नईदिल्ली 10 मई। कश्मीरी युवकों के हथियार उठाने की बढ़ती घटनाओं पर आर्मी चीफ जनरल बिपिन रावत ने चिंता जताई है. उन्होंने कहा, “युवाओं को समझाने की ज़रूरत है कि वे सेना से नहीं लड़ सकते और उन्हें आज़ादी कभी नहीं मिलेगी.”
इंडियन एक्सप्रेस को दिए इंटरव्यू में जनरल रावत ने कहा, “मैं कश्मीरी युवकों को बताना चाहता हूं कि आज़ादी संभव नहीं है. ये नहीं मिलेगी. इसे बेवजह मत खींचिए. आप हथियार क्यों उठा रहे हैं? हम उनसे हमेशा लड़ेंगे जो आज़ादी मांग रहे हैं और अलग होना चाहते हैं. यह कभी नहीं होगा.”
आर्मी चीफ ने कहा कि वे उन युवाओं को लेकर चिंतित हैं, जो रास्ता भटक गए हैं और ‘आज़ादी लाने के लिए’ हथियार उठा रहे हैं.
रावत ने कहा कि उन्हें एनकाउंटर्स में मारे जा रहे आतंकियों की संख्या से फर्क नहीं पड़ता. उन्होंने कहा, “मेरे लिए ये आंकड़ा मायने नहीं रखते क्योंकि मुझे लगता है कि ये प्रक्रिया चलती रहेगी. आतंकी संगठनों से लोग लगातार जुड़ रहे हैं. मैं इस बात पर जोर देना चाहता हूं कि ये सब निरर्थक है. इन्हें कुछ हासिल नहीं होगा. आप सेना से नहीं लड़ सकते.”
इंटरव्यू में जनरल रावत ने यह भी कहा कि वे नागरिकों की मौत से चिंतित और परेशान हैं. उन्होंने कहा, “हमें इसमें मज़ा नहीं आता. लेकिन अगर आप हमसे लड़ना चाहते हैं तो हम पूरी ताकत से लड़ेंगे. कश्मीरियों को समझना चाहिए कि सिक्युरिटी फोर्सेज इतनी क्रूर नहीं हैं- सीरिया और पाकिस्तान को देखिए. वे इन परिस्थितियों में टैंक और फाइटर प्लेन इस्तेमाल करते हैं. हमारे सैनिक पूरी कोशिश कर रहे हैं कि नागरिकों को कम से कम नुकसान पहुंचे.”
उन्होंने कहा, “मैं जानता हूं कि युवा गुस्से में हैं. लेकिन सिक्युरिटी फोर्सेज पर पत्थर फेंकना और हमला करना सही रास्ता नहीं है.”
उन्होंने कहा, “मुझे समझ नहीं आता कि हमारे ऑपरेशन रोकने के लिए लोग इतनी बड़ी संख्या में सड़कों पर क्यों आ रहे हैं. कौन उन्हें भड़का रहा है? अगर वे चाहते हैं कि वे आतंकी न मारे जाएं, तो वे उनसे हथियार छोड़ने की अपील करें. “
उन्होंने कहा, “कोई आकर कहे कि- मैं लेकर आता हूं उसे. तो हम ऑपरेशन रोक देंगे. हम नहीं चाहते कि लोग हमारे ऑपरेशन्स में दखल दें और आंतकियों को भगाने में मदद करें.”
बिपिन रावत ने कश्मीरी युवाओं से कहा है कि वो बंदूक ना उठाएं क्योंकि सरकार और सेना उनकी आज़ादी के सपने को पूरा नहीं होने देगी।
उन्होंने कहा कि इस मामले में वो लोग भी दोषी हैं जो इन युवाओं को आज़ादी का सपना दिखाकर बहका रहे हैं। जनरल रावत ने कहा कि आतंकावदी किसी भी कीमत पर सेना से नहीं जीत सकते। बिपिन रावत ने कहा कि किसी को मारना सेना को अच्छा नहीं लगता लेकिन अगर कोई हथियार उठाएगा तो सेना पूरी ताकत से जवाब देगी।
उन्होंने यह भी कहा कि कश्मीर में सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ों में मारे जाने वाले आतंकियों की संख्या को बहुत तवज्जो देने की जरूरत नहीं है, क्योंकि इसके बावजूद स्थानीय युवा आतंक का रास्ता अपना रहे हैं। लेकिन सेना इनसे निपटने में सक्षम है।
आर्मी चीफ जनरल बिपिन सिंह रावत ने कश्मीर में आजादी की मांग कर रहे युवाओं से कहा है कि आपका यह सपना कभी भी पूरा नहीं हो सकता, आप सेना से नहीं लड़ सकते हैं।
इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कश्मीरी युवाओं को लेकर जनरल ने कहा, ‘कुछ लोग कश्मीरी युवाओं को गुमराह कर रहे हैं, उन लोगों का कहना है कि बंदूक उठाने से आजादी मिल जाएगी।’
सेना प्रमुख ने अंग्रेजी अखबार से बताचीत में कहा, ‘मैं कश्मीरी युवाओं से कहना चाहता हूं कि आजादी मिलना संभव नहीं है। ऐसा नहीं हो सकता है। क्यों यह लोग हथियार उठा रहे हैं? हम लोग हमेशा उनके खिलाफ लड़ेंगे जो आजादी की बात करते हैं।’
जनरल रावत ने कहा कि राज्य में लगातार हो रहे हत्याओं से वह खुद परेशान हैं। उन्होंने कहा, ‘राज्य में हो रहे हत्या को लेकर हमलोग खुश नहीं हैं। लेकिन अगर आप सेना के खिलाफ लड़ेंगे तो हमलोग पूरी ताकत के साथ लड़ेंगे। कश्मीरियों को समझना चाहिए कि हमारे सेना के जवान इतने क्रूर नहीं हैं। इन्हें सीरिया और पाकिस्तान के तरफ देखना चाहिए। वहां की सेना इसी तरह के हालात में टैंक और एयर पावर का इस्तेमाल करती है। जबकि हमारे जवान चाहते हैं कि इस तरह के माहौल में भी कोई नागरिक घायल न हो।’
अंग्रेजी अखबार से बातचीत में उन्होंने कहा, ‘मुझे पता है कि कश्मीर के युवा गुस्साए हुए हैं। लेकिन सेना के जवानों पर हमला और उन पर पत्थरबाजी कोई रास्ता नहीं है।’
आतंकवादियों से एनकाउंटर के समय नागरिकों के पत्थरबाजी को लेकर सेना प्रमुख ने कहा, ‘मैं नहीं समझ पाता हूं आखिर क्यों और कहां से इतनी संख्या में युवा आ जाते हैं और आतंकियों के साथ हो रहे एनकाउंटर में व्यवधान पैदा करने की कोशिश करते हैं। आखिर कौन उन्हें उकसा रहा है। अगर ये लोग चाहते हैं कि आतंकियों को न मारा जाए तो वह जाकर कहें कि आप बिना हथियार के रहें आपको कोई नहीं मार सकता है।’
अंग्रेजी अखबार से बातचीत को लेकर उन्होंने कहा, ‘अगर कोई भी ऐसा कहता है कि मैं उन्हें लेकर आता हूं। हमलोग अपनी कार्रवाई रोक कर रखेंगे। हमलोग इस बात की कभी भी इजाजत नहीं देंगे कि कोई हमारे ऑपरेशन को बाघित करे और आतंकियों को भागने में मदद करें।’
आर्मी जनरल बिपिन रावत ने कश्मीर में आतंकियों के मसले पर कहा है कि इस वक्त घाटी में एक नया ट्रेंड देखने को मिल रहा है. उन्होंने कहा कि जो आतंकी सरेंडर करना चाहते हैं, वे हमसे कहते हैं कि प्लीज ये मत बोलिए कि हमने सरेंडर किया है.
जनरल बिपिन रावत ने इंटरव्यू में कहा, ”वे चाहते हैं कि ऐसा नहीं दिखना चाहिए कि उन्होंने सरेंडर किया. वे यह भी नहीं चाहते कि हम कहें कि उनको पकड़ा गया. वे चाहते हैं कि एनकाउंटर के दौरान वे घायल हो गए और इस कारण पकड़े गए. दरअसल उनमें भी भय है, वर्ना और क्या वजह हो सकती है?”
उन्होंने कहा, ”ये जिन युवाओं ने हमारे खिलाफ बंदूक उठाई है, वास्तव में वे हमारे लिए चुनौती ही नहीं हैं. आतंकी भी हमारे लिए कोई बड़ी चुनौती नहीं हैं. हम आम लोगों से कहते हैं कि हमारे ऑपरेशन में बाधा मत डालिए, हम पर पत्थर मत फेंकिए.”
उन्होंने कहा, ”हमने हाल में एक जगह एक ऑपरेशन को इसलिए अधूरा छोड़ दिया ताकि हालात ज्यादा नहीं बिगड़ें लेकिन जब हम वहां से हटे तो जवानों पर दूसरी जगह दूसरे घर से हमला हो गया. इसमें एक जेसीओ घायल भी हो गया और वह अभी भी अस्पताल में है.”
जनरल रावत ने कहा कि हाल में उन्होंने शांति बहाली की कोशिशों के तहत लोगों से आगे आने की अपील की लेकिन 15 अप्रैल को जब यह घोषणा की गई तो उसी दिन शाम को हमारे जवानों पर हमला हो गया. लोगों को वास्तव में घाटी में शांति के लिए आगे आना चाहिए तो हम भी आगे बढ़ सकें.
लहराए जाते हैं IS झंडे
जनरल रावत ने यह भी कहा, ”कश्मीर में कई युवा आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट(आईएस) के झंडे उठाते हैं. क्या आपको इसका मतलब भी पता है? क्या आप कश्मीर का तालिबानीकरण करना चाहते हैं? क्या उस तरह के समाज में रहना चाहते हैं? ये युवा लोग दरअसल इसका मतलब ही नहीं समझते…कोई न कोई तो इनको उकसा ही रहा है.”
मेजर लीतुल गोगोई का समर्थन
पिछले साल बडगाम में चुनाव वाले दिन मेजर लीतुल गोगोई द्वारा आत्मरक्षा में एक कश्मीरी आदमी को अपनी जीप पर मानव शील्ड के रूप में बांधने का समर्थन करने के मसले पर जनरल रावत ने कहा कि मेजर के पास उस वक्त यही एकमात्र विकल्प था. यदि वह ऐसा नहीं करते तो पत्थरबाजों की भीड़ पर उनको गोलियां चलानी पड़तीं.
जनरल रावत ने कहा, ”वह (मेजर लीतुल) गोलियां चला सकते थे, इसमें लोग मारे जाते. इसके बजाय उन्होंने मौजूदा परिस्थितियों से निपटने के लिए सर्वश्रेष्ठ विकल्प को चुना…इस पर मामले की तहकीकात करने के बजाय उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करा दी गई. मेरे अधिकारी ने सोचा कि उसको इसका सामना करने के लिए अकेला छोड़ दिया गया है. मैं नहीं चाहता कि मेरे ऑफिसर के मन में इस तरह का कोई भाव आए.
विकास पर पड़ रहा असर
जनरल बिपिन रावत ने कहा कि कश्मीर के लोगों को यह समझना चाहिए कि इन अवरोधों का असर विकास पर पड़ रहा है. उन्होंने कहा, ”पर्यटन पर इसका बेहद बुरा असर पड़ा है. हाउसबोट और गेस्टहाउस खाली पड़े हैं. वे लोग क्या खाएंगे जब कुछ कमाएंगे नहीं?”
इस कड़ी में उन्होंने यह भी कहा, ”बहुत जल्दी कश्मीर घाटी को पूरे भारत से जोड़ने वाली एक ट्रेन शुरू होने वाली है. कल्पना कीजिए लोगों की जिंदगियों में इसका कितना बड़ा असर होगा. सोपोर में सेब उगाने वाले अपने माल को बिना किसी परेशानी के देश के किसी भी हिस्से में इसे भेज सकेंगे. लोगों को विकास की यह बात समझनी चाहिए और आभार प्रकट करना चाहिए क्योंकि ये दो-तरफा प्रकिया है.”attacknews.in