दरभंगा 05 जुलाई ।बिहार की दरभंगा जिला पुलिस ने लॉकडाउन में अपने बीमार पिता को साइकिल से हरियाणा के गुरुग्राम से जिले के कमतौल थाना क्षेत्र स्थित अपने घर लाकर सुर्खियां बटोर चुकी ज्योति की हत्या की खबर को भ्रामक बताते हुए अफवाह फैलाने वालों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर रही है।
सिरहुल्ली गांव निवासी ज्योति ने अपने बीमार पिता मोहन पासवान को गुरुग्राम से लगभग 1200 किलोमीटर की दूरी साइकिल से तय कर दरभंगा स्थित अपने घर पहुंची थी। ‘साइकिल गर्ल’ ज्योति के साथ दुष्कर्म और हत्या की खबर पिछले 24 घंटे से सोशल मीडिया के लगभग सभी प्लेटफाॅर्म पर वायरल हो रही है।
दरभंगा के वरीय पुलिस अधीक्षक बाबूराम ने रविवार को सोशल साइट पर आ रही इस खबर को पूरी तरह से बेबुनियाद और असत्य बताया। उन्होंने मामले को स्पष्ट करते हुए कहा कि जिले के पतोर सहायक थाना क्षेत्र के पतोर गांव में पिछले बुधवार को बागीचे से एक लड़की का शव बरामद किया गया था, जिसकी पहचान ज्योति पासवान के रूप में की गई। कुछ लोगों ने मृत ज्योति पासवान को साइकिल गर्ल ज्योति मानकर अफवाह फैला दी।
श्री बाबूराम ने कहा कि उन्होंने गलत खबर पोस्ट करने वाले को चिन्हित कर उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया है। इसके अलावा उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया पर झूठी खबर प्रसारित कर जातीय तनाव भड़काने वाले के विरुद्ध भी प्राथमिकी दर्ज कर कार्रवाई की जाएगी। पुलिस ने ऐसे कुछ पोस्ट को चिन्हित भी कर लिया है।
फैक्ट चेक : दरभंगा में मरी लड़की का न रेप हुआ, न रेता गया गला और न ही वो है साइकिल वाली ज्योति
सोशल मीडिया के बहादुर सच से कितने दूर रहते हैं, उसका यह सबसे ताजा उदाहरण है। फैक्ट चेक में एक-एक सच सामने आ गया है कि ज्योति कुमारी कौन है और उसकी मौत कैसे हुई है…
दरभंगा के हायाघाट के पतोर गांव में आम चुनने गई किशोरी की मौत के कारणों का खुलासा हो गया है। किशोरी की मौत करंट लगने के कारण दम घुटने से हुई है। किशोरी की पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी आ गई है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में भी यही बात सामने आई है। जैसा कि आरोप लगाया जा रहा था, न तो हत्या और न ही रेप की पुष्टि हुई है।
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सोशल मीडिया पर इस घटना के बारे में लगातार कहा जा रहा है कि पीड़िता वही ज्योति कुमारी है, जो अपने बीमार पिता को दिल्ली से दरभंगा साइकिल पर बैठाकर ले गयी थी। यह भी दावा किया जा रहा था कि ज्योति कुमारी का नृशंस तरीके से रेप कर हत्या की गयी है। इतना ही नहीं सोशल मीडिया पर लगातार #ज्योति_पासवान_1 #Justice_for_jyoti ट्रेंड करवाया जा रहा था, वो भी बिना तथ्यों को परखे और जाने।
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सोशल मीडिया पर बड़े पैमाने पर यह बात फैलायी गयी, ‘यही वो नाम है जो आज से करीब दो महीने पहले अमेरिका की प्रिंसेज के ट्विटर हैंडल पर चमका था। यहां-वहां जहां-तहां दरभंगा का जिक्र होते ही ज्योति पासवान का नाम पहले आ जाता था, हर बिहारी के ट्विटर, फेसबुक हैंडल पर बस ज्योति और उसके पिता की वो साइकिल वाली तस्वीरें लग गई थी, इक पूरा मीडिया शेल उसके पीछे लगी, सांसद, विधायकों का तो मानो पूरा मजमा लगे गया था उस बच्ची के पीछे ,हर कोई उसे अपने पार्टी के झंडे के नीचे लाना चाहते थे, और उसका कारनामा भी क्या गज़ब था, सरकार की सब से बड़ी विफलता में उसने अपनी जीवन बड़ी सफलता हासिल कर ली थी। स्पोर्ट्स साइकिल से लेकर राजनतिक पार्टियों के चेक तक उसके आगे पीछे घूमता रहा…. वक़्त का पहिया थोड़ा आगे फिसला! इस बीच वर्चुअल रैलियां, चौपर यात्रा, और साइकिल रैलियां हुई!! और आज 3 महीने बाद फिर से दरभंगा चर्चा में नाम भी वही #ज्योतिपासवान_2.आज किसी #अर्जुनमिश्रा के हवस शिकार हुई 15 बरस की #ज्योति_पासवान… और क्यों?? क्योंकि ज्योति उस अर्जुन मिश्रा के बगीचे में आम चुनने के लिए गई थी और ये बात एक सामंतवादी दिमाग़ को इतना ठेस पहुंचा गया कि उस अर्जुन मिश्रा ने अपने पत्नी के सामने ही पहले उस 15 बरस की बच्ची के साथ दुराचार किया और फिर हसिए से गले को रेत दिया!’
इस घटना ने काफी तूल पकड़ लिया था और कई राजनीतिक दल रोटी सेंकने की कोशिश में जुट गए थे। स्थानीय स्तर पर भी गंवई राजनीतिबाज इसे इश्यू बनाकर दो वर्गों को आमने-सामने करने की कोशिश कर रहे थे। सोशल मीडिया के वीर अलग मोर्चा खोले हुए थे। देश-राज्य के बड़े सामाजिक और मानवाधिकार कार्यकर्ता भी सोशल मीडिया पर घमासान मचाए हुए थे।
घटना का खुलासा हो जाने के बाद ऐसे लोगों पर सवाल उठना लाजमी है कि पूरे तथ्यों को जाने बिना इसे मुद्दा बनाकर कूद पड़े। ऐसे लोगों ने न तो पोस्टमार्टम रिपोर्ट किया और न ही पुलिस जांच पूरा होने का। अपना फेस चमकाने का एक मौका नजर आया और बिना जाने-बूझे कूद पड़े।
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मिली जानकारी के अनुसार शुक्रवार 3 जुलाई की रात मृतका की पोस्टमार्टम रिपोर्ट पुलिस को सौंपी गई है। दरभंगा मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में डॉक्टरों द्वारा मृतका का पोस्टमार्टम किया गया था। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में किशोरी की मौत का कारण करंट लगने के बाद दम घुटना बताया जा रहा है। पोस्टमार्टम में न तो किशोरी के साथ दुष्कर्म का कोई साक्ष्य पाया गया है, न ही उसकी हत्या का।
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पुलिस का कहना है कि बच्ची का शव बिजली के तार से थोड़ी सी दूरी पर पाया गया था। प्रथमदृष्टया ही यह कहा जा सकता है कि किशोरी के शव को वहां से दूर करने की नीयत से ऐसा किया गया होगा। पुलिस मामले की जांच कर रही है। पुलिस की ओर से यह भी बताया गया है कि आरोपित पूर्व सैनिक अर्जुन मिश्र और पत्नी को गिरफ्तार किया जा चुका है।
30 जून को हुई इस घटना के बाद लोगों द्वारा हंगामा भी किया गया था। आरोप है कि कुछ गंवई नेता टाइप लोगों ने हत्या और दुष्कर्म का अफवाह उड़ाकर पहले परिजनों और फिर गांव वालों को भी उकसाया, जिसके बाद गांव वालों ने उग्र होकर थाने का घेराव कर दिया था। एसएसपी बाबूराम भी थाने पर पहुंचे थे और समझा-बुझाकर किसी तरह मामले को शांत कराया था। इससे पहले इन्हीं लोगों के उकसावे पर परिजनों ने आरोपित व सेना के पूर्व नायब सूबेदार अर्जुन मिश्र के घर भी जमकर तोड़-फोड़ कर दी थी। लाखों के समान क्षतिग्रस्त कर दिए गए थे और उसकी पत्नी पूनम देवी की बुरी तरह से पिटाई कर दी गई थी।
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1 जुलाई को दरभंगा के एपीएम थाने में इसे लेकर 4 अलग-अलग एफआईआर दर्ज कराई गई थी। पहली एफआईआर मृतका के पिता ने पूर्व सैनिक अर्जुन मिश्र, उसकी पत्नी पूनम देवी और हरिशंकर मिश्र के विरुद्ध दर्ज कराई थी। प्राथमिकी में आरोप लगाया गया था कि तीनों ने गला दबाकर उसकी पुत्री की हत्या कर दी है और अर्जुन मिश्र ने दुष्कर्म भी किया है। अनुसूचित जाति उत्पीड़न का मामला भी दर्ज कराया गया था। इसी मामले में दूसरी प्राथमिकी पतोर ओपी अध्यक्ष सुभाष चंद्र मंडल ने दर्ज कराई थी, जिसमें अर्जुन मिश्र के घर से विदेशी शराब बरामद होने की बात कही गई थी।
तीसरी प्राथमिकी भी ओपी अध्यक्ष ने ही दर्ज कराई थी। इसमें उन्होंने 17 नामजदों और लगभग 150 अन्य के खिलाफ सरकारी कार्य मे बाधा का मामला है। चौथी एफआईआर पूनम देवी ने अपने घर मे तोड़-फोड़ व नकदी-जेवरात के लूट की दर्ज कराई थी। इसमें भी 17 लोगों को नामजद और लगभग 150 अन्य लोगों को आरोपित किया गया था।
बुधवार, 30 जून को दरभंगा जिले के एपीएम थाना क्षेत्र के पतोर गांव में एक 13 वर्षीय किशोरी के शव बरामद किया गया था। यह शव आरोपित पूर्व सैनिक अर्जुन मिश्र के घर के कंपाउंड के पीछे मिला था। जानकारी के अनुसार अर्जुन मिश्र के घर में आम के बहुत सारे पेड़ हैं, वह सब्जियां भी उगाता है, जिसे चोरी से तोड़ लिया जाता था। इसे लेकर उसने कंपाउंड के चारों तरफ बिजली के तार लगा दिए थे।
पीड़ित परिवार दलित वर्ग से है, लिहाज घटना के बाद यह गांव अचानक सुर्खियों में आ गया था। मामला सामने आने के बाद से ही गांव में छोटे-बड़े नेता पहुंचने लगे। 2 जून को जन अधिकार पार्टी के सुप्रीमो पूर्व सांसद पप्पू यादव पहुंचे। उन्होंने हालांकि दुष्कर्म के बारे में तो कुछ नहीं कहा, पर हत्या का आरोप जरूर लगाया। 20 हजार की नकद सहायता भी दी।
लोजपा के राष्टीय अध्यक्ष संसद चिराग पासवान और प्रदेश अध्यक्ष प्रिंस राज ने भी मृतका के पिता से बात की। पार्टी के प्रदेश प्रधान महासचिव शाहनवाज अहमद कैफ़ी पहुंचे और 51 हजार की नकद सहायता दी।
2 जून को ऐपवा की टीम लेकर शनिचरी देवी, साधना शर्मा एवं जेएनयू की छात्र नेता अलका सिंह भी पहुंच गईं। इन लोगों ने घटनास्थल का जायजा लिया और मृतका के परिजनों पर हुए मुकदमे को वापस लेने और आरोपित की गिरफ्तारी की मांग की। इन्होंने थानाध्यक्ष को मुअत्तल करने की भी मांग कर दी।
ज्योति की सच्चाई बताने वाली एक पोस्ट श्रवण कुमार पासवान ने शेयर की है, जिसमें उन्होंने बताया है कि साईकिल गर्ल ज्योति नहीं दूसरी ज्योति की हत्या हुई, हालांकि ये भी यही कहते हैं कि ज्योति की बलात्कार के बाद हत्या हुई है। श्रवण ने लिखा है, ‘नीतीश कुमार को इन घटनाओं पर शर्म नहीं आती और दलित नेता हिजड़े हो गए। दरभंगा में 15 साल की ज्योति पासवान की बलात्कार के हत्या बाद से लोग कभी आक्रोशित हैं और पूछ रहे हैं कौन वहीं ज्योति तो नहीं जो अदम्य साहस परिचय दे अपने पिता को साईकिल से दरभंगा लाइ थी। जिस 15 साल की ज्योति पासवान की हत्या हुई वो पेड़ से गिरी आम चुन रही थी, इतने में हत्यारा अरुण मिश्रा आया वो अपने पत्नी के सामने बलात्कार किया और ईंट पथर से मार कर उसकी हत्या कर दिया!’
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