Home / National / भारत व्यापार बंद का मध्यप्रदेश में रहा मिलाजुला असर,कैट के बंद को लेकर व्यापारिक संगठनों में मतभेद उभरे और बार-बार के बंद से व्यापारियों का विरोध शुरू attacknews.in
भारत बंद

भारत व्यापार बंद का मध्यप्रदेश में रहा मिलाजुला असर,कैट के बंद को लेकर व्यापारिक संगठनों में मतभेद उभरे और बार-बार के बंद से व्यापारियों का विरोध शुरू attacknews.in

भोपाल(मध्यप्रदेश)/नईदिल्ली , 26 फरवरी । वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के जटिल प्रावधानों के विरोध में कॉन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के आज भारत व्यापार बंद का आह्वान का राजधानी भोपाल सहित प्रदेश भर में मिलाजुला असर देखा गया।

कैट के प्रदेश उपाध्यक्ष सुनील जैन ने बताया कि जीएसटी के जटिल प्रावधानों को लेकर आज भारत व्यापार बंद का एक दिवसीय आह्वान किया गया था। इसके समर्थन में व्यापारियों ने अपनी स्वेच्छा में बंद रखा। भोपाल के पुराने शहर जुमेराती, हनुमानगंज, रायल मार्केट सहित शहर के अन्य प्रमुख बाजार सुबह से बंद रहे। हालांकि दोपहर बाद कुछ दुकानें खुल गयी। उन्होंने बताया कि बंद पूरे दिन का रहा, जो सफल रहा।

कैट के बंद को लेकर व्यापारिक संगठनों में मतभेद

नयी दिल्ली, की रिपोर्ट के अनुसार, खुदरा कारोबारियों के संगठन कंफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल ने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में दोपहर दो बजे के बाद बाजार बंद रहेंगे।

उन्होंने अन्य राज्यों में बंद को मिली प्रतिक्रिया साझा करते हुए कहा कि महाराष्ट्र, गुजरात और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में सभी प्रमुख बाजार बंद रहेंगे, जबकि दक्षिण भारत में इसका 70-80 प्रतिशत प्रभाव और पूर्वोत्तर राज्यों 80 प्रतिशत से अधिक प्रभाव रहने की उम्मीद है।

कैट ने माल एवं सेवा कर (जीएसटी) तथा ई-वाणिज्य से संबंधित मुद्दों को लेकर भारत बंद का आह्वान किया था ।

खंडेलवाल ने कहा कि कैट एक मार्च से जीएसटी संबंधित मुद्दों को लेकर विभिन्न राज्यों में मुख्यमंत्रियों को लक्ष्य कर एक आक्रामक अभियान शुरू करेगा।

हालांकि कैट के आह्वान को कई स्थानों पर व्यापारियों का समर्थन नहीं मिला । इंदौर में स्थानीय व्यापारी संगठनों के एक महासंघ ने कैट के आह्वान को समर्थन देने से यह कहते हुए इनकार कर दिया कि कोविड-19 की पिछले एक साल से जारी मार के चलते पहले ही बड़ा घाटा झेल चुके कारोबारी अब अपने प्रतिष्ठान बंद रखना नहीं चाहते।

कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के जिलाध्यक्ष मोहम्मद पीठावाला ने कहा, ‘‘मध्यप्रदेश के अन्य शहरों में हमारे बंद का असर देखा गया। लेकिन इंदौर में राजनीतिक कारणों या अन्य किसी दबाव के चलते व्यापारी संगठनों ने बंद को समर्थन नहीं दिया।’’

इस बीच, कारोबारी संगठनों के महासंघ अहिल्या चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष रमेश खंडेलवाल ने कहा, ‘‘हम जीएसटी प्रणाली की विसंगतियों को लेकर सरकार के सामने अपना विरोध लम्बे समय से दर्ज करा रहे हैं, लेकिन हम इस मुद्दे पर फिलहाल किसी भी बंद का समर्थन नहीं करते। व्यापारी पिछले एक साल से कोविड-19 की तगड़ी मार झेल रहे रहे हैं। वे अब किसी भी बंद में शामिल होकर अपना और नुकसान नहीं कराना चाहते।’’

फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया व्यापार मंडल के राष्ट्रीय महासचिव वीके बंसल ने कहा कि सूरत में बाजार बंद रहेंगे, लेकिन देश भर के हिसाब से देखें तो बंद का बाजार पर 10 प्रतिशत असर होगा।

भारतीय उद्योग व्यापार मंडल के दिल्ली के महासचिव राकेश यादव ने कहा कि उन्होंने बंद का समर्थन नहीं किया है और दिल्ली में बाजार के खुले रहने की उम्मीद है।

जम्मू ट्रेडर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष नीरज आनंद ने कहा कि स्थानीय बाजार खुले रहेंगे, लेकिन व्यापारी प्रदर्शन करेंगे।

उत्तर प्रदेश ट्रेडर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष संजय पटवारी ने कहा कि राज्य में बंद का 50-60 प्रतिशत असर होगा।

मप्र की वाणिज्यिक राजधानी इंदौर में कैट का बंद नाकाम, रोज की तरह खुले बाजार

वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) प्रणाली के प्रावधानों की समीक्षा की मांग को लेकर खुदरा व्यापारियों के संगठन कैट के शुक्रवार को आहूत “भारत बंद” का मध्यप्रदेश की वाणिज्यिक राजधानी कहे जाने वाले इंदौर में कुछ भी असर नजर नहीं आया और सभी प्रमुख बाजार रोज की तरह खुले रहे।

स्थानीय व्यापारी संगठनों के एक महासंघ ने कैट के आह्वान को समर्थन देने से यह कहते हुए इनकार कर दिया कि कोविड-19 की पिछले एक साल से जारी मार के चलते पहले ही बड़ा घाटा झेल चुके कारोबारी अब अपने प्रतिष्ठान बंद रखना नहीं चाहते।

कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के जिलाध्यक्ष मोहम्मद पीठावाला ने कहा, “मध्यप्रदेश के अन्य शहरों में हमारे बंद का असर देखा गया। लेकिन इंदौर में राजनीतिक कारणों या अन्य किसी दबाव के चलते व्यापारी संगठनों ने बंद को समर्थन नहीं दिया।”

इस बीच, कारोबारी संगठनों के महासंघ अहिल्या चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष रमेश खंडेलवाल ने कहा, “हम जीएसटी प्रणाली की विसंगतियों को लेकर सरकार के सामने अपना विरोध लम्बे समय से दर्ज करा रहे हैं। लेकिन हम इस मुद्दे पर फिलहाल किसी भी बंद का समर्थन नहीं करते।” खंडेलवाल ने कहा, “व्यापारी पिछले एक साल से कोविड-19 की तगड़ी मार झेल रहे रहे हैं। वे अब किसी भी बंद में शामिल होकर अपना और नुकसान नहीं कराना चाहते।”

About Administrator Attack News

Dr.Sushil Sharma Admin/Editor

Check Also

भोपाल में RSS के सरकार्यवाह श्री दत्तात्रेय होसबाले ने भारत को परम वैभव पर पहुंचाने के लिए बताएं संघ के दो मुख्य काम और कहा:विश्वगुरु भारत अर्थात अपनी खुशहाली के साथ विश्व का कल्याण attacknews.in

भोपाल में RSS के सरकार्यवाह श्री दत्तात्रेय होसबाले ने भारत को परम वैभव पर पहुंचाने के लिए बताएं संघ के दो मुख्य काम और कहा:विश्वगुरु भारत अर्थात अपनी खुशहाली के साथ विश्व का कल्याण

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश की बागडोर युवाओं को संभालने के लिए तैयार रहने को कहा attacknews.in

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश की बागडोर युवाओं को संभालने के लिए तैयार रहने को कहा

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना को और चार महीने मार्च 2022 तक विस्तार देने को मंजूरी दी,सभी लाभार्थियों को प्रति व्यक्ति, प्रति माह 5 किलो अनाज निःशुल्क attacknews.in

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना को और चार महीने मार्च 2022 तक विस्तार देने को मंजूरी दी,सभी लाभार्थियों को प्रति व्यक्ति, प्रति माह 5 किलो अनाज निःशुल्क

CBSE की परीक्षा में पंजाबी भाषा के बारे में झूठ बोलकर फंसे चरणजीत सिंह चन्नी,अधिकारी ने स्पष्ट किया;क्षेत्रीय भाषाओं को 10वीं, 12वीं कक्षा की टर्म-1 परीक्षा में लघु विषय श्रेणी में रखा गया attacknews.in

CBSE की परीक्षा में पंजाबी भाषा के बारे में झूठ बोलकर फंसे चरणजीत सिंह चन्नी,अधिकारी ने स्पष्ट किया;क्षेत्रीय भाषाओं को 10वीं, 12वीं कक्षा की टर्म-1 परीक्षा में लघु विषय श्रेणी में रखा गया

PM नरेन्द्र मोदी ने बताया: एमएसपी पर किसानों से अब तक की सबसे बड़ी खरीद,धान किसानों के खातों में ₹ 1,70,000 करोड़ और गेहूं किसानों को ₹ 85,000 करोड़ सीधे भेजे गए attacknews.in

PM नरेन्द्र मोदी ने बताया:एमएसपीपर किसानों से अब तक की सबसे बड़ी खरीद,धान किसानों के खातों में ₹ 1,70,000 करोड़ और गेहूं किसानों को ₹ 85,000 करोड़ सीधे भेजे गए