लंदन, 28 नवंबर । अंडरवर्ल्ड सरगना दाऊद इब्राहिम के करीबी सहयोगी एवं पाकिस्तानी नागरिक जबीर मोती के प्रत्यर्पण मामले में सुनवाई पूरी करते हुए ब्रिटेन के एक न्यायाधीश ने मामले में आतंकी पहलू के बारे में अमेरिकी अधिकारियों से स्पष्टीकरण मांगा है।
मामले में दलीलें पेश किया जाना इस हफ्ते संपन्न हो गया और अब न्यायाधीश आतंकवाद के पहलू पर अमेरिका से अतिरिक्त स्पष्टीकरण पाने के बाद अपना फैसला सुनाएंगे।
मोती मादक पदार्थों की तस्करी और करीब 14 लाख डॉलर के धन शोधन को लेकर अमेरिका प्रत्यर्पित किये जाने के मुकदमे का सामना कर रहा है।
अमेरिकी प्रत्यर्पण अनुरोध में यह भी कहा गया है कि वह सीधे दाऊद को रिपोर्ट करता था, जो एक घोषित आतंकवादी है और 1993 के सिलसिलेवार मुंबई विस्फोटों के लिये वांछित है।
लंदन स्थित वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट कोर्ट के न्यायाधीश जॉन जानी ने बुधवार को कहा, ‘‘इस मामले में एक अतिरिक्त तत्व यह है कि इस व्यक्ति (मोतीवाला) के पद के बारे में स्पष्ट उल्लेख है, जो भारत में बम विस्फोटों सहित सर्वाधिक भयानक अपराधों में संलिप्त व्यक्ति (दाऊद) का लेफ्टिनेंट बताया जाता है।’’
न्यायाधीश ने कहा, ‘‘इसलिए इस बारे में अवश्य ही स्पष्टीकरण होना चाहिए कि अमेरिका में इस व्यक्ति (मोती) के साथ क्या होगा…चाहे इस मामले में आतंकवाद का पुट हो या नहीं।’’
अदालत ने निर्देश दिया कि एक अतिरिक्त प्रश्न अमेरिकी प्राधिकारों से यह स्पष्टीकरण पाने के लिये भेजा जाए कि यदि मोती को अमेरिका प्रत्यर्पित किया जाता है तो क्या अभियोजकों द्वारा आतंकवाद के कठोर आरोप लगाये जाने की संभावना है।
अमेरिकी कानून के तहत आतंकवाद का आरोप साबित होने पर मोती को उम्र कैद की सजा तक मिल सकती है और उसे पैरोल भी नहीं मिलेगा।
इससे पहले प्रत्यर्पण के लिये अदालत में पढ़ कर सुनाये गये अमेरिकी अटार्नी के हलफनामे में कहा गया था, ‘‘मौजूदा जांच से यह खुलासा होता है कि जबीर मोतीवाला डी (दाऊद) कंपनी में एक शीर्ष लेफ्टिनेंट है जो सीधे दाऊद को रिपोर्ट करता है।