कोविड से बुरी तरह प्रभावित क्षेत्रों के लिए रिजर्व बैंक की 15,000 करोड़ रुपये की नकदी सुविधा, इसके तहत कर्ज तीन साल के लिये उपलब्ध होगा attacknews.in

मुंबई, चार जून । कोविड-19 से बुरी तरह प्रभावित क्षेत्रों को समर्थन के लिए रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को 15,000 करोड़ रुपये की तरलता खिड़की सुविधा शुरू करने का फैसला किया है। यह सुविधा संपर्क-गहन क्षेत्रों मसलन होटल और रेस्तरां, पर्यटन तथा विमानन सहायक सेवाओं वाले क्षेत्र के लिये पेश की गई है।

यह सुविधा 31 मार्च, 2022 तक रेपो दर पर उपलब्ध 50,000 करोड़ रुपये की नकदी सुविधा के अतिरिक्त है। इसके तहत कर्ज तीन साल के लिये उपलब्ध होगा। इसकी घोषणा पांच मई को कोविड से जुड़े स्वास्थ्य क्षेत्र को जरूरी मदद के लिये की गई थी।

रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकान्त दास ने द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा की घोषणा करते हुए कहा, ‘‘संपर्क-गहन क्षेत्रों पर दूसरी लहर के प्रतिकूल प्रभाव से उबरने के लिए 31 मार्च, 2022 तक 15,000 करोड़ रुपये की एक अलग तरलता खिड़की शुरू होगी। रेपो दर पर इसकी अवधि तीन साल की होगी।’’

गवर्नर ने कहा कि इस योजना के तहत होटल, रेस्तरां, पर्यटन–ट्रैवल एजेंट, टूर ऑपरेटरों और एडवेंचर/हेरिटेज सुविधाओं, विमानन सहायक सेवाओं… ग्राउंड हैंडलिंग और आपूर्ति श्रृंखला और अन्य सेवाओं मसलन निजी बस परिचालकों, कार मरम्मत सेवाओं, किराये पर कार उपलब्ध कराने वालों, कार्यक्रम आयोजकों, स्पा क्लिनिक और ब्यूटी पार्लर/ सैलून आदि के लिए बैंक नया ऋण उपलब्ध करा सकते हैं।

दास ने कहा, ‘‘एक प्रोत्साहन के तहत बैंकों को इस योजना के तहत अपने ऋण आकार के बराबर अधिशेष नकदी को रिवर्स रेपो सुविधा के तहत रिजर्व बैंक के पास रखने की अनुमति होगी। इसके लिए बैंकों को रेपो दर से 0.25 प्रतिशत कम या दूसरे शब्दों में कहा जाए, तो रिवर्स रेपो दर से 0.40 प्रतिशत अधिक ब्याज मिलेगा।’’

वित्त मंत्रालय ने इससे पहले इस सप्ताह की शुरुआत में तीन लाख करोड़ रुपये की आपात रिण सुविधा गारंटी योजना (ईसीएलजीएस) के दायरे का विस्तार करते हुये अस्पतालों में आक्सीजन संयंत्र लगाने के लिये भी योजना के तहत रियायती रिण उपलब्ध कराया जायेगा।

इसके साथ ही योजना की वैधता को तीन माह बढ़ाकर 30 सितंबर तक कर दिया गया है अथवा तीन लाख करोड़ रुपये के कर्ज के लिये गारंटी जारी होने तक के लिये बढ़ा दिया गया है। सरकार ने इस सुविधा (ईसीएलजीएस 3.0) के तहत पात्रता के वासते 500 करोड़ रुपये के बकाया कर्ज की सीमा को भी हटा दिया है। इसमें अब प्रत्येक उधार लेने वाले को ईसीएलजीएस सहायता अधिकतम 40 प्रतिशत अथवा 200 करोड़ रुपये जो भी कम होगी रखी जायेगी। इसके तहत नागरिक उड्डयन क्षेत्र के लिये कर्ज को भी पात्र बना दिया गया है। इससे पहले इसमें आतिथ्य, यात्रा और पर्यटन, विश्राम स्थलों और खेलकूद वाले व्यवसायों को पात्र बनाया गया था। इसमें जिन व्यासायों का बकाया 29 फरवरी 2020 को 500 करोड़ रुपये से अधिक नही था। यदि कोई लंबित भुगतान था वह भी 60 दिन अिावा उससे कम होना चाहिये।

जमानत के लिए कोरोना संक्रमित की फर्जी रिपोर्ट देने पर दिल्ली हाईकोर्ट ने आरोपी, रिश्तेदारों, वकील, अस्पताल कर्मियों,पुलिस अधिकारी के खिलाफ दिए जांच के आदेश attacknews.in

नयी दिल्ली, चार जून । दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक आपराधिक मामले में आरोपी द्वारा अंतरिम जमानत बढ़ाए जाने के लिए कोविड-19 से संक्रमित पाए जाने की फर्जी रिपोर्ट देने पर कड़ा रुख अपनाया है और आरोपी, उसके रिश्तेदारों, वकील, अस्पताल कर्मियों तथा पुलिस अधिकारी के खिलाफ न्यायिक जांच का आदेश दिया है।

न्यायमूर्ति प्रतिभा एम. सिंह ने कहा कि अदालत आने वाले सभी पक्षों को साफ रिकॉर्ड के साथ आना होता है खासतौर से महामारी के दौरान जब अदालतों की कोविड-19 से संक्रमित पाए जाने वाले लोगों के प्रति सहानुभूति रही है।

उन्होंने कहा कि इस सहानुभूति का फायदा उठाना और जाली रिपोर्ट पेश करना ‘‘बिल्कुल भी क्षमा योग्य नहीं’’ है।

न्यायाधीश ने कहा, ‘‘पंजीयक सतर्कता की जांच रिपोर्ट के नतीजे अत्यधिक संतोषजनक हैं। अगर ऐसे गैरकानूनी कृत्यों को माफ किया गया और अगर माफी स्वीकार कर ली गई तो आपराधिक न्याय प्रशासन गंभीर खतरे में पड़ जाएगा। अदालत का स्पष्ट रूप से मानना है कि इस मामले से संबंधित सभी लोगों के खिलाफ कानून के अनुसार कार्रवाई की जाए।’’

न्यायमूर्ति सिंह ने कहा, ‘‘ऐसे मामलों में पैरवी करने वाले वकीलों की यह बड़ी जिम्मेदारी है कि वह यह सुनिश्चित करें कि अदालत की मर्यादा कम न हो और फर्जी तथा जाली दस्तावेजों के आधार पर आदेश पारित करने में अदालतों को गुमराह न किया हो।’’

उच्च न्यायालय ने महापंजीयक को इस मामले को जांच के लिए संबंधित न्यायिक मजिस्ट्रेट के पास भेजने का निर्देश दिया। साथ ही याचिकाकर्ता आरोपी नरेंद्र कसाना, उसके चार भतीजों, गाजियाबाद में जिला एमएमजी अस्पताल के नर्सिंग सहायक और वकील आनंद कटारिया के खिलाफ कानून के अनुसार कार्रवाई करने का भी निर्देश दिया।

यह मामला आरोपी नरेंद्र कसाना का है जिसे पिछले साल एक निचली अदालत से अंतरिम जमानत मिली थी। इसके बाद उसने जमानत अवधि बढ़ाए जाने का अनुरोध किया जिसे निचली अदालत ने खारिज कर दिया। इस पर उसने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की।

उच्च न्यायालय ने कोविड-19 जांच रिपोर्ट के आधारवपर उसकी अंतरिम जमानत बढ़ा दी। रिपोर्ट में कहा गया था कि वह कोरोना वायरस से संक्रमित है। इसके बाद वह फरार हो गया और उच्च न्यायालय ने उसके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किए तथा आखिरकार उसे गिरफ्तार कर लिया गया और अभी वह हिरासत में है।

बलात्कार के आरोपी पत्रकार की अग्रिम जमानत को चुनौती वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट ने यह कहते हुए खारिज कर दी कि,एक पुरुष आग्रह करता है और महिला मान जाती है, क्या इस चरण में इससे आगे भी कुछ कहने की जरूरत है attacknews.in

नयी दिल्ली, 04 जून । उच्चतम न्यायालय ने बलात्कार के एक मामले में मुंबई के टीवी पत्रकार वरुण हीरेमथ की अग्रिम जमानत को चुनौती देने वाली याचिका शुक्रवार को खारिज कर दी।22 वर्षीय महिला ने पत्रकार के खिलाफ बलात्कार का मुकदमा दर्ज कराया है।

मुंबई के टीवी पत्रकार वरुण पर आरोप है कि उसने एक मॉडल के साथ दिल्ली में बलात्कार किया था।

दिल्ली उच्च न्यायालय ने गत 13 मई को वरुण की अग्रिम जमानत याचिका मंजूर कर ली, जिसे शीर्ष अदालत में चुनौती दी गयी थी।

न्यायमूर्ति नवीन सिन्हा और न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी की अवकाशकालीन खंडपीठ ने उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ शिकायतकर्ता की अपील ठुकरा दी।

याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता नित्या रमाकृष्णन ने दलील दी कि उच्च न्यायालय का आरोपी को अग्रिम जमानत देने का निर्णय त्रुटिपूर्ण है।

सुश्री रमाकृष्णन ने याचिका के समर्थन में कई तरह की दलीलें दी और कहा कि उनकी मुवक्किल ने कमरे के अंदर बार-बार यौन संबंध बनाने के लिए मना किया था।

खंडपीठ ने उनकी दलील और याचिका यह कहते हुए खारिज कर दी कि एक पुरुष आग्रह करता है और महिला मान जाती है, क्या इस चरण में इससे आगे भी कुछ कहने की जरूरत है।

यह मामला चाणक्यपुरी पुलिस स्टेशन से जुड़ा है।
निचली अदालत ने पत्रकार की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी थी, लेकिन उच्च न्यायालय ने वरुण को राहत प्रदान करते हुए अग्रिम जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया था।

न्यायमूर्ति नवीन सिन्हा और न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी की अवकाशकालीन पीठ ने शिकायतकर्ता की याचिका को खारिज करते हुए कहा, ‘‘हमें दखल देने की कोई वजह नजर नहीं आयी। विशेष अनुमति याचिका खारिज की जाती है।’’

उच्च न्यायालय ने इस मामले में पत्रकार वरुण हिरेमथ को 13 मई को अग्रिम जमानत दी थी।

शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि आरोपी ने 20 फरवरी को चाणक्यपुरी में एक पांच सितारा होटल में उससे बलात्कार किया था।

हिरेमथ ने 12 मार्च को यहां एक निचली अदालत से अग्रिम जमानत याचिका खारिज होने के बाद उच्च न्यायालय में अपील दायर की थी।

महिला की शिकायत के आधार पर यहां चाणक्यपुरी पुलिस थाने में भारतीय दंड संहिता की धारा 376 (बलात्कार के लिए सजा), 342 (गलत तरीके से बंधक बनाने के लिए सजा) और 509 (किसी महिला का शील भंग करने के इरादे वाला शब्द, भाव भंगिमा या कार्य करना) के तहत एक प्राथमिकी दर्ज की गई।

याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील ने उच्चतम न्यायालय में दलील दी कि आरोपी पहले 50 दिन तक फरार रहा था और उसने गैर जमानती वारंट भी नजरअंदाज किए थे।

शीर्ष न्यायालय में अपनी याचिका में महिला ने आरोप लगाया कि आरोपी ने पुलिस जांच में सहयोग न करने के बावजूद एक दिन के लिए भी न्यायिक पूछताछ का सामना नहीं किया।

याचिकाकर्ता ने कहा कि उच्च न्यायालय द्वारा छह अप्रैल को आरोपी को गिरफ्तारी से अंतरिम राहत दिए जाने के बाद आरोपी जांच अधिकारियों के समक्ष पेश हुआ।

आरोपी की ओर से पेश वकील ने निचली अदालत में दावा किया था कि शिकायकर्ता और पत्रकार के बीच यौन संबंध रहे हैं।

आरोपी के वकील ने दोनों के बीच प्रेम प्रसंग दिखाने के लिए निचली अदालत में व्हाट्सऐप तथा इंस्टाग्राम पर उनकी चैट भी दिखाई।

निचली अदालत ने अग्रिम जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा था कि शिकायकर्ता के आरोपी के साथ पूर्व के अनुभव सहमति के तौर पर नहीं माने जा सकते और अगर अदालत में महिला कहती है कि उसकी सहमति नहीं थी तो यह माना जायेगा कि उसकी रजामंदी नहीं थी।

ऑक्सीजन कंसंट्रेटर्स को बेचने लगे थे वितरक ऊंची कीमत के स्तर पर,मार्जिन 198 प्रतिशत तक चला गया था,सरकार ने लगाई लगाम और 70 प्रतिशत की अधिकतम सीमा निर्धारित की attacknews.in

एनपीपीए एक सप्ताह के भीतर संशोधित एमआरपी सूचित करेगा

नईदिल्ली 4 जून ।कोविड महामारी के कारण उत्पन्न असाधारण परिस्थितियों, जिसके परिणामस्वरूप् ऑक्सीजन कंसंट्रेटर्स की अधिकतम खुदरा कीमतों (एमआरपी) में हाल में अस्थिरता आई है, को देखते हुए सरकार ने ऑक्सीजन कंसंट्रेटर्स की कीमत को विनियमित करने के लिए कदम उठाने का फैसला किया है।

सरकार द्वारा संग्रहित सूचना के अनुसार, वर्तमान में वितरक के स्तर पर मार्जिन 198 प्रतिशत तक चला गया है।

व्यापक सार्वजनिक हित में डीपीसीओ, 2013 के पैरा 19 के तहत असाधारण शक्तियों को लागू करते हुए एनपीपीए ने ऑक्सीजन कंसंट्रेटर्स पर वितरक के लिए मूल्य (पीटीडी) स्तर पर व्यापार मार्जिन पर 70 प्रतिशत की अधिकतम सीमा निर्धारित की है।

इससे पहले, फरवरी 2019 में एनपीपीए ने सफलतापूर्वक कैंसर-रोधी दवाओं पर व्यापार मार्जिन पर अधिकतम सीमा निर्धारित की थी।

अधिसूचित व्यापार मार्जिन के आधार पर, एनपीपीए ने विनिर्माताओं/आयातकों को तीन दिनों के भीतर संशोधित एमआरपी रिपोर्ट करने का निर्देश दिया है। एनपीपीए द्वारा एक सप्ताह के भीतर सार्वजनिक रूप से संशोधित एमआरपी की सूचना दे दी जाएगी।

प्रत्येक रिटेलर, डीलर, अस्पताल और संस्थान विनिर्माता द्वारा प्रस्तुत मूल्य सूची को व्यवसाय परिसर के एक विशेष हिस्से में इस प्रकार से प्रदर्शित करेगा कि इसके लिए संपर्क करने की इच्छा रखने वाले किसी भी व्यक्ति के लिए इसकी पहुंच सुगम हो।

व्यापार मार्जिन पर अधिकतम सीमा निर्धारित करने के बाद इसका अनुपालन नहीं करने वाले विनिर्माता/आयातक अनिवार्य वस्तु अधिनियम, 1955 के साथ पठित औषधि आदेश (मूल्य नियंत्रण), 2013 के प्रावधानों के तहत 15 प्रतिशत ब्याज दर तथा 100 प्रतिशत तक आर्थिक दंड के साथ अधिक वसूली गई राशि जमा करने के उत्तरदायी होंगे।

राज्य औषधि नियंत्रक (एसडीसी) यह सुनिश्चित करने के लिए कि कोई विनिर्माता, वितरक, रिटेलर किसी ग्राहक को ऑक्सीजन कंसंट्रेटर्स की बिक्री संशोधित एमआरपी से अधिक मूल्य पर न करे तथा कालाबाजारी की घटनाओं को रोकने के लिए आदेश के अनुपालन की निगरानी करेंगे।

यह आदेश 30 नवंबर तक लागू रहेगा, फिर से इसकी समीक्षा की जाएगी।

देश में कोरोना महामारी की दूसरी लहर में बीमारी के मामलों में आई तेजी के साथ, मेडिकल ऑक्सीजन की मांग में भारी बढोतरी हो गई है।

सरकार महामारी के दौरान देश में समुचित मात्रा में ऑक्सीजन तथा ऑक्सीजन कंसंट्रेटर की निर्बाधित आपूर्ति सुनिश्चित करने का प्रयास कर रही है।

ऑक्सीजन कंसंट्रेटर एक गैर-अधिसूचित औषधि है तथा वर्तमान में केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) की स्वैच्छिक लाइसेंसिंग ढांचे के तहत है। इसकी कीमत की निगरानी डीपीसीओ 2013 के प्रावधानों के तहत की जा रही है।

इतिहास में पहली बार इतनी बड़ी घटना हुई ,पिछली सदी में देशों के आविष्कार पर भारत वर्षों इंतजार करता था,आज कोरोना का टीका बनाकर देश के वैज्ञानिक बराबर का काम कर रहे हैं attacknews.in

मानवता को इस महामारी से बचाने के लिए एक साल के भीतर जिस पैमाने और गति से टीके बनाए गए, उसके लिए प्रधानमंत्री ने वैज्ञानिकों की सराहना की

प्रधानमंत्री ने सीएसआईआर सोसायटी की बैठक की अध्यक्षता की

हमें इस दशक की जरूरतों के साथ-साथ आने वाले दशकों की जरूरतों के लिए भी तैयार रहना होगा

नईदिल्ली 4 जून । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) सोसायटी की बैठक की अध्यक्षता की।

इस अवसर पर बोलते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि कोरोना महामारी इस सदी की सबसे बड़ी चुनौती बनकर उभरी है। लेकिन अतीत में जब भी कोई बड़ा मानवीय संकट आया है, विज्ञान ने एक बेहतर भविष्य के लिए रास्ता तैयार किया है। उन्होंने कहा कि विज्ञान की मूल प्रकृति संकट के समय समाधानों और संभावनाओं की तलाश कर नई ताकत पैदा करना है।

मानवता को इस महामारी से बचाने के लिए एक साल के भीतर जिस पैमाने और गति से टीके बनाए गए, उसके लिए प्रधानमंत्री ने वैज्ञानिकों की सराहना की। उन्होंने कहा कि इतिहास में पहली बार इतनी बड़ी घटना हुई है। उन्होंने कहा कि पिछली सदी में दूसरे देशों में आविष्कार किए गए थे और भारत को उनके लिए कई वर्षों तक इंतजार करना पड़ा था। लेकिन आज हमारे देश के वैज्ञानिक दूसरे देशों के साथ एक जैसी गति से और बराबर का काम कर रहे हैं।

उन्होंने कोरोना के खिलाफ लड़ाई में भारत को कोविड-19 के टीके, जांच किट, आवश्यक उपकरण और नई कारगर दवाओं के मामले में आत्मनिर्भर बनाने के लिए वैज्ञानिकों की सराहना की। उन्होंने कहा कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी को विकसित देशों के बराबर लाना उद्योग और बाजार के लिए बेहतर रहेगा।

प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे देश में विज्ञान, समाज और उद्योग को एक ही धरातल पर रखने के लिए सीएसआईआर एक संस्थागत व्यवस्था के रूप में कार्य करता है। हमारी इस संस्था ने देश को शांति स्वरूप भटनागर जैसी अनेक प्रतिभाएं और वैज्ञानिक दिए हैं जिन्होंने इस संस्था को नेतृत्व प्रदान किया। उन्होंने कहा कि सीएसआईआर के पास अनुसंधान और पेटेंट इको-सिस्टम की एक सशक्त व्यवस्था है। उन्होंने कहा कि सीएसआईआर देश की कई समस्याओं के समाधान के लिए काम कर रहा है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि देश के आज के लक्ष्य और 21वीं सदी के देशवासियों के सपने एक बुनियाद पर टिके हैं। इसलिए सीएसआईआर जैसी संस्थाओं के लक्ष्य भी असाधारण हैं। आज का भारत हर क्षेत्र – जैव प्रौद्योगिकी से लेकर बैटरी प्रौद्योगिकी तक, कृषि से लेकर खगोल विज्ञान तक, आपदा प्रबंधन से लेकर रक्षा प्रौद्योगिकी तक, टीकों से लेकर आभासी वास्तविकता (वर्चुअल रियलिटी) तक – में आत्मनिर्भर और सशक्त बनना चाहता है।

उन्होंने कहा कि आज भारत सतत विकास और स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में दुनिया को राह दिखा रहा है। आज भारत सॉफ्टवेयर से लेकर सैटेलाइट तक।के क्षेत्र में दुनिया के विकास में एक प्रमुख इंजन की भूमिका निभाते हुए दूसरे देशों के विकास में तेजी ला रहा है। इसलिए, उन्होंने कहा कि भारत के लक्ष्य इस दशक के साथ-साथ अगले दशक की जरूरतों के अनुरूप होने चाहिए।

प्रधानमंत्री ने कहा कि दुनिया भर के विशेषज्ञ जलवायु परिवर्तन को लेकर लगातार बड़ी आशंका जता रहे हैं। उन्होंने सभी वैज्ञानिकों और संस्थानों से वैज्ञानिक दृष्टिकोण के साथ तैयारी करने का आह्वान किया। उन्होंने उनसेहर क्षेत्र- कार्बन कैप्चर से लेकर ऊर्जा भंडारण और हरित हाइड्रोजन प्रौद्योगिकियों तक – में आगे बढ़कर नेतृत्व करने के लिए कहा।

उन्होंने सीएसआईआर से समाज और उद्योग को साथ लेकर चलने का आग्रह किया। उन्होंने उनकी सलाह के अनुरूप लोगों से सुझाव लेना शुरू करने के लिए सीएसआईआर की सराहना की। उन्होंने 2016 में शुरू किए गए अरोमा मिशन में सीएसआईआर की भूमिका की प्रशंसा की।

उन्होंने कहा कि आज देश के हजारों किसान फूलों की खेती के जरिए अपनी किस्मत बदल रहे हैं। उन्होंने देश के भीतर हींग की खेती में मदद करने के लिए सीएसआईआर की सराहना की, जिसके लिए भारत आयात पर निर्भर था।

प्रधानमंत्री ने सीएसआईआर से एक रोडमैप के साथ एक निश्चित तरीके से आगे बढ़ने का आग्रह किया। इस कोविड -19 संकट ने भले ही विकास की गति को प्रभावित किया हो, लेकिन आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करने की प्रतिबद्धता बनी हुई है। उन्होंने हमारे देश में उपलब्ध अवसरों का अधिकतम उपयोग करने का आह्वान किया।

उन्होंने कहा कि हमारे सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) और स्टार्टअप के लिए कृषि से लेकर शिक्षा समेत हर क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं। उन्होंने सभी वैज्ञानिकों और उद्योग जगत से कोविड संकट के दौरान हासिल की गई सफलता को हर क्षेत्र में दोहराने का आग्रह किया।

मध्यप्रदेश में गुरुवार को कोरोना के 846 नये मरीज आये सामने, 50 की मृत्यु; अबतक संक्रमितों की संख्या 7,82,945 और मृतकों की संख्या 8207 हुई attacknews.in

भोपाल, 03 जून । मध्यप्रदेश में दिनों दिन कम होते जा रहे कोरोना संक्रमण के बीच आज 846 लोग कोरोना संक्रमित मिले हैं।इस महामारी से आज 50 लोगों की जान ले ली।सक्रिय मामलों की संख्या घटकर 14186 पहुंच गयी है।

राज्य के स्वास्थ्य संचालनालय की ओर से जारी बुलेटिन के अनुसार 78,489 सैंपल की जांच में 846 कोरोना संक्रमित मिले है।

जबकि 77,643 की रिपोर्ट निगेटिव रहे।

188 सैंपल रिजेक्ट हुए और संक्रमण दर आज घटकर 1़ 0 प्रतिशत पहुंच गयी।

प्रदेश भर में आज 846 नए मामले आने के बाद कुल संक्रमितों की संख्या बढ़कर 7,82,945 हाे गयी।

राहत की खबर है कि इनमें से 7,60,552 लोग कोरोना संक्रमण को परास्त घर पहुंच चुके हैं।

इस संक्रमित महामारी ने राज्य में अब तक 8207 लोगों की जान लिया है।

वर्तमान में सक्रिय मामले अब 14,186 हो गए हैं।

राज्य के इंदौर जिले में 287, भोपाल में 183, ग्वालियर में 17, जबलपुर में 71, उज्जैन में 8, रतलाम में 16, सागर में 12, रीवा में 13, खरगोन में 13, बैतूल में 14 और धार में 11 नए मामले सामने आए।

ईडी ने उर्वरक घोटाले से जुड़े धनशोधन मामले और 685 करोड़ रुपए की रिश्वत की जांच में राजद नेता, राज्यसभा सदस्य अमरेंद्र धारी सिंह को गिरफ्तार attacknews.in

 

नयी दिल्ली, तीन जून । प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कथित उर्वरक घोटाले से जुड़े धनशोधन मामले और 685 करोड़ रुपए की रिश्वत के मामले की जांच के सिलसिले में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) नेता एवं राज्यसभा सदस्य अमरेंद्र धारी सिंह को गिरफ्तार किया है।

अधिकारियों ने बृहस्पतिवार को बताया कि 61 वर्षीय सांसद और कारोबारी सिंह को धनशोधन रोकथाम कानून (पीएमएलए) की धाराओं के तहत यहां डिफेंस कॉलोनी स्थित उनके आवास से गिरफ्तार किया गया।

अधिकारियों ने यह नहीं बताया कि सिंह को हिरासत में कब लिया गया।

उन्होंने बताया कि केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) 2007-14 के बीच इफको के प्रबंध निदेशक यू एस अवस्थी और इंडियन पोटाश लिमिटेड के प्रबंध निदेशक परविंदर सिंह गहलोत के प्रवासी भारतीय बेटों तथा अन्य द्वारा विदेशी आपूर्तिकर्ताओं से कथित तौर पर 685 करोड़ रुपए का अवैध कमीशन हासिल करने के मामले की जांच कर रहा है। इन लोगों पर अगस्तावेस्टलैंड मामले में आरोपी राजीव सक्सेना की मदद से हुए लेन-देन के जरिए यह कमीशन लेने का आरोप है।

अधिकारियों ने बताया कि ऐसा कहते हैं कि सिंह इस मामले में संलिप्त फर्म ‘ज्योति ट्रेडिंग कॉरपोरेशन’ के वरिष्ठ उपाध्यक्ष हैं।

उन्होंने बताया कि धनशोधन के संबंध में उनकी भूमिका ईडी की जांच के दायरे में है और अदालत से उनकी हिरासत हासिल करने के बाद एजेंसी उनसे आगे पूछताछ करेगी।

अधिकारियों ने सीबीआई की प्राथमिकी का अध्ययन किया, जिसके बाद ईडी का मामला दर्ज किया गया। सीबीआई ने इस मामले में पिछले महीने कम से कम एक दर्जन स्थलों पर छापे मारे थे।

सीबीआई ने अपनी प्राथमिकी में आरोप लगाया है कि लेन-देन में एक जटिल नेटवर्क के जरिए उर्वरकों और कच्ची सामग्रियों के आपूर्तिकर्ताओं से कमीशन लिया गए।

एजेंसी के मुताबिक अवस्थी और गहलोत को दिए गए कमीशन को छिपाने के लिए कंसल्टेंसी समझौतों की आड़ में घुमावदार रास्तों से ये अवैध लेन-देन किए गए। गहलोत ने कथित तौर पर बढ़ी हुई कीमतों पर उर्वरकों और कच्ची सामग्रियों का आयात किया।

अगस्तावेस्टलैंड हेलीकॉप्टर मामले में रिश्वत भेजने के लिए कथित तौर पर इसी तरह के तौर-तरीके का इस्तेमाल किया गया था जिसमें सक्सेना के खिलाफ जांच चल रही है।

इफको कई राज्यों में काम करने वाली सहकारी कंपनी है, जबकि आईपीएल उसकी एक अनुषंगी है जो उन उर्वरकों की आपूर्ति करती है जिनकी कीमतों को नियंत्रण में रखने के लिए सरकार सब्सिडी देती है।

सीबीआई का आरोप है कि 2007-14 के बीच ऊंची सब्सिडी हासिल करने के लिए अवस्थी और गहलोत ने एक आपराधिक साजिश के तहत विभिन्न विदेशी आपूर्तिकर्ताओं से बढ़ी हुई कीमतों पर उर्वरकों का आयात किया जिनमें दोनों के कमीशन शामिल थे।

सीबीआई के मुताबिक कमीशन के पैसे अमेरिका में रहने वाले अवस्थी और गहलोत के बेटों और अन्य आरोपियों के जरिए भारत से बाहर भेजे गए।

प्राथमिकी के मुताबिक सक्सेना और उसके सहयोगियों ने अपने समूह की कंपनियों के खाते और जैन, गहलोत के बेटे विवेक, अवस्थी के बेटे अमोल एवं ए डी सिंह के निजी खातों में 60 रुपए प्रति डॉलर की लेन-देन दर पर करीब 685 करोड़ रुपए (11.43 करोड़ डॉलर) का अवैध कमीशन हासिल किया।

प्राथमिकी में कहा गया कि जानकारी मिली है कि रिश्वत के पैसे यू एस अवस्थी के बेटों अमोल अवस्थी एवं अनुपम अवस्थी और परविंदर सिंह गहलोत के बेटे विवेक गहलोत को मिले। तीनों अमेरिका में रहने वाले प्रवासी भारतीय हैं।

सीबीआई ने यह भी आरोप लगाया है कि अमोल अवस्थी एवं अनुपम अवस्थी और विवेक गहलोत को उनके स्वामित्व वाली कंपनियों के खातों में या नकदी के रुप में जैन के रेयर अर्थ ग्रुप के जरिए करीब 8.02 करोड़ डॉलर (करीब 481 करोड़ रुपए) और बाकी 3.41 करोड़ डॉलर (करीब 204 करीब रुपए) मिले।

मध्यप्रदेश के 3000 जूनियर डाक्टरों ने अपनी मांगों के समर्थन में त्यागपत्र सौंपे;अध्यक्ष अरविंद मीणा ने कहा:6 मई की चर्चा में सरकार के आश्वासन को पूरा करने की मांग पर कर रहे हैं आंदोलन  attacknews.in

 

भोपाल, 03 जून। मध्यप्रदेश में पिछले चार दिनों से अपनी विभिन्न मांगाें को लेकर हड़ताल कर रहे राज्य जूनियर डॉक्टर्स एसोसिएशन (जूडा) के अध्यक्ष अरविंद मीणा ने कहा कि अपनी मांगों के समर्थन में आज राज्य के लगभग 3000 जूनियर डॉक्टर्स ने अपने त्यागपत्र संबंधित मेडिकल कालेज के डीन को सौंप दिए हैं।

श्री मीणा ने दूरभाष पर  कहा कि दरअसल वे जिन मुद्दों को लेकर आंदोलन कर रहे हैं, वो सरकार की ओर से पूर्व में दिए गए आश्वासन हैं।

उनका कहना है कि सरकार ने छह मई की चर्चा में जो भी आवश्वासन दिए थे, वे पूरे होने चाहिए। इन्हीं मुद्दों को लेकर हम लोग आंदोलन कर रहे हैं, लेकिन सरकार हमसे बातचीत करने ही राजी नहीं है।

श्री मीणा ने कहा कि राज्य के विभिन्न मेडिकल कालेज के लगभग 3000 जूनियर डाक्टर्स ने आज देर शाम अपने त्यागपत्र संबंधित डीन को सौंप दिए हैं।

साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि यदि सरकार बात करे, तो अपना अगल कदम भी उठाने तैयार हैं।

इस बीच राज्य उच्च न्यायालय ने आज इस हड़ताल काे अवैधानिक घोषित करते हुए सभी हड़ताली डॉक्टरों से 24 घंटे के अंदर काम पर लौटने के लिए कहा है।

इसके पहले दिन में राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों ने भी मीडिया से चर्चा के दौरान जूनियर डॉक्टर्स से अपेक्षा की है कि वे तुरंत अपना कार्य प्रारंभ करें।यह कोविड का अभूतपूर्व दौर है।

इस बीच सरकार की तरफ से कहा गया है कि जूडा स्टाइपेंड में 24 प्रतिशत बढोत्तरी चाहती है।

वे स्टाइपेंड को 55000 से बढ़ाकर 68200 और 57000 से बढ़ाकर 70680 और 59000 से बढ़ाकर 73160 रुपए चाहते हैं।शासन इसे अनुचित मानती है।

शासन का कहना है कि अन्य विभागाें की तरह सीपीआई अनुसार जूनियर डॉक्टर्स के स्टाइपेंड में 17 प्रतिशत की वृद्धि मान्य की गयी है।

शासन ने यह भी कहा कि कोविड ड्यूटी करने के कारण अतिरिक्त पारितोषिक व वजीफे की मांग युद्ध के मध्य युद्धरत सैनिक द्वारा किसी भी प्रकार की वित्तीय मांग किया जाने जैसा है।

जूडा की दूसरी मांग प्रत्येक वर्ष वार्षिक 6 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी भी बेसिक स्टाइपेंड में करने की है।

शासन का कहना है कि प्राइज इंडेक्स के तहत बढ़ोत्तरी दी जाएगी, जैसे अन्य विभागों को दी जाती है।

जूडा की पीजी करने के बाद एक साल के ग्रामीण बांड को कोविड ड्यूटी के बदले हटाने के लिए एक कमेटी बनाने संबंधी है।

सरकार इस मांग को भी पूरी तरह अनुचित मान रही है।

ऐसा करने से ग्रामीण अंचल के गरीब व्यक्तियों को उच्च कोटि की गुणवत्तापूर्ण चिकित्सकीय सेवा से वंचित होना पड़ेगा।

जूडा की एक अन्य मांग है कि कोविड ड्यूटी में कार्यरत हर जूनियर डाक्टर को 10 नंबर का एक गजटेड सर्टिफिकेट मिलेगा, जो आगे उसे सरकारी नौकरी में फायदा प्रदान करेगा।

शासन का कहना है कि केंद्र सरकार की ओर से तीन मई 2021 को जारी गाइडलाइन के अनुसार अल्पावधि के कोविड कार्य करने वाले व्यक्तियों को आकर्षित करने के लिए जारी की गयी है।

इसी के अनुरूप सबको लाभ दिया जाएगा।

शासन का कहना है कि कोविड अथवा अन्य महामारी में सेवाएं दिया जाना किसी भी सरकारी चिकित्सक समुदाय का मूल कर्तव्य है।

इसके लिए अतिरिक्त पारितोषिक की मांग करना अनुचित है।

शासन ने शेष दो मांगों के संबंध में भी अपना पक्ष रखा है, जो उनके परिजनों को चिकित्सा सुविधा और सुरक्षा मुहैया कराने से संबंधित है।

मध्यप्रदेश सरकार ने जूनियर डाक्टरों के स्टायपेंड में 17 प्रतिशत की बढ़ोतरी के दिए आदेश,चिकित्सा छात्र बीमा योजना भी लागू की जाएगी attacknews.in

 

भोपाल, 03 जून । राज्य के चिकित्सा शिक्षा आयुक्त निशांत बरबड़े ने बताया है कि जूनियर डॉक्टर्स की समस्याओं के निराकरण के संबंध में चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग कई बार उनके प्रतिनिधियों से चर्चा कर चुके हैं।

चिकित्सा शिक्षा मंत्री ने माँगों के सकारात्मक समाधान के लिए अनेक कदम भी उठाये हैं।

श्री वरवड़े ने बताया कि सी.पी.आई. अनुसार जूनियर डॉक्टर्स के स्टायपेंड में 17 प्रतिशत की वृद्धि मान्य की गयी है।जल्द ही इसके आदेश जारी हो जायेंगे।
प्राइस इंडेक्स के तहत इसमें आगे भी बढ़ोत्तरी की जायेगी।

स्टायपेंड के अतिरिक्त इनके लिए चिकित्सा छात्र बीमा योजना लागू की जा रही है।

नेशनल मेडिकल काउंसिल की गाइडलाइन के अनुसार डॉक्टर्स का कार्य बहुत ही पवित्र कार्य है।

डॉक्टर्स का मुख्य उद्देश्य इनाम या वित्तीय लाभ प्राप्त करना नहीं अपितु मानवता की सेवा करना है।कानून सभी के लिये बराबर और समान है।

श्री वरवड़े ने बताया कि अत्यावश्यक सेवा संधारण तथा विछिन्नता अधिनियम-1979 आवश्यकतानुसार अनेक सेवाओं से जुड़े अधिकारियों/कर्मचारियों पर भी लगाया जाता है।

उन्होंने कहा कि जूनियर डॉक्टर्स से अपेक्षा है कि वे मरीजों का उपचार जारी रखें।यह उनका नैतिक दायित्व भी है।

संचालक चिकित्सा शिक्षा डॉ. उल्का श्रीवास्तव ने बताया कि डॉक्टर्स अपनी इच्छानुसार पी.जी. करने के लिए मेडिकल कॉलेज का चयन करते हैं।

मेडिकल कॉलेज का चयन करते समय उन्हें मालूम रहता है कि उन्हें कितना स्टायपेंड मिलेगा।

उन्होंने कहा कि डॉक्टरों को पी.जी. के दौरान प्रेक्टिकल के लिए भी मरीजों का उपचार करना जरूरी है।

डॉ. श्रीवास्तव ने कहा कि कोरोना जैसी महामारी में सेवाभाव से डॉक्टरों को जल्द काम पर वापस आना चाहिए।

महाराष्ट्र  पुलिस ने तमिल और अन्य दक्षिण भारतीय फिल्मों में काम कर चुकी अभिनेत्रियों को सेक्स रैकेट अड्डे से किया गिरफ्तार,2 महिलाओं समेत 3 लोगों की गिरफ्तारी attacknews.in

 

ठाणे 03 जून ।महाराष्ट्र में ठाणे की पुलिस ने तमिल और अन्य दक्षिण भारतीय फिल्मों में काम कर चुकी दो अभिनेत्रियों को देहव्यापार से मुक्त करा लिया और इस मामले में दो महिलाओं समेत तीन लोगों को गिरफ्तार किया है।

पुलिस सूत्रों के मुताबिक मुंबरा के अमृत नगर की एक महिला देहव्यापार की दलाल के रूप में शहर के नौपाड़ा इलाके में एक आवास से यह धंधा किये जाने की पुलिस को सूचना मिली थी।

पुलिस ने योजनाबद्ध तरीके से एक डमी ग्राहक वहां भेजा , जिसने महिला से मॉडल अथवा ऑर्केस्ट्रा आर्टिस्ट लड़की और फिल्म अभिनेत्री की मांग की। महिला ने इसके लिए प्रत्येक को दो लाख रूपये देने की बात कही और मोलभाव के बाद वह 1.80 लाख रूपये के लिए राजी हुई।

आरोपी महिला ने गोरेगांव निवासी विशाल उर्फ सुनील कुमार उत्तमचंद के जरिए बुधवार को नौपाड़ा में एक अन्य महिला के आवास पर दो अभिनेत्रियों को बुलवाया।

पुलिस ने भारतीय दंड संहिता की धारा 370(2),(3) और अन्य संबंधित कानूनों के तहत मामला दर्ज किया है।

इसी दौरान पुलिस ने वहां छापा मारकर पीडि़तों को बचाया तथा दो महिलाओं और एक व्यक्ति को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस ने आरोपियों के पास से 2,14,015 रुपए नकद और महंगे मोबाइल फोन भी बरामद किया है।

पूछताछ में पता चला है कि तीनों आरोपियों अभिनेत्रियों और मॉडल लड़कियों को अच्छे पैसे का लोभ देकर देहव्यापार में ढकेलते रहे हैं। पुलिस ने भारतीय दंड संहिता की धारा 370(2),(3) और अन्य संबंधित कानूनों के तहत मामला दर्ज किया है।

पत्रकार विनोद दुआ को यह आदेश बचा ले गया: सुप्रीम कोर्ट ने 1962 के अपने फैसले में कहा था कि “सरकार के कार्यों की आलोचना के लिए एक नागरिक के खिलाफ राजद्रोह के आरोप नहीं लगाए जा सकते, क्योंकि यह भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अनुरूप है” attacknews.in

नयी दिल्ली, तीन जून । उच्चतम न्यायालय ने पत्रकार विनोद दुआ के यूट्यूब कार्यक्रम को लेकर उनके खिलाफ राजद्रोह के आरोप में हिमाचल प्रदेश के एक स्थानीय भाजपा नेता द्वारा दर्ज करायी गई प्राथमिकी बृहस्पतिवार को रद्द करते हुए कहा कि 1962 का फैसला प्रत्येक पत्रकार को सुरक्षा का अधिकार देता है।

न्यायमूर्ति यू यू ललित और न्यायमूर्ति विनीत सरन की पीठ ने हालांकि दुआ का वह अनुरोध अस्वीकार कर दिया कि जिसमें उन्होंने कहा था कि जब तक एक समिति अनुमति नहीं दे देती, तब तक पत्रकारिता का 10 साल से अधिक का अनुभव रखने वाले किसी मीडिया कर्मी के खिलाफ कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं की जाए।

पीठ ने कहा कि यह कार्यपालिका के अधिकार क्षेत्र में हस्तक्षेप होगा।

मीडिया कर्मियों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर पीठ ने कहा, ‘‘ केदार नाथ सिंह फैसले (भादंवि में राजद्रोह अपराध के दायरे पर 1962 का प्रसिद्ध आदेश) के तहत प्रत्येक पत्रकार सुरक्षा का हकदार है। ’’

भादंवि की धारा 124ए (देशद्रोह) की वैधता बरकरार रखते हुए शीर्ष अदालत ने 1962 के अपने फैसले में कहा था कि सरकार के कार्यों की आलोचना के लिए एक नागरिक के खिलाफ राजद्रोह के आरोप नहीं लगाए जा सकते, क्योंकि यह भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अनुरूप है।

पीठ ने पिछले साल छह अक्टूबर को दुआ का पक्ष सुनने के बाद याचिका पर आदेश को सुरक्षित रख दिया था।

शीर्ष अदालत ने पिछले साल 20 जुलाई को मामले में किसी भी दंडात्मक कार्रवाई से दुआ को दिया गया संरक्षण अगले आदेश तक बढ़ा दिया था।

शीर्ष अदालत ने पहले कहा था कि दुआ को मामले के संबंध में हिमाचल प्रदेश पुलिस द्वारा पूछे गए किसी अन्य पूरक प्रश्न का उत्तर देने की आवश्यकता नहीं है।

भाजपा नेता श्याम ने शिमला जिले के कुमारसैन थाने में पिछले साल छल मई को राजद्रोह, सार्वजनिक उपद्रव मचाने, मानहानिकारक सामग्री छापने आदि के आरोप में भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत दुआ के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई थी और पत्रकार को जांच में शामिल होने को कहा गया था।

श्याम ने आरोप लगाया था कि दुआ ने अपने यूट्यूब कार्यक्रम में प्रधानमंत्री पर कुछ आरोप लगाए थे।

इससे पहले, शीर्ष अदालत ने पिछले वर्ष 14 जून को रविवार के दिन अप्रत्याशित सुनवाई करते हुए विनोद दुआ को अगले आदेश तक गिरफ्तारी से संरक्षण प्रदान किया था, लेकिन उनके खिलाफ चल रही जांच पर रोक लगाने से इंकार कर दिया था।

दुआ ने न्यायालय से उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी रद्द करने का अनुरोध किया था।

उन्होंने कहा है कि प्रेस की स्वतंत्रता संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (ए) के तहत प्रदत्त मौलिक अधिकार है।

न्यायालय पत्रकार घटनाक्रम

उच्चतम न्यायालय ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ अपने यूट्यूब कार्यक्रम पर कथित रूप से टिप्पणी करने को लेकर वरिष्ठ पत्रकार विनोद दुआ के खिलाफ दर्ज राजद्रोह के मामले को रद्द करते हुए कहा कि 1962 का एक फैसला हर पत्रकार को सरंक्षण का हक देता है। इस मामले का घटनाक्रम इस प्रकार है।

30 मार्च 2020: दुआ ने यूट्यूब पर एक वीडियो अपलोड करके 2019 में हुए पुलवामा हमले और 2020 में कोरोना वायरस के कारण लगाए गए लॉकडाउन को लेकर सरकार की आलोचना की।

छह मई: हिमाचल प्रदेश में दुआ के खिलाफ एक स्थानीय भाजपा नेता ने 36 दिन की देरी के बाद राजद्रोह और अन्य अपराधों का आरोप लगाते हुए प्राथमिकी दर्ज कराई।

चार जून: दुआ के खिलाफ दिल्ली में भाजपा के एक प्रवक्ता ने एक और प्राथमिकी दर्ज कराई है।

10 जून: दिल्ली उच्च न्यायालय ने राष्ट्रीय राजधानी में दर्ज प्राथमिकी की जांच पर रोक लगा दी।

12 जून: हिमाचल प्रदेश पुलिस ने राजद्रोह मामले में दुआ को पूछताछ के लिए तलब किया।

13 जून: दुआ ने उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर कर प्राथमिकी रद्द करने का अनुरोध किया।

14 जून: उच्चतम न्यायालय ने अगले आदेश तक हिमाचल प्रदेश पुलिस को दुआ को गिरफ्तार करने से रोक दिया, जांच रिपोर्ट मांगी। हालांकि, शीर्ष अदालत ने जांच पर रोक लगाने से इनकार कर दिया।

सात जुलाई: उच्चतम न्यायालय ने मामले से संबंधित जांच रिपोर्ट दायर करने में विफल रहने पर हिमाचल प्रदेश पुलिस की खिंचाई की।

16 सितंबर: केंद्र ने शीर्ष अदालत को बताया कि दुआ के कार्यक्रम ने लोगों को महामारी के दौरान पलायन करने के लिए उकसाया।

सात अक्टूबर: उच्चतम न्यायालय ने अपना फैसला सुरक्षित रखा।

तीन जून 2021: उच्चतम न्यायालय ने दुआ के खिलाफ राजद्रोह का मामला खारिज किया और कहा कि हर पत्रकार संरक्षण हकदार है।

केंद्र सरकार ने देशभर में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम राशन कार्ड जारी करने के लिये विशेष अभियान चलाने की एडवाइजरी जारी की attacknews.in

नईदिल्ली 3 जून । कोविड-19 महामारी के मौजूदा हालात को मद्देनजर रखते हुये राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत यह जरूरी हो गया है कि अत्यंत जोखिम वाले और आर्थिक रूप से सबसे कमजोर वर्ग के लोगों की पहचान की जाये और उन्हें इस अधिनियम के दायरे में लाया जाये।

खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को दो जून, 2021 को यह परामर्श जारी किया है कि वे एक विशेष अभियान शुरू करें, ताकि शहरी व ग्रामीण इलाकों की आबादी के अत्यंत जोखिम वाले और आर्थिक रूप से अत्यंत कमजोर वर्ग की पहचान हो तथा उन्हें राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) राशन कार्ड दिये जायें। इस विशेष अभियान में राज्य और केंद्र शासित प्रदेश अपनी-अपनी एनएफएसए सीमा के तहत बची गुंजाइश को पूरा करेंगे।

विभाग ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से कहा है कि वे समाज के जोखिम वाले और अत्यंत कमजोर वर्ग तक पहुंचने के उपाय करें। इस वर्ग में बेघर लोग, कचरा बिनने वाले, फेरी वाले, रिक्शा चलाने वाले और अन्य लोग शामिल हैं। एनएफएसए के तहत पात्र व्यक्तियों/घरों की पहचान करने और उन्हें राशन कार्ड मुहैया कराने की जिम्मेदारी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की है।

कमलनाध द्वारा मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार गिरने का कारण विंध्य क्षेत्र में पार्टी की स्थिति कमजोर बताने पर अजय सिंह उनकी हालत को कमजोर बता दिया attacknews.in

सतना, 03 जून । मध्यप्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के विंध्य अंचल को लेकर दिए गए कथित बयान और उस पर आज वरिष्ठ पार्टी नेता अजय सिंह की प्रतिक्रिया के बाद राज्य में कांग्रेस की राजनीति एक बार फिर गर्मा गयी है।

श्री सिंह ने विंध्य अंचल के सतना जिला मुख्यालय पर मीडिया से चर्चा के दौरान पत्रकारों के सवालों के जवाब में कहा कि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के पतन का ठीकरा विंध्य अंचल पर फोड़ना इस क्षेत्र का अपमान है।

विधानसभा में विपक्ष के पूर्व नेता श्री सिंह ने कहा कि ये कहना सरासर गलत है अौर विंध्य अंचल का अपमान है।वर्ष 2013 के विधानसभा चुनाव में इस अंचल से 12 विधायक थे, जो राज्य में किसी भी संभाग से नहीं आए थे।वर्ष 2018 के चुनाव में किसी को कहने की जरुरत नहीं है।

श्री सिंह ने कहा कि, गिनती (मतगणना) के कितने दिन पहले कौन बांधवगढ़ में डेरा डाले था और क्या क्या हुआ।विंध्य के लोगों के साथ षड़यंत्र हुआ था।इसके बावजूद राज्य में कांग्रेस की सरकार बनी।अब चल नहीं पायी।इसके लिए विंध्य क्षेत्र के लोगों के ऊपर ठीकरा फोड़ा जाए, उचित नहीं है।यहां के कार्यकर्ताओं और जनता का मनोबल ऐसी बातों से गिरता है।

श्री सिंह ने कहा कि इन मामलों में कोई भी व्यक्ति हो, थोड़ा संयम रखना चाहिए।चाहे श्री कमलनाथ हों, अजय सिंह हों या चाहे जो हों।

श्री सिंह ने कहा कि, कुछ ऐसे मुद्दे होते हैं, जिनके बोलने से तकलीफ हो जाती है और भाजपा तो ऐसे मौकों की तलाश ही करती रहती है।हम क्यों उन्हें (भाजपा) मौका दें।

गौरतलब है कि श्री कमलनाथ हाल ही में सतना जिले के मैहर की यात्रा पर पहुंचे थे।वहां पर उन्होंने कथित तौर पर एक बयान में कहा है कि हम विंध्य में कमजोर हैं।विंध्य में ऐसा रिजल्ट (विधानसभा चुनाव नतीजे) नहीं होता, तो हमारी सरकार बनी रहती।विधायकों की सौदेबाजी से हमारी सरकार नहीं गिरी।
विंध्य का जो रिजल्ट आया, 31 में से 20 सीटें आयीं।अगर ऐसी हालत नहीं होती तो हमारी सरकार रहती।

श्री कमलनाथ के इस कथित बयान के संबंध में एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है।

मध्यप्रदेश में वैज्ञानिक पद्धति से होगा 12 वीं का आंतरिक मूल्यांकन;उच्च शिक्षा तथा तकनीकी शिक्षा की परीक्षाएं ओपन बुक पद्धति से होंगी,स्नातक अंतिम,स्नातकोत्तर चतुर्थ सेमेस्टर की परीक्षा जून में होंगी attacknews.in

भोपाल, 03 जून । मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि प्रदेश की 12वीं बोर्ड की परीक्षाएं नहीं होंगी, परन्तु जो विद्यार्थी चाहेंगे बाद में परीक्षा दे सकेंगे। आंतरिक मूल्यांकन का काम वैज्ञानिक पद्धति से होगा तथा शिक्षा मंत्रियों का समूह विषय विशेषज्ञों से चर्चा कर इसकी प्रक्रिया के संबंध में निर्णय लेगा।

श्री चौहान ने कहा कि उच्च शिक्षा विभाग एवं तकनीकी शिक्षा विभाग की परीक्षाएं गत वर्ष के अनुसार ही होंगी।

बैठक में उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव, मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस, प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा अनुपम राजन, प्रमुख सचिव तकनीकी शिक्षा आदि उपस्थित थे। बैठक में तकनीकी शिक्षा मंत्री श्रीमती यशोधरा राजे सिंधिया तथा स्कूल शिक्षा राज्य मंत्री इन्दर सिंह परमार वी.सी.से शामिल हुए।

उच्च शिक्षा की परीक्षाएं गत वर्ष अनुसार ओपन बुक पद्धति से होंगी। निर्धारित तिथि व समय पर विद्यार्थी को ऑनलाइन प्रश्न पत्र प्राप्त होगा, जिसका उत्तर वह घर बैठे ही उत्तर पुस्तिका में लिखकर नजदीकी संग्रहण केंद्र में जमा करा देगा। जिन विद्यार्थियों के घर पर इंटरनेट सुविधा नहीं होगी उन्हें नजदीकी शिक्षा संस्थान में परीक्षा देने की सुविधा दी जाएगी।

स्नातक तृतीय वर्ष एवं स्नातकोत्तर चतुर्थ सेमेस्टर की परीक्षा जून 2021 में होंगी तथा परिणाम जुलाई में आएगा। इसी प्रकार स्नातक प्रथम एवं द्वितीय वर्ष तथा स्नातकोत्तर द्वितीय सेमेस्टर की परीक्षाएं जुलाई में होंगी तथा परिणाम अगस्त तक आएगा। प्रदेश के 8 विश्वविद्यालयों में स्नातक कक्षाओं में कुल 14 लाख 88 हजार 958 तथा स्नातकोत्तर कक्षाओं में 3 लाख 08 हजार 117 परीक्षार्थी हैं।

तकनीकी शिक्षा विभाग की सभी परीक्षाएं ऑनलाइन होंगी तथा ओपन बुक पद्धति पर आधारित होंगी। परीक्षार्थी ऑनलाइन ही उत्तर लिखेंगे। समय 2 घंटे होगा। मूल्यांकन में 50 फीसदी पिछले सेमेस्टरों तक अर्जित सीजीपीए का अधिभार मान्य किया जाएगा। परीक्षाएं जून एवं जुलाई में होंगी तथा परिणाम 10 दिन में आ जाएंगे। प्रदेश में तकनीकी शिक्षा महाविद्यालयों में कुल 1 लाख 87 हजार 811 परीक्षार्थी हैं।

दिल्ली में अप्रैल -मई कोरोना की दूसरी लहर में 55,750 मौतें; 34,750 के मृत्यु प्रमाण पत्र जारी होने के बाद भी आंकड़ा 9,916 दिया, 21,000 से ज़्यादा मौतों का कोई हिसाब नहीं attacknews.in

दिल्ली सरकार कोरोना मौत पर श्वेत पत्र जारी करे: भाजपा

नयी दिल्ली, 03 जून । भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने मांग की है कि दिल्ली सरकार कोरोना से हुई मौतों पर श्वेत पत्र जारी करे।

गुरुवार को यहां आभासी माध्यम से संबोधित एक संवाददाता सम्मेलन में भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने दिल्ली में कोरोना से हुई मौतों के आंकड़ों पर सवाल उठाते हुए कहा, “किस प्रकार से सैंकड़ों लोगों की मृत्यु होती है और किस प्रकार से इन आंकड़ों को छुपाया जाता है और कोई भी इसके लिए उत्तरदायी नहीं है। इस प्रकार का एक चित्रण दिल्ली की सरकार हम सबके सामने रखने का प्रयास कर रही है।”

उन्होंने कहा कि अप्रैल और मई के दो महीने कोरोना की दूसरी लहर के संबंध में बहुत महत्वपूर्ण रहे। इस बीच 34,750 मृत्यु प्रमाण पत्र दिल्ली के तीन नगर निगम द्वारा जारी किए गए हैं, इतनी बड़ी तादाद में मृत्यु प्रमाण पत्र जारी होते हैं, लेकिन दिल्ली सरकार द्वारा दिया आंकड़ा सिर्फ 9,916 है।

श्री पात्रा ने कहा कि खबरों के अनुसार दिल्ली में 21,000 हजार से ज़्यादा ऐसी मृत्यु हुई है जिनका कोई हिसाब नहीं। ये किन लोगों की मृत्यु हुई है, जिनकी जानकारी दिल्ली सरकार नहीं देना चाहती है। कोरोना से मृत्युदर पूरे भारत में सर्वाधिक दिल्ली में है और दूसरे स्थान पर पंजाब है। दिल्ली में यह 2.9 प्रतिशत है जबकि राष्ट्रीय दर 1.3 प्रतिशत है। इसका मतलब दिल्ली में यह दोगुने से भी अधिक है।

उन्होंने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर आरोप लगाते हुए कहा कि जिस समय कोविड की दूसरी लहर अपने चरम पर थी, श्री केजरीवाल ने जानबूझकर अपनी सरकार की साख को बचाने के लिए दिल्ली में कोविड जांच की संख्या को कम कर दिया।

श्री पात्रा ने कहा कि श्री केजरीवाल ने कहा था कि हम दिल्ली में ऑक्सीजन को घर तक पहुंचाने की व्यवस्था करेंगे। आज वह शराब की ‘होम डिलीवरी’ कर रहे हैं लेकिन अफसोस कि वह दवाओं और ऑक्सीजन की ‘होम डिलीवरी’ में सफल नहीं हुए।
उन्होंने पूछा कि दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार ने मौतों के आंकड़े कम क्यों दिखाए? श्री केजरीवाल ने ऑक्सीजन ऑडिट क्यों मना किया था? आखिर श्री केजरीवाल की सरकार ने कोरोना की टेस्टिंंग कम क्यों की? अब तक एक भी अस्पताल क्यों नहीं बनवाए?

भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि वैक्सीन को लेकर भी श्री केजरीवाल ने झूठ बोला और दिल्ली सरकार ने ऑक्सीजन को स्टोर करने की व्यवस्था भी नहीं की।