टी मॉडल पर चलती है।

शाह ने भरोसा जताया कि नंदीग्राम सीट पर ममता बनर्जी परास्त होंगी। पूर्बी मेदिनीपुर जिले की इस सीट पर ममता का मुकाबला अपने पूर्व सहयोगी एवं भाजपा प्रत्याशी शुभेंदु अधिकारी से है।

सीमा पार से होने वाली घुसपैठ को उत्तर बंगाल क्षेत्र के लिए सबसे बड़ी समस्या बताते हुए केंद्रीय गृह मंत्री ने वादा किया कि अगर राज्य में भाजपा सत्ता में आती है तो वह पड़ोसी बांग्लादेश से अवैध आव्रजन को पूरी तरह रोकेगी।

शाह ने दावा किया कि उत्तर बंगाल क्षेत्र के साथ तृणमूल सरकार ने अन्याय किया है।

उन्होंने यह भी वादा किया कि उत्तर बंगाल के विकास के लिए भाजपा हर साल 2,000 करोड़ रुपये खर्च करेगी और क्षेत्र में लोगों की चिकित्सीय आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए एम्स की स्थापना करेगी।

भारत-बांग्लादेश सीमा के पास स्थित कूचबिहार जिले के सीतलकूची में चुनावी रैली में शाह ने कहा, “सीमा-पार से होने वाली घुसपैठ उत्तर बंगाल की सबसे बड़ी समस्या है। टीएमसी सरकार इसे कभी नहीं रोकेगी, केवल हम इसे रोक सकते हैं।”

उन्होंने कहा, “ममता बनर्जी राज्य की सरकार को थ्री टी – ‘तोलाबाजी’, ‘तानाशाही’ और ‘तुष्टिकरण’ के मॉडल पर चलाती हैं।”

विशाल जनादेश के साथ राज्य में सत्ता में आने का भरोसा जताते हुए शाह ने कहा, “हम चुनाव के पहले दो चरणों (27 मार्च और एक अप्रैल को हुए चुनावों में) में जीत रहे हैं। ममता दीदी नंदीग्राम में हार रही हैं।”

कूचबिहार जिले की सीटों पर चौथे चरण में 10 अप्रैल को मतदान होगा। राज्य में आठ चरणों में चुनाव संपन्न होंगे। 294 सदस्यीय विधानसभा की सभी सीटों के परिणाम दो मई को घोषित किए जाएंगे।

दीदी दो मई को चली जाएगी, उनकी सत्ता में वापसी नहीं हो सकती: नरेंद्र मोदी ने बताया-आगामी दो मई को पश्चिम बंगाल में भाजपा की डबल इंजन सरकार कामकाम संभाल लेगी attacknews.in

वर्द्धवान, 12 अप्रैल । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को कहा कि बंगाल की जनता ने अब की बार ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस सरकार की विदाई कर देने का निश्चय कर लिया है और आगामी दो मई को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की डबल इंजन सरकार यहां कामकाम संभाल लेगी।

श्री मोदी ने कहा कि पिछले चार चरणों में 145 सीटों के लिए मतदान हुआ है, राज्य के कुल मतदाताओं में से आधे ने पहले ही दीदी (सुश्री बनर्जी) को बाहर का रास्ता दिखा दिया है जैसे क्रिकेट के मैदान में गेंद को छक्का मारकर बाहर भेजा जाता है।

प्रधानमंत्री ने कहा,“ राज्य की जनता ने निर्णय कर लिया है और अबकी बार दो मई को दीदी की विदाई पक्की है। दो मई को राज्य विधानसभा की 294 सीटों के परिणाम घोषित किये जाएंगे। बंगाल की जनता दीदी के ‘खेला’ को समझ गयी है। दीदी जानती है कि यदि वह सत्ता से बाहर हो गयीं तो फिर उनकी वापसी कभी नहीं होगी।”

श्री मोदी ने कहा,“ नंदीग्राम में दीदी क्लीन बोल्ड हो गयी हैं। बंगाल में दीदी के दिन लद गये हैं। दीदी की योजना विफल हो गयी है।”

प्रधानमंत्री ने भाजपा उम्मीदवार के लिए तलित साई सेंटर में चुनावी जनसभा को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि बंगाल की जनता को दीदी के 10 साल के कुशासन का अनुभव हो गया है और उन्हें दीदी की आवश्यकता नहीं है।

आठ चरणों में से पहले चार चरणों में ही तृणमूल का सूपड़ा साफ: मोदी

कल्याणी, में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को कहा कि पश्चिम बंगाल विधानसभा के आठ चरणों के चुनावों में से पहले चार चरणों में ही तृणमूल कांग्रेस पार्टी का सूपड़ा साफ हो गया है।

श्री मोदी ने यहां एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि बंगाल के लोगों ने तय किया है कि दो मई को मुख्यमंत्री एवं तृणमूल कांग्रेस की सुप्रीमो ममता बनर्जी की सत्ता चली जाएगी और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सत्ता में आ जायेगी। उन्होंने लोगों से कहा,“ अपनी वोट की ताकत को समझें। आपका एक वोट गरीबों के बैंक खाते में 18,000 रुपये जमा करने में भाजपा की मदद कर सकता है।”

प्रधानमंत्री ने आरोप लगाया कि दीदी (सुश्री बनर्जी) ने कोई भी नगर निगम के चुनाव नहीं कराये और टाेलाबाजों के हाथ में पूरी सत्ता है। उन्होंने कहा कि बिना किसी टोलाबाज के वह ‘हर घर जल’ योजना पर काम कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि दीदी के 10 वर्षों के रिपोर्ट कार्ड से उनकी कारगुजारियों का पता चल जाता है। इस दौरान राजनीतिक स्वार्थ के लिए बंगाल के लोगाें की हत्या की गयीं, बंगाल के लोगों को लूटने के लिए टोलाबाज को लाभ पहुंचाया गया और अपने सिंडिकेट को शक्तिशाली बनाने के लिए बंगाल के लोगों के साथ विश्वासघात किया गया।

प्रधानमंत्री ने कहा कि दीदी जैसे लोगों के कारण श्यामा प्रसाद मुखर्जी के सपने को पूरा नहीं किया जा सका। उन्होंने कहा कि दीदी ने अनुसूचित जाति को भिखारी कहकर उनका अपमान किया लेकिन भाजपा के लिए उनका सम्मान सर्वाधिक महत्वपूर्ण है।

श्री मोदी ने कहा,“ दीदी की योजना थी कि अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) और दलित वोट नहीं दें। यह आमतौर पर कहा गया कि तृणमूल कांग्रेस के लोग केंद्रीय बलों को घेरें, लेकिन दीदी आप ध्यान से सुन लो आप किसी से मतदान देने का अधिकार नहीं छीन सकतीं।”

उन्होंने आरोप लगाया कि दीदी हार के डर से परेशान हैं और उनकी पार्टी सभी हदों को पार कर रही है। उनके लोग एससी, एसटी और ओबीसी को इसलिए गाली दे रहे हैं क्योंकि वे भाजपा को समर्थन दे रहे हैं। अपनी हार को निश्चित मानते हुए दीदी ने उन्हें वोट देने से रोकने और अपने गुंडों को वोट देने में मदद करने की रणनीति बनाई है।

प्रधानमंत्री ने कहा,“ हमारा लक्ष्य कल्याणी और उसके आसपास के स्थानों को ‘आत्मानिर्भर’ बनाना है। आपकी एम्स की मांग को पूरा किया जाएगा। अगर कोई गरीब बीमार पड़ जाता है, तो उसकी मदद मिलनी चाहिए। हर सरकार को ऐसा करना चाहिए। भारत सरकार पांच लाख खर्च रुपये करने को तैयार है लेकिन दीदी ऐसा नहीं होना देने चाहती। दीदी गरीबों पर गुस्सा करती हैं।

असम के रतबाड़ी विधानसभा सीट के निर्वाचन अधिकारी का वाहन खराब होने पर भाजपा प्रत्याशी के वाहन से EVM मशीन ले जाने पर भड़की हिंसा,एक केन्द्र पर पुनर्मतदान के आदेश attacknews.in

नयी दिल्ली, दो अप्रैल । चुनाव आयोग ने शुक्रवार को असम के रतबाड़ी विधानसभा क्षेत्र में एक मतदान केन्द्र पर दोबारा मतदान कराने का आदेश दिया।

यहां मतदान के बाद जिस वाहन में निर्वाचन अधिकारी ईवीएम को लेकर गए, वह कथित तौर पर भाजपा के एक उम्मीदवार का था।

चुनाव आयोग ने एक बयान में कहा कि निर्वाचन अधिकारी और तीन अन्य अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया है।

चुनाव आयोग ने कहा, ‘‘ ईवीएम की सील हालांकि सही थी, लेकिन फिर भी रतबाड़ी (सु) एलएसी1 के मतदान केन्द्र संख्या- 149 इंदिरा एमवी स्कूल में दोबारा मतदान कराने का फैसला किया गया है।

कार में ईवीएम मिलने के बाद करीमगंज में हिंसा:

असम के करीमगंज जिले में बृहस्पतिवार रात ईवीएम को स्ट्रांग रूम तक पहुंचाने के लिए भाजपा उम्मीदवार के वाहन का इस्तेमाल होते देख भीड भड़क उठी और हिंसा हुई जिसके बाद पुलिस ने हालात पर काबू पाने के लिए हवा में गोलियां चलायी।

अधिकारियों ने शुक्रवार सुबह बताया कि रतबाड़ी निर्वाचन क्षेत्र में इंदिरा एम वी स्कूल के निर्वाचन दल का वाहन करीमगंज शहर में स्ट्रांग रूम तक जाने के दौरान खराब हो गया।

जिला प्रशासन के एक अधिकारी ने बताया, ‘‘उन्होंने एक निजी वाहन की मदद ली। संयोग से यह वाहन पत्थरकांडी के निवर्तमान भाजपा विधायक कृष्णानेंदु पॉल के नाम पर पंजीकृत था। वाहन के निमल बाजार क्षेत्र में पहुंचने पर कुछ लोगों ने इसे देखा।’’

पॉल इस बार पत्थरकांडी से भाजपा के उम्मीदवार हैं।

प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि भीड़ में मुख्य रूप से एआईयूडीएफ और कांग्रेस के समर्थक थे। भीड़ ने वाहन से तोड़फोड़ की जिसके बाद निर्वाचन दल को इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) छोड़कर वहां से जाना पड़ा।

पुलिस सूत्रों के मुताबिक, ‘‘उपायुक्त और पुलिस अधीक्षक तुरंत मौके पर पहुंचे और भीड़ को शांत करने की कोशिश की। लेकिन भीड़ जब नहीं मानी तो उन्हें तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने हवा में गोलियां चलायी।’’

उन्होंने बताया कि उपायुक्त और पुलिस अधीक्षक इसके बाद ईवीएम को रात में पत्थरकांडी थाना ले गए जहां से इसे करीमगंज में स्ट्रांग रूम में जमा कराया गया।

रतबाड़ी और पत्थरकांडी निर्वाचन क्षेत्र में दूसरे चरण में बृहस्पतिवार को मतदान हुआ।

असम की 39 विधानसभा सीटों के लिए दूसरे चरण में में 76.76 प्रतिशत मतदान,345 उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन में बंद attacknews.in

गुवाहाटी 01 अप्रैल । असम की 39 विधानसभा सीटों के लिए दूसरे चरण में गुरुवार को हुए मतदान में शाम छह बजे तक 76.76 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया।

इसके साथ ही 39 सीटों पर चुनाव लड़ रहे 345 उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) में बंद हो गया।

एक सौ छब्बीस सदस्यीय विधानसभा के पहले चरण के चुनाव में 47 सीटों पर मतदान हुआ था।

चुनाव आयोग के मुताबिक दूसरे चरण के चुनाव में कुल 73,44,631 मतदाता थे जिनमें 36,09,959 महिला मतदाता तथा 135 ट्रांसजेंडर मतदाता थे।

राज्य में हो रहे विधानसभा चुनाव में मुख्य मुकाबला सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस नीत गठबंधनों के बीच मुख्य रूप से मुकाबला है।

भाजपा नीत गठबंधन में असम गण परिषद और यूनाइटेड पीपुल्स पार्टी लिबरल भी शामिल है।

कांग्रेस नीत महागठबंधन में ऑल इंडिया डेमोक्रेटिक फ्रंट, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी, भाकपा (मा-ले) तथा बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट शामिल हैं।

राज्य में तीसरे और अंतिम चरण का चुनाव आगामी छह अप्रैल को होगा।

पश्चिम बंगाल की 30 विधानसभा सीटों पर दूसरे चरण में 80.43 प्रतिशत मतदान attacknews.in

नयी दिल्ली, 01 अप्रैल । पश्चिम बंगाल की 30 और असम की 39 विधानसभा सीटों के लिए दूसरे चरण में गुरुवार को हुए मतदान में शाम पांच बजे तक क्रमश: 80.43 प्रतिशत और 73.03 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया।

निर्वाचन आयोग की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार दोनों राज्यों की कुल 69 विधानसभा सीटों के लिए 21 हजार 212 मतदान केंद्रों पर दूसरे चरण का मतदान कराया गया।

पश्चिम बंगाल की 30 सीटों के लिए 10 हजार 620 मतदान केंद्र बनाये गये थे, जिन पर 76 लाख मतदाताओं ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया, जबकि असम की 39 सीटों के लिए 73 लाख मतदाताओं ने 11 हजार 592 मतदान केंद्रों पर वोट किये।

कोरोना महामारी के मद्देनजर सामाजिक दूरी का ध्यान रखते हुए प्रत्येक मतदान केंद्र पर मतदाताओं की संख्या 1500 से घटाकर 1000 किया गया था, जिसके कारण मतदान केंद्रों की संख्या बढाई गयी है।

आयोग के अनुसार, शांतिपूर्ण एवं निष्पक्ष चुनाव के लिए 50 फीसदी से अधिक संवेदनशील मतदान केंद्रों पर लाइव मोनिटरिंग और वेबकास्टिंग की व्यवस्था की गयी थी। पश्चिम बंगाल में 5535 मतदान केंद्रों से वेबकास्टिंग का प्रबंध किया गया था, वहीं असम में ऐसे मतदान केंद्रों की संख्या 5193 थी।

चुनाव आयोग ने पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण के मतदान से पहले चेतावनी जारी की:चुनाव के दौरान किसी तरह की हिंसा बर्दाश्त नहीं की जायेगी attacknews.in

 

कोलकाता, 30 मार्च । चुनाव आयोग ने पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण के मतदान से पहले फिर चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि चुनाव के दौरान किसी भी तरह की कोई हिंसक वारदात बर्दाश्त नहीं की जायेगी।

चुनाव आयोग ने पश्चिम बंगाल में दूसरे चरण के एक अप्रैल को होने वाले मतदान से पहले बदमाशों की ओर से किये जाने वाले किसी तरह के प्राणघातक हमले के समय आत्म-रक्षा के लिए कार्रवाई करने को सुरक्षा बलों को अधिकृत कर दिया है।

दूसरे चरण में दक्षिण 24 परगना, पश्चिमी और पूर्वी मेदिनीपुर तथा दक्षिण 24 परगना जिलों की 30 सीटों के लिए मतदान होगा। इनमें से नंदीग्राम सीट पर सभी की नजरें टिकी हैं। यहां मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और उनके सहयोगी रहे शुवेन्दु अधिकारी भारतीय जनता पार्टी(भाजपा) के टिकट पर आमने-सामने हैं।

आयोग की यह नयी चेतावनी पूर्वी मेदिनीपुर जिले के अरवालम गांव में केन्द्रीय सुरक्षा बलों के जवानों और पतशपुर थाना प्रभारी दीपक चक्रवर्ती पर पहले चरण के मतदान के दिन 26 मार्च को बम से किये गये हमले के मद्देनजर आयी है।

आयोग के सूत्रों ने मंगलवार को बताया कि यदि ऐसी स्थिति उत्पन्न होती है तो चुनाव ड्यूटी में लगे जवान हमलावरों को खदेड़ने के लिए हथियारों का इस्तेमाल कर सकते हैं।

दूसरे चरण के चुनावों के लिए संबंधित चारों जिलों में केन्द्रीय बलों की 651 कम्पनी तैनात की गयी हैं।

नंदीग्राम विधानसभा क्षेत्र में प्रशासन ने केन्द्रीय सुरक्षा बल की 21 कंपनियाँ तैनात की हैं। नंदीग्राम में 341 मतदान केन्द्र बनाये गये हैं। ये सभी संवेदनशील श्रेणी में रखे गये हैं। यहां से संयुक्त मोर्चा की ओर से मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी की मीनाक्षी मुखर्जी अपनी किस्मत आजमा रही हैं।

आयोग ने राज्य और केन्द्रीय बलों से समन्वय बनाने के भी आदेश जारी किये हैं।