राज्यपाल को कुलाधिपति के पद से हटाने का कानून केरल विधानसभा में पारित,राज्य सरकार विश्वविद्यालयों को कम्युनिस्ट या मार्क्सवादी केंद्रों में बदलने पर अड़ी attacknews.in

तिरुवनंतपुरम 13 दिसम्बर । केरल विधानसभा में मंगलवार (13 दिसंबर, 2022) को विश्वविद्यालय कानून संशोधन विधेयक (University Law Amendment Bill) पारित कर दिया गया।


इस विधेयक के कानून बनते ही केरल के विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति पद पर राज्यपाल की जगह किसी अन्य की नियुक्ति की जा सकेगी।

यदि ऐसा हुआ तो केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान अब राज्य के विश्वविद्यालयों के कुलपति नहीं रह जाएँगे।

इस मुद्दे को लेकर विपक्षी यूडीएफ ने सदन की कार्यवाही का बहिष्कार किया। विपक्ष ने विधेयक के संबंध में उनके सुझावों की अनदेखी का आरोप लगाया है। विधानसभा में घंटों की चर्चा के बाद इस विधेयक को पारित कर दिया गया। 

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, केरल के कानून मंत्री पी राजीव ने वीसी की नियुक्ति के लिए समिति गठित करने की बात कही है। समिति में मुख्यमंत्री, विपक्ष के नेता और विधानसभा अध्यक्ष शामिल हो सकते हैं। विधेयक में पाँच साल के कार्यकाल का प्रावधान किया गया है।

चर्चा के दौरान कॉन्ग्रेस की अगुवाई वाली यूडीएफ ने कहा कि वह चांसलर के पद से राज्यपाल को हटाए जाने के खिलाफ नहीं है, लेकिन इस पद के लिए सुप्रीम कोर्ट के र‍िटायर जजों और केरल हाईकोर्ट के पूर्व चीफ जस्‍ट‍िस में से चयन किया जाना चाहिए।

विपक्ष ने यह भी कहा कि हर विश्वविद्यालय के लिए अलग-अलग चांसलर की जरूरत नहीं है और चयन समिति में मुख्यमंत्री, विपक्ष के नेता के साथ-साथ केरल हाईकोर्ट के चीफ जस्‍ट‍िस को होना चाहिए।

इस पर प्रदेश के कानून मंत्री पी राजीव ने असहमति जताते हुए कहा कि किसी जज को चयन समिति का हिस्सा नहीं होना चाहिए, बल्कि उनके स्थान पर विधानसभा अध्यक्ष बेहतर विकल्प होंगे।

सरकार के रुख पर विपक्ष ने सदन की कार्यवाही का बहिष्कार किया। विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष वीडी सतीशन ने कहा कि विधेयक में कुलपति के उम्र सीमा और शैक्षणिक योग्यता का जिक्र नहीं है। इससे यह साबित होता है कि राज्य सरकार केरल के विश्वविद्यालयों को कम्युनिस्ट या मार्क्सवादी केंद्रों में बदलने की कोशिश कर रही है। इसके लिए वीसी जैसे महत्वपूर्ण पद पर अपने पसंद के लोगों को बैठाने का प्रयास कर रही है।

उधर केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान पूरे मामले पर पिछले महीने ही अपना रुख साफ कर चुके हैं। उन्होंने पत्रकारों को दिए एक जवाब में कहा था कि यदि राज्य सरकार मु झे निशाना बनाने की कोशिश करती है तो अध्यादेश राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा।

आपको बता दें कि राज्य के गवर्नर होने के नाते विधानसभा से पास विधेयक मंजूरी के लिए आरिफ मोहम्मद खान के पास ही आएगा। जिसे वो राष्ट्रपति के पास भेजने की बात कर रहे थे।

विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन के कुलपति प्रो अखिलेश कुमार पाण्डेय, विज्ञान के क्षेत्र में किए गए उत्कृष्ट कार्यों के लिए लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित होंगे attacknews.in

उज्जैन 13 दिसम्बर ।कॉमर्स एवं इंडस्ट्री मिनिस्ट्री की प्रतिष्ठित संस्थान (फुटवियर डिज़ाइन एवं डेवलपमेंट इंस्टिट्यूट, चंडीगढ़) में आयोजित दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन के कुलपति प्रो अखिलेश कुमार पाण्डेय का चयन स्क्रीनिंग कमिटी की अनुशंसा के आधार पर लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड के लिए किया गया है।  


चंडीगढ़ फुटवियर डिज़ाइन एवं डेवलपमेंट इंस्टिट्यूट जो कि वाणिज्य एवं औद्योगिक मंत्रालय भारत सरकार की प्रतिष्ठित संस्थान है, में अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी दिनांक 23 एवं 24 दिसंबर 2022 को सस्टेनेबल डेवलपमेंट, टुवर्ड्स आत्मनिर्भर भारत (वी. एस. ए. एन. वी.) 2022 विषय पर आयोजित की जा रही है, इसमें देश विदेश की प्रतिष्ठित अग्रणी वैज्ञानिक, इंजीनियर, शैक्षणिक विशेषज्ञ एवं औद्योगिक इकाइयों की संचालक एवं प्रबंधक आदि उपस्थित रहेंगे।

उक्त अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में स्क्रीनिंग कमेटी की अनुशंसा के आधार पर “सोसाइटी फॉर साइंस एंड नेचर” द्वारा प्रो पाण्डेय कुलपति विक्रम विश्वविद्यालय को लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया जायेगा।

उक्त संस्था द्वारा प्रतिवर्ष देश एवं विदेश के विभिन्न क्षेत्रों में कार्यरत चयनित वैज्ञानिकों को उनके उत्कृष्ट कार्यों हेतु सम्मानित किया जाता है, इसी सन्दर्भ में प्रो पाण्डेय द्वारा मशरुम के क्षेत्र में किये गए महत्वपूर्ण अनुसंधान कार्यों एवं उन कार्यों की आत्मनिर्भर भारत के लिए भविष्य में योगदान की संभावनाओं के आधार पर स्क्रीनिंग समिति द्वारा प्रो पाण्डेय को इस अवार्ड हेतु सर्वसम्मति से अनुशंसित किया गया है।

विक्रम विश्वविद्यालय के कुलसचिव डाॅ प्रशांत पुराणिक ने बताया कि कुलपति जी द्वारा किए गए महत्वपूर्ण अनुसन्धान कार्य की उपयोगिता, आत्मनिर्भर भारत के लिए है, अतः एस एफ एस एन संस्था द्वारा कुलपति जी का चयन लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड के लिए किया जाना विक्रम विश्वविद्यालय के लिए गौरव की बात है। 

विक्रम विश्वविद्यालय के कुलानुशासक प्रो शैलेन्द्र कुमार शर्मा ने बताया कि विज्ञान के क्षेत्र में कुलपति जी द्वारा किये गए उत्कृष्ट कार्यों का परिणाम है कि कई प्रतिष्ठित संस्थानों द्वारा कुलपति जी को समय-समय पर सम्मानित किया गया है। इसी शृंखला में एस. एफ. एस. एन. द्वारा कुलपति जी को सम्मानित किया जा रहा है।

शिक्षकों के लिए 2020 संघर्ष और नवाचार का रहा: मिट्टी के घरों की दीवारों को ब्लैक बोर्ड में बदलने से लेकर चलती गाड़ियों पर लाउडस्पीकर से चलने वाली कक्षाओं तक, ‘मोहल्ला’ कक्षाओं से पंचायत भवनों की जन उद्घोषणा प्रणाली तक अनेक प्रयोग देखे गए attacknews.in

नयी दिल्ली, 26 दिसंबर । कोरोना वायरस महामारी की मार जहां हर क्षेत्र पर पड़ी है वहीं 2020 शिक्षकों के लिए भी संघर्ष और नवाचार से परिपूर्ण रहा जहां मिट्टी के घरों की दीवारों को ब्लैक बोर्ड में बदलने से लेकर चलती गाड़ियों पर लाउडस्पीकर से चलने वाली कक्षाओं तक, ‘मोहल्ला’ कक्षाओं से पंचायत भवनों की जन उद्घोषणा प्रणाली तक अनेक प्रयोग देखे गए।

कई महीने तक स्कूलों के बंद रहने की वजह से शिक्षकों को गांवों, दूरदराज की बस्तियों और गरीब परिवारों के ऐसे हजारों बच्चों को पढ़ाने के लिए रचनात्मक तरीके खोजने की प्रेरणा मिली जो ऑनलाइन कक्षाएं नहीं कर सकते क्योंकि देश के अनेक गांवों में रहने वाले इन बच्चों की पहुंच में स्मार्टफोन और कम्प्यूटर नहीं हैं।

झारखंड में दुमका के दुमरथार गांव में सरकारी स्कूल के शिक्षकों ने ऐसे बच्चों को शिक्षित करने के लिए नया तरीका ईजाद किया जिनके पास स्मार्टफोन नहीं हैं।

उन्होंने बच्चों के घरों की दीवारों पर ब्लैकबोर्ड बनाकर उन्हें सामाजिक दूरी रखते हुए पढ़ाया।

दुमरथार के शिक्षक तपन कुमार ने कहा, ‘‘जिन बच्चों के पास स्मार्टफोन और इंटरनेट नहीं हैं, उन्हें पढ़ाने के लिए हमने ‘शिक्षा आपके द्वार’ पहल शुरू की। बच्चों के घरों पर छात्रों को पढ़ाने के लिए दीवारों पर ब्लैक बोर्ड बनाए गए। ऐसे 100 से ज्यादा ब्लैक बोर्ड बनाए गये।’’

सिक्किम के रवंगला गांव में विज्ञान और गणित की शिक्षक इंद्रा मुखी छेत्री कई बच्चों के घरों में जाती थीं और एक सप्ताह में पहली से पांचवीं कक्षा के करीब 40 विद्यार्थियों से संपर्क साधती थीं।

उन्होंने कहा, ‘‘मैं ऑनलाइन कक्षाएं भी ले सकती हूं लेकिन इन बच्चों के पास फोन या इंटरनेट नहीं है। कुछ के पास हो भी सकता है लेकिन ऐसे में हम समानता कैसे रख पाएंगे। कुछ बच्चे वंचित रह जाएंगे। इसलिए मैं हर सप्ताह प्रत्येक बच्चे के साथ करीब 20 मिनट बिताती थी।’’

छेत्री ने कहा, ‘‘मैं उनकी नोटबुक लेकर उन पर पाठ लिखती थी जिन्हें उन्हें सप्ताह भर में पूरा करना होता था।’’

गुजरात के जानन गांव के शिक्षक घनश्याम भाई कहानियां और गीत सुनाने तथा अभिभावकों को लॉकडाउन के दौरान बच्चों के साथ बर्ताव करने के तरीके सिखाने के लिए ग्राम पंचायत की जन उद्घोषणा प्रणाली का उपयोग करते थे।

उन्होंने कहा, ‘‘मैं यह भी बताता था कि मैं पंचायत भवन में किस समय रहूंगा ताकि छात्र या उनके माता-पिता उस समय सामाजिक दूरी रखते हुए मुझसे मिल सकें।’’

छत्तीसगढ़ के शिक्षकों ने कम संक्रमण दर वाले क्षेत्रों में मोहल्ला क्लास लगाईं।

एक शिक्षक ने बताया, ‘‘हमने सामुदायिक स्थानों पर छोटी-छोटी कक्षाएं बनाईं। शिक्षक सप्ताह में कम से कम दो बार हर कक्षा में कुछ घंटे बच्चों के साथ बिताते थे।’’

छत्तीसगढ़ के एक और शिक्षक रुद्र राणा ने कक्षाओं के लिए मोटरसाइकिल का इस्तेमाल किया।

उन्होंने बताया, ‘‘स्कूल बंद होने की वजह से बच्चे पढ़ने नहीं जा सकते थे। इसलिए मैंने सोचा कि क्यों न स्कूल को ही उनके पास पहुंचा दिया जाए। कई ग्रामीण छात्रों के लिए ऑनलाइन कक्षाएं व्यावहारिक नहीं हैं। मैं एक गांव जाता था और अपने साथ एक छाता और चॉक बोर्ड रखता था ताकि कक्षाएं लगा सकूं।’’

हरियाणा के कंवरसीका गांव में स्कूल की घंटी की तरह एक वैन पर सुबह कक्षा शुरू होने की घोषणा के लिए घंटी बजती थी।

नूह जिले में एक सरकारी स्कूल की शिक्षक नूर बानो के अनुसार, ‘‘बच्चे अपने घरों में और आंगनों में गली की ओर मुंह करके बैठ जाते थे। पहले वे लाउडस्पीकर पर शिक्षक की आवाज आने पर प्रार्थना करते थे और फिर हर दिन एक विषय की पढ़ाई करते थे।

नरेन्द्र मोदी ने विश्वभारती विश्वविद्यालय के शताब्दी समारोह को संबोधन में कहा: विश्व भारती मां भारती में शामिल हो गया है और इसने शिक्षा को प्रमुखता दी, “सबके लिए शिक्षा और ज्ञान” रही टैगोर की परिकल्पना attacknews.in

शांतिनिकेतन, 24 दिसम्बर । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को कहा कि गुुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर ने “सबके लिए शिक्षा और ज्ञान” की परिकल्पना संजोए विश्वभारती विश्वविद्यालय की शुरुआत की और इस विश्व प्रसिद्ध संस्थान की 100 वीं वर्षगांठ के मौके पर यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि सभी को अच्छी शिक्षा मिले।

श्री मोदी ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए शांतिनिकेतन स्थित विश्वभारती विश्वविद्यालय के शताब्दी समारोह को संबोधित करते हुए यह उद्गार व्यक्त किये। उन्होंने कहा,“ इस ऐतिहासिक समारोह को संबोधित करना मेरे लिए बहुत बड़े सम्मान की बात है। मैं उन उन सभी को धन्यवाद और बधाई देना चाहता हूं , जिन्होंने इसे एक वास्तविक महान संस्थान बनाने में अपना योगदान दिया।”

उन्होंने कहा, “ हमारा देश विश्वभारती के संदेश और शिक्षा को आगे ले जाने में अग्रसर है। अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन हो अथवा पेरिस जलवायु समझौते , यह जानना बहुत महत्वपूर्ण है कि भारत दुनिया का एकमात्र ऐसा देश है जो पेरिस जलवायु समझौते में निर्धारित लक्ष्यों के साथ क्रियाशील है।”

उन्होंने कहा कि विश्वभारती विश्वविद्यालय, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय, दिल्ली विश्वविद्यालय, जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय, आंध्र विश्वविद्यालय, अन्ना मलाई विश्वविद्यालय तथा और भी समकालीन उत्कृष्ट संस्थानों ने देश में शिक्षा एवं ज्ञान की अलख जगायी है।

श्री मोदी ने कहा कि भारत का दृष्टिकोण हमेशा से दुनिया से सीखने और यहां जो रहा है उसे सिखाने का रहा है। उन्होंने विश्वभारती का उदाहरण देते हुए कहा कि यह संस्थान शिक्षा के बारे में देश के दृष्टिकोण और विचारों को प्रदर्शित करता है। विश्व भारती मां भारती में शामिल हो गया है और इसने शिक्षा को प्रमुखता दी है।

उन्होंने कहा कि सदियों तक व्याप्त भक्ति आंदोलन के युग ने वैचारिक मूल्य तथा सबक दिए और हम सबको एकता के सूत्र में बांधा। फिर ज्ञान आंदोलन से ज्ञान मिला और अंतत: कर्म आंदोलन ने योजनाओं के क्रियान्वयन में मदद की।

प्रधानमंत्री ने कहा, “ हमें एक मजबूत और आत्मनिर्भर राष्ट्र के निर्माण की दिशा में काम करना होगा और इसके लिए उन सभी से प्रेरणा लेनी चाहिए जिन्होंने देश को महान बनाने में अपना योगदान दिया है। ”

इस मौके पर पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ और केंद्रीय शिक्षा मंत्री और अन्य गणमान्य हस्तियां मौजूद थीं।

भारत अभी तक ‘एकला चलो रे’ का पालन कर रहा है : मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को गुरुदेव रवींद्र नाथ टैगोर को याद करते हुए कहा कि भारत उनके ‘एकला चलो रे’ के आह्वान का पालन कर अब एक ऐसा राष्ट्र बन गया है जो स्वतंत्र रूप से चल सकता है और दूसरों पर निर्भर नहीं हैं।

श्री मोदी ने विश्व भारती विश्वविद्यालय के शताब्दी समारोह को आभासी संबोधन के दौरान विवि के छात्रों से स्थानीय शिल्पकारों को वैश्विक बाजार में ऑनलाइन अपनी हस्तशिल्प वस्तुएं बेचने में मदद करने की अपील की। श्री मोदी इस विश्वविद्यालय के कुलाधिपति भी हैं। विवि ने आज अपनी स्थापना के 100 वर्ष पूरे कर लिये।

गुरुदेव के विचार हमारे सीखने की नैतिकता की उच्चता को दर्शाते हैं : धनखड़

पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने विश्व भारती के स्थापना दिवस के शताब्दी समारोह के अवसर पर गुरुदेव (रवीन्द्र नाथ टैगोर) के विचार हमारे सीखने की नैतिकता की उच्चता को दर्शाते हैं।

विश्व भारती के रेक्टर श्री धनखड़ ने कहा, “ पश्चिम बंगाल के राज्यपाल के रूप में मैं विश्व भारती के स्थापना दिवस के शताब्दी समारोह से जुड़ने पर खुद को सम्मानित मान रहा हूं। इस शुभ और महत्वपूर्ण अवसर पर उपस्थित होना मेरे लिए महान सौभाग्य की बात है।”

उन्होंने कहा,“ यह अवसर हमें याद दिलाता है कि गुरुदेव ने भारत को प्रगति एवं सीखने की एक शक्ति के रूप में कल्पना की थी। गुरुदेव के विचार हमारे सीखने की नैतिकता की उच्चता को दर्शाते हैं।”

श्री धनखड़ ने कहा, “ देश के दूरदर्शी नेतृत्व के रूप में भी उनके संकल्प और संस्थापक योगदान निश्चित रूप से विश्व गुरु की अपनी स्थिति को प्राप्त करने वाले भारत में फिर से विकसित होंगे।”

उन्होंने कहा,“ नयी शिक्षा नीति, जिसे परिवर्तनकारी मानी जा रही है, भी गुरुदेव के सीखने पर जोर देने से प्रभावित है। समग्र शिक्षा पर जोर देने के लिए सामान्य सीखने से गुणात्मक और महत्वपूर्ण बदलाव इस नीति का एक महत्वपूर्ण कारक है। यह स्वतंत्र सोच और रचनात्मक आवेगों पर अधिक जोर देता है।”

राज्यपाल ने कहा, “ नयी शिक्षा नीति निश्चित रूप से अपने प्रतिबिंब में टैगोर द्वारा परिकल्पित परिदृश्य के उद्भव के लिए मार्ग प्रशस्त करेगी।”

उन्होंने कहा, “ शताब्दी दिवस समारोह के दौरान, ऐसी गतिविधियां होंगी जो हमें अपनी प्रतिभा का दोहन करने में मदद करेंगी, अपनी क्षमता का एहसास कराएंगी और भारत के फिर से विश्व गुरु बनने के लिए आशावाद उत्पन्न करेंगी।”

राज्यपाल ने कहा, “ प्राचीन भारत में नालंदा एवं तक्षशिला जैसे विश्व स्तरीय संस्थान थे। इस नेतृत्व को लेने के लिए हमारे पास उचित समय है। विश्व भारती स्थापना दिवस शताब्दी समारोह निश्चित रूप से ऐसी अनुभूति उत्पन्न करेगा जो सीधे इस पूर्ण परिदृश्य को उत्प्रेरित करेगा।”

IIT दिल्ली के दीक्षांत समारोह में नरेन्द्र मोदी ने कहा: कोरोना काल के बाद की दुनिया में प्रौद्योगिकी की सबसे बड़ी भूमिका जो आत्मनिर्भर भारत अभियान की सफलता की बहुत बड़ी ताकत होगी attacknews.in

नयी दिल्ली, सात नवंबर । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को कहा कि कोविड-19 के बाद की दुनिया बहुत अलग होने जा रही है जिसमें सबसे बड़ी भूमिका प्रौद्योगिकी की होगी और वह आत्मनिर्भर भारत अभियान की सफलता की बहुत बड़ी ताकत होगी।

मोदी वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, (आईआईटी) दिल्ली के 51वें वार्षिक दीक्षांत समारोह को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे।

उन्होंने इस मौके पर यह भी कहा कि वैश्वीकरण महत्वपूर्ण है लेकिन इसके साथ-साथ आत्मनिर्भरता भी उतनी ही जरूरी है।

मोदी ने अपने संबोधन में कहा, ‘‘कोरोना का यह संकटकाल दुनिया में बहुत बड़ा बदलाव लेकर आया है। कोविड-19 के बाद की दुनिया बहुत अलग होने जा रही है और इसमें सबसे बड़ी भूमिका प्रौद्योगिकी की होगी।’’

प्रधानमंत्री ने कहा कि साल भर पहले किसी ने नहीं सोचा होगा कि महत्वपूर्ण बैठकें और बड़े-बड़े कार्यक्रम डिजिटल माध्यम से होंगे लेकिन अब इन सभी का स्वरूप बदल चुका है।

उन्होंने कहा, ‘‘आत्मनिर्भर भारत अभियान की सफलता के लिए यह बहुत बड़ी ताकत है। कोरोना ने दुनिया को एक बात और सिखा दी है। वैश्वीकरण महत्वपूर्ण है लेकिन इसके साथ-साथ आत्मनिर्भरता भी उतनी ही जरूरी है।’’

उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भर भारत अभियान आज देश के नौजवानों को, टेक्नोक्रेट्स को तकनीक की दुनिया को अनेक नए मौके देने का भी एक अहम अभियान है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि प्रौद्योगिकी ने सेवाओं की दुर्गम स्थानों पर पहुंच आसान की है और भ्रष्टाचार की गुंजाइश को कम किया है।

इस अवसर पर केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक और शिक्षा राज्य मंत्री संजय धोत्रे भी उपस्थित थे।

दीक्षांत समारोह में पीएचडी, एम टेक, मास्टर्स ऑफ डिजाइन, एमबीए और बीटेक के छात्रों सहित 2,000 से अधिक स्नातक छात्रों को डिग्री प्रदान की गई।

प्रधानमंत्री ने डिग्री प्राप्त कर रहे छात्रों से कहा, ‘‘देश आपको कारोबार करने की सुगमता देगा और आप देशवासियों को सुविधाजनक जीवन देने के लिए काम कीजिए।’’

उन्होंने कहा कि गुणवत्ता पर ध्यान केंद्रित कीजिए, कभी समझौता मत कीजिए और अपने नवोन्मेषी कार्यों को व्यापक स्तर पर कीजिए।

नीट परिणाम की घोषणा 16 अक्टूबर को की जायेगी, कोविड-19 संक्रमण या निरूद्ध क्षेत्र पाबंदियों के कारण परीक्षा से वंचित छात्रों को 14 अक्टूबर को मिलेगा एक मौका attacknews.in

नयी दिल्ली, 12 अक्टूबर । केन्द्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने सोमवार को कहा कि राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट) के परिणाम की घोषणा 16 अक्टूबर को की जायेगी।

कोविड-19 संक्रमण या निरूद्ध क्षेत्र पाबंदियों के कारण परीक्षा में शामिल नहीं हो पाये छात्रों को 14 अक्टूबर को इसमें शामिल होने का एक मौका मिलेगा।

निशंक ने ट्वीट किया, ‘‘डीजी_एनटीए 16 अक्टूबर 2020 को नीट परिणाम की घोषणा करेगा। परिणामों का सटीक समय बाद में सूचित किया जाएगा। मैं सभी अभ्यर्थियों को शुभकामनाएं देता हूं।’’

कोविड-19 महामारी के मद्देनजर एहतियाती कदमों के बीच 13 सितम्बर को नीट परीक्षा आयोजित की गई थी।

इस वर्ष 11 भाषाओं अंग्रेजी, हिंदी, असमिया, बंगाली, गुजराती, कन्नड़, मराठी, ओडिया, तमिल, तेलुगु और उर्दू में यह परीक्षा कराई गई थी। प्रारंभिक रिपोर्ट के अनुसार 77 प्रतिशत अभ्यर्थियों ने अंग्रेजी में, लगभग 12 प्रतिशत ने हिंदी में और 11 प्रतिशत ने अन्य भाषाओं में परीक्षा दी।

इससे पहले महामारी के कारण दो बार परीक्षा को स्थगित किया गया था।

राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एनटीए) ने महामारी के मद्देनजर मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) का सख्ती से पालन कराया था।

एनटीए ने भीड़ प्रबंधन सुनिश्चित करने के वास्ते इस वर्ष परीक्षा केन्द्रों की संख्या बढ़ाकर 3,862 कर दी थी जबकि 2019 में यह संख्या 2,546 थी।

नीट परीक्षा वैसे तीन मई को निर्धारित थी लेकिन बाद में परीक्षा को 26 जुलाई को कराने और फिर 13 सितम्बर को कराया जाना तय किया गया था।

जेईई के परिणाम घोषित, आईआईटी बॉम्बे जोन के चिराग फलोर ने किया टॉप,लड़कियों की श्रेणी में आईआईटी रूड़की की कनिष्का मित्तल रही टाॅपर attacknews.in

नयी दिल्ली, 05 अक्टूबर । संयुक्त प्रवेश परीक्षा (जेईई) एडवांस्ड 2020 के नतीजे सोमवार को जारी कर दिए गए जिसमें आईआईटी बॉम्बे जोन के चिराग फलोर ने पहला स्थान हासिल किया है जबकि लड़कियों की श्रेणी में आईआईटी रुड़की की कनिष्का मित्तल ने टॉप किया है हालांकि कनिष्का की ऑल इंडिया रैंक में 17 वां स्थान है।

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान दिल्ली की ओर जारी जारी किए गए परिणाम के अनुसार चिराग ने 396 में से 392 अंक प्राप्त कर पहला स्थान हासिल किया जबकि कनिष्का ने 396 में से 315 अंक हासिल किए। उन्होंने बताया कि 1,50,838 विद्यार्थियों ने जेईई एडवांस के इम्तेहान में शामिल हुए जिनमें से 43,204 विद्यार्थियों ने सफलता हासिल की। इनमें से 6,707 लड़कियों ने सफलता हासिल की।

निशंक ने जेईई में सफल छात्रों से की बात

केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने संयुक्त प्रवेश परीक्षा (जेईई) एडवांस्ड परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले छात्रों को बधाई दी और टॉप करने वाले छात्रों से फोन पर बात की। इसके अलावा उन्होंने नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) को कोरोना संकट की कठिन परिस्थितियों में सफलतापूर्वक परीक्षा करवाने के लिए भी बधाई दी।

डॉ निशंक ने एनटीए की तारीफ करते हुए कहा कि शिक्षा मंत्रालय ने कोरोना संकट के बावजूद परीक्षाएं करवाने का निर्णय लिया था और इसकी जिम्मेदारी एनटीए को सौंपी थी। एनटीए ने इस जिम्मेदारी को बखूबी निभाया है। सभी छात्रों एवं शिक्षकों की सुरक्षा को ध्यान रखते हुए परीक्षा केंद्रों में व्यवस्था की गई थी।