नीमच 13 मई। हिन्दी कवि और लेखक बालकवि बैरागी ने हिंदी साहित्य मैं अपने नाम के साथ नीमच जिले को अमर कर दिया।
श्री बैरागी अंतरराष्ट्रीय कवि के रूप में नीमच का कई बार प्रतिनिधित्व कर चुके थे। उनका सरल ह्रदय एवं हंसमुख मस्त मौला व्यवहार आम लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता था।
मालवा की माटी के एसे लाल बालकवि बैरागी दादा अब नहीं रहे ।
आज वह नीमच में कांग्रेस नेता बाबू सलीम के यहां एक कार्यक्रम में शामिल हुए थे। 3:30 बजे वापस मनासा पहुंचे कुछ समय आराम करने के लिए अपने कमरे में गए। 5:00 बजे जब उन्हें चाय के लिए उठाने लगे तो बैरागी दादा नहीं रहे ।
वे 87 वर्ष के थे। और अपने पीछे भरा पूरा परिवार छोड़ गए। जैसे ही बैरागी दादा के देहांत की खबर अंचल में फैली पूरे अंचल में शोक की लहर दौड़ गई कई बड़ी राजनीतिक हस्तियां मनासा स्थित बैरागी दादा के निवास पर एकत्रित होने लगे।
जीवन वृत्त:
हिन्दी कवि और लेखक बालकवि बैरागी (Balkavi Bairagi) का जन्म जन्म १० फरवरी १९३१ को मंदसौर जिले की मनासा तहसील के रामपुर गाँव में हुआ था।
बैरागी जी ने विक्रम विश्वविद्यालय से हिंदी में एम्.ए. किया था। इनकी मृत्यु 13 मई2018 को इनके गृह नगर मनासा में हुई ।
प्रमुख कवितायेँ –
सूर्य उवाच
आज मैंने सूर्य से बस ज़रा सा यूँ कहा
‘‘आपके साम्राज्य में इतना अँधेरा क्यूँ रहा ?’’
तमतमा कर वह दहाड़ा—‘‘मैं अकेला क्या करूँ ?
तुम निकम्मों के लिए मैं ही भला कब तक मरूँ ?
आकाश की आराधना के चक्करों में मत पड़ो
संग्राम यह घनघोर है, कुछ मैं लड़ूँ कुछ तुम लड़ो।’’
हैं करोड़ों सूर्य:
हैं करोड़ों सूर्य लेकिन सूर्य हैं बस नाम के
जो न दें हमको उजाला वे भला किस काम के ?
जो रात भर लड़ता रहे उस दीप को दीजे दुआ
सूर्य से वह श्रेष्ठ है तुच्छ है तो क्या हुआ ?
वक्त आने पर मिला ले हाथ जो अँधियारे से
सम्बन्ध उनका कुछ नहीं है सूर्य के परिवार से।।
दीपनिष्ठा को जगाओ :
यह घड़ी बिल्कुल नहीं है शांति और संतोष की
‘सूर्यनिष्ठा’ सम्पदा होगी गगन के कोष की
यह धरा का मामला है घोर काली रात है
कौन जिम्मेदार है यह सभी को ज्ञात है
रोशनी की खोज में किस सूर्य के घर जाओगे
‘दीपनिष्ठा’ को जगाओ अन्यथा मर जाओगे।
प्रतिनिधि रचनाएँ :
दीवट(दीप पात्र) पर दीप / बालकवि बैरागी
झर गये पात / बालकवि बैरागी
गन्ने मेरे भाई!! / बालकवि बैरागी
जो कुटिलता से जियेंगे / बालकवि बैरागी
अपनी गंध नहीं बेचूंगा / बालकवि बैरागी
मेरे देश के लाल / बालकवि बैरागी
नौजवान आओ रे ! / बालकवि बैरागी
सारा देश हमारा / बालकवि बैरागी
बाल कविताएँ ;
शिशुओं के लिए पाँच कविताएँ / बालकवि बैरागी
विश्वास / बालकवि बैरागी
चाँद में धब्बा / बालकवि बैरागी
चाय बनाओ / बालकवि बैरागी
आकाश / बालकवि बैरागी
खुद सागर बन जाओ / बालकवि बैरागी
फिल्मों के लिए लिखे गाने :
मुझको भी राधा बना ले नंदलाल / बालकवि बैरागी
तू चंदा मैं चांदनी, तू तरुवर मैं शाख रे / बालकवि बैरागीattacknews.in