वाशिंगटन 05 जनवरी ।अमेरिका ने अफगान तालिबान और हक्कानी नेटवर्क पर कार्रवाई को लेकर पाकिस्तान की 255 मिलियन डालर की सैन्य सहायता पर रोक लगा दी है।
अमेरिकी विदेश विभाग ने कल कहा कि अमेरिका मानता है कि इन आतंकवादी संगठनों के ऊपर कार्रवाई नहीं होने से क्षेत्र में अस्थिरता फैल रही है। अमेरिका ने कहा है कि जबतक इन आतंकवादी संगठनों पर कार्रवाई नहीं होती तबतक सैन्य सहायता स्थगित रहेगी।
पाकिस्तान को विशेष निगरानी सूची में डाला
अमेरिका ने पाकिस्तान को धार्मिक स्वतंत्रता के ‘गंभीर उल्लंघनों’ को लेकर विशेष निगरानी सूची में डाला है। अमेरिकी विदेश विभाग ने यह जानकारी दी।attacknews.in
अमेरिका के विदेश मंत्री रेक्स टिलरसन ने 10 देशों का ‘खास चिंता वाले देशों’ :सीपीसी: के तौर पर पुन: वर्गीकरण करने की घोषणा की।
विदेश विभाग के प्रवक्ता हीदर नौअर्ट ने कहा, ‘‘विदेश मंत्री ने पाकिस्तान को भी धार्मिक स्वतंत्रता के ‘गंभीर उल्लंघनों’ को लेकर विशेष निगरानी सूची में डाल दिया।’’ ‘विशेष निगरानी सूची’ उन देशों के लिए होती है जहां धार्मिक स्वतंत्रता का गंभीर उल्लंघन तो होता है लेकिन यह सीपीसी के स्तर तक नहीं जाता है।
पाकिस्तान इस सूची में शामिल होने वाला पहला देश है। इस श्रेणी को 2016 के एक विशेष कानून द्वारा बनाया गया है।attacknews.in
नौअर्ट ने एक बयान में कहा, ‘‘दुनियाभर में कई स्थानों पर लोगों को अपने धर्म की आजादी का पालन करने पर अब भी उत्पीड़न, अभियोजन का सामना करना पड़ता है और सलाखों के पीछे जाना पड़ता है। ’’ उन्होंने कहा कि इंटरनेशनल रिलीजियस फ्रीडम एक्ट, 1998 के अनुसार विदेश मंत्री हर साल उन सरकारों को ‘खास चिंता वाले देशों’ के रुप में नामित करते हैं जो धार्मिक आजादी के भयंकर उल्लंघन में शामिल है या उन्हें नजरअंदाज करती हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘आज विदेश विभाग ने घोषणा की कि विदेश मंत्री ने बर्मा, चीन, इरिट्रिया, ईरान, उत्तर कोरिया, सूडान, सऊदी अरब, तजिकिस्तान, तुर्केमेनिस्तान, उज्बेकिस्तान को 22 दिसंबर, 2017 को खास चिंता वाला देश करार दिया। ’’
पाकिस्तान की सुरक्षा सहायता भी रोकी
अमेरिका ने कहा है कि जब तक अफगान तालिबान और हक्कानी नेटवर्क के खिलाफ पाकिस्तान उचित कार्रवाई नहीं करता तब तक उसे मिलने वाली 900 मिलियन अमेरिकी डाॅलर की सुरक्षा सहायता पर रोक रहेगी।attacknews.in
अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने कल एक वक्तव्य जारी कर इस निर्णय की घोषणा करते हुए कहा कि अमेरिका मानता है कि इन आतंकवादी संगठनों के खिलाफ उचित कार्रवाई नहीं होने से ट्रंप प्रशासन काफी हताश हैं।
इन दोनों आतंकवादी संगठनों ने पाकिस्तान को सुरक्षित पनाहगाह के तौर पर इस्तेमाल किया है और यहां से उन्होंने पड़ोसी देश अफगानिस्तान में हमले किए जिनमें अमेरिकी ,अफगानी और अन्य सेनाओं के जवान मारे गए हैं।attacknews.in
अमेरिका ने पाकिस्तान पर अफगान तालिबान और हक्कानी नेटवर्क जैसे आतंकी समूहों को पनाह देने के साथ ही इनके खिलाफ ‘निर्णायक कार्रवाई’ करने में दिलचस्पी नहीं दिखाने का आरोप लगाते हुए उसको दी जाने वाली 1.15 अरब डॉलर से अधिक की सुरक्षा सहायता राशि पर रोक लगा दी है।
पाकिस्तान को मिलने वाली सहायता पर रोक
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नववर्ष पर किए उस ट्वीट के बाद लगाई गई जिसमें उन्होंने (ट्रंप ने) पाकिस्तान पर आरोप लगाया था कि पिछले 15 वर्षों में 33 अरब डॉलर की सहायता राशि के बदले में उसने अमेरिका को सिर्फ ‘झूठ और छल’ दिया है साथ आतंकवादियों को सुरक्षित पनाह दी है।
इस राशि में प्रमुख रूप से वित्त वर्ष 2016 के लिए विदेशी सैन्य अनुदान (एफएमएफ) में दिए जाने वाले 25 करोड़ 50 लाख डॉलर की राशि शामिल हैं, जिसे कांग्रेस ने अनिवार्य बना दिया था।
इसके अलावा रक्षा मंत्रालय ने वित्त वर्ष 2017 के लिए पाकिस्तान को दी जाने वाली गठबंधन सहायता निधि (सीएसएफ) 90 करोड़ डॉलर पर भी रोक लगा दी है।attacknews.in
अमेरिकी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हीथर नोर्ट ने पत्रकारों से कहा, ‘‘आज हम इस बात की पुष्टि करते हैं कि हम पाकिस्तान की राष्ट्रीय सुरक्षा सहायता केवल तब तक के लिए रोक रहे हैं जब तक की पाकिस्तान सरकार अफगान तालिबान और हक्कानी नेटवर्क जैसे समूहों के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई नहीं करता। हम उन्हें (समूह) क्षेत्र में अस्थिरता पैदा करने और अमेरिकी कर्मियों को निशाना बनाने वाला मानते हैं । अमेरिका, पाकिस्तान को दी जाने वाली इस तरह की सहायता पर रोक लगा रहा है।’’
अमेरिका ने अल कायदा के 3 को आतंकवादी सूची में डाला
अमेरिका ने अल कायदा से जुड़े तीन लाेगों को समूहों से अलग करने करने और उन्हें अमेरिकी वित्तीय प्रणाली के उपयोग से रोकने के लिए उनके नाम वैश्विक आतंकवाद सूची में डाल दिया है।
विदेश विभाग ने कल यह जानकारी देते हुए बताया कि वैश्विक आतंकवादी सूची में मोहम्मद अल-गजाली, अबुकर अली अदन और वनास अल-फकीह के नाम शामिल किए गए हैं। इन सभी लाेगों का संबंध अरब प्रायद्वीप के अल कायदा, अल शबाब या फिर इस्लामिक मगरीब के अल कायदा से है।attacknews.in