अयोध्या, 02 अगस्त । करीब पांच सदियाें के लंबे इंतजार के बाद मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम की जन्मस्थली में भव्य राम मंदिर का करोड़ों रामभक्तों का सपना पांच अगस्त को मूर्त रूप ले लेगा और इसके साथ ही धार्मिक पर्यटन के महत्वपूर्ण केन्द्र बनकर उभरे अयोध्या में विकास की एक नयी गाथा का अध्याय शुरू होगा।
रामजन्मस्थली पर राम मंदिर निर्माण की तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं। पांच अगस्त को अभिजीत मुहूर्त में मध्यान्ह बाद 1230 बजे से 1240 बजे के बीच प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी रामलला के मंदिर का भूमि पूजन करेंगे। अयोध्या में लम्बे समय से रामलला के मंदिर के लिये चले आ रहे संघर्ष की यात्रा अब समाप्त होती नजर आ रही है। यहां से राम मंदिर निर्माण के रूप में एक नई शुरुआत होगी, जिसमें आस्था ही नहीं बल्कि विकास और प्रगति की एक नई राह खुलने की कई योजना आयेंगी।
29 दिसम्बर 1949 को यह सम्पत्ति कुर्क कर ली गयी और वहां रिसीवर बैठा दिया गया। 1950 को इस जमीन के लिये अदालती लड़ाई का एक नया दौर शुरू होता है। इस मुकदमे में जमीन के सभी दावेदार 1950 के हैं। 16 जनवरी 1950 को गोपाल दास विशारद अदालत गये और कहा कि मूर्तियां वहां से न हटें और पूजा बेरोकटोक हो।
अदालत ने कहा कि मूर्तियां नहीं हटेंगी लेकिन ताला बंद रहेगा और पूजा सिर्फ पुजारी करेगा, जनता बाहर से दर्शन करेगी। 1949 को सुन्नी मेमोरियल अदालत में गया और वहां अपना दावा पेश किया। 1961 में सुन्नी सेंट्रल बोर्ड मस्जिद का दावा पेश करते हुए अदालत पहुंच गया। एक फरवरी 1986 को फैजाबाद के जिला जज ने जन्मभूमि का ताला खुलवाके पूजा की इजाजत दे दी और 1986 में कोर्ट के इस फैसले के बाद बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी बनाने का फैसला हुआ।
नौ साल बाद 2001 में बाबरी मस्जिद की बरसी पर तनाव बढ़ गया और विश्व हिन्दू परिषद ने विवादित स्थल पर मंदिर निर्माण करने का अपना संकल्प दोहराया। जनवरी 2002 में अयोध्या विवाद सुलझाने के लिये तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने अयोध्या समिति का गठन किया जिसमें वरिष्ठ अधिकारी शत्रुघ्न सिंह को हिन्दू व मुसलमान नेताओं से बातचीत के लिये नियुक्त किया गया।
भाजपा ने उत्तर प्रदेश विधानसभा के लिये अपने घोषणा पत्र में राम मंदिर निर्माण के मुद्दे को शामिल करने से इंकार कर दिया। विश्व हिन्दू परिषद ने 15 मार्च से राम मंदिर निर्माण कार्य शुरू करने की घोषणा कर दी। 2003 में हाईकोर्ट ने झगड़े वाली जगह पर खुदाई करवाई ताकि पता चल सके कि क्या वहां पर कोई राम मंदिर था। जून महीने तक खुदाई चलने के बाद आई रिपोर्ट में कहा गया कि उसमें मंदिर से मिलते-जुलते अवशेष मिले हैं। मई 2003 में सीबीआई ने 1992 में अयोध्या में बाबरी मस्जिद गिराये जाने के मामले में लालकृष्ण आडवाणी सहित आठ लोगों के खिलाफ पूरक आरोप पत्र दाखिल किये। अप्रैल 2004 में आडवाणी ने अयोध्या में अस्थायी राम मंदिर में पूजा की और कहा कि मंदिर निर्माण जरूर किया जायेगा।
19 मार्च 2007 को कांग्रेस के राहुल गांधी ने चुनावी दौरे के बीच कहा कि अगर नेहरू, गांधी परिवार का कोई सदस्य प्रधानमंत्री होता तो बाबरी मस्जिद ना गिरी होती। इस बयान से देश में तीखी प्रतिक्रियायें भी हुई थी। 30 जून 2009 में बाबरी मस्जिद ढहाये जाने के मामले की जांच के लिये गठित लिब्राहन आयोग ने 17 वर्षों के बाद अपनी रिपोर्ट प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को सौंपी। २४ नवम्बर २००९ में लिब्राहन आयोग की रिपोर्ट संसद के दोनों सदनों में पेश किया गया। आयोग ने अटल बिहारी वाजपेयी और मीडिया को दोषी ठहराया और नरसिम्हा राव को क्लीन चिट दे दी।
30 दिसम्बर 2010 में इलाहाबाद की लखनऊ खंडपीठ ने आदेश पारित कर अयोध्या में विवादित जमीन को रामलला विराजमान, निर्मोही अखाड़ा और सुन्नी वक्फ बोर्ड में बराबर बांटने का फैसला किया जिसे सबने सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज किया। 26 जुलाई 2010 को रामजन्मभूमि/बाबरी मस्जिद विवाद पर सुनाई पूरी हुई। इसी साल आठ सितम्बर को हाईकोर्ट की तीन जजों की बेंच ने फैसला सुनाया जिसमें मंदिर के लिए हिंदुओं को जमीन देने के साथ ही विवादित स्थल का एक तिहाई हिस्सा मुसलमानों को मस्जिद बनाये जाने के लिये दिये जाने की बात कही गयी। मगर यह निर्णय दोनों को स्वीकार नहीं हुआ।