दवा कंपनी डॉ. रेड्डीज लैबोरेटरीज ने कोविड-19 की दवा 2-डीजी पेश की, शुरू में सरकारी, निजी अस्पतालों को करेगी आपूर्ति,इस दवा के एक पैकेट (सैशे) की कीमत हैं 990 रुपये attacknews.in

नयी दिल्ली, 28 जून । दवा कंपनी डॉ. रेड्डीज लैबोरेटरीज ने कोविड-19 के इलाज में काम आने वाली दवा 2-डिऑक्सी-डी-ग्लूकोज (2-डीजी) को वाणिज्यिक रूप से पेश कर दिया है। इस दवा के एक पैकेट (सैशे) की कीमत 990 रुपये है।

डॉ. रेड्डीज ने शेयर बाजारों को भेजी सूचना में कहा कि वह इस दवा की आपूर्ति प्रमुख सरकारी के साथ निजी अस्पतालों को भी करेगी।

कंपनी ने कहा कि शुरुआती सप्ताहों में वह इस दवा को महानगरों और पहली श्रेणी के शहरों के अस्पतालों को उपलब्ध कराएगी। बाद में देश के अन्य हिस्सों में भी यह दवा उपलब्ध होगी।

डॉ. रेड्डीज ने कहा कि कंपनी द्वारा विनिर्मित दवा 99.5 प्रतिशत शुद्धता वाली है और वाणिज्यिक रूप से इसकी बिक्री 2डीजी ब्रांड नाम से की जाएगी। इस दवा के एक सैशे का अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) 990 रुपये रखा गया है। सरकारी संस्थानों को यह दवा सब्सिडी वाली दरों पर उपलब्ध होगी।

डॉ. रेड्डीज के चेयरमैन सतीश रेड्डी ने कहा, ‘‘2-डीजी हमारे कोविड-19 पोर्टफोलियो में एक और वृद्धि है। इस पोर्टफोलयो में पहले से हल्के से लेकर गंभीर संक्रमण के इलाज की दवाएं हैं। कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में रक्षा अनुसंधान विकास संगठन (डीआरडीओ) के साथ भागीदारी कर हम काफी खुश हैं।’’

मध्यप्रदेश में सोमवार को कोरोना के 37 नए मामले सामने आए, 19 की मृत्यु;अबतक संक्रमितों की संख्या 7,89,733 और मृतकों की संख्या 8936 हुई attacknews.in

भोपाल, 28 जून। मध्यप्रदेश में कोरोना संक्रमण के आज 37 नए मामले आए और 19 संक्रमितों की मृत्यु दर्ज की गयी।

राज्य के स्वास्थ्य संचालनालय की ओर से जारी बुलेटिन के अनुसार 19 संक्रमितों की मृत्यु दर्ज की गयी, जिसमें से 01 जबलपुर जिले में, 05 रतलाम, 06 बैतूल, 01 विदिशा, 01 कटनी, 01 कटनी, 01 राजगढ़, 01 टीकमगढ़ और 02 अशोकनगर दर्ज की गयीं। भोपाल, इंदौर और ग्वालियर में मृत्यु का एक भी प्रकरण दर्ज नहीं हुआ है।

कुल 52 में से 37 जिलों में शून्य प्रकरण दर्ज किए गए। इन जिलों में एक भी नया प्रकरण नहीं मिला।
राज्य में अब तक 7 लाख 89 हजार 7 सौ 33 व्यक्ति कोरोना संक्रमण का शिकार हुए हैं, जिनमें से 8936 संक्रमितों की मृत्यु हुयी। वहीं 7 लाख 80 हजार 1 सौ 1 व्यक्ति कोरोना संक्रमण को मात देने में सफल रहे और वर्तमान में 696 सक्रिय मामले हैं। सबसे अधिक 159 सक्रिय मामले भोपाल में हैं। इसके बाद इंदौर जिले में इनकी संख्या 124 है। ग्वालियर में 10 और जबलपुर में 16 सक्रिय मरीज हैं।

राज्य में 18 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के लगभग 5 करोड़ 74 लाख व्यक्तियों को वैक्सीनेशन करने के लिए अभियान युद्धस्तर पर जारी है।

भारत ने कोविड-19 टीकाकरण में एक और मील का पत्‍थर हासिल किया; कोविड वैक्सीन लगाने की संख्या में अमेरिका को पीछे छोड़ा,32.36 करोड़ खुराकें लगाई गईं attacknews.in

नईदिल्ली 28 जून । कोविड-19 टीकाकरण अभियान में भारत ने एक और मील का पत्थर पूरा कर लिया। इस सिलसिले में भारत ने ज्यादा से ज्यादा टीके लगाने में अमेरिका को पीछे छोड़ दिया है।

भारत का कोविड टीकाकरण अभियान 16 जनवरी, 2021 को शुरू हुआ था, जबकि अमेरिका ने अपने यहां यह अभियान 14 दिसंबर, 2020 को ही शुरू कर दिया था।

भारत में आमूल टीकाकरण दायरा कल 32.36 करोड़ के पार हो गया। आज सुबह सात बजे तक मिली अस्‍थाई रिपोर्ट के अनुसार43,21,898 सत्रों के जरिये टीके की कुल 32,36,63,297 खुराकें लगाई गईं। पिछले 24 घंटों के दौरान कुल 17,21,268 खुराकें दी गईं।

विवरण इस प्रकार हैः

स्वास्थ्य कर्मी 1st खुराक 1,01,98,257

2nd खुराक 72,07,617

अग्रिम पंक्ति के कर्मी 1st खुराक 1,74,42,767

2nd खुराक 93,99,319

18-44 वर्ष आयु वर्ग 1st खुराक 8,46,51,696

2nd खुराक 19,01,190

45-59 वर्ष आयु वर्ग 1st खुराक 8,71,11,445

2nd खुराक 1,48,12,349

60 वर्ष से अधिक 1st खुराक 6,75,29,713

2nd खुराक 2,34,08,944

योग 32,36,63,297

कोविड-19 टीकाकरण की सर्व-सुलभता का नया अध्याय 21 जून, 2021 को शुरू हुआ था। केंद्र सरकार देशभर में कोविड-19 टीकाकरण का दायरा बढ़ाने और इस प्रक्रिया में तेजी लाने के लिये कटिबद्ध है।

पिछले 24 घंटों के दौरान भारत में 46,148 नये मामले दर्ज किये गये:

इक्कीसवें दिन लगातार रोजाना के हिसाब से एक लाख से कम मामले आ रहे हैं। यह केंद्र और राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों की मिली-जुली कोशिशों का नतीजा है।

भारत में सक्रिय मामलों में लगातार गिरवाट भी देखी जा रही है। आज देश में सक्रिय मामलों की तादाद 5,72,994 रही।

पिछले 24 घंटों के दौरान 13,409 की कुल गिरावट देखी गई और देश के कुल पॉजिटिव मामलों में सक्रिय मामले केवल 1.89 प्रतिशत रह गये हैं।

भारत में ज्यादा से ज्यादा लोग कोविड-19 से उबर रहे हैं, जिसे मद्देनजर रखते हुए अब 46वें दिन लगातार नये मामलों की तुलना में रोजाना स्वस्थ होने वालों की संख्या अधिक बनी हुई है।

रोजाना आने वाले नये मामलों की तुलना में पिछले 24 घंटों के दौरान लगभग बारह हजार (12,430) लोग स्वस्थ हुये हैं।

महामारी की शुरुआत से जितने लोग संक्रमित हुये हैं, उनमें से2,94,09,607 लोग कोविड-19 से पहले ही उबर चुके हैं, और पिछले 24 घंटों में 58,578 मरीज स्वस्थ हुये हैं। इस हवाले से रिकवरी दर 96.80 प्रतिशत है, जिसमें लगातार बढ़ने का रुझान कायम है।

देश में जांच क्षमता को लगातार बढ़ाया जा रहा है, जिसके सिलसिले में देश में पिछले 24 घंटों के दौरान कुल 15,70,515 जांचें की गईं। आमूल रूप से भारत ने अब तक 40.63करोड़ से अधिक (40,63,71,279) जांचें की गईं हैं।

एक तरफ देशभर में जांच क्षमता बढ़ाई गई, तो दूसरी तरफ साप्ताहिक पॉजिटिविटी दर में भी लगातार गिरवाट दर्ज की गई। इस समय साप्ताहिक पॉजिटिविटीदर 2.81 प्रतिशत है, जबकिआज दैनिक पॉजिटिविटीदर 2.94 प्रतिशत रही। यह पिछले 21 दिन से लगातार पांच प्रतिशत से कम पर कायम है।


कोविड-19 टीकाकरण की ताज़ा जानकारी

राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को टीके की 31.69 करोड़ से अधिक खुराकें दी गईं:

राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के पास अब भी टीके की 1.15 करोड़ से अधिक खुराकें मौजूद, जिन्हें लगाया जाना है:

केंद्र सरकार देशभर में कोविड-19 टीकाकरण का दायरा बढ़ाने और टीके लगाने की गति को तेज करने के लिये प्रतिबद्ध है। कोविड-19 के टीकों की सर्व-उपलब्धता का नया चरण 21 जून, 2021 से शुरू किया गया है। टीकाकरण अभियान को अधिक से अधिक वैक्सीन की उपलब्धता के जरिये बढ़ाया गया। इसके तहत राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को वैक्सीन की उपलब्धता के बारे में पूर्व सूचना प्रदान की गई, ताकि वे बेहतर योजना के साथ टीके लगाने का बंदोबस्त कर सकें और टीके की आपूर्ति श्रृंखला को दुरुस्त किया जा सके।

देशव्यापी टीकाकरण अभियान के हिस्से के रूप में केंद्र सरकार राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को नि:शुल्क कोविड वैक्सीन प्रदान करके उन्हें समर्थन दे रही है। टीकों की सर्व-उपलब्धता के नये चरण में, केंद्र सरकार वैक्सीन निर्माताओं से 75 प्रतिशत टीके खरीदकर उन्हें राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को नि:शुल्क प्रदान करेगी।

केंद्र सरकार द्वारा नि:शुल्क और राज्यों द्वारा सीधी खरीद व्यवस्था के तहत अब तक वैक्सीन की 31.69 करोड़ से अधिक (31,69,40,160) खुराकें राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को प्रदान की गई हैं।

आज आठ बजे सुबह तक उपलब्ध आंकड़ों के हिसाब से उपरोक्त खुराकों में से बेकार हो जाने वाली खुराकों को मिलाकर कुल 30,54,17,617 खुराकों की खपत हो चुकी है।

अभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के पास कोविड-19 टीके की 1.15 करोड़ से अधिक (1,15,22,543) खुराकें बची है और इस्तेमाल नहीं हुई हैं, जिन्हें लगाया जाना है।


सारांश:

कोविड टीकाकरण में भारत ने एक और मील का पत्थर पूरा कर लिया। उसने कोविड वैक्सीन की खुराक लगाने की तादाद में अमेरिका को पीछे छोड़ दिया है।

देशव्यापी टीकाकरण अभियान के तहत अब तक वैक्सीन की 32.36 करोड़ डोज लगाई गई हैं।

पिछले 24 घंटों में भारत में 46,148 नये मामले दर्ज हुये।

भारत में सक्रिय मामले कम होकर 5,72,994 तक पहुंचे।

कुल मामलों में सक्रिय मामले 1.89 प्रतिशत रहे।

देश भर में अब तक 2,93,09,607 मरीज ठीक हुए

पिछले 24 घंटों के दौरान 58,578 मरीज स्वस्थ हुये।

पिछले लगातार 46वें दिन दैनिक नये मामलों की तुलना में दैनिक रिकवरी अधिक रही।

रिकवरी दर में इजाफा, वह 96.80 प्रतिशत पहुंची।

साप्ताहिक पॉजिटिविटी दर पांच प्रतिशत से नीचे कायम। वर्तमान में यह 2.81 प्रतिशत है।

दैनिक पॉजिटिविटी दर 2.94 प्रतिशत है, जो लगातार 21वें दिन पांच प्रतिशत से कम पर कायम है।

जांच क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि के साथ, अभी तक कुल 40.63 करोड़ से अधिक जांचें की जा चुकी हैं।

मध्यप्रदेश में रविवार को कोरोना के 39 नए प्रकरण दर्ज, 21 की मृत्यु;अबतक संक्रमितों की संख्या 7,89,696 और मृतकों की संख्या 8917 हुई attacknews.in

भोपाल, 27 जून । मध्यप्रदेश में कोरोना संक्रमण की कम हो रही रफ्तार के बीच आज 39 नए प्रकरण आए और 21 संक्रमितों की मृत्यु दर्ज की गयी। सक्रिय मामले (एक्टिव केस) घटकर एक हजार से नीचे 816 पर अा गए।

राज्य के स्वास्थ्य संचालनालय की ओर से जारी बुलेटिन के अनुसार 21 संक्रमितों की मृत्यु दर्ज की गयी, जिसमें से 06 बैतूल जिले के और 05 रतलाम जिले के शामिल हैं। इसके अलावा 02 मृत्यु मुरैना जिले में दर्ज की गयीं। भोपाल, इंदौर और ग्वालियर में मृत्यु का एक भी प्रकरण दर्ज नहीं हुआ है। जबलपुर में 01 मृत्यु दर्ज की गयी है।

कुल 52 में से 37 जिलों में शून्य प्रकरण दर्ज किए गए। इसका आशय यह हुआ कि इन जिलों में एक भी नया प्रकरण नहीं मिला। कुल लगभग 69 हजार सैंपल की जांच में 39 संक्रमित मिले। वहीं 97 सैंपल रिजेक्ट हुए और संक्रमण दर घटकर 0़ 05 प्रतिशत पर आ गयी। आज सबसे अधिक 10 प्रकरण भोपाल में, इंदौर में 7, जबलपुर में 2, रतलाम में 3, बैतूल में 3 और धार में दो नए मामले मिले। वहीं 129 मरीज कोरोना संक्रमण को मात देने में सफल रहे।

राज्य में पिछले लगभग सवा वर्ष के दौरान अब तक 7 लाख 89 हजार 6 सौ 96 व्यक्ति कोरोना संक्रमण का शिकार हुए हैं, जिनमें से 8917 संक्रमितों की मृत्यु हुयी। वहीं 7 लाख 79 हजार 9 सौ 63 व्यक्ति कोरोना संक्रमण को मात देने में सफल रहे और वर्तमान में 816 सक्रिय मामले हैं। सबसे अधिक 191 सक्रिय मामले भोपाल में हैं। इसके बाद इंदौर जिले में इनकी संख्या 141 है। ग्वालियर में 9 और जबलपुर में 28 सक्रिय मरीज हैं।

छह जिलों में सक्रिय मामले शून्य पर आ गए हैं। शेष जिलों में सक्रिय मामलों की संख्या दहाई अंक में है।

राज्य में 18 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के लगभग 5 करोड़ 74 लाख व्यक्तियों को वैक्सीनेशन करने के लिए अभियान युद्धस्तर पर जारी है। अब तक एक करोड़ 98 लाख से अधिक डोज नागरिकों को लगाए जा चुके हैं।

पश्चिम रेलवे की 100वीं ऑक्सीजन एक्सप्रेस ट्रेन राजकोट से रवाना होकर आंध्रप्रदेश के गुंटूर पहुंची attacknews.in

राजकोट, 27 जून । पश्चिम रेलवे की 100वीं ऑक्सीजन एक्सप्रेस ट्रेन राजकोट मंडल के रिलायंस रेल टर्मिनल कानालूस से आंध्र प्रदेश में स्थित गुंटूर के लिए रवाना की गयी जिसमें आठ ऑक्सीजन टेंकरों में 137.21 टन ऑक्सीजन का परिवहन किया गया है।

मुख्य जनसंपर्क अधिकारी सुमित ठाकुर द्वारा जारी एक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार पश्चिम रेलवे ने मील का पत्थर हासिल करते हुए अब तक 100 ऑक्सीजन एक्स्प्रेस ट्रेनें चलाकर नौ राज्यों में लगभग 8971.19 टन प्राणवायु की सप्लाई की गयी है जिसमें दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक और महाराष्ट्र शामिल हैं। इन ट्रेनों में लगभग 8971.19 लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन (एलएमओ ) का परिवहन किया गया है।

वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के दौरान कई देशों में भांग का सेवन बढ़ा;संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में पिछले साल दुनियाभर में 27.5 करोड़ लोगों ने मादक पदार्थों का इस्तेमाल किया attacknews.in

बर्लिन, 25 जून (एपी) विएना में मादक पदार्थ एवं अपराध मामलों के संयुक्त राष्ट्र के कार्यालय (यूएनओडीसी) की ओर से बृहस्पतिवार को जारी विश्व मादक पदार्थ रिपोर्ट के अनुसार पिछले वर्ष दुनिया भर में करीब 27.5 करोड़ लोगों ने मादक पदार्थों का इस्तेमाल किया जबकि 3.6 करोड़ से अधिक लोग मादक पदार्थ संबंधी विकारों से पीड़ित हुए।

रिपोर्ट में कहा गया कि वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के दौरान कई देशों में भांग (कैनेबिस) का सेवन बढ़ा है। 77 देशों में स्वास्थ्य क्षेत्र के पेशेवरों का सर्वेक्षण किया गया जिसमें से 42 फीसदी ने कहा कि भांग का इस्तेमाल बढ़ गया है। इसी दौरान उपचार संबंधी दवाओं का गैर-चिकित्सीय इस्तेमाल भी बढ़ा है।

इसमें बताया गया कि बीते 24 वर्षों में मादक पदार्थ को नुकसानदेह मानने वाले वयस्कों की संख्या में 40 फीसदी तक कमी आई है। ऐसे साक्ष्य मौजूद हैं जो बताते हैं कि भांग का उपयोग करने से स्वास्थ्य संबंधी अनेक समस्याएं हो सकती हैं, खास कर उन लोगों में जो लंबे समय से इसका नियमित इस्तेमाल कर रहे हैं।

यूएनओडीसी की कार्यकारी निदेशक गादा वाली ने बताया, ‘‘मादक पदार्थों के इस्तेमाल को जोखिम भरा मानने वालों की संख्या में कमी का संबंध इसके इस्तेमाल की अधिक दर से है। विश्व मादक पदार्थ रिपोर्ट, 2021 रेखांकित करती है कि युवाओं को जागरूक करने, लोक स्वास्थ्य की सुरक्षा करने तथा नजरिए एवं वास्तविकता के बीच अंतर को पाटने की आवश्यकता है।’’

हालिया वैश्विक अनुमानों के मुताबिक 15 से 64 वर्ष के करीब 5.5 फीसदी लोगों ने पिछले एक वर्ष में कम से कम एक बार मादक पदार्थ का इस्तेमाल किया। मादक पदार्थों का इस्तेमाल करने वाले लोगों में से 13 फीसदी या 3.63 करोड़ लोग मादक पदार्थों के सेवन से जुड़े विकारों से पीड़ित हुए।

भारत में टीकाकरण का दायरा 31 करोड़ के पार,राज्यों ने कर दिए डेढ़ करोड़ से ज्यादा टीके बर्बाद,अब भी टीके की 1.50 करोड़ से अधिक खुराकें मौजूद attacknews.in

नयी दिल्ली, 25 जून । भारत में कोविड टीकाकरण का दायरा 31 करोड़ के पार पहुंच गया है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।

रिपोर्ट के अनुसार टीकाकरण अभियान का नया चरण 21 जून से शुरू हुआ था और शुक्रवार को 60 लाख से अधिक खुराक दी गई।

मंत्रालय ने कहा कि शुक्रवार को 18-44 आयु वर्ग के 35.9 लाख से अधिक लोगों को टीके की पहली खुराक और 77,664 लोगों को दूसरी खुराक दी गई।

टीकाकरण अभियान के तीसरे चरण की शुरुआत से अब तक देश में इस आयु वर्ग के 7.87 करोड़ लोगों को टीके की पहली खुराक और 17.09 लाख लोगों को दूसरी खुराक दी गई है।

केंद्र सरकार देशभर में कोविड-19 टीकाकरण का दायरा बढ़ाने और टीके लगाने की गति को तेज करने के लिये प्रतिबद्ध है। कोविड-19 के टीकों की सर्व-उपलब्धता का नया चरण 21 जून, 2021 से शुरू किया गया है।

टीकाकरण अभियान को अधिक से अधिक वैक्सीन की उपलब्धता के जरिये बढ़ाया गया। इसके तहत राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को वैक्सीन की उपलब्धता के बारे में पूर्व सूचना प्रदान की गई, ताकि वे बेहतर योजना के साथ टीके लगाने का बंदोबस्त कर सकें और टीके की आपूर्ति श्रृंखला को दुरुस्त किया जा सके।

देशव्यापी टीकाकरण अभियान के हिस्से के रूप में केंद्र सरकार राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को नि:शुल्क कोविड वैक्सीन प्रदान करके उन्हें समर्थन दे रही है। टीकों की सर्व-उपलब्धता के नये चरण में, केंद्र सरकार वैक्सीन निर्माताओं से 75 प्रतिशत टीके खरीदकर उन्हें राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को नि:शुल्क प्रदान करेगी।

केंद्र सरकार द्वारा निशुल्क और राज्यों द्वारा सीधी खरीद व्यवस्था के तहत अब तक वैक्सीन की 30.54 करोड़ से अधिक (30,54,32,450) खुराकें राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को प्रदान की गई हैं।

आज आठ बजे सुबह तक उपलब्ध आंकड़ों के हिसाब से उपरोक्त खुराकों में से बेकार हो जाने वाली खुराकों को मिलाकर कुल 29,04,04,264 खुराकों की खपत हो चुकी है।

अभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के पास कोविड-19 टीके की 1.50 करोड़ से अधिक (1,50,28,186) खुराकें बची हैं और इस्तेमाल नहीं हुई हैं, जिन्हें लगाया जाना है।

इसके अलावा, टीके की 47,00,000 से अधिक खुराकें तैयार हैं और अगले तीन दिनों के भीतर राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को मिल जायेंगी।

भाजपा ने पेश की दिल्ली की ऑक्सीजन ऑडिट रिपोर्ट में हिंदुस्तान की राजनीति में पहली बार चार गुना झूठा साबित होने वाला मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को बताया;उप मुख्यमंत्री सिसोदिया ने आरोपों को किया खारिज attacknews.in

नयी दिल्ली, 25 जून ।भाजपा ने शुक्रवार को आरोप लगाया कि कोरोना वायरस महामारी की दूसरी लहर के दौरान मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने राजधानी दिल्ली में ऑक्सीजन की जरूरत से चार गुना अधिक मांग की थी और उनके इस ‘‘झूठ’’ के कारण कम से कम 12 राज्यों में जीवन रक्षक ऑक्सीजन की आपूर्ति बाधित हुई।

उच्चतम न्यायालय द्वारा दिल्ली में ऑक्सीजन का लेखाजोखा करने के लिए गठित की गई एक समिति की रिपोर्ट का हवाला देते हुए भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा कि मुख्यमंत्री ने ‘‘चार गुना झूठ’’ बोलकर ना सिर्फ ‘‘जघन्य अपराध’’ किया बल्कि ‘‘आपराधिक लापरवाही’’ की है।

दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने भाजपा के आरोपों को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि ऐसी कोई रिपोर्ट है ही नहीं । उन्होंने यह पलटवार भी किया कि कथित रिपोर्ट भाजपा मुख्यालय में तैयार की गई है।

पात्रा ने रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि दूसरी लहर के दौरान जब संक्रमण के मामले चरम पर थे तब दिल्ली सरकार ने 1,140 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की मांग की थी जबकि वह 209 मीट्रिक टन का भी इस्तेमाल नहीं कर पायी थी।

उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार के फार्मूले के मुताबिक भी देखा जाए तो उसे 351 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की जरूरत थी जबकि केंद्र सरकार के आकलन के मुताबिक जरूरत 209 मीट्रिक टन की थी और केजरीवाल सरकार ने 1,140 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की आवश्यकता जताई थी।

उन्होंने कहा, ‘‘कल्पना कीजिए , किस प्रकार का अपराध हुआ है। यह अरविंद केजरीवाल का जघन्य अपराध है। यह आपराधिक लापरवाही है जैसा कि समिति ने कहा है कि उन्होंने चार गुना अधिक ऑक्सीजन की मांग की थी। इस रिपोर्ट ने कोविड-19 के प्रबंधन में विफल होने पर दोष दूसरे पर मढ़ने की राजनीति का पर्दाफाश कर दिया है।’’

उन्होंने कहा ‘‘ इस झूठ के कारण, 12 राज्यों को ऑक्सीजन की आपूर्ति प्रभावित हुई क्योंकि सभी जगह से ऑक्सीजन की मात्रा कम कर दिल्ली भेजना पड़ा था।’’

पात्रा ने आरोप लगाया कि दिल्ली सरकार के कुप्रबंधन की वजह से राजधानी दिल्ली में उस वक्त ऑक्सीजन के टैंकर सड़क पर खड़े रहे जब लोगों को इसकी सबसे अधिक जरूरत थी।

उन्होंने कहा, ‘‘अगर ये ऑक्सीजन दूसरे राज्यों में उपयोग होती तो कई लोगों की जान बच सकती थी। यह अरविंद केजरीवाल द्वारा किया गया जघन्य अपराध है।’’

भाजपा प्रवक्ता ने उम्मीद जताई कि इसके लिए उच्चतम न्यायालय में मुख्यमंत्री जिम्मेदार ठहराए जाएंगे और जो अपराध उन्होंने किया है, उसके लिए उन्हें दंडित किया जाएगा।

उन्होंने कहा, ‘‘हिंदुस्तान की राजनीति में पहली बार चार गुना झूठे साबित हो रहे हैं दिल्ली के मुख्यमंत्री। यह छोटी बात नहीं है। अरविंद केजरीवाल को जनता को जवाब देना होगा।’’

पात्रा ने कहा कि तीन मई को एक ही दिन मुंबई और दिल्ली में लगभग एक समान संक्रमण के मामले थे लेकिन मुंबई ने 275 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की आवश्यकता जताई वहीं दिल्ली ने 900 मीट्रिक टन की मांग की थी।

दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार पर निशाना साधते हुए भाजपा नेता ने आरोप लगाया कि केजरीवाल सरकार 100 फीसदी विज्ञापन और जीरो प्रतिशत कोविड प्रबंधन के फार्मूले पर काम कर रही है।

पात्रा ने दावा किया कि अपनी नाकामी को छिपाने और केंद्र सरकार को दोषी ठहराने के लिए केजरीवाल ने ऑक्सीजन को लेकर झूठ बोला।

उन्होंने कहा कि इसी प्रकार केजरीवाल कोविड-19 रोधी टीकों और घर-घर राशन पहुंचाने की योजना पर राजनीति कर रहे हैं।

उन्होंने दावा किया कि राजधानी में टीकों की कोई कमी नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘जो व्यक्ति ऑक्सीजन के लिए इतना बड़ा झूठ बोल सकता है वह राशन के लिए कितना झूठ बोल सकता है?’’

राजधानी के जयपुर गोल्डेन अस्पताल और बत्रा अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी के चलते हुई लोगों की मौत के लिए भी पात्रा ने केजरीवाल सरकार को दोषी ठहराया।

पात्रा के आरोपों का जवाब देते हुए , दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने भाजपा पर ऐसी रिपोर्ट को लेकर झूठ बोलने का आरोप लगाया।

उन्होंने कहा, ‘‘ऐसी कोई रिपोर्ट नहीं है। हमने उच्चतम न्यायालय द्वारा गठित ‘ऑक्सीजन ऑडिट कमेटी’ के सदस्यों से बात की है। उन्होंने कहा कि ऐसी किसी रिपोर्ट पर उन्होंने हस्ताक्षर नहीं किए हैं। भाजपा झूठी रिपोर्ट पेश कर रही है, जो उसकी पार्टी मुख्यालय में तैयार की गई है। मैं उन्हें चुनौती देता हूं कि ऐसी रिपोर्ट पेश करें, जिस पर ‘ऑक्सीजन ऑडिट कमेटी’ के सदस्यों ने हस्ताक्षर किए हों।’’

उन्होंने कहा कि ऐसा करके भाजपा केवल मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का ही अपमान नहीं कर रही, बल्कि ‘‘उन लोगों का भी अपमान कर रही है जिन्होंने कोरोना वायरस के कहर के दौरान अपने परिवार वालों को खो दिया। ’’ उन्होंने आरोप लगाया कि केन्द्र सरकार के कुप्रबंधन के कारण ही ‘‘ऑक्सीजन का संकट उत्पन्न हुआ था।’’

दिल्ली में अप्रैल तथा मई में कोविड-19 की दूसरी लहर का बहुत बुरा असर हुआ था। इस दौरान शहर के विभिन्न अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी के कारण रोजाना कई लोगों की मौत हुई थी।

कोरोना टीकों से उपजे अनेक प्रश्नों का समाधान:क्या प्रजनन क्षमता पर होता है नकारात्मक प्रभाव?,शरीर में एंटी-बॉडीज कब तक कायम रहती हैं? क्या कुछ समय बाद बूस्टर डोज लेनी होगी?एक बार किसी खास कंपनी की वैक्सीन लगवा लें, तो क्या उसके बाद वही खास वैक्सीन लगवानी है? अगर भविष्य में हमें बूस्टर डोज लेनी पड़े, क्या तब भी उसी कंपनी की वैक्सीन लेनी होगी?attacknews.in

“भारत में जल्द कम से कम छह प्रकार की कोविड-19 वैक्सीन उपलब्ध हो जायेंगी,एक महीने में 30-35 करोड़ खुराकें मिलना शुरू हो जायेंगी और भारत एक दिन में एक करोड़ लोगों को टीका लगाने में सक्षम होगा”

एनटीएजीआई में कोविड-19 कार्य समूह के अध्यक्ष डॉ. एनके अरोड़ा द्वारा कोविड-19 टीकाकरण पर सामान्य प्रश्नों के जवाब

हमें जल्द ही जायडस कैडिला की दुनिया की पहली डीएनए-प्लासमिड वैक्सीन मिल जायेगी, जो भारत-निर्मित है। हमें जो अन्य वैक्सीनें जल्द मिलने की उम्मीद है, उनमें बायोलॉजिकल-ई की प्रोटीन सब-यूनिट वैक्सीन शामिल है।

राष्ट्रीय टीकाकरण परामर्श समूह (एटीएजीआई) के कोविड-19 कार्य समूह के अध्यक्ष डॉ. नरेन्द्र कुमार अरोड़ा ने यह बताया।उन्होंने आगे कहा कि इन वैक्सीनों का परीक्षण काफी उत्साहवर्धक रहा है।

उन्होंने कहा, “हमें उम्मीद है कि यह वैक्सीन सितंबर तक उपलब्ध हो जायेगी। भारतीय एम-आरएनए वैक्सीन को 2-8 डिग्री सेल्सियस के तापमान पर रखा जा सकता है, वह भी सितंबर तक मिल जायेगी। दो अन्य वैक्सीनें सिरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की नोवावैक्स और जॉनसन-एंड-जॉनसन भी जल्द मिलने की संभावना है। जुलाई के तीसरे सप्ताह तक भारत बायोटेक और एसआईआई की उत्पादन क्षमता में भी भारी इजाफा हो जायेगा।इससे देश में वैक्सीन की आपूर्ति में बढ़ोतरी होगी। अगस्त तक हम उम्मीद करते हैं कि हम एक महीने में 30-35 करोड़ डोज हासिल करने लगेंगे।”

डॉ. अरोड़ा ने कहा कि इस तरह हम एक दिन में एक करोड़ लोगों को टीका लगाने में सक्षम हो जायेंगे।

अध्यक्ष डॉ. अरोड़ा ने विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के ओटीटी – इंडिया साइंस चैनल को दिये साक्षात्कार में भारत में कोविड-19 टीकाकरण अभियान के विभिन्न पहलुओं पर बात की।

नई वैक्सीनें कितनी असरदार होंगी?

जब हम कहते हैं कि अमुक वैक्सीन 80 प्रतिशत असरदार है, तो इसका मतलब यह है कि वैक्सीन कोविड-19 रोग की संभावना को 80 प्रतिशत कम कर देती है। संक्रमण और रोग में फर्क होता है। अगर किसी व्यक्ति को कोविड का संक्रमण है, लेकिन कोई लक्षण नहीं हैं, तो वह व्यक्ति सिर्फ संक्रमित है। बहरहाल, यदि व्यक्ति में संक्रमण के कारण लक्षण भी नजर आ रहे हैं, तो वह व्यक्ति कोविड रोग से ग्रस्त माना जायेगा। दुनिया की हर वैक्सीन कोविड रोग से बचाती हैं।टीका लगवाने के बाद गंभीर रूप से बीमार होने की बहुत कम संभावना होती है; जबकि मृत्यु की संभावना नगण्य हो जाती है। अगर वैक्सीन की ताकत 80 प्रतिशत है, तब टीका लगवाने वाले 20 प्रतिशत लोगों को हल्का कोविड हो सकता है।भारत में जो वैक्सीनें उपलब्ध हैं, वे कोरोना वायरस के फैलाव को कम करने में सक्षम हैं। अगर 60 से 70 प्रतिशत लोगों को टीके लगा दिये जायें, तो वायरस के फैलाव को रोका जा सकता है।सरकार ने बुजुर्गों को टीके लगाने से कोविड टीकाकरण अभियान की शुरूआत की थी, ताकि सबसे अधिक जोखिम वाली आबादी को पहले टीके लग जायें। इस तरह मृत्यु की संभावना कम की गई और स्वास्थ्य सेवाओं पर बोझ भी कम हुआ।

कोविड वैक्सीन के बारे में बहुत गलतफहमियां हैं। क्या आप उनका निराकरण करेंगे?

हाल में, मैं हरियाणा और उत्तरप्रदेश के सफर पर था। मैंने इन राज्यों के शहरी और ग्रामीण इलाकों के लोगों से बात की, ताकि वैक्सीन के बारे में हिचक को समझ सकूं। ग्रामीण इलाकों के ज्यादातर लोग कोविड को गंभीरता से नहीं लेते और वे इसे सामान्य बुखार ही समझते हैं। लोगों को यह समझने की जरूरत है कि कोविड भले कई मामलों में हल्का-फुल्का हो, लेकिन जब वह गंभीर रूप ले लेता है, तो उससे जान भी जा सकती है, आर्थिक बोझ तो पड़ता ही है।यह बहुत उत्साहजनक बात है कि हम टीके के जरिये कोविड से खुद को बचा सकते हैं।

हम सब यह मजबूती से मानते हैं कि भारत में उपलब्ध कोविड-19 वैक्सीनें पूरी तरह सुरक्षित हैं। मैं सबको आश्वस्त करता हूं कि कि सभी वैक्सीनों का कड़ा परीक्षण किया गया है, जिसमें क्लीनिकल ट्रायल शामिल हैं। इन परीक्षणों को पूरी दुनिया में मान्यता प्राप्त है।जहां तक टीके के बुरे असर (साइड-इफेक्ट) का सवाल है, तो सभी वैक्सीनों में हल्का-फुल्का खराब असर पड़ता है। इसमें हल्का बुखार, थकान, सूई लगाने वाली जगह पर दर्ज आदि, जो एक-दो दिन में ठीक हो जाता है।

टीकों का कोई गंभीर बुरा असर नहीं होता।जब बच्चों को नियमित टीके दिये जाते हैं, तो उन्हें भी बुखार, सूजन आदि जैसे हल्के-फुल्के साइड इफेक्ट्स होते हैं। परिवार के बड़ों को पता होता है कि वैक्सीन बच्चों के लिये अच्छे हैं, भले उनका कुछ बुरा असर शुरू में होता हो। इसी तरह बड़ों को इस वक्त भी यह समझना चाहिये कि कोविड वैक्सीन हमारे परिवार और हमारे समाज के लिये जरूरी है। लिहाजा, हल्का-फुल्का बुरा असर हमें रोकने न पाये।

ऐसी अफवाहें कि अगर टीका लगवाने के बाद व्यक्ति को बुखार नहीं आया, तो इसका मतलब है कि वैक्सीन काम नहीं कर रही है। इसमें कितना सच है?

कोविड टीका लगवाने के बाद ज्यादातर लोगों में कोई बुरा असर नजर नहीं आता, लेकिन इसका यह मतलब कतई नहीं है कि वैक्सीन असरदार नहीं है। सिर्फ 20 से 30 प्रतिशत लोगों को टीका लगवाने के बाद बुखार आ सकता है। कुछ लोगों को पहली डोज लेने के बाद बुखार आ जाता है और दूसरी डोज के बाद कुछ नहीं होता। इसी तरह कुछ लोगों को पहली डोज के बाद कुछ नहीं होता, लेकिन दूसरी डोज के बाद बुखार आ जाता है। यह व्यक्ति-व्यक्ति पर निर्भर करता है और इसके बारे में निश्चित रूप से कुछ कहना खासा मुश्किल है।

कुछ ऐसे मामले भी सामने आये हैं, जहां लोगों को दोनों खुराकें लगवाने के बाद भी कोविड-19 का संक्रमण हो गया। इसलिये कुछ लोग वैक्सीन के असरदार होने पर सवाल उठा रहे हैं?

वैक्सीन की दोनों खुराकें लेने के बाद भी संक्रमण हो सकता है। लेकिन ऐसे मामलों में रोग निश्चित रूप से हल्का होगा और गंभीर रूप से बीमार होने की संभावना लगभग नहीं होगी। इसके अलावा, ऐसी स्थिति से बचने के लिये लोगों को आज भी कहा जाता है कि टीका लगवाने के बाद भी कोविड उपयुक्त व्यवहार करें। लोग वायरस फैला सकते हैं, जिसका मतलब है कि वायरस आपके जरिये आपके परिवार वालों और दूसरों तक फैल सकता है। अगर 45 साल के ऊपर के लोगों को टीका न लगा होता, तब तो मृत्यु दर और अस्पतालों पर दबाव की तो कल्पना भी नहीं की जा सकती। अब दूसरी लहर समाप्ति की ओर है। इसका श्रेय टीकाकरण को ही जाता है।

शरीर में एंटी-बॉडीज कब तक कायम रहती हैं? क्या कुछ समय बाद बूस्टर डोज लेनी होगी?

टीका लगवाने के बाद शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो जाती है, जिसका पता निश्चित रूप से एंटी-बॉडीज से लग जाता है। एंटी-बॉडीज का पता लगाया जा सकता है। इसके अलावा न दिखाई देने वाली रोग-प्रतिरोधक क्षमता भी विकसित होती है। इसे टी-सेल्स के रूप में जाना जाता है, जिनके पास याद रखने की ताकत होती है। आगे जब भी वायरस शरीर में घुसने की कोशिश करता है, तो पूरा शरीर चौकस हो जाता है और उसके खिलाफ कार्रवाई शुरू कर देता है। लिहाजा, शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता का एकमात्र सबूत एंटी-बॉडी नहीं है। इसलिये टीका लगवाने के बाद एंटी-बॉडी टेस्ट कराने की जरूरत नहीं है। इस पर चिंता करके अपनी नींद ह करने का भी कोई मतलब नहीं है।

दूसरी बात यह कि कोविड-19 एक नया रोग है, जो अभी महज डेढ़ साल पहले सामने आया है। वैक्सीन को आये हुये भी छह महीने ही हुये हैं। लेकिन ऐसा लगता है कि अन्य वैक्सीनों की तरह ही, यहां भी रोग-प्रतिरोधक क्षमता कम से कम छह महीने से एक साल तक कायम रहेगी। समय बीतने के साथ कोविड-19 के बारे में हमारी समझ में भी इजाफा होगा। इसके अलावा, टी-सेल्स जैसे कुछ घटक हैं, जिनकी नाप-जोख नहीं हो सकती। यह देखा जाना है कि टीका लगवाने के बाद लोग कितने समय तक गंभीर रूप से बीमार होने और मृत्यु से बचे रहते हैं। लेकिन अभी तो टीके लगवाने वाले सभी लोग छह महीने से एक साल तक तो सुरक्षित हैं।

एक बार किसी खास कंपनी की वैक्सीन लगवा लें, तो क्या उसके बाद वही खास वैक्सीन लगवानी है? अगर भविष्य में हमें बूस्टर डोज लेनी पड़े, क्या तब भी उसी कंपनी की वैक्सीन लेनी होगी?

कंपनियों के बजाय हम प्लेटफॉर्म की बात करते हैं। मानव इतिहास में पहले ऐसा कभी नहीं हुआ कि एक ही रोग के लिये वैक्सीन बनाने में अलग-अलग प्रक्रियाओं और प्लेटफार्मों का इस्तेमाल किया गया हो। इन वैक्सीनों की निर्माण प्रक्रिया अलग-अलग है, इसलिये शरीर पर भी उनका असर एक सा नहीं होगा।अलग-अलग किस्म की वैक्सीन की दो डोज लेने की प्रक्रिया या बूस्टर डोज के तौर पर कोई दूसरी वैक्सीन लेने को पारस्परिक अदला-बदली कहते हैं। ऐसा किया जा सकता है या नहीं, यह निश्चित रूप से महत्त्वपूर्ण वैज्ञानिक सवाल है। इसका जवाब खोजने का कम चल रहा है। हम ऐसे देशों में शामिल हैं, जहां अलग-अलग तरह की कोविड-19 वैक्सीनें दी जा रही हैं। इस तरह की पारस्परिक अदला-बदली को तीन कारणों से स्वीकार किया जा सकता है या उसे मान्यता दी जा सकती हैः 1) रोग-प्रतिरोधक क्षमता को बेहतर करने या बढ़ाने के लिये, 2) इससे टीके की आपूर्ति आसान हो जाती है, 3) सुरक्षा सुनिश्चित होती है। लेकिन यह पारस्परिक अदला-बदली का आग्रह इसलिये नहीं होना चाहिये कि टीकों की कमी आ गई है, क्योंकि टीकाकरण शुद्ध रूप से वैज्ञानिक प्रक्रिया के तहत आता है।

कुछ देशों में वैक्सीन के आपसी मिलान पर अनुसंधान हो रहा है। क्या भारत में भी ऐसा कोई अनुसंधान किया जा रहा है?

इस तरह का अनुसंधान जरूरी है और भारत में भी जल्द ऐसे अनुसंधानों को शुरू करने के कदम उठाये जा रहे हैं। यह चंद हफ्तो में शुरू हो जायेगा।

क्या बच्चों के टीकाकरण पर अध्ययन चल रहा है? कब तक बच्चों का टीका आने की आशा करें?

दो से 18 वर्ष के बच्चों पर कोवैक्सीन का परीक्षण शुरू हो गया है। बच्चों पर परीक्षण देश के कई केंद्रों में चल रहा है। इसके नतीजे इस साल सितंबर से अक्टूबर तक हमारे पास आ जायेंगे। बच्चों को भी संक्रमण हो सकता है, लेकिन वे गंभीर रूप से बीमार नहीं पड़ते। बहरहाल, बच्चों से वायरस दूसरों तक पहुंच सकता है। लिहाजा, बच्चों को भी टीका लगाया जाना चाहिये।

क्या वैक्सीन से प्रजनन क्षमता पर कोई नकारात्मक प्रभाव पड़ता है?

जब पोलियो वैक्सीन आई थी और भारत तथा दुनिया के अन्य भागों में दी जा रही थी, तब उस समय भी ऐसी अफवाह फैली थी। उस समय भी यह गलतफहमी पैदा की गई थी कि जिन बच्चों को पोलियो वैक्सीन दी जा रही है, आगे चलकर उन बच्चों की प्रजनन क्षमता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। इस तरह की गलत सूचना एंटी-वैक्सीन लॉबी फैलाती है। हमें यह जानना चाहिये कि सभी वैक्सीनों को कड़े वैज्ञानिक अनुसंधान से गुजरना पड़ता है। किसी भी वैक्सीन में इस तरह का कोई बुरा असर नहीं होता। मैं सबको पूरी तरह आश्वस्त करना चाहता हूं कि इस तरह का कुप्रचार लोगों में गलतफहमी पैदा करता है। हमारा मुख्य ध्यान खुद को कोरोना वायरस से बचाना है, अपने परिवार और समाज को बचाना है। लिहाजा, सबको आगे बढ़कर टीका लगवाना चाहिये।

मध्यप्रदेश में बुधवार को कोरोना के 160 नए मामले आए सामने, 34 की मौत;अबतक संक्रमितों की संख्या 7,88,809 हुई attacknews.in

भोपाल, 16 जून । मध्यप्रदेश में कोरोना के घटते मामलों के बीच आज 160 नए मामले सामने आए, तो वहीं 34 मरीजों ने इस बीमारी से अपनी जान गवां दी।
राज्य स्वास्थ्य संचालनालय द्वारा यहां जारी बुलेटिन के अनुसार पिछले चौबीस घंटों में जहां कोरोना के 160 नए मामले सामने आए।

संक्रमण दर भी घटकर 0़ 3 से 0़ 2 पर पहुंच गयी।

प्रदेश में अब तक 7,88,809 लोग संक्रमित हो चुके हैं।

प्रदेश भर में 463 नए मरीजों के स्वस्थ हो जाने के बाद अब तक इस बीमारी से ठीक होने वाले मरीजों की संख्या 7,76,887 तक पहुंच गयी है।

प्रदेश भर में तेजी से ठीक हो रहे कोरोना मरीजों के चलते एक्टिव मरीजों की संख्या भी घटकर 3273 तक पहुंच गयी है।

इन सभी मरीजों का उपचार विभिन्न अस्पताल, होम आइसोलेशन एवं संस्थागत क्वॉरेंटाइन सेंटरों में किया जा रहा है।

इस बीच प्रदेश में सर्वाधिक मामले राजधानी भोपाल में आए, जहां 47 लोगों की रिपोर्ट पॉजीटिव आयी है।

यहां 1081 एक्टिव मरीज है, जिनका इलाज किया जा रहा है।

वहीं, इंदौर में 36 नए मामले सामने आए।

वहां सक्रिय मरीजों की संख्या 561 रह गयी है।

इसके अलावा जबलपुर में 17 मरीज मिले हैं।

इन तीनों जिलों को छोड़कर अन्य जिलों में दस से नीचे मरीज सामने आए हैं।

वहीं प्रदेश के 26 ऐसे जिले है, जहां कोरोना के एक भी नए मामले सामने नहीं आए हैं।

मध्यप्रदेश के सिवनी में कोविड टीका लगवाने से मना करने और सुरक्षा की गारंटी स्टाम्प पेपर में लिखकर मांगने वाला शिक्षक निलंबित attacknews.in

सिवनी, 16 जून। मध्यप्रदेश के सिवनी जिले में कोविड-19 का टीका लगवाने से मना करने तथा अधिकारियों से टीका लगवाने के उपरांत सुरक्षा की गारंटी स्टाम्प पेपर में लिखकर मांगने वाले एक शिक्षक को कलेक्टर डॉ राहुल हरिदास फटिंग ने निलंबित किये जाने के आदेश जारी किये हैं।

आधिकारिक जानकारी के अनुसार जारी आदेश में सिवनी जिले के आदिवासी विकासखंड घंसौर के अंतर्गत शासकीय उत्कृष्ट विद्यालय घंसौर में पदस्थ सहायक शिक्षक रतनलाल मरकाम से कोविड-19 का टीकाकरण की द्वितीय डोज लगवाने के लिए ग्राम पंचायत के सचिव द्वारा दूरभाष पर संपर्क किया गया। इस दौरान सहायक शिक्षक ने सचिव से अभद्र भाषा का प्रयोग करते हुये टीका लगवाने से मना कर दिया।

इसके पश्चात मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत घंसौर ने सहायक शिक्षक रतनलाल मरकाम से दूरभाष पर संपर्क किया, जहां शिक्षक ने मुख्य कार्यपालन अधिकारी घंसौर को कोविड वैक्सीन लगवाने के उपरांत सुरक्षा की गारंटी स्टाम्प पेपर पर मांगी।

इस मामले में सिवनी कलेक्टर डॉ राहुल हरिदास फटिंग ने सहायक शिक्षक रतन लाल मरकाम के निलंबन संबंधी आदेश आज जारी किये हैं।

आदेश में लेख किया गया है कि रतनलाल मरकाम, सहायक शिक्षक शासकीय उत्कृष्ट उच्चतर माध्यमिक विद्यालय घंसौर द्वारा कोरोना महामारी के संक्रमण से बचाव के लिए वैक्सीन लगवाने के लिए शासन की महत्वाकांक्षी एवं जनहितैषी योजना के क्रियान्वयन में अवरोध उत्पन्न कर शासन की योजना पर प्रश्नचिन्ह लगाया गया है तथा वरिष्ठ अधिकारियों से अभद्र भाषा का प्रयोग करना मप्र सिविल सेवा आचरण नियमों के प्रतिकूल है। इसके बाद सहायक शिक्षक को निलंबित किया गया है।

मध्यप्रदेश में अब कोरोना वैक्सीनेशन महा अभियान 21 जून से, नरेन्द्र मोदी से चर्चा के बाद तिथि बदली, केंद्र सरकार ने वैक्सीनेशन का कार्य फिर से अपने हाथ में लिया attacknews.in

भोपाल, 16 जून । कोरोना की दूसरी लहर के कहर पर काबू पाने वाले मध्यप्रदेश में अब वैक्सीनेशन अभियान पर जोर दिया जा रहा है और इसके लिए 21 जून से पूरे प्रदेश में ‘वैक्सीनेशन महाअभियान’ प्रारंभ किया जाएगा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से आज मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की दिल्ली में हुयी मुलाकात के बाद महाअभियान की नयी तिथि तय की गयी है। इसके पहले राज्य सरकार ने एक जुलाई से वैक्सीनेशन महाअभियान चलाने की घोषणा की थी। श्री मोदी ने इस मुद्दे पर श्री चौहान को मार्गदर्शन भी दिया है। इसके बाद तिथि 21 जून तय की गयी है।

सवा सात करोड़ से अधिक की आबादी वाले प्रदेश में वैक्सीनेशन अभियान जनवरी माह में प्रारंभ हुआ था और अब तक एक करोड़ 40 लाख के आसपास डोज लक्षित व्यक्तियों को लगाए गए हैं। इस बीच विशेषज्ञों के मत सामने आए हैं कि कोरोना पर पूरी तरह नियंत्रण पाने का ठोस उपाय सभी नागरिकों का वैक्सीनेशन ही है। इसलिए केंद्र और राज्य सरकारें वैक्सीनेशन पर विशेष ध्यान केंद्रित कर रही हैं।

आधिकारिक सूत्रों के अनुसार लगभग एक घंटा 20 मिनट तक चली मुलाकात के दौरान श्री चौहान ने श्री मोदी को बताया कि राज्य में कोरोना की स्थिति अब पूरी तरह नियंत्रण में है। लेकिन निकट भविष्य में कोरोना की तीसरी लहर की आशंका के बीच इसे रोकने या इसके आने की स्थिति में इस पर काबू पाने के प्रयास अभी से ही जारी हैं। उन्होंने वैक्सीनेशन को लेकर उठाए गए कदमों के बारे में भी श्री मोदी को बताया।

श्री चौहान ने कहा कि वे इस कार्य के लिए श्री मोदी को धन्यवाद देना चाहते हैं कि केंद्र सरकार ने वैक्सीनेशन का कार्य फिर से अपने हाथ में ले लिया है।

उन्होंने कहा कि श्री मोदी से हुए परामर्श के बाद राज्य में 21 जून से प्रारंभ होने वाले वैक्सीनेशन महाभियान के तहत व्यापक जनजागरण किया जाएगा और सभी लोगों को कोरोना वैक्सीन लगवाने के लिए प्रेरित करने के साथ ही वैक्सीन तेज गति से लगाने के प्रयास किए जाएंगे।

श्री चौहान ने कहा कि 21 जून को राज्य में वे स्वयं, सारे मंत्री, सांसद, विधायक, क्राइसिस मैनेजमेंट कमेटीज़, अलग-अलग क्षेत्रों की प्रमुख हस्तियां वैक्सीनेशन महाअभियान के लिए निकलेंगे। इसके साथ ही प्रयास किए जाएंगे कि निश्चित समयसीमा में वैक्सीनेशन का कार्य पूरा किया जाए।

श्री चौहान ने श्री मोदी को मध्यप्रदेश में कोरोना की वर्तमान स्थिति से अवगत कराया। उन्होंने कोरोना नियंत्रण को लेकर प्रदेश सरकार की ओर से अब तक किए गए प्रयासों की जानकारी दी और तीसरी लहर से निपटने के लिए तैयारियों पर भी चर्चा की।

उन्होंने कहा कि कोरोना की तीसरी लहर को हम नियंत्रित कर पाएं, इसके लिए पूरी ताकत से प्रयास किए जा रहे हैं। अधिकतम टेस्ट, पॉज़िटिव आए व्यक्ति को आइसोलेट करना, ट्रेसिंग करना, किल कोरोना अभियान चलाते रहना, कोविड केयर सेंटर्स को चालू रखना और जनता से ‘कोविड एप्रोप्रिएट बिहेवियर’ का पालन करवाना जारी रहेगा।

श्री चौहान ने बताया कि राज्य में कोरोना के प्रकरण तेजी से घट रहे हैं और संक्रमण दर 0.2 प्रतिशत पर आ गया है। कोविड पूरी तरह से नियंत्रण में है।

श्री चौहान ने प्रधानमंत्री की घोषणा के अनुरूप गरीबों को दीपावली तक नि:शुल्क राशन मुहैया कराने के संबंध में भी श्री मोदी को अवगत कराया और कहा कि इस दिशा में किए जा रहे कार्यों पर उच्च स्तर पर निगरानी भी की जा रही है, ताकि गरीब भाई बहनों तक राशन पहुंचने में कोई कठिनाई नहीं हो।

आसाराम की तबियत बिगड़ने के बाद जोधपुर एम्स में भर्ती कराया गया,प्रारंभिक जांच में कोरोना संक्रमित होने की रिपोर्ट आई,की जा रही है अन्य जांच attacknews.in

जयपुर 16 जून । राजस्थान की जोधपुर जेल में सजा काट रहे आसाराम की तबीयत बिगड़ जाने के बाद बुधवार को जेल से जोधपुर एम्स में लाकर भर्ती कराया गया।

सूत्रों के अनुसार आसाराम को मंगलवार रात से सांस लेने में तकलीफ होने लगी।बुधवार सुबह तक तकलीफ काफी बढ़ गई।इसके बाद जेल प्रशासन ने अस्पताल ले जाने का फैसला किया।

हालांकि आसाराम ने एक बार एम्स जाने से इनकार कर दिया।बाद में अधिकारियों के समझाने पर वह एम्स में अपना इलाज कराने को राजी हो गए ।

एम्स में पहुंचने के बाद डॉक्टरों ने शुरुआती जांच के बाद पोस्ट कोविड कॉम्पलिकेशन बताए।ऐसे में उसकी कुछ जांचें की गई हैं।गुरुवार तक जांच रिपोर्ट आने के बाद ही पता चल पाएगा कि क्या बीमारी है।
इसके आधार पर डॉक्टर लाइन ऑफ ट्रीटमेंट तय करेंगे

ब्राजील में कोरोना के 19 स्वरूपों की पहचान हुई इनमें से पी.1 (अमेज़ॅनियन) के 89.9 प्रतिशत मामले मिले है attacknews.in

रियो डी जनेरियो, 17 जून (स्पूतनिक) ब्राजील के साओ पाउलो प्रांत में कोरोना वायरस (कोविड-।
9) के कम से कम 19 स्वरूपों की पहचान की गई है।

ब्राजील के जैविक अनुसंधान केंद्र इंस्टीट्यूटो बुटानटन ने एक बयान में कहा, “साओ पाउलो प्रांत में कोरोना वायरस के 19 स्वरूप पाये गये है।

इनमें से पी.1 (अमेज़ॅनियन) के 89.9 प्रतिशत मामले मिले है।

” बयान में कहा गया कि बी.1.1.7 के 4.2 प्रतिशत मामले पाये गये हैं।

बछड़े के सीरम विवाद में “कोवैक्सीन” बनाने वाली दवा कंपनी भारत बायोटेक ने बयान जारी कर कहा,“ विषाणु वैक्सीन को बनाने में नवजात बछड़े के रक्त के सीरम का इस्तेमाल किया जाता है,यह केवल कोशिकाओं की वृद्धि के लिए किया जाता है लेकिन इसे सार्स कोविड- 2 की वृद्धि या अंतिम फार्मूलेशन में इस्तेमाल नहीं किया जाता है ”attacknews.in

कोवैक्सीन में निष्क्रिय विषाणु अवयव, उच्च तरीके से परिष्कृत: भारत बायोटेक

हैदराबाद/ नईदिल्ली , 16 जून । स्वदेशी कोविड-19 वैक्सीन ‘कोवैक्सीन’ को विकसित करने वाली कंपनी भारत बायोटेक ने बुधवार को कहा कि यह वैक्सीन उच्च तरीके से परिष्कृत है और इसमें सभी अशुद्धियों को हटाकर केवल विषाणु को निष्क्रिय करके डाला जाता है।

भारत बायोटेक ने यहां जारी एक बयान में बुधवार को कहा,“ विषाणु वैक्सीन को बनाने में नवजात बछड़े के रक्त के सीरम का इस्तेमाल किया जाता है और यह केवल कोशिकाओं की वृद्धि के लिए किया जाता है लेकिन इसे सार्स कोविड- 2 की वृद्धि या अंतिम फार्मूलेशन में इस्तेमाल नहीं किया जाता है। ”

इस बयान में कहा गया है कि बोवाइन सीरम का इस्तेमाल कई दशकों से वैश्विक स्तर पर वैक्सीन बनाने के लिए किया जाता रहा है और ‘नवजात बछड़े के सीरम के इस्तेमाल’ को विभिन्न प्रकाशनों में बहुत ही पारदर्शिता के साथ वर्णित किया गया है। इसे पिछले नौ महीनों में प्रयोग किया गया है। ”

इससेे पहले कंपनी ने कहा था कि उसने अब तक अपने संसाधनों से जोखिम लेकर कोवैक्सीन के विकास, चिकित्सकीय परीक्षणों और इसके निर्माण संयंत्रों की स्थापना के लिए 500 करोड़ रुपए से अधिक की धनराशि निवेश की है।

भारत बायोटक देश के विभिन्न राज्यों में नए संयंत्रों की स्थापना और मौजूदा संयंत्रों को अधिक सक्षम बनाने के लिए निवेश कर रहा है।

कंपनी ने कहा है कि कोरोना विषाणु के नए वेरिएंट के खिलाफ कारगर वैक्सीन को बनाने की दिशा में उत्पाद विकास की प्रकिया हमारे संयंत्रों में चल रही है।

कोवैक्सीन में बछड़े के खून की अफवाह निराधार, टीकाकरण विफल करने का पाप कर रही है कांग्रेस – सुशील

इधर पटना में बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने आज आरोप लगाया कि कांग्रेस पहले दिन से भारत में टीकाकरण के महाअभियान को विफल करने की साजिश में लगी है और अब वह कोवैक्सीन को लेकर धार्मिक भावनाएं भड़काने तथा साम्पदायिक तनाव पैदा करने पर उतर आई है।

श्री मोदी ने बुधवार को सोशल नेटवर्किंग साइट ट्विटर पर ट्वीट कर कहा कि कोरोना की वैक्सीन में गाय के बछड़े के खून की अफवाह फैलाना पूरी तरह निराधार और भ्रामक है। उन्होंने कहा कि वैक्सीन में बछड़े के खून की अफवाह उस कांग्रेस की तरफ फैलायी जा रही है, जिसकी सरकार ने गोहत्या पर पूर्ण प्रतिबंध की मांग को लेकर 1966 में संसद के सामने अहिंसक प्रदर्शन करने वाले 400 से ज्यादा साधुओं पर गोली चलवा दी थी।

भाजपा सांसद ने कहा कि संतों की हत्या के खून से जिसके हाथ रंगे है, वह कांग्रेस आज कोरोना टीका के विरुद्ध दुष्प्रचार करने का महापाप कर रही है। उन्होंने कहा कि स्वदेशी टीका विकसित होने पर गर्व करने के बजाय कांग्रेस शुरू से इसके खिलाफ तरह-तरह के हथकंडे अपना रही है। कभी कोवैक्सीन को विदेशी टीके से घटिया बताया गया, कभी इसे भाजपा का टीका कहा गया, तो कभी इसके दाम पर सवाल उठाये गए।

श्री मोदी ने कहा कि टीकाकरण को विफल कर कांग्रेस आज भी कोरोना से मौत का आंकड़ा इतना बढाना चाहती है कि भारत को दुनिया भर में बदनाम किया जा सके । उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व ने सबसे तेज टीकाकरण कर सरकार ने लाशों की राजनीति करने वालों को करारा तमाचा लगाया।

कोवैक्सीन पर भ्रम फैलाकर कांग्रेस ने किया ‘महापाप’: संबित

कोरोना के टीके ‘कोवैक्सीन’ में गाय के बछड़े का ‘सीरम’ मिलाये जाने के कांग्रेस के आरोप के जवाब में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने कहा है कि पार्टी ने वैक्सीन के संबंध में भ्रम फैलाकर महापाप किया है।

भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने बुधवार को यहाँ संवाददाता सम्मेलन में कहा कि ‘कोवैक्सीन’ में बछड़े का ‘सीरम’ नहीं मिलाया गया है।

स्वास्थ्य मंत्रालय और वैज्ञानिकों ने साफ तौर पर कहा है कि कोवैक्सीन में किसी भी प्रकार का गाय या बछड़े का सीरम नहीं मिला हुआ है। वैक्सीन में ‘वेरोसेल’ का इस्तेमाल किया जाता है। यह एक तरह से खाद का काम करता है। यह ‘वेरोसेल’ समय के साथ-साथ खत्म हो जाता है।

श्री पात्रा ने कहा, “यह वैक्सीन पूर्णतः सुरक्षित है और इसमें किसी भी प्रकार का अपभ्रंश नहीं है।”

उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि ‘कोवैक्सीन’ में गाय के बछड़े का सीरम और खून होता है। जब हमने सोशल मीडिया में इस दुष्प्रचार को देखा तो उसमें यहां तक लिखा था कि गाय और बछड़ों को मारकर ये वैक्सीन तैयार की जा रही है। यह कांग्रेस द्वारा फैलाया जा रहा भ्रम है। ‘

श्री पात्रा ने कहा, “ कोवैक्सीन पर कांग्रेस ने कई बार सवाल खड़े किए हैं। कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी, कांग्रेस सांसद राहुल गांधी और प्रियंका गांधी बताएं कि उन्होंने कब वैक्सीन लिया था। गांधी परिवार ‘वैक्सीनेटेड है या नहीं? क्या गांधी परिवार को कोवैक्सीन पर भरोसा है? उन्हें इसका जवाब देना चाहिए। इस वैश्विक महामारी में हमें वैज्ञानिक सोच के साथ आगे बढ़ना चाहिए, न कि भ्रम फैलाना चाहिए।”

उल्लेखनीय है कि कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा और पार्टी के सोशल मीडिया के राष्ट्रीय संयोजक गौरव पांधी ने आरोप लगाया है कि ‘कोवैक्सीन’ में गाय के बछड़े का सीरम होता है और गाय के बछड़े को मारकर ये वैक्सीन तैयार की जाती है। श्री पांधी ने ‘सूचना के अधिकार’ के तहत मिले दस्तावेज के हवाले से यह दावा किया था।