मध्यप्रदेश में गुरुवार को कोरोना के 846 नये मरीज आये सामने, 50 की मृत्यु; अबतक संक्रमितों की संख्या 7,82,945 और मृतकों की संख्या 8207 हुई attacknews.in

भोपाल, 03 जून । मध्यप्रदेश में दिनों दिन कम होते जा रहे कोरोना संक्रमण के बीच आज 846 लोग कोरोना संक्रमित मिले हैं।इस महामारी से आज 50 लोगों की जान ले ली।सक्रिय मामलों की संख्या घटकर 14186 पहुंच गयी है।

राज्य के स्वास्थ्य संचालनालय की ओर से जारी बुलेटिन के अनुसार 78,489 सैंपल की जांच में 846 कोरोना संक्रमित मिले है।

जबकि 77,643 की रिपोर्ट निगेटिव रहे।

188 सैंपल रिजेक्ट हुए और संक्रमण दर आज घटकर 1़ 0 प्रतिशत पहुंच गयी।

प्रदेश भर में आज 846 नए मामले आने के बाद कुल संक्रमितों की संख्या बढ़कर 7,82,945 हाे गयी।

राहत की खबर है कि इनमें से 7,60,552 लोग कोरोना संक्रमण को परास्त घर पहुंच चुके हैं।

इस संक्रमित महामारी ने राज्य में अब तक 8207 लोगों की जान लिया है।

वर्तमान में सक्रिय मामले अब 14,186 हो गए हैं।

राज्य के इंदौर जिले में 287, भोपाल में 183, ग्वालियर में 17, जबलपुर में 71, उज्जैन में 8, रतलाम में 16, सागर में 12, रीवा में 13, खरगोन में 13, बैतूल में 14 और धार में 11 नए मामले सामने आए।

मध्यप्रदेश के 3000 जूनियर डाक्टरों ने अपनी मांगों के समर्थन में त्यागपत्र सौंपे;अध्यक्ष अरविंद मीणा ने कहा:6 मई की चर्चा में सरकार के आश्वासन को पूरा करने की मांग पर कर रहे हैं आंदोलन  attacknews.in

 

भोपाल, 03 जून। मध्यप्रदेश में पिछले चार दिनों से अपनी विभिन्न मांगाें को लेकर हड़ताल कर रहे राज्य जूनियर डॉक्टर्स एसोसिएशन (जूडा) के अध्यक्ष अरविंद मीणा ने कहा कि अपनी मांगों के समर्थन में आज राज्य के लगभग 3000 जूनियर डॉक्टर्स ने अपने त्यागपत्र संबंधित मेडिकल कालेज के डीन को सौंप दिए हैं।

श्री मीणा ने दूरभाष पर  कहा कि दरअसल वे जिन मुद्दों को लेकर आंदोलन कर रहे हैं, वो सरकार की ओर से पूर्व में दिए गए आश्वासन हैं।

उनका कहना है कि सरकार ने छह मई की चर्चा में जो भी आवश्वासन दिए थे, वे पूरे होने चाहिए। इन्हीं मुद्दों को लेकर हम लोग आंदोलन कर रहे हैं, लेकिन सरकार हमसे बातचीत करने ही राजी नहीं है।

श्री मीणा ने कहा कि राज्य के विभिन्न मेडिकल कालेज के लगभग 3000 जूनियर डाक्टर्स ने आज देर शाम अपने त्यागपत्र संबंधित डीन को सौंप दिए हैं।

साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि यदि सरकार बात करे, तो अपना अगल कदम भी उठाने तैयार हैं।

इस बीच राज्य उच्च न्यायालय ने आज इस हड़ताल काे अवैधानिक घोषित करते हुए सभी हड़ताली डॉक्टरों से 24 घंटे के अंदर काम पर लौटने के लिए कहा है।

इसके पहले दिन में राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों ने भी मीडिया से चर्चा के दौरान जूनियर डॉक्टर्स से अपेक्षा की है कि वे तुरंत अपना कार्य प्रारंभ करें।यह कोविड का अभूतपूर्व दौर है।

इस बीच सरकार की तरफ से कहा गया है कि जूडा स्टाइपेंड में 24 प्रतिशत बढोत्तरी चाहती है।

वे स्टाइपेंड को 55000 से बढ़ाकर 68200 और 57000 से बढ़ाकर 70680 और 59000 से बढ़ाकर 73160 रुपए चाहते हैं।शासन इसे अनुचित मानती है।

शासन का कहना है कि अन्य विभागाें की तरह सीपीआई अनुसार जूनियर डॉक्टर्स के स्टाइपेंड में 17 प्रतिशत की वृद्धि मान्य की गयी है।

शासन ने यह भी कहा कि कोविड ड्यूटी करने के कारण अतिरिक्त पारितोषिक व वजीफे की मांग युद्ध के मध्य युद्धरत सैनिक द्वारा किसी भी प्रकार की वित्तीय मांग किया जाने जैसा है।

जूडा की दूसरी मांग प्रत्येक वर्ष वार्षिक 6 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी भी बेसिक स्टाइपेंड में करने की है।

शासन का कहना है कि प्राइज इंडेक्स के तहत बढ़ोत्तरी दी जाएगी, जैसे अन्य विभागों को दी जाती है।

जूडा की पीजी करने के बाद एक साल के ग्रामीण बांड को कोविड ड्यूटी के बदले हटाने के लिए एक कमेटी बनाने संबंधी है।

सरकार इस मांग को भी पूरी तरह अनुचित मान रही है।

ऐसा करने से ग्रामीण अंचल के गरीब व्यक्तियों को उच्च कोटि की गुणवत्तापूर्ण चिकित्सकीय सेवा से वंचित होना पड़ेगा।

जूडा की एक अन्य मांग है कि कोविड ड्यूटी में कार्यरत हर जूनियर डाक्टर को 10 नंबर का एक गजटेड सर्टिफिकेट मिलेगा, जो आगे उसे सरकारी नौकरी में फायदा प्रदान करेगा।

शासन का कहना है कि केंद्र सरकार की ओर से तीन मई 2021 को जारी गाइडलाइन के अनुसार अल्पावधि के कोविड कार्य करने वाले व्यक्तियों को आकर्षित करने के लिए जारी की गयी है।

इसी के अनुरूप सबको लाभ दिया जाएगा।

शासन का कहना है कि कोविड अथवा अन्य महामारी में सेवाएं दिया जाना किसी भी सरकारी चिकित्सक समुदाय का मूल कर्तव्य है।

इसके लिए अतिरिक्त पारितोषिक की मांग करना अनुचित है।

शासन ने शेष दो मांगों के संबंध में भी अपना पक्ष रखा है, जो उनके परिजनों को चिकित्सा सुविधा और सुरक्षा मुहैया कराने से संबंधित है।

स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोविड-19 की वैक्सीन के 30 करोड़ टीके खरीदने के लिये मेसर्स बायोलॉजिकल-ई लिमिटेड, हैदराबाद के साथ अग्रिम भुगतान को अंतिम रूप दिया attacknews.in

नयी दिल्ली 03 जून । केंद्र हैदराबाद की फर्म बॉयलोजिकल-ई से 30 करोड़ काेविड वैक्सीन डोज की खरीद करेगा।

गुरुवार को जारी आधिकारिक बयान में यह जानकारी दी गयी।

सौदे के मुताबिक केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय फर्म को 1,500 करोड़ रुपये का अग्रिम भुगतान करेगा तथा अगस्त-दिसंबर 2021 से निर्माता द्वारा वैक्सीन निर्माण और भंडार किया जाएगा। फिलहाल बायोलॉजिकल-ई की वैक्सीन के तृतीय चरण का क्लीनिकल परीक्षण चल रहा है।

बयान में कहा गया है कि बायोलॉजिकल-ई द्वारा विकसित किया जा रहा वैक्सीन एक आरबीडी प्रोटीन सब-यूनिट वैक्सीन है और इसके अगले कुछ महीनों में उपलब्ध होने की संभावना है।
बयान के मुताबिक राष्ट्रीय विशेषज्ञ समूह ने मेसर्स बायोलॉजिकल-ई के प्रस्ताव की जांच की और उसके अध्ययन के बाद अनुमोदन के लिए सिफारिश की गयी।

बयान में कहा गया है कि मैसर्स बायोलॉजिकल-ई के साथ यह सौदा केंद्र सरकार की उस व्यापक पहल का हिस्सा है, जो स्वदेशी वैक्सीन निर्माताओं को अनुसंधान एवं विकास के लिए वित्तीय सहायता के जरिए प्रोत्साहित करना है।

स्वास्थ्य मंत्रालय ने हैदराबाद की वैक्सीन बनाने वाली कंपनी बायोलॉजिकल-ई लिमिटेड के साथ कोविड-19 की वैक्सीन की 30 करोड़ खुराकों के लिये अग्रिम व्यवस्था को अंतिम रूप दे दिया है।

वैक्सीन की ये खुराकें मेसर्स बायोलॉजिकल-ई कंपनी बनायेगी और उनका भंडारण करेगी। इसकी अवधि अगस्त से दिसंबर, 2021 तय की गई है। इस उद्देश्य को मद्देनजर रखते हुये स्वास्थ्य मंत्रालय, मेसर्स बायोलॉजिकल-ई को 1500 करोड़ रुपये अग्रिम दे रहा है।

बायोलॉजिकल-ई की कोविड-19 वैक्सीन इस समय तीसरे चरण के क्लीनिकल ट्रायल से गुजर रही है। पहले और दूसरे क्लीनिकल ट्रायल में बेहतर नतीजे मिले थे। वैक्सीन को बायोलॉजिकल-ई ने विकसित किया है, जो आरबीडी प्रोटीन सब-यूनिट वैक्सीन है। संभावना है कि अगले चंद महीनों में यह उपलब्ध हो जायेगी।

मेसर्स बायोलॉजिकल-ई के वैक्सीन प्रस्ताव पर नेशनल एक्सपर्ट ग्रुप ऑन वैक्सीन एडमिनेस्ट्रेशन फॉर कोविड-19 (नेगवैक) ने चर्चा और पड़ताल करने के बाद उसे मंजूर करने की सिफारिश की थी।

मेसर्स बायोलॉजिकल-ई के साथ जो यह व्यवस्था की गई है, वह केंद्र सरकार के उस बड़े प्रयास का हिस्सा है, जो सरकार स्वदेशी वैक्सीन निर्माताओं को प्रोत्साहन देने के लिये कर रही है। इसके हवाले से सरकार स्वदेशी कंपनियों को अनुसंधान व विकास में सहयोग कर रही है तथा वित्तीय सहायता भी प्रदान कर रही है।

बायोलॉजिकल-ई कोविड वैक्सीन की किस्म को भारत सरकार क्लीनिकल पूर्व चरण से तीसरे चरण के अध्ययन तक समर्थन देती आ रही है।

बायोटेक्नोलॉजी विभाग ने न केवल 100 करोड़ रुपये के अनुदान के रूप में वित्तीय सहायता दी है, बल्कि विभाग बायोलॉजिकल-ई के साथ साझेदारी भी कर रह है। वैक्सीन सम्बंधी जंतुओं पर प्रयोग और अध्ययन का काम ट्रांसलेशनल स्वास्थ्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान, फरीदाबाद के जरिये किया गया।

इस जिम्मेदारी को भारत सरकार के ‘मिशन कोविड सुरक्षा-भारतीय कोविड-19 वैक्सीन विकास मिशन’ के तहत पूरा किया जा रहा है। इसके हवाले से आत्मनिर्भर 3.0 के तीसरे प्रोत्साहन पैकेज के जरिये देश में कोविड-19 के विकास में तेजी लाने के प्रयास किये जा रहे हैं।

मिशन का उद्देश्य है सभी भारतवासियों को एक सुरक्षित, कारगर, सस्ती और आसानी से उपलब्ध कोविड वैक्सीन का बंदोबस्त करना। यह मिशन पांच-छह किस्म की कोविड-19 वैक्सीन के विकास को सहयोग कर रहा है। इनमें से कुछ को लाइसेंस मिलने वाला है और जन स्वास्थ्य प्रणाली में उन्हें शामिल किया जाना है। इससे न केवल कोविड-19 वैक्सीन विकास के प्रयासों में तेजी आई है, बल्कि देश में वैक्सीन विकास के ईको-सिस्टम को भी मदद मिली है। इस प्रयास से अन्य वैक्सीनों के विकास के लिये मौजूदा और भावी अनुसंधान व विकास को भी सहायता मिलेगी।

मध्यप्रदेश में कोरोना की तीसरी लहर में बच्चों के प्रभावित होने की आशंका के चलते 12 वर्ष से कम आयु के बच्चों के माता और पिता को टीकाकरण में प्राथमिकता देने निर्णय attacknews.in

भोपाल, 03 जून ।कोरोना की तीसरी लहर में बच्चों के प्रभावित होने की आशंका के चलते मध्यप्रदेश में 12 वर्ष से कम आयु के बच्चों के माता और पिता को कोरोना टीकाकरण के दौरान प्राथमिकता देने का अहम निर्णय आज लिया गया।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने वीडियो संदेश के माध्यम से यह जानकारी दी।

उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर पर नियंत्रण प्राप्त कर लिया गया है, लेकिन तीसरी लहर आने की आशंका जताई जा रही है।

श्री चौहान ने कहा कि हमने तीसरी लहर के मुकाबले के लिए तैयारियां प्रारंभ कर दी हैं।

अब भी आशंका व्यक्त की जा रही है कि तीसरी लहर का ज्यादा असर बच्चों पर होगा।

इस आशंका को देखते हुए एक तरफ जहां, सरकार ने स्वास्थ्य सेवाओं को और बेहतर बनाने का फैसला किया है।

वहीं विशेषकर बच्चों के अलग-अलग स्तर पर विशेष वार्ड बनाने का फैसला किया गया है।

उन्होंने कहा कि यह फैसला भी किया है, जिन माता पिता के बच्चों की उम्र 12 साल से कम है, उनको टीकाकरण में प्राथमिकता देंगे।

अगर किसी बच्चे को संक्रमण हुआ, तो उसके साथ माता या पिता का रहना बहुत आवश्यक है।

इसलिए उनका टीकाकरण हो जाएगा, तो वह संक्रमण से मुक्त रहेंगे और अपने बच्चों की देखभाल करते रहेंगे।

श्री चौहान के अनुसार उनके ध्यान में यह तथ्य भी आया कि मध्यप्रदेश के अनेक बेटे बेटियां शिक्षा प्राप्त करने के लिए विदेशों में भी जाते हैं।

इसलिए हमने यह फैसला भी किया है, जिन बच्चों को शिक्षा प्राप्त करने के लिए विदेश जाना है, उनको भी प्राथमिकता के आधार पर टीके लगाएंगे।

ताकि वह सुरक्षित विदेश जा सकें और शिक्षा प्राप्त कर सकें।

मध्यप्रदेश में कोरोना की दूसरी लहर ने अप्रैल और मई माह में भारी तबाही मचायी थी और निकट भविष्य में तीसरी लहर आने की आशंका भी जतायी जा रही है।

इसके मद्देनजर सरकार ने स्वास्थ्य सुविधाअों को लेकर काफी तैयारियां प्रारंभ कर दी हैं।

“कोरोनिल”किट को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट का समन,बाबा रामदेव को निर्देश दिया कि वह सुनवाई की अगली तारीख तक कोई भड़काऊ बयान न दें attacknews.in

नयी दिल्ली, 03 जून । दिल्ली उच्च न्यायालय ने कोरोनिल किट को लेकर दायर दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन (डीएमए) की याचिका की सुनवाई करते हुए योग गुरु बाबा रामदेव को गुरुवार को समन जारी किया।

डीएमए ने न्यायालय में दायर की अपनी याचिका में दावा किया था कि रामदेव की कंपनी पतंजलि कोरोनिल किट प्रोडक्ट के जरिए कोरोना वायरस बीमारी को लेकर गलत जानकारी का प्रचार कर रही है।

पतंजलि ग्रुप के संस्थापक रामदेव बीते कई दिनों से एलोपैथी को लेकर अपने विवादों में बने हुए हैं। उनके एलोपैथी के डॉक्टर के मजाक बनाने वाले कई वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने इस पर एतराज जताते हुए इसे विज्ञान और डाक्टरों की छवि को धूमिल करने का प्रयास करार दिया था। एक वीडियो में रामदेव ने दावा किया था- ‘एलोपैथी स्टुपिड साइंस है।’

अदालत ने कहा कि अगर मुझे लगता है कि कुछ विज्ञान नकली है … क्या आपका मानना है कि वे मेरे खिलाफ मुकदमा दायर करेंगे? यह एक जनमत है। रामदेव एक व्यक्ति हैं, उन्हें एलोपैथी में विश्वास नहीं है। उनका (रामदेव का) मानना है कि योग और आयुर्वेद से सब कुछ ठीक हो सकता है। एक व्यक्ति राय रख सकता है जिसके लिए उसके खिलाफ मुकदमा दायर नहीं किया जा सकता है।

न्यायाधीश सी हरि शंकर ने डीएमए की ओर से दलीलें सुनने के बाद बाबा रामदेव को एलोपैथिक दवाओं के खिलाफ कोई भी बयान देने से रोकने से यह कहते हुए इनकार कर दिया कि यह सिर्फ एक ‘राय’ थी।

अदालत ने रामदेव के वकील को मौखिक रूप से यह भी निर्देश दिया कि वह सुनवाई की अगली तारीख तक कोई भड़काऊ बयान न दें और मामले को जवाब दाखिल करने और आगे की सुनवाई के लिए 13 जुलाई तक स्थगित कर दिया।

“एक्स-रे सेतु” के द्वारा छाती के एक्स-रे से व्हाट्सएप पर होगी कोरोना पाजिटिव मरीजों की पहचान,इसे आर्टपार्क (एआई एंड रोबोटिक टेक्नोलॉजी पार्क) ने किया हैं विकसित attacknews.in

कृत्रिम बौद्धिकता प्लेटफार्म से व्हॉट्स-एप्प के जरिये कोविड के मामले में शीघ्र कार्रवाई करने की सुविधा

नईदिल्ली 2 जून । कोविड-19 के खिलाफ फौरन कार्रवाई करने के लिये कृत्रिम बौद्धिकता आधारित प्लेटफार्म का सहारा लिया जायेगा। इसके तहत छाती का एक्स-रे करके उसे डॉक्टरों के पास व्हॉट्स-एप्प के जरिये भेज दिया जायेगा। डॉक्टर उसे एक्स-रे मशीन पर देख सकते हैं। इस प्रक्रिया का नाम एक्स-रे सेतु रखा गया है और कम रेजोल्यूशन वाली फोटो को मोबाइल के जरिये भेजा जा सकता है। ग्रामीण इलाकों में कोविड की जांच और कार्रवाई के हवाले से इससे आसानी और तेजी से काम हो सकता है।

भारत के ग्रामीण इलाकों में कोविड ने कहर बरपा कर रखा है, जिसे मद्देनजर रखते हुये, तेज गति से जांच करना, यह जानना कि किस मरीज का किन-किन लोगों से संपर्क हुआ और कंटेनमेंट जोन बनाना बहुत जरूरी हो गया है। कुछ शहरों में कोविड जांच में एक सप्ताह से भी ज्यादा समय लग जाता है, ऐसी स्थिति में ग्रामीण इलाकों में चुनौती बहुत कठिन है। आसान वैकल्पिक जांचों की जरूरत है, क्योंकि आरटी-पीसीआर जांच से भी कभी-कभी कुछ वैरियंट्स के मामले में ‘फाल्स निगेटिव’ रिपोर्ट आ जाती है। इसका मतलब है कि जांच में वैरियंट विशेष का पता नहीं लग पाता।

आर्टपार्क (एआई एंड रोबोटिक टेक्नोलॉजी पार्क) लाभ न कमाने वाली संस्था है, जिसे भारतीय विज्ञान संस्थान, बेंगलुरू ने स्थापित किया है। इसमें भारत सरकार की संस्था विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग का सहयोग है। बेंगलुरू स्थित हेल्थ-टेक स्टार्ट-अप निरामय और भारतीय विज्ञान संस्थान ने विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के साथ मिलकर एक्स-रे सेतु का विकास किया है। इसे कोविड पॉजीटिव मरीजों की पहचान करने और व्हाट्स-एप्प के जरिये उनकी छाती के एक्स-रे को कम रेजूल्युशन पर डॉक्टर तक भेजने की सुविधा के लिये तैयार किया गया है।

इसमें प्रभावित इलाकों का विश्लेषण और उसे रंगों के जरिये मानचित्र (हीटमैप) द्वारा समीक्षा भी की जायेगी। यह समीक्षा डॉक्टरों के लिये उपलब्ध रहेगी, ताकि वे आसानी से हालात के बारे में जान सकें। इसके जरिये भारत के दूर-दराज इलाकों से 1200 से अधिक रिपोर्ट मिली हैं।

स्वास्थ्य की जांच करने के लिये किसी भी डॉक्टर को सिर्फ www.xraysetu.com पर जाकर ‘ट्राई दी फ्री एक्स-रे सेतु बीटा’ बटन को क्लिक करना है। उसके बाद यह प्लेटफार्म उन्हें सीधे दूसरे पेज पर ले जायेगा, जहां उक्त डॉक्टर वेब या स्मार्टफोन एप्लीकेशन के जरिये व्हॉट्स-एप्प आधारित चैट-बॉट से जुड़ जायेंगे।इसके अलावा डॉक्टर लोग एक्स-रे सेतु सेवा शुरू करने के लिये +91 8046163838 पर व्हॉट्स-एप्प संदेश भेज सकते हैं। उन्हें बस मरीज के एक्स-रे इमेज को क्लिक करना है और चंद मिनटों में ही सम्बंधित तस्वीरें और निदान की पूरी व्याख्या वाले दो पेज निकल आयेंगे। कोविड-19 का किसी विशेष स्थान पर ज्यादा प्रभाव डालने की संभावना को ध्यान में रखते हुये, रिपोर्ट में डॉक्टरों की सुविधा के लिये हीट-मैप का भी उल्लेख रहेगा।

इंग्लैंड के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ ने 1,25,000 से अधिक एक्स-रे तस्वीरों को इस प्रक्रिया से जांचा है। इसी तरह एक्स-रे सेतु से एक हजार से अधिक भारतीय कोविड मरीजों की जानकारी हासिल की गई है। इस प्रक्रिया के शानदार नतीजे निकले हैं। आंकड़ों की संवेदनशीलता 98.86 प्रतिशत और सटीकता 74.74 प्रतिशत है।

आर्टपार्क के संस्थापक और सीईओ श्री उमाकांत सोनी का कहना है, “हमें 1.36 अरब लोगों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुये प्रौद्योगिकी का विकास करना है।

उल्लेखनीय है कि इस समय हमारे यहां एक लाख लोगों पर एक रेडियोलॉजिस्ट है। उद्योग और अकादमिक जगत के सहयोग से एक्स-रे सेतु ने कृत्रिम बौद्धिकता जैसी शानदार प्रौद्योगिकी के बल पर आगे बढ़कर बेहतरीन स्वास्थ प्रौद्योगिकी संभव की है, जो ग्रामीण इलाकों के लिये है और बहुत सस्ती है।”

निरामय की संस्थापक और सीईओ डॉ. गीता मंजुनाथ ने कहा, “निरामय ने आर्टपार्क और आईआईएससी के साथ सहयोग किया है, ताकि एक्स-रे मशीन तक पहुंच रखने वाले ग्रामीण क्षेत्रों में सेवारत डॉक्टरों को कोविड की तेज जांच और उसके उपचार की सुविधा मिल सके। एक्स-रे सेतु में छाती के एक्स-रे का मूल्यांकन अपने-आप होता है और उससे पता चल जाता है कि आगे मरीज को फेफड़े की कोई समस्या होने वाली है या नहीं। इससे कोविड-19 के संक्रमण का पता लग जाता है।”

आईआईएससी के प्रो. चिरंजीब भट्टाचार्य ने कहा, “कोविड पॉजीटिव एक्स-रे इमेज का अभाव होने के कारण हमने एक अनोखी ट्रांस्फर लर्निंग खाका तैयार किया है, जो आसानी से फेफड़ों का एक्स-रे उपलब्ध करा देता है। यह सिर्फ कोविड पॉजीटिव ही नहीं बताता, बल्कि आगे की संभावित जटिलताओं का संकेत भी देता है। हमने संक्रमित फेफड़ों के लिये भी प्रक्रिया का विकास किया है। इस प्रणाली में आगे के लिये संकेत, संक्रमित हिस्सों की भी जानकारी मिलती है।”

कोविड-19 प्लेटफार्म के अलावा इस प्लेटफार्म से फेफड़े सम्बंधी 14 अन्य बीमारियों का भी पता लगाया जा सकता है, जैसे टीबी, न्यूमोनिया आदि। इसका इस्तेमाल एनालॉग और डिजिटल एक्स-रे, दोनों रूपों में किया जा सकता है। पिछले 10 महीनों के दौरान ग्रामीण इलाकों में कार्यरत 300 से अधिक डॉक्टरों ने इसका सफल प्रयोग किया है।

एक्स-रे सेतु जैसी प्रौद्योगिकियों से बेहतरीन बौद्धिक कृत्रिमता आधारित प्रणालियों को मोबाइल के जरिये चलाया जा सकता है। इसके कारण बहुत सस्ती दर पर ग्रामीण भारत में स्वास्थ्य सुविधाओं को सुगम्य बनाया जा सकता है।

केएमसी, मंगलोर के हृदयरोग विभाग के अध्यक्ष व प्रोफेसर डॉ. पद्मनाभ कामथ ने एक्स-रे सेतु के इस्तेमाल की सलाह दी थी। वे खुद भी इसका इस्तेमाल करते हैं। उन्होंने कहा कि इन प्रौद्योगिकियों से वंचित और ग्रामीण इलाके के लोगों को स्वास्थ्य सुविधायें प्राप्त होंगी। डॉ. अनिल कुमार, एडी, चिकित्सा अधिकारी, शिमोगा, कर्नाटक ने भी इस प्लेटफार्म का इस्तेमाल किया है। वे इस प्रौद्योगिकी से बहुत संतुष्ट हैं और उनका कहना है कि इससे मरीज का जल्द निदान हो जाता है।

विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव प्रो. आशुतोष शर्मा ने कहा, “डीएसटी कई साइबर-फिजीकल प्रणालियों पर काम कर रहा है, जिसमें कृत्रिम बौद्धिकता, वर्चुअल वास्तविकता, डाटा विश्लेषण, रोबोटिक्स, सेंसर्स और अन्य प्रणालियां शामिल हैं, जो स्वास्थ्य क्षेत्र की चुनौतियों का हल निकालने में सक्षम हैं। इसमें निदान, औषधि से बायो-मेडिकल उपकरण और टेलीमेडीसिन तक शामिल हैं।”

आर्टपार्क को नेशनल मिशन ऑन इंटरडिसीप्लिनेरी साइबर-फिजीकल सिस्टम्स (एनएम-आईसीपीएस) के तहत शुरू किया गया था और अब उसे सी-डैक जैसी संस्था से सहयोग मिल रहा है। इसमें कृत्रिम बौद्धिकता वाला सुपरकंप्यूटर परमसिद्धि, एनवीडिया और एडब्लूएस शामिल हैं। यह ग्रामीण भारत में डॉक्टरों को निशुल्क सेवा प्रदान करेगा।

अन्य विवरण के लिये श्री उमाकांत सोनी, संस्थापक और सीईओ, आर्टपार्क से umakant@artpark.in. से संपर्क किया जा सकता है।

 

भारत बायोटेक के साथ हैफकाइन बायोफार्मा “कोवैक्सिन” की 22.8 करोड़ खुराक का उत्पादन करेगी;वैक्सीन का घरेलू उत्पादन बढ़ाने के लिए केंद्र ने उठाये कदम attacknews.in

नईदिल्ली 2 जून । भारत बायोटेक के साथ प्रौद्योगिकी हस्तांतरण व्यवस्था के तहत हैफकाइन बायोफार्मा कोवैक्सिन की 22.8 करोड़ खुराक का उत्पादन करेगी।

पूरी पात्र आबादी का जल्द से जल्द टीकाकरण करने के उद्देश्य से केंद्र की मदद से देश में घरेलू टीकों का उत्पादन लगातार तेज किया जा रहा है।

इस पहल के तहत जैव प्रौद्योगिकी विभाग आत्मनिर्भर भारत 3.0 मिशन कोविड सुरक्षा के तहत तीन सार्वजनिक उद्यमों को मदद कर रहा है। ये उद्यम हैं:

  1. हैफकाइन बायोफर्मास्यूटिकल कॉर्पोरेशन लिमिटेड, मुंबई,
  2. इंडियन इम्यूनोलॉजिकल लिमिटेड, हैदराबाद और

  3. भारत इम्यूनोलॉजिकल एंड बायोलॉजिकल लिमिटेड, बुलंदशहर, उ.प्र।

हैफकाइन बायोफार्मा, 122 साल पुराने हैफकाइन इंस्टीट्यूट की एक शाखा के रूप में निकला महाराष्ट्र राज्य का सार्वजनिक संस्थान है जो भारत बायोटेक लिमिटेड, हैदराबाद के साथ प्रौद्योगिकी हस्तांतरण व्यवस्था के तहत कोवैक्सिन टीका बनाने के लिए तैयारी कर रहा है। टीके का उत्पादन कंपनी के परेल स्थित कॉम्प्लेक्स में होगा।

हैफकाइन बायोफार्मा के प्रबंध निदेशक डॉ. संदीप राठौड़ ने कहा कि कंपनी का एक साल में कोवैक्सिन की 22.8 करोड़ खुराक का उत्पादन करने का प्रस्ताव है।

उन्होंने बताया कि “कोवैक्सिन के उत्पादन के लिए हैफकाइन बायोफार्मा को केंद्र द्वारा 65 करोड़ रुपये और महाराष्ट्र सरकार द्वारा 94 करोड़ रुपये का अनुदान मिला है”।

उन्होंने कहा कि “हमें आठ महीने का समय दिया गया है इसलिए काम को युद्ध स्तर पर अंजाम दिया जा रहा है। चिकित्सक से आइएएस बने राठौड़ ने बताया कि वैक्सीन उत्पादन प्रक्रिया में दो चरण शामिल हैं – दवा का पदार्थ बनाना और अंतिम दवा उत्पाद। दवा का पदार्थ बनाने के लिए हमें बायो सेफ्टी लेवल 3 (बीएसएल 3) सुविधा बनाने की जरूरत है, जबकि हैफकाइन में पहले से ही फिल फिनिश की सुविधा उपलब्ध है। बीएसएल 3 एक सुरक्षा मानक है जो ऐसी सुविधाओं पर लागू होता है जहां काम में रोगाणु शामिल होते हैं जो श्वसन मार्ग से शरीर में प्रवेश करके गंभीर बीमारी का कारण बन सकते हैं।

बायोटेक्नोलॉजी विभाग की सचिव तथा ‘ बायोटेक्नोलॉजी इंडस्ट्री रिसर्च असिस्टेंस कौंसिल की अध्यक्ष डॉ. रेणू स्वरूप कहती हैं कि “सार्वजनिक क्षेत्र की संपत्ति का उपयोग करके वैक्सीन उत्पादन की क्षमता बढ़ाने से हमारे देश में बड़े पैमाने पर टीकाकरण अभियान के लिए टीकों की उत्पादन क्षमता वृद्धि का एक लंबा रास्ता तय होगा”’।

स्रोत:

· जैव प्रौद्योगिकी विभाग का पृष्ठभूमि नोट

· डॉ संदीप राठौड़, एमडी, हैफकाइन बायोफार्मा, मुंबई के साथ साक्षात्कार

मध्यप्रदेश में बुधवार को मिले कोरोना के 991 मरीज, 45 की मृत्यु;अबतक संक्रमितों की संख्या 7,82,099 और मृतकों की संख्या 8157 हुई;#इंदौर जिले में  अभी तक संक्रमितों में 21 से 40 वर्ष के 41 फीसदी नागरिक शामिल attacknews.in

भोपाल, 02 जून । मध्यप्रदेश में आज 991 लोग कोरोना संक्रमित मिले हैं।इस महामारी से आज भी 45 लोगों की मौत हुई है।

अब सक्रिय मामलों की संख्या घटकर 17136 पहुंच गयी है।

राज्य के स्वास्थ्य संचालनालय की ओर से जारी बुलेटिन के अनुसार 79794 सैंपल की जांच में 991 कोरोना संक्रमित मिले है।जबकि 78,803 की रिपोर्ट निगेटिव रहे।

235 सैंपल रिजेक्ट हुए और संक्रमण दर आज 1़ 2 प्रतिशत पहुंच गयी।

राज्य में 991 नए मामले आने के बाद कुल संक्रमितों की संख्या बढ़कर 7,82,099 हाे गयी।

राहत की खबर है कि इनमें से 7, 56,806 लोग कोरोना संक्रमण को मात देकर घर पहुंच चुके हैं।

इस संक्रमित महामारी ने राज्य में अब तक 8157 लोगों की जान ले चुका है।

वर्तमान में सक्रिय मामले अब घटकर 17,136 हो गए हैं।

राज्य के इंदौर जिले में 338, भोपाल में 191, ग्वालियर में 29, जबलपुर में 83, उज्जैन में 12, रतलाम में 19, सागर में 16, रीवा में 14, खरगोन में 13, बैतूल में 17 और धार में 11 नए मामले सामने आए।

#इंदौर जिले में कोरोना संक्रमितों में 21 से 40 वर्ष के 41 फीसदी नागरिक शामिल

मध्यप्रदेश के सर्वाधिक कोरोना से प्रभावित इंदौर जिले में कोरोना से अब तक डेढ़ लाख से ज्यादा सामने आये संक्रमितों में सर्वाधिक संक्रमित 21 से 40 वर्ष आयु वर्ग के 41 फीसदी नागरिक शामिल है।
आधिकारिक जानकारी के अनुसार 24 मार्च 2020 को कोरोना के दस्तक देने के बाद से 31 मई 2021 तक कुल 150178 संक्रमित सामने आये है।

इनमें 21 से 40 वर्ष के 62738 संक्रमित शामिल है।

इसी क्रम में दूसरी सर्वाधिक प्रभावित आयु वर्ग श्रेणी 41 से 60 वर्ष की श्रेणी रही।

जिसके कुल 477896 संक्रमितों के मामले सामने आये है।

इसके बाद तीसरी प्रभावित आयु श्रेणी 61 से 80 वर्ष के वयोवृद्ध नागरिकों की रही है।

इस आयु के 19841 मामले कोरोना रोगियों के चिन्हित किये गए है।

चौथे क्रम पर कोरोना से पीड़ित होने वाले 11 से 20 वर्ष आयु वर्ग के नागरिक रहे है।

जिनकी संख्या 12729 के रूप में सामने आई है।

इसके अलावा 0 से 10 वर्ष 5316 बालक बालिकाएं तथा 81 से 100 वर्ष के 1768 रोगी कोरोना से संक्रमित पाए गए है।

मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी बीएस सैत्या के अनुसार उक्त डेढ़ लाख से ज्यादा संक्रमितों में से उपचार के बाद 146141 अब तक स्वस्थ्य करार दिए गए है।

उपचार के दौरान दम तोड़ चुके संक्रमितों की संख्या 1347 दर्ज की गई है।

डॉ. सैत्या ने बताया जिले में एक्टिव केस यानी वर्तमान में उपचारत रोगियों की संख्या 3028 हैं।

भारत के टीकाकरण को लेकर मीडिया के कपोल कल्पित तथ्यों का खुलासा; सच्चाई यह है कि,मई 2021 में राज्यों को 79.45 मिलियन टीके दिए गए, 61.06 मिलियन उपयोग हो गये;16.22 मिलियन इस्तेमाल नहीं हुए attacknews.in

नईदिल्ली 2 जून । भारत सरकार इस वर्ष की 16 जनवरी से ‘संपूर्ण सरकार’ दृष्टिकोण के तहत कारगर टीकाकरण अभियान के लिए राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों के प्रयासों का समर्थन करती रही है। टीके की खुराकों की उपलब्धता को कारगर बनाने के लिए केंद्र सरकार वैक्सीन निर्माताओं के निरंतर संपर्क में है और 1 मई 2021 से राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के लिए खरीद के अलग-अलग विकल्प खोले हैं।

ऐसी कई निराधार मीडिया रिपोर्टें आई हैं, जिन्होंने राष्ट्रीय महत्व के इस कार्य में जनता के बीच गलत सूचना फैलाई है।

कुछ मीडिया रिपोर्टों में यह आरोप लगाया गया है कि केंद्र सरकार ने जून के दौरान टीकों की 120 मिलियन खुराकों का वादा किया जबकि मई महीने में उपलब्ध कुल 79 मिलियन खुराकों में से केवल 58 मिलियन खुराकें दी गईं। यह रिपोर्ट तथ्यात्मक दृष्टि से गलत और निराधार है।

1 जून 2021 की सुबह 7:00 बजे के आंकड़ों के अनुसार, 1 से 31 मई 2021 के बीच राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा टीकों की कुल 61.06 मिलियन खुराकें दी गई हैं।राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों के पास कुल 16.22 मिलियन शेष और इस्तेमाल नहीं की गईं खुराकें उपलब्ध थीं। 1 मई से 31 मई 2021 तक उपलब्ध कुल टीके की खुराकें 79.45 मिलियन थीं।

कुछ मीडिया रिपोर्टों ने असत्यापित हवालों के आधार पर भारत की टीकाकरण नीति की आलोचना की है। जनसंख्या भागों की प्राथमिकता पर सवाल उठाने वाली ये रिपोर्टें इस मामले की पूरी जानकारी से समर्थित नहीं हैं।

कोविड-19 के लिए वैक्सीन दिए जाने को लेकर राष्ट्रीय विशेषज्ञ समूह (एनईजीवीएसी) का गठन अगस्त 2020 में लाभार्थियों की प्राथमिकता, खरीद, टीका चयन और इसकी डिलीवरी सहित वैक्सीन परिचय के सभी पहलुओं पर निर्देश देने के लिए किया गया था।

भारत में कोविड-19 टीकाकरण के लिए लाभार्थियों की प्राथमिकता उपलब्ध वैज्ञानिक साक्ष्य की समीक्षा, विश्व स्वास्थ्य संगठन(डब्ल्यूएचओ) के प्रस्तावित दिशा-निर्देशों और अन्य देशों में अपनाए गए व्यवहारों के आधार पर तय की गई है।

भारत में कोविड टीकाकरण का प्राथमिक उद्देश्य हैः

· स्वास्थ्य सेवा की रक्षा महामारी अनुक्रिया प्रणाली के हिस्से के रूप में करना।

· कोविड-19 के कारण मृत्यु को रोकना और बीमारी के कारण उच्चतम जोखिम और मृत्यु दर की चपेट में आने वाले व्यक्तियों की रक्षा करना।

इसी के अनुसार अपने देश में टीकाकरण अभियान का क्रमिक रूप से विस्तार किया गया है ताकि स्वास्थ्य देखभाल कर्मियों (एचसीडब्ल्यू) के साथ शुरू होने वाले प्राथमिकता वाले समूहों को शामिल किया जा सके, इसके बाद फ्रंट लाइन वर्कर्स (एफएलडब्ल्यू), फिर 60 वर्ष और उससे अधिक आयु के व्यक्तियों और 20 चिन्हित रोगों के साथ 45-59 वर्ष की आयु वाले लोगों को शामिल किया जा सके।

बाद में 1 अप्रैल 2021 से 45 वर्ष और उससे अधिक आयु के सभी व्यक्ति कोविड-19 टीकाकरण के लिए पात्र थे।

इस तरह के दृष्टिकोण के सकारात्मक परिणाम प्राप्त हुए हैं। पंजीकृत एचसीडब्ल्यू के बीच 81 प्रतिशत से अधिक पहली खुराक कवरेज और पंजीकृत एफएलडब्ल्यू में पहली खुराक के लगभग 84 प्रतिशत का कवरेज मिला है जिससे दूसरी लहर के बीच स्वास्थ्य देखभाल सेवाएं, निगरानी और रोकथाम गतिविधियों में शामिल इन समूहों की रक्षा की जा रही है।45 वर्ष और उससे ऊपर के आयु वर्ग में 37 प्रतिशत लोगों को टीके की पहली खुराक दी गई है जबकि इस समूह के पात्र 32 प्रतिशत लाभार्थियों को दूसरी खुराक दी गई है।

अब 1 मई, 2021 से 18 वर्ष और उससे ऊपर की आयु के सभी नागरिक टीका के पात्र हैं। 1 मई, 2021 को एक ‘उदारीकृत मूल्य निर्धारण और त्वरित राष्ट्रीय कोविड-19 टीकाकरण रणनीति’ को अपनाया गया जो कोविड-19 टीकारण अभियान के चालू चरण-III का निर्देशन कर रही है। इस रणनीति के अंतर्गत प्रत्येक महीने किसी भी निर्माता की कुल केंद्रीय औषधि प्रयोगशाला (सीडीएल) द्वारा मंजूर टीके की 50 प्रतिशत खुराक भारत सरकार द्वारा खरीदी जाएगी।भारत सरकार पहले की तरह ही इन खुराकों को राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को निशुल्क उपलब्ध कराती रहेगी।शेष 50 प्रतिशत खुराकें राज्य/केंद्र शासित प्रदेश के सरकारी और निजी अस्पतालों द्वारा सीधी खरीद के लिए उपलब्ध हैं, जिनमें से राज्यों का हिस्सा आनुपातिक आधार पर है।

CBSE की बारहवीं की परीक्षा रद्द;यदि कुछ छात्र परीक्षा देना चाहते हैं तो बोर्ड उन्हें यह विकल्प देगा लेकिन ये परीक्षा स्थिति अनुकूल होने पर ली जायेगी attacknews.in

नयी दिल्ली 01 जून । सरकार ने कोरोना महामारी के कारण बनी अनिश्चितता की स्थिति के मद्देनजर छात्रों के स्वास्थ्य और सुरक्षा को सर्वोपरि करार देते हुए केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की बारहवीं कक्षा की परीक्षाओं को रद्द करने का निर्णय लिया है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई एक उच्च स्तरीय बैठक में यह निर्णय लिया गया। यह भी तय किया गया कि सीबीएसई बोर्ड पूरी तरह से परिभाषित मानदंड के आधार पर निश्चित समय में कक्षा बारहवीं के परिणाम तैयार करने के लिए कदम उठायेगा।

बैठक में यह निर्णय भी लिया गया कि पिछले वर्ष की तरह यदि कुछ छात्र परीक्षा देना चाहते हैं तो बोर्ड उन्हें यह विकल्प देगा लेकिन ये परीक्षा स्थिति अनुकूल होने पर ली जायेगी।

अधिकारियों ने परीक्षाओं के बारे में अब तक विभिन्न पक्षों और राज्य सरकारों के साथ हुए विचार विमर्श के बारे में प्रधानमंत्री के समक्ष एक प्रस्तुति दी। इसके बाद स्थिति की समीक्षा के बाद यह निर्णय लिया गया कि इस वर्ष बारहवीं की परीक्षा आयोजित नहीं की जायेगी।

श्री मोदी ने कहा कि यह निर्णय छात्रों के हित में लिया गया है। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के कारण शैक्षणिक सत्र प्रभावित हुआ है और बोर्ड की परीक्षा के मुद्दे को लेकर छात्रों , अभिभावकों और अध्यापकों में असमंजस था जिस पर विराम लगाया जाना जरूरी था।

बैठक में गृह, रक्षा, वित्त, वाणिज्य, सूचना एवं प्रसारण तथा अन्य मंत्रियों के अलावा विभिन्न वरिष्ठ अधिकारियों ने हिस्सा लिया।

मध्यप्रदेश में मंगलवार को मिले कोरोना के 1078 मरीज, 45 की मृत्यु:अबतक संक्रमितों की संख्या 7,81,108 और मृतकों की संख्या 8112 हुई attacknews.in

भोपाल, 01 जून । मध्यप्रदेश में आज 1078 लोग कोरोना संक्रमित मिले हैं।इस महामारी से आज 45 लोगों की मौत हुई है।

अब सक्रिय मामलों की संख्या घटकर 20303 पहुंच गयी है।

राज्य के स्वास्थ्य संचालनालय की ओर से जारी बुलेटिन के अनुसार 69649 सैंपल की जांच में 1078 पॉजीटिव मिले और 68,571 निगेटिव रहे।

हालाकि 757 सैंपल रिजेक्ट हुए और संक्रमण दर 1़ 5 प्रतिशत रही।

बुलेटिन के अनुसार 1078 नए मामले आने के बाद राज्य में कुल संक्रमितों की संख्या बढ़कर 7,81,108 हाे गयी।

इनमें से 752693 लोग कोरोना संक्रमण को मात देकर घर पहुंच चुके है।

इस संक्रमित महामारी ने राज्य में 8112 लोगों की जान ले चुका है।

वर्तमान में सक्रिय मामले घटकर 20,303 हो गए हैं।

राज्य में आज भी सबसे अधिक मामले 362 इंदौर जिले में दर्ज किए गए।

इसके अलावा भोपाल में 221, ग्वालियर में 41, जबलपुर में 98, उज्जैन में 9, रतलाम में 24, सागर में 15, रीवा में 14, खरगोन में 12, बैतूल में 9 और धार में 14 नए मामले सामने आए।

अब प्रदेश के इंदौर जिले में ही 5 फीसदी से अधिक पॉजिटिविटी है।

शेष 51 जिलों में 5 प्रतिशत से कम साप्ताहिक पॉजिटिविटी है।

इंदौर की साप्ताहिक पॉजिटिविटी 6 फीसदी तथा भोपाल की 4.7 फीसदी है।

प्रदेश के 22 जिलों की साप्ताहिक पाजिटिविटी 1 प्रतिशत से कम तथा 29 जिलों की पॉजिटिविटी 5 फीसदी तक है।

अलीराजपुर में आज कोई नया प्रकरण नहीं आया है तथा कटनी, खंडवा एवं मंडला जिलों में 01-01 नए प्रकरण आए हैं।

मध्यप्रदेश में अंतर राज्य बस सेवा 7 जून तक रहेगी स्थगित attacknews.in

भोपाल,01 जून । मध्यप्रदेश के परिवहन एवं राजस्व मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने बताया कि एक जून से कोरोना कर्फ्यू में राहत के बावजूद अंतर राज्य बस सेवा 7 जून तक स्थगित रहेंगी।

श्री राजपूत ने कहा कि मध्यप्रदेश में कोरोना वायरस संक्रमण को देखते हुए यहाँ बाहर से आने जाने वाले यात्रियों के माध्यम से कोरोना संक्रमण के फैलाव के प्रति लापरवाह नहीं रहा जा सकता। इस संक्रमण के फैलाव को रोकने के लिए पूर्व से प्रतिबंधित अंतर राज्यीय बस सेवा की प्रतिबंधित अवधि 7 जून तक के लिए बढ़ा दी गई है। यह सेवाएँ पहले की तरह महाराष्ट्र, राजस्थान, उत्तर प्रदेश एवं छत्तीसगढ़ के लिए प्रतिबंधित रहेंगी। बस परिवहन सेवाएं बहाल करने के संबंध में निर्णय बाद में लिया जाएगा।

योग गुरू बाबा रामदेव की टिप्पणी के खिलाफ दिल्ली के अस्पतालों में रेजीडेंट चिकित्सकों का ‘काला दिवस’ प्रदर्शन;बिना शर्त माफी की मांग attacknews.in

नयी दिल्ली, एक जून । ऐलोपैथी के संबंध में योग गुरु रामदेव की टिप्पणी से आहत दिल्ली के कई अस्पतालों के रेजिडेंट चिकित्सकों ने मंगलवार को राष्ट्रव्यापी आंदोलन के तहत प्रदर्शन शुरू किया।

चिकित्सकों की मांग है कि या तो रामदेव बिना शर्त माफी मांगें या उनके खिलाफ महामारी रोग अधिनियम के तहत कार्रवाई की जाए।

फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (फोर्डा) ने प्रदर्शन का आह्वान 29 मई को किया था और इस बात पर जोर दिया था कि आंदोलन के दौरान स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित नहीं होने दी जाएंगी। दिल्ली के रेजिडेंट चिकित्सकों ने काली पट्टियां और रिबन पहनकर प्रदर्शन किया।

फोर्डा के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘‘रामदेव की टिप्पणियों के विरोध में हमारा प्रदर्शन मंगलवार सुबह शुरू हुआ। वह तो ऐलोपैथी के बारे में बोलने तक की योग्यता नहीं रखते हैं। इससे चिकित्सकों का मनोबल प्रभावित हुआ है जो (कोविड-19) महामारी से हर दिन लड़ रहे हैं। हमारी मांग है कि वह सार्वजनिक रूप से बिना शर्त माफी मांगे, अन्यथा महामारी रोग अधिनियम के तहत उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए।’’

उन्होंने बताया कि एम्स, सफदरजंग अस्पताल, लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज-अस्पताल, हिंदूराव अस्पताल, संजय गांधी मेमोरियल अस्पताल, बी.आर. आंबेडकर अस्पताल के रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (आरडीए) इस आंदोलन में शामिल हो चुके हैं तथा कुछ अन्य भी शामिल होने वाले हैं।

फोर्डा के अधिकारी ने बताया, ‘‘विरोध स्वरूप कई चिकित्सकों ने बांहों पर काली पट्टी बांधी है। अन्य शहरों के चिकित्सक भी आंदोलन में शामिल हो रहे हैं।’’

कुछ चिकित्सकों ने विरोध संदेश लिखे प्लेकार्ड ले रखे थे जबकि अन्य ने ऐसी पीपीई किट पहन रखी थीं, जिनके पीछे ‘काला दिवस प्रदर्शन’ लिखा था।

फोर्डा इंडिया ने एक बयान जारी करके शनिवार को कहा था कि रामदेव के बयानों के प्रति आपत्ति जताए जाने के बावजूद ‘‘अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई। हम स्वास्थ्य सेवाओं को प्रभावित किए बिना कार्यस्थलों पर एक जून, 2021 को राष्ट्रव्यापी काला दिवस प्रदर्शन की घोषणा कर रहे हैं’’।

बयान में कहा गया है, ‘‘हम मांग करते हैं कि वह सार्वजनिक रूप से बिना शर्त माफी मांगे या उनके खिलाफ महामारी रोग कानून, 1897 की प्रासंगिक धाराओं के तहत कार्रवाई की जाए।’’

फोर्डा ने यह भी आरोप लगाया कि रामदेव की टिप्पणी ने लोगों में ‘‘टीकों को लेकर हिचकिचाहट’’ भी बढ़ाई है।

एम्स आरडीए ने एक बयान में कहा कि रामदेव की ऐसी ‘‘अपमानजक टिप्पणियां स्वास्थ्य सेवा कर्मियों के खिलाफ हिंसा भड़काएंगी और इससे जन स्वास्थ्य प्रणाली पूरी तरह ठप हो जाएगी।’’

रामदेव को वायरल हुई वीडियो क्लिप में दिए गए उस बयान को वापस लेने के लिए हाल में मजबूर होना पड़ा था जिसमें वह कोरोना वायरस संक्रमण के इलाज के लिए इस्तेमाल की जा रही कुछ दवाओं पर सवाल उठाते और यह कहते सुने गए कि ‘‘कोविड-19 के लिए एलोपैथिक दवाएं लेने से लाखों लोग की मौत हो गई।’’

इस टिप्पणी का चिकित्सकों के संघ ने जोरदार विरोध किया, जिसके बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने उनसे ‘‘बेहद दुर्भाग्यपूर्ण’’ बयान वापस लेने के लिए कहा।

एक दिन बाद, योग गुरु ने अपने ट्विटर हैंडल पर एक ‘‘खुले पत्र’’ में भारतीय चिकित्सा संघ (आईएमए) से 25 प्रश्न पूछे। इसमें पूछा गया था कि क्या एलोपैथी ने उच्च रक्तचाप और टाइप -1 और टाइप-2 मधुमेह जैसी बीमारियों के लिए स्थायी राहत प्रदान की है।

केंद्र सरकार ने एम्फोटेरिसिन-बी इंजेक्शन के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया,इससे होता है ब्लैक फंगस के संक्रमण का इलाज attacknews.in

नयी दिल्ली, एक जून । सरकार ने मंगलवार को एम्फोटेरिसिन-बी इंजेक्शन के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया, जिसका इस्तेमाल म्यूकोर्मिकोसिस या ब्लैक फंगस संक्रमण के इलाज के लिए किया जाता है।

विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) द्वारा जारी एक अधिसूचना के अनुसार इंजेक्शन के निर्यात को प्रतिबंधित श्रेणी में रखा गया है। इसका मतलब है कि एक निर्यातक को अपनी निर्यात खेप के लिए निदेशालय से विशेष अनुमति या लाइसेंस लेना जरूरी है।

डीजीएफटी ने कहा कि एम्फोटेरिसिन-बी इंजेक्शन का निर्यात तत्काल प्रभाव से प्रतिबंधित है।

मध्यप्रदेश में सोमवार को मिले कोरोना के 1205 मरीज, 48 की मृत्यु;अबतक संक्रमितों की संख्या 7,80,030 और मृतकों की संख्या 8067 हुई attacknews.in

भोपाल, 31 मई । मध्यप्रदेश में कोरोना संक्रमण के घटते मामलों के बीच आज 1205 लोग कोरोना संक्रमित मिले है।इस महामारी से आज 48 लोगों की मौत हुई है।

अब सक्रिय मामलों की संख्या घटकर 23390 पहुंच गयी है।

राज्य के स्वास्थ्य संचालनालय की ओर से जारी बुलेटिन के अनुसार 75417 सैंपल की जांच में 1205 पॉजीटिव मिले और 74,212 निगेटिव रहे।

हालाकि 226 सैंपल रिजेक्ट हुए और संक्रमण दर 1़ 5 प्रतिशत रही।

बुलेटिन के अनुसार 1205 नए मामले आने के बाद राज्य में कुल संक्रमितों की संख्या बढ़कर 7,80,030 हाे गयी।

इनमें से 748573 लोग कोरोना संक्रमण को मात देकर घर पहुंच चुके है।

इस संक्रमित महामारी ने राज्य में 8067 लोगों की जान ले चुका है।

वर्तमान में सक्रिय मामले घटकर 23,390 हो गए हैं।

राज्य में सबसे अधिक मामले 391 इंदौर जिले में दर्ज किए गए।

इसके अलावा भोपाल में 245, ग्वालियर में 49, जबलपुर में 77, उज्जैन में 18, रतलाम में 27, सागर में 20, रीवा में 18, खरगोन में 15, बैतूल में 19 और धार में 17 नए मामले सामने आए।