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अलविदा! ओजस्वी राजनीति की सुषमा को बेटी बांसुरी और पति स्वराज कौशल ने सैल्यूट देकर अश्रुपूर्ण अंतिम बिदाई दी attacknews.in

नयी दिल्ली, सात अगस्त । भारतीय जनता पार्टी की वरिष्ठ नेता और पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का पार्थिव शरीर बुधवार को पंचतत्व में विलीन हो गया। लोदी रोड स्थित विद्युत शवदाह गृह में उनका अंतिम संस्कार किया गया।सुषमा स्वराज के पति स्वराज कौशल और उनकी पुत्री बांसुरी ने दिल्ली पुलिस के साथ मिलकर दिवंगत नेता को बुधवार को सलामी दी और उन्हें अश्रुपूर्ण अंतिम विदाई दी।

करीब पांच दशकों तक भारतीय राजनीति में छायी रही कुशल राजनीतिग्य, ओजस्वी वक्ता और शालीन व्यक्तित्व की धनी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की वरिष्ठ नेता एवं पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का आज यहां राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार कर दिया गया। 


उनका कल रात हृदयाघात के कारण निधन हो गया था। वह 67 वर्ष की थीं। 


राजधानी में लोधी रोड स्थित विद्युत शवदाह गृह में श्रीमती स्वराज को उनके हजारों प्रशंसकों, समर्थकों और परिजनों ने अश्रुपूर्ण विदाई दी। 


इस मौके पर उप राष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, पूर्व उप प्रधानमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी, राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद, भाजपा अध्यक्ष एवं गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, विधि मंत्री रविशंकर प्रसाद, सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावडेकर, महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी समेत कई केंद्रीय मंत्री तथा दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल, कई राज्यों के मुख्यमंत्री मौजूद थे। इसके अलावा राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के घटक दलों के प्रमुख नेता संजय राउत तथा रामदास आठवले भी उपस्थित थे। प्रमुख विपक्षी दलों के विपक्षी दलों के नेता भी इस मौके पर मौजूद थे। भूटान के पूर्व प्रधानमंत्री सेरिंग टोबगे समेत कई देशों के प्रतिनिधियों पर इस मौके पर उपस्थित रहे।


श्रीमती स्वराज की पुत्री बांसुरी स्वराज पारंपरिक विधि विधान के साथ अंतिम संस्कार की क्रियाओं को संपन्न किया। इसके बाद श्रीमती स्वराज को मातमी धुन बजायी गयी और उनके सम्मान में शस्त्र उलटे किये गये। 


इससे पहले तिरंगें में लिपटा पूर्व विदेश मंत्री का पार्थिव शरीर पहले उनके आवास जंतर-मंतर रोड़ और बाद में भाजपा मुख्यालय दीन दयाल उपाध्याय मार्ग पर रखा गया था। उनके अंतिम दर्शन के लिए हजारों लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी। श्रीमती स्वराज के पार्थिव शरीर को फूल मालाओं से सजाकर एक बड़े वाहन पर रखा गया। वाहन को फूल मालाओं से सुज्जित किया गया था। उनकी शव यात्रा में भारी भीड़ थी। 


श्रीमती स्वराज को राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद, श्री नायडू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी ने उन्हें श्रद्धांजलि दी और पुष्पचक्र अर्पित किये। उनको श्रद्धांजलि देते समय श्री मोदी भावुक हो गये और श्रीमती स्वराज के निधन को निजी क्षति बताया। भाजपा अमित शाह ने श्रीमती स्वराज के पार्थिव शरीर काे भाजपा का झंडा ओढ़ाया। बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती ने भी श्रीमती स्वराज को उनके आवास पर जाकर पुष्पांजलि दी।


कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन की अध्यक्ष सोनिया गांधी, भाजपा के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी तथा विभिन्न दलों के नेताओं तथा केंद्रीय मंत्रियों ने श्रीमती स्वराज के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है। 


संयुक्त राष्ट्र महासभा की अध्यक्ष मारिया फर्नेंडा एस्पिनोसा गैरिसस, बंगलादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना, अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई, बंगलादेश के विदेश मंत्री डा. ए. के. अब्दुल मोमिन, मालदीव के विदेश मंत्री अब्दुल्ला शाहिद, कनाडा के पूर्व प्रधानमंत्री स्टीफन हार्पर, भारत में बंगलादेश के उच्चायुक्त सैयद एम. अली, फ्रांस के राजदूत एलेक्जेंडर जिएगलर ने श्रीमती स्वराज के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है। 

भूटान के प्रधानमंत्री त्शेरिंग तोब्गे और राजग के कई वरिष्ठ नेताओं समेत विपक्षी सदस्य भी उनके अंतिम संस्कार के समय मौजूद थे।

इससे पूर्व भाजपा की वरिष्ठ नेता के पार्थिव शरीर को भाजपा कार्यालय से यहां श्मशान घाट लाया गया ।उनका मंगलवार की रात में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया था। 

एक शीशे के बक्से में उनके पार्थिव शरीर को रखा गया था और हजारों लोग उनकी अंतिम झलक पाने के लिए उमड़ पड़े । उनके पार्थिव शरीर को अंतिम यात्रा पर रवाना करने से पूर्व राष्ट्रीय झंडे में लपेट कर रखा गया था।

उनके पार्थिव शरीर को ले जा रहा वाहन जैसे ही सड़क पर आगे बढ़ा लोग उनके अंतिम क्षणों को कैमरे में कैद करने लगे। 


स्वराज को श्रद्धांजलि देने वाले अन्य नेताओं में तृणमूल कांग्रेस डेरेक ओ ब्रायन, योग गुरु रामदेव, भाजपा नेता हेमा मालिनी, केरल के पूर्व मुख्यमंत्री ओमन चांडी और नोबेल पुरस्कार से सम्मानित कैलाश सत्यार्थी शामिल हैं। 


राज्यसभा में धी गई श्रद्धांजलि:


राज्यसभा में बुधवार को पूर्व विदेश मंत्री एवं उच्च सदन की पूर्व सदस्य सुषमा स्वराज के निधन पर उन्हें श्रद्धांजलि दी गयी और उनके योगदान का स्मरण किया गया। सभापति एम वेंकैया नायडू ने कहा कि सुषमा उन्हें हर साल राखी बांधने आती थीं किंतु इस बार वह रक्षाबंधन पर नहीं आ पाएंगी जिसका उन्हें अफसोस है।

बैठक शुरू होते ही सभापति नायडू ने सदन को स्वराज के निधन की जानकारी देते हुए कहा, ‘‘नियति ने उन्हें हमारे बीच से उठा लिया।’’ उन्होंने कहा कि वह तीन बार…अप्रैल 1990 से अप्रैल 1996, फिर अप्रैल 2000 से अप्रैल 2006 तथा उसके बाद अप्रैल 2006 से मई 2009 तक राज्यसभा की सदस्य रहीं। साथ ही वह चार बार लोकसभा की भी सदस्य रहीं।

उन्होंने कहा कि सुषमा स्वराज 1977 में हरियाणा विधानसभा की सदस्य चुनी गयी थीं। बाद में वह केन्द्र में विदेश मंत्री, सूचना प्रसारण मंत्री और स्वास्थ्य परिवार कल्याण मंत्री भी रहीं। चार दशक के लंबे बेदाग राजनीतिक करियर के बाद उन्होंने स्वयं को राजनीतिक जीवन से अलग कर लिया जिसकी सभी वर्गों ने सराहना की थी।

नायडू ने कहा कि विदेश मंत्री के रूप में सुषमा ने विश्व के विभिन्न हिस्सों में संकट में फंसे भारतीयों को निकालने में सराहनीय भूमिका निभायी।

उन्होंने कहा कि वह 25 वर्ष की उम्र में हरियाणा सरकार की पहली महिला कैबिनेट मंत्री बनीं। वह लोकसभा में पहली महिला नेता प्रतिपक्ष बनीं। वह पहली महिला थीं जिन्हें असाधारण सांसद का खिताब मिला। वह 1998 में दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री बनीं। वह नरेन्द्र मोदी सरकार में पहली बार देश की पूर्णकालिक महिला विदेश मंत्री बनीं। 

नायडू ने कहा कि उनका अंतिम सार्वजनिक संदेश था, ‘‘मैं अपने जीवन में इस दिन को देखने की प्रतीक्षा कर रही थी।’’ इस संदेश से देश की एकता और संविधान के प्रति उनकी दृढ़ प्रतिबद्धता के बारे में पता चलता है।

दिवंगत नेता का यह संदेश जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 की अधिकतर धाराएं समाप्त करने संबंधी संकल्प के संसद में पारित होने के संदर्भ में था।

सुषमा का जन्म अंबाला में हुआ था। वह हिन्दी एवं अंग्रेजी की असाधारण वक्ता थीं जो श्रोताओं पर गहरा प्रभाव छोड़ती थीं। 

नायडू ने कहा कि वह ‘‘मेरी छोटी बहन’’ के समान थीं और उन्हें सदैव ‘‘अन्ना’’ कहकर बुलाती थीं। वह हर रक्षाबंधन पर उन्हें राखी बांधती थीं। नायडू ने कहा कि उपराष्ट्रपति बनने के बाद उन्होंने कहा था कि ‘‘इस बार आप मेरे घर पर राखी बंधवाने नहीं आइयेगा, क्योंकि यह उपयुक्त नहीं होगा। मैं आपके घर राखी बांधने आऊंगी।’’ 

नायडू ने कहा कि वह इस वर्ष रक्षाबंधन पर उनकी कमी बहुत महसूस करेंगे।

सभापति ने कहा कि विभिन्न भूमिकाओं में उल्लेखनीय योगदान के कारण सुषमा स्वराज हमारे लिए हमेशा प्रेरणा की स्रोत रहेंगी।

इसके बाद सदस्यों ने सुषमा स्वराज के सम्मान में कुछ क्षणों का मौन रखा।

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Dr.Sushil Sharma Admin/Editor

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