व्हाट्सऐप के आम उपयोगकर्ताओं को।भारत के नए नियमों से डरने की कोई जरूरत नहीं,इनका मूल उद्देश्य यह पता लगाना है कि।किसी संदेश को किसने शुरू किया attacknews.in

 

नयी दिल्ली, 27 मई । सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने गुरुवार को कहा कि व्हाट्सऐप उपयोगकर्ताओं को नए सोशल मीडिया नियमों से डरने की कोई जरूरत नहीं है और ये नियम इन मंचों के दुरुपयोग को रोकने के लिए तैयार किए गए हैं

उन्होंने आगे कहा कि नए नियमों के तहत उपयोगकर्ताओं के पास शिकायत निवारण के लिए एक मजबूत तंत्र होगा।

प्रसाद ने कहा कि सरकार सवाल पूछने के अधिकार सहित आलोचनाओं का स्वागत करती है।

प्रसाद ने माइक्रो-ब्लॉगिंग मंच कू पर पोस्ट किया, और साथ ही ट्वीट भी किया, ‘‘नए नियम किसी दुर्व्यवहार और दुरुपयोग की स्थिति में सोशल मीडिया के सामान्य उपयोगकर्ताओं सशक्त बनाते हैं।’’

उन्होंने कहा कि सरकार निजता के अधिकार को पूरी तरह से मानती है और उसका सम्मान करती है।

प्रसाद ने कहा, ‘‘व्हाट्सऐप के आम उपयोगकर्ताओं को नए नियमों से डरने की कोई जरूरत नहीं है। इनका मूल मकसद यह पता लगाना है कि नियमों में उल्लिखित विशिष्ट अपराधों को अंजाम देने वाले संदेश को किसने शुरू किया।’’

उन्होंने कहा कि नए आईटी नियमों के तहत सोशल मीडिया कंपनियों को एक भारत केंद्रित शिकायत निवारण अधिकारी, अनुपालन अधिकारी और नोडल अधिकारी की नियुक्ति करनी होगी, ताकि सोशल मीडिया के लाखों उपयोगकर्ताओं को उनकी शिकायत के निवारण के लिए एक मंच मिल सके।

सरकार ने नए डिजिटल नियमों का पूरी निष्ठा के साथ बचाव करते हुए बुधवार को कहा कि वह निजता के अधिकार का सम्मान करती है और व्हॉट्सऐप जैसे संदेश मंचों को नए आईटी नियमों के तहत चिन्हित संदेशों के मूल स्रोत की जानकारी देने को कहना निजता का उल्लंघन नहीं है। इसके साथ ही सरकार ने सोशल मीडिया कंपनियों से नये नियमों को लेकर अनुपालन रिपोर्ट मांगी है।

व्हॉट्सऐप ने सरकार के नए डिजिटल नियमों को दिल्ली उच्च न्यायालय में चुनौती दी है जिसके एक दिन बार सरकार की यह प्रतिक्रिया आई है। व्हॉट्सऐप का कहना है कि कूट संदेशों तक पहुंच उपलब्ध कराने से निजता का बचाव कवर टूट जायेगा।

नए नियमों की घोषणा 25 फरवरी को की गयी थी। इस नए नियम के तहत ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम और व्हाट्सऐप जैसे बड़े सोशल मीडिया मंचों (जिनके देश में 50 लाख से अधिक उपयोगकर्ता हैं) को अतिरिक्त उपाय करने की जरूरत होगी। इसमें मुख्य अनुपालन अधिकारी, नोडल अधिकारी और भारत स्थित शिकायत अधिकारी की नियुक्ति आदि शामिल हैं।

नियमों का पालन न करने पर इन सोशल मीडिया कंपनियों को अपने इंटरमीडिएरी दर्जे को खोना पड़ सकता है। यह स्थिति उन्हें किसी भी तीसरे पक्ष की जानकारी और उनके द्वारा ‘होस्ट’ किए गए डाटा के लिए देनदारियों से छूट और सुरक्षा प्रदान करती है। दूसरे शब्दों में इसका दर्जा समाप्त होने के बाद शिकायत होने पर उन पर कार्रवाई की जा सकती है।

गृह मंत्रालय ने राज्यों में कोरोना महामारी से निपटने के दिशा निर्देशों में कोई ढील नहीं देते हुए आगामी 30 जून तक सख्ती से लागू करने को कहा attacknews.in

नयी दिल्ली 27 मई ।केन्द्र सरकार ने राज्यों से कहा है कि वे कोरोना महामारी से निपटने में किसी तरह की ढील नहीं बरतें और पहले से जारी दिशा निर्देशों और उपायों को आगामी 30 जून तक सख्ती से लागू करें।

गृह मंत्रालय ने गुरूवार को जारी एक आदेश में कहा है कि कोरोना महामारी से निपटने के लिए उसके द्वारा गत 29 अप्रैल को और केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा गत 25 अप्रैल को जारी दिशा निर्देश देश भर में आगामी 30 जून तक लागू रहेंगे।

केन्द्रीय गृह सचिव ने राज्यों के मुख्य सचिवों से कहा है कि सख्त नियमों , दिशा निर्देशों तथा उपायों के चलते देश के दक्षिण और पूर्वोत्तर राज्यों में कुछ क्षेत्रों को छोड़कर देश भर में संक्रमण के मामलों में कमी का रूख है ।

उन्होंने कहा कि संक्रमण के मामलों में कमी का रूझान होने के बावजूद सक्रिय मामलों की संख्या अभी काफी ज्यादा है इसलिए कड़े दिशा निर्देशों और उपायों को लागू रखना महत्वपूर्ण है। राज्य और केन्द्र शासित प्रदेश स्थिति का आंकलन करने के बाद उचित समय पर और धीरे धीरे स्थानीय स्तर पर इनमें ढील देने के बारे में विचार कर सकते हैं।

उन्होंने कहा है कि इसे ध्यान में रखते हुए राज्य और केन्द्र शासित प्रदेश जिला प्रशासनों को जरूरी निर्देश दे सकती हैं।

उन्होंने कहा है कि राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों को महामारी से निपटने के लिए किये जाने वाले उपायों तथा इससे संबंधित दिशा निर्देशों के बारे में व्यापक रूप से प्रचार प्रसार करना चाहिए जिससे कि सभी लोगों को इनकी जानकारी मिल सके।

मध्यप्रदेश में गुरुवार को पाए गये 1977 कोरोना मरीज, 70 की मौत,अबतक संक्रमितों की संख्या 7,73,855 और मृतकों की संख्या 7828 हुई attacknews.in

भोपाल, 27 मई ।मध्यप्रदेश में हर दिन कोरोना संक्रमण की स्थिति में सुधार आ रहा है।राज्य की पॉजिटिविटी दर घटकर आज 2़ 8 प्रतिशत पर पहुंच गई है।

राहत की खबर है कि मध्यप्रदेश में कोरोना संक्रमण दर घटकर अब 2़ 8 पर पहुंच गयी है।

प्रदेश की 22813 ग्राम पंचायतों में से 20565 ग्राम पंचायतें कोरोना मुक्त हैं।

राज्य के स्वास्थ्य संचालनालय की ओर से जारी बुलेटिन के अनुसार राज्य में कोरोना संक्रमण के 69,606 जांच सैंपल रिपोर्ट में 1,977 लोग कोरोना संक्रमित पाये गये हैं।

जबकि 67,629 लोगों की रिपोर्ट नेगेटिव पाये गये और 1520 कोरोना टेस्ट रिजेक्ट हुए है।

आज पॉजीटिविटी रेट आज (संक्रमण दर) घटकर 2़ 8 प्रतिशत दर्ज की गयी।

पिछले 24 घंटों में 6888 मरीज स्वस्थ हुए हैं तथा एक्टिव मरीजों की संख्या 38327 हो गई है।

प्रदेश में अब तक 7,73,855 लोग संक्रमित हो चुके है।

राहत की खबर है कि इनमें से अब तक 7,27700 लोग ठीक होकर घर पहुंच गये है।

इस महामारी ने अब तक प्रदेश भर में 7828 लोगों की जान ले चुका है।

आज 70 लोगों की मौत कोरोना संक्रमण से हुई है।

राज्य के दो जिलों इंदौर एवं भोपाल में ही 100 से अधिक नए प्रकरण आए हैं।

इंदौर में 577 एवं भोपाल में 409 नए प्रकरण आए हैं।

इसके अलावा तीन जिलों जबलपुर(99), सागर (96) तथा ग्वालियर (51) शेष जिलों में 4 से लेकर 50 के बीच प्रकरण हैं।

प्रदेश के 46 जिलों में 5 प्रतिशत से कम पॉजिटिविटी है।

दिल्ली पुलिस ने डराने-धमकाने जैसे ट्विटर के बयान को झूठा करार देते हुए कहा है कि यह जाँच में बाधा डालने का प्रयास;ट्विटर खुद जांच एजेंसी और कोर्ट दोनों बनना चाहता है।attacknews.in

नयी दिल्ली 27 मई । दिल्ली पुलिस ने डराने-धमकाने जैसे ट्विटर के बयान झूठा करार देते हुए कहा है कि यह जाँच में बाधा डालने का प्रयास है।

दिल्ली पुलिस के जनसम्पर्क अधिकारी चिन्मय बिश्वाल ने आज एक बयान जारी कर कहा कि ‘टूलकिट’ मामले में चल रही जांच पर ट्विटर का बयान गलत है और यह जांच में बाधा का प्रयास है।

उन्होंने ने कहा कि पहली नजर में यह बयान न केवल मिथ्या हैं बल्कि निजी उद्यम की तरफ से कानूनी जांच को बाधित करने का भी प्रयास है। सेवा की शर्तों की आड़ में ट्विटर ने सच का निर्णय करने का खुद फैसला कर लिया। ट्विटर खुद जांच एजेंसी और कोर्ट दोनों बनना चाहता है, लेकिन इनमें से किसी के लिए भी कानूनी स्वीकृति नहीं है। जांच करने का अधिकार केवल पुलिस के पास है और फैसला अदालतें सुनाती हैं।

दिल्ली पुलिस ने गुरुवार को कहा कि ‘टूलकिट’ मामले में चल रही जांच पर ट्विटर का बयान पूरी तरह से झूठा है और यह कानूनी जांच में बाधा डालने का प्रयास है।

दिल्ली पुलिस का यह सख्त बयान ऐसे वक्त में आया है जब ट्विटर ने पुलिस द्वारा डराने-धमकाने की रणनीति के इस्तेमाल पर चिंता जताते हुए कहा है कि वह भारत में अपने कर्मचारियों की सुरक्षा और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए संभावित खतरे के बारे में चिंतित है।

दिल्ली पुलिस के जन संपर्क अधिकारी चिन्मय बिस्वाल द्वारा जारी एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि प्रथम दृष्टया, ये बयान ना केवल मिथ्या हैं बल्कि निजी उद्यम द्वारा कानूनी जांच को बाधित करने का भी प्रयास है। सेवा की शर्तों की आड़ में ट्विटर इंक ने सच का निर्णय करने का खुद फैसला कर लिया।

पुलिस के बयान के मुताबिक, ट्विटर कथित तौर पर जांच और न्यायनिर्णायक प्राधिकारी होने का प्रयास कर रहा है, जबकि उसे इसमें से कोई भी होने की वैधानिक मंजूरी नहीं है। बयान में कहा गया है कि जांच करने का अधिकार केवल पुलिस के पास है और फैसला अदालतें सुनाती हैं।

दिल्ली पुलिस ने कहा है कि उसने कांग्रेस नेताओं द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत के आधार पर ‘टूलकिट’ मामले में आरंभिक जांच शुरू कर दी है।

पुलिस ने कहा कि ट्विटर ने यह भी दिखाने का प्रयास किया कि भारत सरकार के इशारे पर प्राथमिकी दर्ज की गई है जोकि पूरी तरह से गलत है।

पुलिस ने आगे कहा है कि ट्विटर का बयान ऐसे समय में महज सहानुभूति बटोरने का प्रयास है जब उसने न केवल कानून का पालन करने से मना कर दिया बल्कि साक्ष्य होने के बावजूद इसे कानूनी प्राधिकार के साथ साझा करने से इनकार किया।

पुलिस के डराने-धमकाने की रणनीति से चिंतित : ट्विटर

बता दें कि ट्विटर ने भाजपा नेता के ट्वीट में ‘मैनिपुलेटिड मीडिया’ का टैग लगाने के जवाब में दिल्ली पुलिस द्वारा डराने-धमकाने की रणनीति के इस्तेमाल पर चिंता जताते हुए कहा है कि वह भारत में कर्मचारियों की सुरक्षा और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए संभावित खतरे के बारे में चिंतित है।

साथ ही ट्विटर ने कहा कि वह देश में अपनी सेवाएं जारी रखने के लिए भारत में लागू कानूनों का पालन करने की कोशिश करेगी। माइक्रोब्लॉगिंग प्लैटफॉर्म ने कहा कि वह आईटी नियमों के उन तत्वों में बदलाव की वकालत करने की योजना बना रहा है जो मुक्त और खुली सार्वजनिक बातचीत को रोकते हैं।

ट्विटर ने कहा कि फिलहाल हम भारत में अपने कर्मचारियों के संबंध में हालिया घटनाओं और अपने यूजर्स की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए संभावित खतरे से चिंतित हैं।

ट्विटर के प्रवक्ता ने कहा कि भारत और दुनिया भर में नागरिक समाज के कई लोगों के साथ ही हम पुलिस द्वारा धमकाने की रणनीति के इस्तेमाल से चिंतित हैं।

प्रवक्ता ने कहा कि वह कानून के दायरे में रहकर पारदर्शिता के सिद्धांतों, हर आवाज को सशक्त बनाने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और गोपनीयता की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है।

दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने सोमवार को कथित ‘कोविड टूलकिट’ के बारे में एक शिकायत की जांच के संबंध में ट्विटर इंडिया को नोटिस भेजा था। दिल्ली के लाडो सराय और गुरुग्राम में ट्विटर के दफ्तरों पर पुलिस की दो टीमें भी पहुंची थीं। सरकार ने नए डिजिटल नियमों का बचाव करते हुए बुधवार को कहा कि वह निजता के अधिकार का सम्मान करती है और वॉट्सऐप जैसे मैसेजिंग प्लैटफॉर्म्स को नए आईटी नियमों के तहत चिन्हित मैसेज के मूल स्रोत की जानकारी देने को कहना निजता का उल्लंघन नहीं है। इसके साथ ही सरकार ने सोशल मीडिया कंपनियों से नए नियमों को लेकर अनुपालन रिपोर्ट मांगी है।

नए नियमों की घोषणा 25 फरवरी को की गई थी। इस नए नियम के तहत ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम और वॉट्सऐप जैसे बड़े सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म्स (जिनके देश में 50 लाख से अधिक यूजर्स हैं) को अतिरिक्त उपाय करने की जरूरत होगी। इसमें मुख्य अनुपालन अधिकारी, नोडल अधिकारी और भारत स्थित शिकायत अधिकारी की नियुक्ति आदि शामिल हैं।

फेसबुक कोविड से संबंधित पोस्ट को नहीं हटायेगा जो यह कहती हैं कि कोरोना वायरस को कृत्रिम तरीके से बनाया गया है attacknews.in

 

वाशिंगटन, 27 मई (स्पूतनिक) फेसबुक के प्रवक्ता ने कहा है कि सोशल नेटवर्क पर कोरोना वायरस (कोविड-19) की उत्पत्ति की जांच और सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों के परामर्श के बाद हमने अपने प्लेटफॉर्म से उन पोस्ट को नहीं हटाने का निर्णय लिया है जो यह कहती हैं कि कोरोना वायरस को कृत्रिम तरीके से बनाया गया है।

यह घोषणा वॉल स्ट्रीट जर्नल के रविवार के उस लेख के बाद की गई है जिसमें अमेरिकी खुफिया एजेंसी का हवाला देते हुए बताया गया था कि चीन के वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी के तीन शोधकर्ता नवंबर में बीमार हो गए थे। चीनी विदेश मंत्रालय ने वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट को यह कहते हुए खारिज कर दिया गया कि इस रिपोर्ट में कोई वास्तविकता नहीं है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन ने बुधवार को बुधवार को वायरस की उत्पत्ति की खुफिया समीक्षा करने का आदेश दिया है।

फेसबुक अब अपने प्लेटफॉर्म से उन पोस्ट को नहीं हटाएगा, जिनमें ऐसे दावे किए गए हैं कि कोविड-19 या तो मानव निर्मित है या फिर प्रयोगशाला निर्मित है।

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने खुफिया एजेंसियों से कहा है कि वह जितना जल्द हो सके, इसका पता लगाएं कि कोरोना वायरस की उत्पति कहां से और कैसे हुई थी।

इस बीच कोरोना की उत्पति को लेकर चल रही जांच और एक्सपर्ट की राय के बाद फेसबुक ने अब इस प्रकार की पोस्ट को डिलीट करने या इन्हें बैन नहीं लगाने का फैसला लिया है, जिनमें दावा किया गया है कि कोरोना वायरस लैब में ही तैयार हुआ है।

बता दें कि फेसबुक पर इससे पहले ऐसे पोस्ट किए गए थे, जिनमें दावा किया गया है कि कोरोना वायरस लैब में ही तैयार हुआ है. इस पर कार्रवाई करते हुए फेसबुक ऐसे पोस्ट को डिलीट कर देता था, लेकिन अब फेसबुक ने अपनी नीति बदल दी है और ऐसे पोस्ट को हटाने से मना कर दिया है, जिसमें दावा किया जा रहा है कि कोरोना वायरस मानव निर्मित है।

सोशल नेटवर्क अब ऐसे दावों को अपनी कोविड-19 संबंधी गलत सूचना नीति के हिस्से के रूप में नहीं मानेगा।

फेसबुक के एक प्रवक्ता ने कहा कि वायरस की उत्पत्ति के बारे में नए सिरे से बहस के कारण मूल भाषा को उस नीति से हटा दिया गया है।

प्रवक्ता ने पोलिटिको को बताया, कोविड-19 की उत्पत्ति की चल रही जांच और सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों के परामर्श से, हम अब हमारे ऐप से इस दावे को नहीं हटाएंगे कि कोविड-19 मानव निर्मित है।

प्रवक्ता ने कहा, हम महामारी की विकसित प्रकृति के साथ तालमेल रखने के लिए स्वास्थ्य विशेषज्ञों के साथ काम करना जारी रख रहे हैं और नियमित रूप से अपनी नीतियों को अपडेट कर रहे हैं, क्योंकि नए तथ्य और रुझान सामने आते हैं।

हाल ही में कोरोना की लैब से उत्पति की रिपोर्ट सामने आने के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कोविड की उत्पत्ति के संबंध में खुफिया समुदाय से ऐसी जानकारी एकत्र करने और विश्लेषण करने के अपने प्रयासों को फिर से तेज करने को कहा है, जो उन्हें एक निश्चित निष्कर्ष के करीब ला सकती है। इसके लिए बाइडेन ने 90 दिनों में रिपोर्ट करने को भी कहा है।

खुफिया समुदाय का मानना है कि यह वायरस फैलने को दो परिदृश्य संभव हैं. या तो वायरस तब फैलने लगा, जब कोई मानव किसी संक्रमित जानवर के संपर्क में आया हो या फिर इसकी उत्पत्ति एक से जुड़ी हो।इस मुद्दे पर बाइडेन का कहना है कि अमेरिका चीन पर पूर्ण पारदर्शी, साक्ष्य-आधारित अंतरराष्ट्रीय जांच में भाग लेने और सभी प्रासंगिक डेटा और साक्ष्य तक पहुंच प्रदान करने के लिए दुनिया भर में समान विचारधारा वाले भागीदारों के साथ काम करना जारी रखेगा।

मध्यप्रदेश संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी संघ का आंदोलन समाप्त,05 जून 2018 की नीति संबंधित प्रक्रिया के लिए 15 दिवस के अंदर कार्यवाही सुनिश्चित की जायेगी attacknews.in

 

भोपाल, 27 मई । मध्यप्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. प्रभुराम चौधरी के आह्वान पर संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी संघ ने आंदोलन समाप्त करने का निर्णय लिया है।

डॉ. चौधरी से प्रदेश कार्यकारिणी संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी संघ ने विभिन्न चरणों में बैठकों के उपरांत अपना आंदोलन समाप्त कर दिया है।

उन्होंने बताया कि संविदा कर्मचारी के कल्याण के लिए 05 जून 2018 की नीति संबंधित प्रक्रिया के लिए 15 दिवस के अंदर कार्यवाही सुनिश्चित की जायेगी।

उन्होंने बताया कि एनएचएम के निष्काषित कर्मचारी एवं आऊटसोर्सेस कर्मचारी के लिए पुर्ननियोजन की प्रक्रिया तत्काल प्रारंभ कर दी गई है।

डॉ. चौधरी ने बताया कि कोविड-19 संक्रमण महामारी के चलते प्रदेश की जनता को हो रही समस्या और स्वास्थ्य सेवाओं का सुचारू रूप से संचालन को दृष्टिगत रखते हुए संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी संघ ने अपना आंदोलन समाप्त कर दिया है।

इस अवसर पर संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी संघ के प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष जितेन्द्र सिंह भदौरिया, प्रांतीय संयोजक अमिताभ चौबे एवं संघ कार्यकारिणी के सदस्य उपस्थित थे।

कर्नाटक में नेतृत्व परिवर्तन को येदियुरप्पा ने बकवास करार दिया;एक दिन पहले ही राज्य के कईं भाजपा विधायकों ने कहा था कि, नेतृत्व परिवर्तन हो सकता है attacknews.in

 

बेंगलुरू,27 मई । कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने राज्य में नेतृत्व परिवर्तन की अटकलों को बकवास करार देते हुए गुरूवार को कहा कि इस समय उनका पूरा ध्यान यहां कोरोना संक्रमण को नियंत्रित करने के उपायों पर हैं।

दरअसल एक दिन पहले ही राज्य के कईं भाजपा विधायकों ने कहा था कि राज्य में नेतृत्व परिवर्तन हो सकता है और इसी को लेकर पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए उन्होंने कहा“ इस समय मेरे सामने कोराना से निपटने की चुनौती हैं और नागरिकों की रक्षा करना तथा उनकी जान बचाना मेरी प्राथमिकताएं हैं।

वह पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की 57 वीं पुण्यतिथि पर आयोजित एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने आए थे और इसी दौरान पत्रकारों से अनौपचारिक बातचीत में उन्होंने यह बात कही है।

यह पूछे जाने पर कि कुछ विधायकों ने लॉबी बनाकर उन्हें हटाने के लिए दिल्ली का रूख किया था , का जवाब देते हुए श्री येदियुरप्पा ने कहा“ अगर कोई कहीं गया था तो आपको यह भी पता होना चाहिए कि उन्हें सही जवाब देकर वापिस भेजा गया था।

इस समय हमारे सामने यही बड़ा सवाल है कि आपस में एक जुट होकर कोविड जैसी महामारी का सामना किया जाए , खासकर ऐसे समय जब लोगों में संक्रमण बढ़ रहा है और मौत के मामलों में भी बढ़ोत्तरी देखी जा रही है।

विधायकों तथा मंत्रियों को इस महामारी से निपटने पर अधिक ध्यान केन्द्रित करना चाहिए और मेरे सामने इसके अलावा कोई भी मसला नहीं है।

” यह पूछे जाने पर कि क्या वह भाजपा विधायकों की बैठक को बुलाएंगे तो श्री येदियुरप्पा ने कहा कि इस मसले पर उन्हें प्रेस के सामने जिक्र नहीं करना है।

इस बीच पत्रकारों के समक्ष पर्यटन मंत्री सी पी योगेश्वरा ने कहा कि यह बात सच है कि वह दिल्ली गए थे लेकिन वह अपने व्यक्तिगत काम से गए थे और इसका नेतृत्व परिवर्तन से कोई लेना देना नहीं है।

उन्होंने इस बात का जवाब देने से मना कर दिया कि वह पार्टी नेताओं से मिलने दिल्ली क्यों गए थे लेकिन यह जरूर कहा कि वह इस मसले को जनता के बीच में उठाने के बजाए पार्टी मंच पर उठाएंगे।

हाई प्रोफाइल लोगों से लड़की की प्रोफाइल बनाकर इसके द्वारा फेसबुक पर दोस्ती करके अश्लील वीडियो वायरल करने की धमकी देकर रुपए एठने वाले गिरोह के तीन सदस्य गिरफ्तार attacknews.in

 

रामपुर, 27 मई । उत्तर प्रदेश की रामपुर पुलिस ने हाई प्रोफाइल लोगों से लड़की की प्रोफाइल बनाकर फेसबुक पर दोस्ती कर लड़की के साथ मिलकर अश्लीली वीडियो बनाकर वायरल करने की धमकी देकर रुपए एठने वाले गिरोह के तीन सदस्यों को पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया।

पुलिस अधीक्षक शगुन गौतम के अनुसार मिलक क्षेत्र के नसीराबाद के रहने वाले सुरेश गंगवार ने पुलिस को कुछ लोगों द्वारा उनका विडीयो बनाकर व्हाट्सएप पर भेज कर धमका रहे हैं और उसे सोशल मीडिया पर प्रसारित करने की एवज में मोटी रकम की मांग कर रहे हैं।

यही नहीं साथ में अधिकारी बनकर भी दबाव बना रहे हैं।इस मामले में पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर जब छानबीन की तो गिरोह का खुलासा हुआ।

पुलिस ने जाल बिछाकर ब्लैकमेल करने वाले गैंग के तीन सदस्यों को थाना मिलक के स्टेशन से आज गिरफ्तार कर लिया जबकि अन्य सदस्यों की सरगर्मी से तलाश की जा रही है ।

उन्होंने बताया कि गिरफ्तार आरोपियों में रामपुर निवासी इमरान जबकि आमिर और मुस्तकीम भरतपुर (राजस्थान) के रहने वाले हैं।

उन्होंने बताया कि इस गिरोह के सात सदस्य राजस्थान के रहने वाले हैं।

जिनके नाम जावेद, माहिर, समीउद्दीन, इमरान, आमिर, कौसर खान और सदाकत हैं।

श्री गौतम ने बताया कि आरोपी वादी से अश्लील वीडियो वायरल न करने के लिए 20000 की मांग कर रहे थे।

आरोपियों का उचित धाराओं में चालान कर उन्हें जेल भेजा जा रहा ह जबकि अन्य आरोपियों की तलाश जारी है।

पूरे समाज को कोरोनावायरस के फैलाव से बचाने के लिये एनटीपीसी ने बढ़ाया मदद का हाथ और देशभर में मरीजों की जान बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई attacknews.in

 

नईदिल्ली 27 मई । बिजली मंत्रालय के अधीन सबसे बड़ी बिजली उत्पादक कंपनी एनटीपीसी ने कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान न सिर्फ देश में निर्बाध बिजली आपूर्ति सुनिश्चित की, बल्कि उसने कोविड-19 के फैलाव को रोकने के लिये पूरे समाज की तरफ मदद का हाथ बढ़ाया है। इस सिलसिले में कंपनी ने देश के विभिन्न हिस्सों में चिकित्सा बुनियादी ढांचे में इजाफा किया है।

एनटीपीसी ने पहल करके 600 से अधिक ऑक्सीन बेड और 1200 आईसोलेशन बेडों की व्यवस्था की है। उसने अपनी विभिन्न परियोजनाओं और आसपास के इलाके में सप्ताह भर में ही युद्धस्तर पर यह काम अंजाम दिया है। इसके कारण आम जनता सहित तमाम लोगों की प्राण रक्षा हो सकी है।

एनटीपीसी, राज्य और जिला प्रशासन के साथ नजदीकी तालमेल बनाकर काम कर रही है और उसने दूर-दराज के इलाकों में भी चिकित्सा बुनियादी ढांचों में इजाफा किया है

।कोविड-19 के मामलों में तेजी, खासतौर से दिल्ली और एनसीआर में, के मद्देनजर एनटीपीसी ने अकेले एनसीआर में 200 ऑक्सीजन बेडों और 140 आईसोलेशन बेडों की सुविधा के लिये प्रयास किया, जिसके कारण कोविड मरीजों को बड़ी राहत मिली है।

एनसीआर में यह सुविधा दादरी, नोएडा और बदरपुर में स्थापित की गई है। इन केंद्रों पर ऑक्सीजन सपोर्ट, कोविड टेस्टिंग, इनवेसिव और नॉन-इनवेसिव वेंटीलेटर, चौबीस घंटे नर्सिंग और चिकित्सा सहायता उपलब्ध है। इस सुविधा को 30 करोड़ रुपये की लागत से तैयार किया गया है।

एनटीपीसी ने 40 से अधिक डॉक्टरों, सैकड़ों पैरा-मेडिकल और सपोर्ट स्टाफ की व्यवस्था की है। इसके साथ सात ऐसी ऐंबुलेंस भी हैं, जो ऑक्सीजन से लैस हैं और 24 घंटे सेवा में उपलब्ध हैं।

एनटीपीसी ने ओडिशा के सुंदरगढ़ में 400 करोड़ रुपये की लागत से 500 बिस्तरों वाला एक सर्व सुविधा सम्पन्न अस्पताल बनाया है। यह अस्पताल रिकॉर्ड समय में बनाया गया और महामारी के मद्देनजर उसे कोविड अस्पताल में तब्दील कर दिया गया है। यह अस्पताल इलाके के लाखों लोगों की सेवा कर रहा है।

विभिन्न चिकित्सा उपकरणों के अलावा, इस अस्पताल में एनटीपीसी ने 20 वेंटीलेटर की सुविधा भी जोड़ दी है, जिससे असंख्य गंभीर मरीजों के उपचार में मदद मिल रही है।

इसके अलावा, गंभीर उपचार को देखते हुये एनटीपीसी अस्पताल को अतिरिक्त 40 वेंटीलेटर दे रहा है।

एनटीपीसीदार्लीपाली भी झारसुगुड़ा में 30 आईसीयू बिस्तरों की सुविधा शुरू करने में सहायता कर रहा है।

एनटीपीसी ने मध्यप्रदेश के खरगौन जिला अस्पताल में 250 ऑक्सीजन वाली बेडों, 20 एचडीयू और 10 आईसीयू बेडों की व्यवस्था की है। इसकी लागत 2.24 करोड़ रुपये आई है। यह सुविधा दूर-दराज के लोगों के लिये वरदान साबित हो रही है। इसके कारण कोविड-19 के कहर से बेशुमार लोगों की जिंदगी बची है।

झारखंड में एनटीपीसी, नॉर्थ करमपुरा, ने 53 लाख रुपये की वित्तीय सहायता दी है, जिससे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, टंडवा, जिला चतरा, झारखंड में ऑक्सीजन सप्लाई सिस्टम वाले 15 आईसीयू बेड तैयार होने हैं।

इसके अलावा हजारीबाग स्थित एनटीपीसी के पकड़ी बरवाडीह की खनन परियोजना ने रिम्स, रांची, आईटीकेईटीआई, रांची और हजारीबाग मेडिकल कॉलेज के लिये केंद्रीयकृत मेडिकल गैस पाइपलाइन प्रणाली बनाई है। इसकी लागत एक करोड़ रुपये है। इसके जरिये एक हजार से अधिक बेडों तक ऑक्सीजन पहुंचाया जा रहा है।

देश के दूर-दराज के इलाकों में मौजूद एनटीपीसी की कई परियोजनायें अपने आसपास चिकित्सा बुनियादी ढांचा तैयार करने में भरपूर योगदान कर रही हैं।

संकट के मौजूदा दौर में एनटीपीसी की विभिन्न परियोजनायों ने जिला प्रशासनों को 2000 से अधिक औद्योगिक सिलेंडर उपलब्ध कराये हैं, जिन्हें बदलकर मेडिकल ऑक्सीजन के सिलेंडरों के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है।

ऑक्सीजन की मांग में बढ़ोतरी को ध्यान में रखते हुये, एनटीपीसी देश भर में ऑक्सीजन बनाने के बुनियादी ढांचे के विकास में प्रमुख भूमिका निभा रहा है।

कोविड मरीजों की जान बचाने के लिये ऑक्सीजन बहुत अहम है। इसी खयाल से कंपनी ने दो दर्जन से अधिक ऑक्सीजन जेनेरेशन प्लांट स्थापित किये हैं। इनमें से कुछ संयंत्रों में ऑक्सीजन सिलेंडरों को भरने और रीफिल करने की भी सुविधा मौजूद है। इनमें से 09 पीएसए वर्ग के संयंत्रों और दो बॉटलिंग संयंत्रों को एनसीआर में लगाया जा रहा है। यह सुविधा चरणबद्ध तरीके से इसी महीने शुरू हो जायेगी।

छह सौ एलपीएम पीएसए वर्ग का एक संयंत्र, सीएचसी, छाबरा, जिला बारन, राजस्थान में लगाया जा रहा है, जिसकी लागत लगभग एक करोड़ रुपये है। इसके लिये खरीद ऑर्डर दिया जा चुका है।

एनटीपीसी की अन्य परियोजनाओं में रिहंद, ऊंचाहार, विंध्याचल (उत्तरप्रदेश), गदरवारा, खरगौन (मध्यप्रदेश) और ओडिशा के दार्लीपाली में जिला और स्थानीय स्तर पर ऑक्सीजन संयंत्र लगाये जा रहे हैं।

इन ऑक्सीजन जेनेरेशन संयंत्रों को लगाने के लिये एनटीपीसी ने 12 करोड़ रुपये से अधिक की रकम खर्च की है।

एनटीपीसी अपने आसपास के लोगों को न सिर्फ कोविड की जरूरी दवायें उपलब्ध करा रहा है, बल्कि लोगों को चिकित्सा सुविधा भी प्रदान कर रहा है।

अकेले एनटीपीसी विंध्याचल ने अपने आसपास के इलाकों के 250 से अधिक कोविड मरीजों का इलाज किया। यहां कंपनी के कर्मचारियों का भी उपचार किया गया। अपने सभी कार्यस्थलों में चिकित्सा बुनियादी ढांचे को मजबूत करने और उसे बढ़ाने के साथ-साथ एनटीपीसी ने कोविड-19 की दूसरी लहर के प्रति लोगों और समुदायों को जागरूक करने का भी बीड़ा उठाया है।

सिंगरौली के एसपी के सहयोग से कोविड के खिलाफ जन अभियान की शुरूआत की है। इसके तहत दो समर्पित एम्बुलेंस कार्यरत हैं, जो ऑडियो-विजुअल सुविधा से लैस हैं। इसे एनटीपीसी, विंध्याचल ने तैयार किया है। इस अभियान के तहत300 गांवों के पांच लाख लोगों तक पहुंच बनाई गई। इसके साथ ही एनटीपीसी के स्टेशनों ने सामुदायिक कल्याण के लिये पीपीई किट, मास्क, सेनीटाइजर, सूखा राशन और अन्य आवश्यक वस्तुओं का सार्वजनिक वितरण किया।एनटीपीसी परियोजनायें, सीआईएसएफ फायर विंग के साथ मिलकर सौ से अधिक गांवों-कस्बों में जन स्वच्छता कार्यक्रम चला रही हैं।

एनटीपीसी के लेडीज क्लब और एनटीपीसी कर्मचारी एनजीओ भी आगे आये हैं और इन्होंने इस संकटकाल में समाज की तरफ मदद का हाथ बढ़ाया है।

एनटीपीसी अपने सभी संयंत्रों के समस्त कर्मचारियों, उनके आश्रितों और अन्य हितधारकों के टीकाकरण के लिये भरपूर प्रयास कर रहा है।

अब तक, एनटीपीसी ने अपने सभी संयंत्रों में 70 हजार से अधिक लोगों को टीके लगाये हैं, जिनमें उसके कर्मचारी, उनके आश्रित और अन्य लोग भी शामिल हैं। विभिन्न स्थानों पर जन टीकाकरण कैम्प लगाये गये। इसके अलावा, एनटीपीसी का लक्ष्य है कि वह अपने कर्मचारियों, उनके परिजनों और सम्बंधित लोगों का शत प्रतिशत टीकाकरण कर दिया जाये। साथ ही आसपास के लोगों को भी टीके लगाने की योजना है।

एनटीपीसी दार्लीपाली, अपने आसपास के लोगों का टीकाकरण करने के लिये 10 हजार टीकों का बंदोबस्त कर रहा है।

एनटीपीसी लोक-दर्शन पर विश्वास करता है। लाभ से अधिक मनुष्य का महत्त्व है। इस गहरी संवेदना के साथ वह समाज का ऋण चुकाने के लिये प्रतिबद्ध है।

एनटीपीसी की बेहतरीन कोशिशों के कारण कोविड-19 के खिलाफ जंग में नई किरण नमूदार हुई है और वह संकट से उबरने में पूरे समाज की सहायता कर रहा है। चिकित्सा बुनियादी ढांचे के साथ-साथ ऑक्सीजन सम्बंधी संरचना भी एनटीपीसी बना रही है। इससे महामारी के दौरान तो मदद मिल ही रही है, बल्कि आने वाले समय में भी संकटों से निपटने में इससे बहुत सहायता मिलेगी।

चक्रवाती तूफान ‘यास’ से निपटने के लिए एनडीआरएफ की 106 टीमों को तैनात किया गया; प्रधानमंत्री ने ‘यास’ के व्‍यापक प्रभावों की समीक्षा की attacknews.in

यह सुनिश्चित करें कि सामान्य जनजीवन जल्द-से-जल्द बहाल हो: प्रधानमंत्री

नईदिल्ली 27 मई । प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने चक्रवाती तूफान ‘यास’ के व्‍यापक प्रभावों की समीक्षा के लिए आयोजित एक बैठक की अध्यक्षता की।

इस अवसर पर अधिकारियों ने चक्रवाती तूफान से निपटने की तैयारियों के विभिन्न पहलुओं, तूफान से हुए नुकसान के आकलन और संबंधित विषयों पर एक विस्तृत प्रस्तुति दी।

इस दौरान यह चर्चा की गई कि एनडीआरएफ की लगभग 106 टीमों को तैनात किया गया था। पश्चिम बंगाल/ओडिशा में से प्रत्येक में तैनात की गई 46 टीमों ने 1000 से भी अधिक व्यक्तियों की जान बचाई और 2500 से भी अधिक पेड़ों/खंभों को हटाया जो सड़कों पर गिर गए थे और जिनकी वजह से वहां आवागमन बाधित हो गया था। रक्षा बलों यथा थल सेना और तटरक्षक बल ने तूफान में विभिन्‍न स्‍थानों पर फंसे हुए लोगों की भी जान बचाई, जबकि नौसेना और वायु सेना अलर्ट पर थीं।

वैसे तो संबंधित राज्य चक्रवाती तूफान यास की वजह से हुए नुकसान के आकलन में अभी जुटे हुए हैं, लेकिन उपलब्ध प्रारंभिक रिपोर्टों से यही पता चलता है कि सटीक पूर्वानुमान लगाने और तूफान प्रभावित क्षेत्रों के लोगों से प्रभावकारी ढंग से संवाद करने के साथ-साथ राज्यों एवं केंद्रीय एजेंसियों द्वारा समय पर लोगों की सुरक्षित निकासी करने से जान-माल का कम-से-कम नुकसान सुनिश्चित हो पाया।

इसके साथ ही सैलाब या अतिवृष्टि के कारण जो नुकसान हुआ है, उसका आकलन किया जा रहा है। तूफान से प्रभावित अधिकतर क्षेत्रों में बिजली और दूरसंचार सेवाएं बहाल कर दी गई हैं।

प्रधानमंत्री ने चक्रवाती तूफान से उत्पन्न चुनौतियों से निपटने में केंद्र और राज्यों की एजेंसियों द्वारा निभाई गई अत्‍यंत प्रभावकारी एवं सक्रिय भूमिका को रेखांकित किया और इसके साथ ही विभिन्‍न एजेंसियों को यह सुनिश्चित करने की सलाह दी कि तूफान प्रभावित क्षेत्रों में सामान्य जीवन जल्द से जल्द बहाल हो और इसके साथ ही तूफान से प्रभावित व्यक्तियों के बीच राहत का वितरण उचित रूप से हो जाए।

प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव, कैबिनेट सचिव, गृह सचिव, विद्युत सचिव, दूरसंचार सचिव एवं आईएमडी के डीजी और अन्य महत्वपूर्ण अधिकारियों ने इस बैठक में भाग लिया।

केंद्र सरकार ने राज्यों को अबतक कोविड के 22 करोड़ से अधिक टीके प्रदान किए,अमेरिका के बाद भारत ऐसा दूसरा देश है, जिसने 20 करोड़ से अधिक टीका लगाने का रिकॉर्ड बनाया attacknews.in

राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के पास अब भी टीके की 1.84 करोड़ से अधिक खुराक उपलब्ध हैं

नईदिल्ली 27 मई । राष्ट्रव्यापी टीकाकरण अभियान के तहत भारत सरकार राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को नि:शुल्क कोविड टीके उपलब्ध कराकर उनकी मदद कर रही है।

भारत सरकार राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को टीकों की सीधी खरीद की सुविधा भी प्रदान कर रही है। जांच, बीमारी का पता लगाने, उपचार और कोविड उपयुक्त व्यवहार के साथ-साथ महामारी की रोकथाम और प्रबंधन के लिए टीकाकरण भारत सरकार की व्यापक रणनीति का एक अभिन्न स्तंभ है।

कोविड-19 टीकाकरण की तीसरे चरण की उदारीकृत और त्वरित रणनीति का कार्यान्वयन एक मई 2021 से शुरू हो गया है।

रणनीति के तहत, हर महीने केंद्रीय औषधि प्रयोगशाला (सीडीएल) द्वारा मंजूरी प्राप्त किसी भी निर्माता के टीकों की 50% खुराक भारत सरकार द्वारा खरीदी जाएगी। भारत सरकार ये खुराक राज्य सरकारों को पूरी तरह से नि:शुल्क उपलब्ध कराना जारी रखेगी जैसा कि पहले से किया जा रहा था।

भारत सरकार ने अब तक राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को कोविड टीके की 22 करोड़ से अधिक खुराक (22,16,11,940) मुफ्त श्रेणी और राज्यों द्वारा सीधी खरीद की श्रेणी के माध्यम से प्रदान की है। इसमें से कुल खपत (अपव्यय सहित) 20,17,59,768 खुराक (आज सुबह आठ बजे उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार) है।

राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के पास अब भी टीके की 1.84 करोड़ से ज्यादा (1,84,90,522) खुराक उपलब्ध हैं, जिन्हें दिया जाना बाकी है।

इसके अलावा 11 लाख (11,42,630) खुराक प्रक्रियारत हैं और अगले तीन दिनों के भीतर राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को दे दी जाएंगी।

कोविड-19 अपडेट:

सक्रिय मामलों में 24,19,907 की और गिरावट।

पिछले 24 घंटों में सक्रिय मामलों में 75,684 की कमी।

2.11 लाख मामलों के साथ नये मामलों में लगातार गिरावट कायम।

अब तक देशभर में 2,46,33,951 मरीज ठीक हुये। पिछले 24 घंटों के दौरान 2,83,135 मरीज ठीक हुये।

लगातार 14वें दिन रोज आने वाले नये मामलों की तुलना में ठीक होने वाले मरीजों की तादाद अधिक।

मरीजों के ठीक होने की दर बढ़कर 90.01 प्रतिशत।

इस समय साप्ताहिक पॉजीटिव दर 10.93 प्रतिशत है।

लगातार तीसरे दिन पॉजीटिविटी दर में कमी। रोजाना पॉजीटिविटी दर 9.79 प्रतिशत रही, जो 10 प्रतिशत से नीचे है।

राष्ट्रव्यापी टीकाकरण अभियान के तहत अब तक वैक्सीन की 20.27 करोड़ से अधिक खुराक दी गईं।

अमेरिका के बाद भारत ऐसा दूसरा देश है, जिसने 20 करोड़ वैक्सीन खुराक देने का कारनामा अंजाम दिया।

पिछले 24 घंटों में जांच क्षमता में जोरदार सुधार। इस दौरान 21.57 लाख जांचें की गईं।

वह झूठ का खुलासा जो फैलाया गया:भारत की टीकाकरण प्रक्रिया पर मिथक और तथ्य; ये मिथक ग़लत बयानों, आधे सच और खुलेआम बोले जा रहे झूठ के कारण फैल रहे हैं attacknews.in

नईदिल्ली 27 मई ।भारत के कोविड-19 टीकाकरण कार्यक्रम को लेकर कई तरह के मिथक फैलाए जा रहे हैं। ये मिथक ग़लत बयानों, आधे सच और खुलेआम बोले जा रहे झूठ के कारण फैल रहे हैं।

नीति आयोग में सदस्य (स्वास्थ्य) और कोविड-19 (एनईजीवीएसी) के लिए वैक्सीन प्रबंधन पर राष्ट्रीय विशेषज्ञ समूह के अध्यक्ष डॉ. विनोद पॉल ने इन सभी मिथकों से जुड़े झूठ को एक सिरे से ख़ारिज करते हुए इन सभी मुद्दों पर सही तथ्य की जानकारी दी हैं।

यह मिथक और इनके सही तथ्य इस प्रकार हैः

मिथक 1: केंद्र विदेशों से टीके खरीदने के लिए पर्याप्त प्रयास नहीं कर रहा है

तथ्य: केंद्र सरकार 2020 के मध्य से ही सभी प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय वैक्सीन निर्माताओं के साथ लगातार संपर्क बनाए हुए है। फाइजर, जेएंडजे और मॉडर्ना के साथ कई दौर का वार्तालाप हो चुका है। सरकार ने उन्हें भारत में उनके टीकों की आपूर्ति और/अथवा इन्हें बनाने के लिए सभी प्रकार की सहायता की पेशकश की है। हालांकि, ऐसा नहीं है कि उनके टीके निःशुल्क रूप से आपूर्ति के लिए उपलब्ध हैं। हमें यह समझने की जरूरत है कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर टीके खरीदना ‘ऑफ द शेल्फ’ वस्तु खरीदने के समान नहीं है। विश्व स्तर पर टीके सीमित आपूर्ति में हैं, और सीमित स्टॉक को आवंटित करने में कंपनियों की अपनी प्राथमिकताएं, योजनाएं और मजबूरियां हैं। वे अपने मूल देशों को भी प्राथमिकता देती हैं जैसे हमारे अपने वैक्सीन निर्माताओं ने हमारे लिए बिना किसी संकोच के किया है। फाइजर ने जैसे ही वैक्सीन की उपलब्धता का संकेत दिया, इसके बाद से ही केंद्र सरकार और कंपनी वैक्सीन के जल्द से जल्द आयात के लिए मिलकर कार्य कर रही हैं। भारत सरकार के प्रयासों के परिणामस्वरूप, स्पूतनिक वैक्सीन परीक्षणों में तेजी आई और समय पर अनुमोदन के साथ, रूस ने हमारी कंपनियों को टीके की दो किश्तें भेजते हुए निपुण तकनीक-हस्तांतरण पहले ही कर दी हैं और अब बहुत जल्द ही ये कंपनियां इसका निर्माण भी शुरू कर देंगी। हम सभी अंतर्राष्ट्रीय वैक्सीन निर्माताओं से भारत में आने और भारत और दुनिया के लिए वैक्सीन बनाने के अपने अनुरोध को दोहराते हैं।

मिथक 2: केंद्र ने विश्व स्तर पर उपलब्ध टीकों को मंजूरी नहीं दी है

तथ्य: केंद्र सरकार ने अप्रैल में ही भारत में यूएस एफडीए, ईएमए, यूके की एमएचआरए और जापान की पीएमडीए और डब्ल्यूएचओ की आपातकालीन उपयोग सूची द्वारा अनुमोदित टीकों को प्राप्त करने की प्रक्रिया को आसान बना दिया है। इन टीकों को पूर्व ब्रिजिंग परीक्षणों से गुजरने की आवश्यकता नहीं होगी। अन्य देशों में निर्मित बेहतर तरीके से परीक्षित और जाँचे गए टीकों के लिए परीक्षण आवश्यकता को पूरी तरह से समाप्त करने के लिए प्रावधान में अब और संशोधन किया गया है। औषधि नियंत्रक के पास अनुमोदन के लिए किसी विदेशी विनिर्माता का कोई आवेदन लंबित नहीं है।

मिथक 3: केंद्र टीकों के घरेलू उत्पादन में तेजी लाने के लिए पर्याप्त प्रयास नहीं कर रहा है

तथ्य: केंद्र सरकार 2020 की शुरुआत से ही अधिक कंपनियों को टीके का उत्पादन करने में सक्षम बनाने के लिए एक प्रभावी सूत्रधार की भूमिका निभा रही है। केवल 1 भारतीय कंपनी (भारत बायोटेक) है जिसके पास आईपी है। भारत सरकार ने सुनिश्चित किया है कि भारत बायोटेक के अपने संयंत्रों को बढ़ाने के अलावा 3 अन्य कंपनियां/संयंत्र कोवैक्सीन का उत्पादन शुरू करेंगी, जो अब 1 से बढ़कर 4 हो गई हैं। भारत बायोटेक द्वारा कोवैक्सीन का उत्पादन अक्टूबर तक 1 करोड़ प्रति माह से बढ़ाकर 10 करोड़ माह किया जा रहा है। इसके अतिरिक्त, तीनों सार्वजनिक उपक्रमों का लक्ष्य दिसंबर तक 4.0 करोड़ खुराक तक उत्पादन करने का होगा। सरकार के निरंतर प्रोत्साहन से, सीरम इंस्टीट्यूट प्रति माह 6.5 करोड़ खुराक के कोविशील्ड उत्पादन को बढ़ाकर 11.0 करोड़ खुराक प्रति माह कर रहा है। भारत सरकार रूस के साथ साझेदारी में यह भी सुनिश्चित कर रही है कि स्पूतनिक का निर्माण डॉ. रेड्डी के समन्वय के साथ 6 कंपनियों द्वारा किया जाएगा। केन्द्र सरकार जायडस कैडिला, बायोई के साथ-साथ जेनोवा के अपने-अपने स्वदेशी टीकों के लिए कोविड सुरक्षा योजना के तहत उदार वित्त पोषण के साथ-साथ राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं में तकनीकी सहायता के प्रयासों का भी समर्थन कर रही है। भारत बायोटेक की एकल खुराक इंट्रानेसल वैक्सीन का विकास भी भारत सरकार के वित्त पोषण के साथ बेहतर रूप से आगे बढ़ रहा है, और यह दुनिया के लिए एक शानदार उपलब्धि हो सकती है। 2021 के अंत तक हमारे वैक्सीन उद्योग द्वारा 200 करोड़ से अधिक खुराक के उत्पादन का अनुमान ऐसे ही प्रयासों और निरंतर समर्थन एवं साझेदारी का परिणाम है। पारंपरिक के साथ-साथ अत्याधुनिक डीएनए और एमआरएनए प्लेटफार्मों में किए जा रहे इन प्रयासों के संबंध में न जान कितने देश इतनी बड़ी क्षमता के साथ निर्माण का सिर्फ सपना ही देख सकते हैं। भारत सरकार और वैक्सीन निर्माताओं ने दैनिक आधार पर निर्बाध जुड़ाव के साथ इस मिशन में एक टीम इंडिया के रूप में काम किया है।

मिथक 4: केंद्र को अनिवार्य लाइसेंसिंग लागू करनी चाहिए

तथ्य: अनिवार्य लाइसेंसिंग एक बहुत ही आकर्षक विकल्प नहीं है क्योंकि यह एक ऐसा ‘फॉर्मूला’ नहीं है जो अधिक मायने रखता हो, लेकिन सक्रिय भागीदारी, मानव संसाधनों का प्रशिक्षण, कच्चे माल की सोर्सिंग और जैव-सुरक्षा प्रयोगशालाओं के उच्चतम स्तर की आवश्यकता है। प्रौद्योगिकी हस्तांतरण एक कुंजी है और यह उस कंपनी के नियंत्रण में होता है जिसने अनुसंधान और विकास किया है। वास्तव में, हम अनिवार्य लाइसेंसिंग से एक कदम आगे बढ़ चुके हैं और कोवैक्सीन के उत्पादन को बढ़ाने के लिए भारत बायोटेक और 3 अन्य संस्थाओं के बीच सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित कर रहे हैं। स्पूतनिक के लिए भी इसी तरह की व्यवस्था का पालन किया जा रहा है। इस बारे में सोचें: मॉडर्ना ने अक्टूबर 2020 में कहा था कि वह अपनी वैक्सीन बनाने वाली किसी भी कंपनी पर मुकदमा नहीं करेगी, लेकिन फिर भी एक भी कंपनी ने ऐसा नहीं किया है, जिससे पता चलता है कि लाइसेंसिंग सबसे छोटी समस्या है। अगर वैक्सीन बनाना इतना आसान होता, तो विकसित देशों में भी वैक्सीन की खुराक की इतनी कमी क्यों होती?

मिथक 5: केंद्र ने राज्यों पर अपनी जिम्मेदारी को छोड़ दिया है

तथ्य: केंद्र सरकार वैक्सीन निर्माताओं को फंडिंग से लेकर उन्हें भारत में विदेशी टीके लाने के लिए उत्पादन में तेजी लाने हेतु शीघ्रता से मंजूरी देने से लेकर हर तरह के जरूरी कार्यों को अंजाम दे रही है। केंद्र द्वारा खरीदा गया टीका लोगों को निःशुल्क रूप से लगाने के लिए राज्यों को पूरी तरह से आपूर्ति की जाती है। यह सब राज्यों के संज्ञान में है। भारत सरकार ने केवल राज्यों को उनके ही स्पष्ट अनुरोध करने के बाद, स्वयं टीकों की खरीद का प्रयास करने में सक्षम बनाया है। राज्यों को देश में उत्पादन क्षमता और विदेशों से सीधे टीके खरीदनें में क्या कठिनाइयाँ आती हैं, इसके बारे में अच्छी तरह से पता था। वास्तव में, भारत सरकार ने जनवरी से अप्रैल तक संपूर्ण टीका कार्यक्रम चलाया और मई की स्थिति की तुलना में यह काफी बेहतर तरीके से प्रशासित था। लेकिन जिन राज्यों ने इन 3 महीनों में स्वास्थ्य कर्मियों और अग्रिम पंक्ति के कार्मिकों के टीककरण की दिशा में अच्छा कवरेज हासिल नहीं किया था, वे टीकाकरण की प्रक्रिया को खोलना चाहते थे और इसका अधिक विकेंद्रीकरण चाहते थे। स्वास्थ्य राज्य का विषय है और उदारीकृत टीका नीति राज्यों द्वारा उन्हें अधिक अधिकार देने के लिए किए जा रहे लगातार अनुरोधों का ही परिणाम थी। तथ्य यह है कि उनकी वैश्विक निविदाओं का कोई परिणाम नहीं निकला, और यह इस बात की भी पुष्टि करता है जिसे हम राज्यों को पहले दिन से बता रहे हैं: कि दुनिया में टीके की आपूर्ति कम मात्रा में हैं और उन्हें कम समय में खरीदना आसान नहीं है।

मिथक 6: केंद्र राज्यों को पर्याप्त वैक्सीन नहीं दे रहा है?

तथ्य: केंद्र राज्यों को तय दिशा-निर्देशों के अनुसार पारदर्शी तरीके से पर्याप्त टीके आवंटित कर रहा है। दरअसल, राज्यों को भी वैक्सीन की उपलब्धता के बारे में पहले से ही सूचित किया जा रहा है। निकट भविष्य में वैक्सीन की उपलब्धता बढ़ने वाली है और बहुत अधिक आपूर्ति संभव होगी। गैर-सरकारी माध्यम में, राज्यों को 25% खुराक मिल रही है और निजी अस्पतालों को 25% खुराक मिल रही है। हालाँकि, राज्यों द्वारा लोगों को इन 25% खुराकों को देने में ही हो रही मुश्किलों और समस्याओं को बहुत अधिक करके बताया जाता है। हमारे कुछ नेताओं का व्यवहार, जो टीके की आपूर्ति पर तथ्यों की पूरी जानकारी के बावजूद, प्रतिदिन टीवी पर दिखाई देते हैं और लोगों में दहशत पैदा करते हैं, बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। यह समय राजनीति करने का नहीं है। हम सभी को इस लड़ाई में एकजुट होने की जरूरत है।

मिथक 7: केंद्र बच्चों के टीकाकरण के लिए कोई कदम नहीं उठा रहा है

तथ्य: अभी तक दुनिया का कोई भी देश बच्चों को वैक्सीन नहीं दे रहा है। साथ ही, डब्ल्यूएचओ ने बच्चों का टीकाकरण करने की कोई सिफारिश नहीं की है। बच्चों में टीकों की सुरक्षा के बारे में अध्ययन किए गए हैं, और यह उत्साहजनक रहे हैं। भारत में भी जल्द ही बच्चों पर ट्रायल शुरू होने जा रहा है। हालांकि, बच्चों का टीकाकरण व्हाट्सएप ग्रुपों में फैलाई जा रही दहशत के आधार पर तय नहीं किया जाना चाहिए और क्योंकि कुछ राजनेता इस पर राजनीति करना चाहते हैं। परीक्षणों के आधार पर पर्याप्त डेटा उपलब्ध होने के बाद ही हमारे वैज्ञानिकों द्वारा यह निर्णय लिया जाना है।

18 से 44 आयु के कोविड-19 टीकाकरण के लिए नवीन निर्देश जारी,100 % ऑनलाईन रजिस्ट्रेशन पर किये जायेंगे,शेष वैक्सीन का उपयोग शाम 4 बजे बाद ऑनसाईट बुकिंग के आधार पर किया जाएगा attacknews.in

भोपाल, 27 मई । मध्यप्रदेश में शासकीय संस्थाओं में संचालित किये जा रहे 18 से 44 आयु संवर्ग के कोविड-19 टीकाकरण के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन संचालक श्रीमती छवि भारद्वाज ने समस्त मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी एवं जिला टीकाकरण अधिकारी को नवीन दिशा निर्देश जारी किये हैं।

मिशन संचालक श्रीमती भारद्वाज द्वारा जारी परिपत्र में 18 से 44 आयु संवर्ग के कोविड-19 टीकाकरण के लिए प्रदेश के 4 महानगरों में भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर और 12 नगर निगम क्षेत्रों बुरहानपुर, छिंदवाड़ा, सतना, रीवा, देवास, कटनी, खण्डवा, मुरैना, रतलाम, सागर, सिंगरौली एवं उज्जैन में 100 प्रतिशत टीकाकरण ऑनलाईन रजिस्ट्रेशन के आधार पर किये जायेंगे। स्लॉट बुकिंग के बाद भी लाभार्थी टीका लगाने उपस्थित नहीं होते हैं ऐसी स्थिति में टीकाकरण केन्द्रों पर शेष वैक्सीन का उपयोग शाम 4 बजे के उपरांत ऑनसाईट बुकिंग के आधार पर किया जाए। इसकी संख्या 20 प्रतिशत से अधिक न हो।

सशस्त्र बल कार्मिकों एवं पूर्व सैनिकों को टेली-मेडिसिन सेवाएं प्रदान करने के लिए सेहत ओपीडी पोर्टल का शुभारंभ attacknews.in

 

नईदिल्ली 27 मई ।रक्षा मंत्री  राजनाथ सिंह ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से ‘सर्विसेज़ ई-हेल्थ असिस्टेन्स एवं टेली-कंसल्टेशन (सेहत) ओपीडी पोर्टल शुरू किया। यह पोर्टल सेवारत सशस्त्र बलों कार्मिकों, पूर्व सैनिकों तथा उनके परिवारों को टेली-मेडिसिन सेवाएं प्रदान करता है। वेबसाइट

पर रजिस्ट्रेशन कराकर इन सेवाओं का लाभ उठाया जा सकता है। यह उन्नत सुरक्षा सुविधाओं के साथ सेहत ओपीडी पोर्टल का अंतिम संस्करण है। इसका परीक्षण संस्करण अगस्त 2020 में शुरू किया गया था। सैन्य सेवा के डॉक्टरों द्वारा बीटा संस्करण पर 6500 से अधिक चिकित्सा परामर्श पहले ही दिए जा चुके हैं।

इस अवसर पर श्री राजनाथ सिंह ने सैन्य मामलों के विभाग (डीएमए), सशस्त्र बल चिकित्सा सेवाएं (एएफएमएस), एकीकृत रक्षा स्टाफ (आईडीएस), प्रगत संगणन विकास केन्द्र (सी-डैक) मोहाली और पोर्टल के विकास में शामिल अन्य संगठनों की सराहना करते हुए कहा कि यह डिजिटल इंडिया और ई-गवर्नेंस के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। उन्होंने रेखांकित किया, ‘हमेशा से हमारा प्रयास रहा है कि हमारे देशवासियों को बेहतर, तेज और पारदर्शी सुविधाएं प्रदान की जाएं। रक्षा मंत्री ने सेहत ओपीडी पोर्टल को नवाचार का एक बड़ा उदाहरण बताया, खासकर ऐसे समय में जब राष्ट्र कोविड-19 महामारी से लड़ रहा है। उन्होंने बताया कि इस पोर्टल से अस्पतालों का भार कम करने में मदद मिलेगी और मरीज आसान और प्रभावी तरीके से संपर्क रहित परामर्श प्राप्त कर सकेंगे।

रक्षा मंत्री ने एएफएमएस से आग्रह किया कि वे इस पोर्टल पर विशेषज्ञ डॉक्टरों को जोड़ने पर विचार करें और सेवाकर्मियों के घरों में दवाओं के वितरण की सेवा को शामिल करें। उन्होंने कहा कि इससे अतिरिक्त सेवाएं उपलब्ध होंगी और सशस्त्र बलों के कर्मियों को अधिक सुविधा सुनिश्चित होगी। श्री राजनाथ सिंह ने सुझाव दिया कि सेवाओं के बेहतर वितरण के लिए लाभार्थियों का नियमित फीडबैक लिया जाना चाहिए।

श्री राजनाथ सिंह ने रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) और सशस्त्र बलों द्वारा दूसरी कोविड-19 लहर के खिलाफ लड़ाई में निभाई जा रही भूमिका की सराहना की। उन्होंने डीआरडीओ द्वारा दिल्ली, लखनऊ, गांधीनगर और वाराणसी सहित देश भर में कई स्थानों पर स्थापित किए जा रहे कोविड अस्पतालों और ऑक्सीजन उत्पादन संयंत्रों के साथ-साथ वायरस से लड़ने के लिए 2-डीजी दवा के विकास का विशेष उल्लेख किया। उन्होंने कोविड अस्पतालों में अतिरिक्त चिकित्सा पेशेवरों की तैनाती और मामलों में वृद्धि से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए एएफएमएस की भी सराहना की। श्री राजनाथ सिंह ने देश-विदेश के भीतर से समय पर ऑक्सीजन और अन्य महत्वपूर्ण चिकित्सा उपकरणों के परिवहन के लिए अथक परिश्रम करने के लिए भारतीय वायु सेना और भारतीय नौसेना की सराहना की। उन्होंने उनसे आग्रह किया कि वे अपनी मुहिम में ढिलाई न लाएं और कोविड-19 के खिलाफ युद्ध जीतने तक समर्पण के साथ अपने प्रयास जारी रखें।

इस अवसर पर रक्षा प्रमुख जनरल बिपिन रावत, नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह, सेनाध्यक्ष जनरल एम एम नरवणे, रक्षा सचिव डॉ. अजय कुमार, डीजी एएफएमएस सर्जन वाइस एडमिरल रजत दत्ता, डिप्टी चीफ आईडीएस (मेडिकल) लेफ्टिनेंट जनरल माधुरी कानितकर और रक्षा मंत्रालय के अन्य वरिष्ठ सिविल तथा सैन्य अधिकारी मौजूद रहे।

पेंपा सीरिंग ने ली तिब्बती सिक्योंग यानी प्रधानमंत्री पद की भारत में शपथ;तिब्बती सुप्रीम जस्टिस कमिश्नर सोनम नोरबू डगपो ने उन्हें शपथ दिलवाई attacknews.in

 

धर्मशाला, 27 मई । पेंपा सीरिंग ने केंद्रीय तिब्बती प्रशासन के सिक्योंग यानी प्रधानमंत्री पद की सादे एवं गरिमामय समारोह में शपथ ग्रहण की ।

इस अवसर पर तिब्बती सुप्रीम जस्टिस कमिश्नर सोनम नोरबू डगपो ने उन्हें शपथ दिलवाई व पेंपा को खता भेंट किया।

सबसे बडी बात शपथ ग्रहण के दौरान ये रही कि तिब्बती धार्मिक गुरू दलाई लामा ने पेंपा को वर्चुअली आशीर्वाद दिया।

इससे पहले निर्वतमान सिक्योंग डाॅ लोबसंग सांग्ये ने पेंपा सीरिंग को कदम सिशि डेकी की मुहर सौंपी।

ये मुहर सातवें दलाई लामा की मानी जाती है।

इसे सत्ता हस्तांतरण के वक्त सिक्योंग के सुपुर्द किया जाता है।

इसके साथ ही सांग्ये ने पेंपा को खता भेंट किया।

उल्लेखनीय है कि पेंपा सीरिंग निर्वासित तिब्बतियों के अगले पांच साल के लिए सिक्योंग यानी प्रधानमंत्री चुने गए हैं।

पेंपा सीरिंग को 34,324 मत मिले जबकि उनके प्रतिद्वंदी केलसंग दोरजे औकातत्संग को 28,960 मत हासिल हुए।

11 अप्रैल 2021 को दुनिया भर में निर्वासित तिब्बतियों के चुनाव का अंतिम दौर पूरा होने के बाद 14 मई को आधिकारिक तौर पर चुनाव नतीजे घोषित किए गए थे।

शपथ ग्रहण समारोह के साथ ही पेंपा आधिकारिक तौर पर केंद्रीय तिब्बती प्रशासन के पांच साल के लिए प्रधानमंत्री बन गए हैं।

इन्हें तिब्बती समुदाय में सिक्योंग कहा जाता है।

कोविड नियमों की पालना के तहत शपथ ग्रहण में चार ही लोग मौजूद थे।