नयी दिल्ली, 11 नवंबर । केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने रविवार को कहा कि राम मंदिर मुद्दे का जल्द से जल्द समाधान होना चाहिए। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि आम मुसलमान में सामाजिक एकता को नुकसान पहुंचाने वाली ‘टकराव की भावना’ नहीं होती।
बहरहाल, अयोध्या में विवादित स्थल पर राम मंदिर निर्माण के लिए कानून बनाने की कई भाजपा नेताओं की मांग के बीच नकवी ने ‘‘प्रतीक्षा करो और देखो’’ की नीति अपनाने की अपील की और कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार ने इस मुद्दे पर अब तक कुछ नहीं कहा है।
नकवी ने एक इंटरव्यू में कहा, ‘‘सरकार का जो रुख होगा, वही मेरा भी रुख होगा। सरकार ने इस मुद्दे पर अब तक कुछ नहीं कहा है।’’
उन्होंने कहा कि यह मुद्दा जल्द से जल्द सुलझाया जाना चाहिए।
यह पूछे जाने पर कि इस विवादित मुद्दे को मुस्लिम समुदाय किस तरह देखता है, इस पर अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री ने कहा, ‘‘एक आम मुसलमान अमन-चैन और दोस्ताना हल चाहता है। एक आम मुसलमान में सामाजिक एकता को नुकसान पहुंचाने वाली टकराव की भावना नहीं होती।’’
मंदिर के मुद्दे पर मुस्लिमों की तरफ से कोई प्रतिकूल बयान नहीं आने के बारे में पूछे जाने पर नकवी ने कहा, ‘‘मुस्लिम समुदाय बहुत ही शांतिप्रिय समुदाय है। वह खुद को किसी विध्वंसक एजेंडा में शामिल नहीं करना चाहता।’’
उन्होंने कहा, ‘‘कुछ लोग, कुछ राजनीतिक पार्टियां अपने हित के लिए लोगों को उकसाने की कोशिश कर सकती हैं। लिहाजा, लोगों को लगता है कि इसका शांतिपूर्ण समाधान होना चाहिए और यह (मामला) खत्म होना चाहिए।’’
नकवी ने विपक्ष के इस दावे को खारिज कर दिया कि भाजपा और इसके हिंदुत्ववादी सहयोगी अगले साल के लोकसभा चुनावों से पहले जानबूझकर राम मंदिर का मुद्दा उठा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि यह मामला लंबे समय से अदालत में लंबित है और इससे जुड़े संगठनों को लगा था कि रोजाना सुनवाई होगी और मामले का समाधान जल्द हो जाएगा। लेकिन ऐसा नहीं होने के कारण वे अपनी मांगें रख रहे हैं।
नकवी ने कहा, ‘‘लोगों की अपनी भावनाएं हैं और एक लोकतंत्र में उनकी अभिव्यक्ति पर प्रतिबंध नहीं लगा सकते। यह सिर्फ संयोग है कि चुनावों से पहले यह हुआ। वरना, यह तो पुराना मुद्दा है।’’
उन्होंने कहा कि पिछले चुनाव में भी राम मंदिर का मुद्दा भाजपा के घोषणा-पत्र में शामिल था।
नकवी ने दावा किया कि समाज का कोई तबका नहीं कह सकता कि विकास में कोई भेदभाव हुआ है। उन्होंने दावा किया कि समाज के हर वर्गों में प्रगति हुई है।
उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस की अगुवाई वाली पिछली सरकारों में करीब 5,000 दंगों की लंबी सूची है।
भीड़-हत्या (मॉब लिंचिंग) के मामलों पर उन्होंने कहा कि यह घटनाएं नहीं होनी चाहिए थीं, लेकिन…. बहरहाल, आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की गई है।
अल्पसंख्यकों को ‘‘गैर-जरूरी मुद्दों’’ में उलझाए रखकर उनका कथित राजनीतिक दोहन करने के लिए विपक्षी पार्टियों पर हमला बोलते हुए उन्होंने कहा कि कांग्रेस आरोप लगाती रही है कि देश में असहिष्णुता है और अल्पसंख्यक सुरक्षित नहीं हैं।
उन्होंने कहा कि मुस्लिम या कोई वोटर किसी पार्टी का ‘‘बंधुआ मजदूर’’ नहीं है और उन्होंने सरकार के गुण-दोषों के आधार पर सोचना शुरू कर दिया है।
नकवी ने उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार द्वारा कुछ जगहों के नाम बदले जाने का भी समर्थन किया और कहा कि आजादी के बाद से ऐतिहासिक एवं धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण शहरों के नाम बदलने की बात होती रही है।
उन्होंने कहा, ‘‘लोगों की संवेदनाएं देखते हुए नामों को बदले जाने में कुछ गलत नहीं है। जब मायावती मुख्यमंत्री थीं तो उन्होंने कई जिलों के नाम बदले थे। दूसरी सरकारें भी ऐसा करती रहती हैं।’’
उत्तर प्रदेश के रहने वाले नकवी यह भी कहा कि मोदी सरकार को सत्ता से बेदखल करने के लिए विपक्षी पार्टियों की ओर से बनाया जा रहा ‘महागठबंधन’ नाकाम हो जाएगा, क्योंकि आम चुनावों में ‘‘दो और दो चार नहीं होते।’’
उन्होंने कहा, ‘‘यह इतना आसान नहीं है कि इन पार्टियों के वोट प्रतिशत जुड़ जाएं। मतदाता स्थानांतरित किए जाने जैसी चीज नहीं है। महागठबंधन के पास न कोई नीति है और न कोई एजेंडा है। यह ‘मोदी हटाओ, हमें कुर्सी पे लाओ’ का न्यूनतम साझा कार्यक्रम भर है।’’
नकवी ने कहा कि भाजपा मोदी के सुशासन, प्रदर्शन और समावेशी विकास के आधार पर अगले साल के लोकसभा चुनावों में 2014 के चुनावों के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन करेगी।
विपक्षी गठबंधन पर निशाना साधते हुए नकवी ने कहा कि यह ‘‘दर्जनों दूल्हों के साथ आई बैंड, बाजा और बारात’’ है।
उन्होंने कहा, ‘‘हमें पता ही नहीं कि इसकी अगुवाई कौन कर रहा है। इसमें हर कोई पीएम पद का उम्मीदवार है।’
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