रालेगन सिद्धी (महाराष्ट्र), दो अक्टूबर । सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने लोकपाल की नियुक्ति समेत विभिन्न मांगों को लेकर अपना प्रस्तावित अनशन मंगलवार को यह कह कर टाल दिया कि सरकार ने कुछ कदम उठाए हैं जिनसे ‘उम्मीद की किरण’ नजर आती है।
भ्रष्टाचार विरोधी, 81 वर्षीय हजारे ने आगाह किया कि अगर सरकार उनकी मांगों को पूरा नहीं करती है तो वह महात्मा गांधी की पुण्यतिथि यानी 30 जनवरी से अपना विरोध शुरू करेंगे।
हजारे ने पहले कहा था कि वह महात्मा गांधी की 149वीं जयंती के मौके पर मंगलवार को महाराष्ट्र के रालेगन सिद्धी में अपना आंदोलन शुरू करेंगे। उन्होंने आरोप लगाया था कि मार्च में दिल्ली के रामलीला मैदान में प्रदर्शन के बाद सरकार ने ‘सकारात्मक कदम’ उठाने का वायदा किया था जो उसने पूरा नहीं किया।
महाराष्ट्र के मंत्री गिरीश महाजन ने केंद्र और राज्य सरकार की तरफ से हजारे से संपर्क किया था। उन्होंने कहा कि सरकार ने हजारे की मांगों पर विस्तार से चर्चा की और मुख्य मांगों को पूरा किया है। उन्होंने उनसे अपना प्रदर्शन वापस लेने का आग्रह किया ।
हजारे ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘ कुछ चीजें सकारात्मक दिशा में जाती दिख रही हैं। सरकार ने लोकपाल, लोकायुक्त (की नियुक्ति) की दिशा में कदम उठाए हैं और किसानों की उपज की लागत का डेढ़ गुना कीमत देने का ऐलान किया है… हमें उम्मीद की किरण दिखती है। इसलिए, मैंने अपना विरोध (अभी) टालने का फैसला किया है।’’
उन्होंने कहा कि ‘उम्मीद की किरण’ के बावजूद कुछ मुद्दे अनसुलझे हैं।
हजारे ने कहा,‘‘ आज गांधी जी की जयंती है और 30 जनवरी को उनकी पुण्यतिथि है। अगर मुद्दे अनसुलझे रहते हैं तो मैं गांधी जी की पुण्यतिथि पर अपना विरोध शुरू करूंगा… और यह राष्ट्रव्यापी होगा।’’
लोकपाल और लोकायुक्त की नियुक्ति के अलावा, हजारे ने कृषि लागत और मूल्य आयोग (सीएसीपी) को संवैधानिक दर्जा देने की भी मांग की है।
उन्होंने सीएसीपी को स्वायत्त निकाय बनाने की भी पैरवी की है।
हजारे डेयरी किसानों के लिए उचित मूल्य की मांग करने के साथ ही स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को भी लागू करने की मांग कर रहे हैं।
मार्च में दिल्ली के रामलीला मैदान में उनके विरोध प्रदर्शन के बाद महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस ने केंद्र के दूत की भूमिका निभाई थी और कहा था कि राजग ने हजारे की मांगों की प्रतिक्रिया में सकारात्मक कदम उठाए हैं।
किसानों की समस्याओं की पहचान करने और उनके समाधान बताने के लिए वर्ष 2004 में स्वामीनाथन आयोग गठित किया गया था। इसने दिसंबर 2004 से अक्टूबर 2006 के बीच पांच रिपोर्टें दी थीं जिसमें कृषकों की स्थिति में सुधार के लिए विभिन्न कदम उठाने का सुझाव था।
हजारे लोकपाल आंदोलन का चेहरा थे और वर्ष 2011 में उन्होंने 12 दिन का अनशन किया था। अनशन को देश भर से समर्थन मिला। तत्कालीन संप्रग सरकार ने बाद में लोकपाल विधेयक पारित किया था।attacknews.in