नयी दिल्ली, 22 अगस्त । कोरोना वायरस महामारी के बीच शनिवार को दस दिवसीय गणेश उत्सव की शुरूआत हुई। सरकार द्वारा लागू कोविड-19 पाबंदियों के मद्देनजर श्रद्धालुओं ने अपने घरों में पूजा की और मंदिरों में भगवान गणेश के ‘दर्शन’ के लिए ऑनलाइन मंचों का इस्तेमाल किया।
गणेश उत्सव भव्य जुलूस निकालकर और पंडालों को सजाकर पूरे उत्साह के साथ मनाया जाता रहा है। श्रद्धालु सामूहिक पूजा करते हैं। लेकिन इस बार महामारी के मद्देनजर अधिक लोगों के एकत्र होने पर केन्द्र और राज्य सरकारों द्वारा लगाई गई पाबंदियों के बीच सादे ढंग से उत्सव का आयोजन किया गया।
मंदिरों में सामाजिक दूरी का पालन करते हुए और मास्क पहनकर सीमित संख्या में श्रद्धालुओं ने मंदिरों में गणेश की मूर्तियों को स्थापित किया।
इस गणेश उत्सव में श्रद्धालुओं और पंडालों के लिए तकनीक का बड़ा सहारा है और सभी गणेश मंडल शनिवार से शुरू हुए दस दिवसीय उत्सव में गणपति के ऑनलाइन दर्शन करा रहे हैं।
कोरोना वायरस के कारण आवाजाही और सामाजिक मेलजोल पर पाबंदियों के बीच कई लोग विभिन्न ऐप के माध्यम से अपने परिजनों तथा मित्रों से संपर्क कर रहे हैं।
गणेश उत्सव के पहले दिन कई लोगों ने और विशेष रूप से मुंबई शहर के प्रतिष्ठित गणेश पंडालों ने सोशल मीडिया पर ऑनलाइन आरती और दर्शन के लिए निमंत्रण भेजे हैं।
मुंबई के किंग्स सर्कल स्थित जीएसबी गणेश पंडाल से अनेक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लाइव प्रसारण किया जा रहा है।
कोरोना वायरस महामारी के चलते मध्य प्रदेश में सार्वजनिक गणेश पंडाल लगाने की रोक लगी है। इसके फलस्वरूप शनिवार को यहां ऐतिहासिक तिलक हॉल में गणेश उत्सव मनाने की 103 साल पुरानी परम्परा पर संकट उत्पन्न हो गया।
वर्ष 1917 में महान क्रांतिकारी नेता बाल गंगाधर तिलक ने महाराष्ट्र की सीमा से लगे इस जिले का दौरा किया था और गणेश उत्सव की परंपरा की शुरुआत की थी।
महाराष्ट्रीयन ब्राह्मण समाज के अध्यक्ष और अधिवक्ता अरुण शेंडे ने गणेश चतुर्थी के अवसर पर बताया कि एक सदी से भी अधिक समय से शहर के तिलक हॉल में मनाया जाने वाले गणेश उत्सव इस बार नहीं हो पा रहा है।
महाराष्ट्र और उसकी राजधानी मुंबई में इस साल उत्साह नहीं दिखा और सादे ढंग से उत्सव मनाया गया।
कर्नाटक में इस साल उत्सव पर कोविड-19 और राज्य के कुछ हिस्सों में बाढ़ की स्थिति का असर दिखा।
राज्य में गणेश मंदिरों में श्रद्धालुओं की संख्या बहुत कम रही।
गोवा में लोगों ने घरों में गणेश उत्सव मनाया और कुछ मंडलों ने मूर्तियों को स्थापित किया।
तमिलनाडु में आमतौर पर यह उत्सव पूरे उत्साह के साथ मनाया जाता रहा है लेकिन इस बार कोविड-19 महामारी के मद्देनजर सरकार के निर्देशों के बाद सादे तरीके से गणेश उत्सव मनाया गया।
कोलकाता में कई सामुदायिक पूजा आयोजकों ने गणेश चतुर्थी पर श्रद्धालुओं को मूर्तियों के ऑनलाइन दर्शन कराये।
कोविड-19 महामारी के कारण राज्य सरकार द्वारा दी गई सलाह के अनुरूप इस साल तेलंगाना में धूमधाम के बिना, सामान्य तरीके से गणेश चतुर्थी का पर्व मनाया गया।
लोगों ने अपने घरों में पूजा की। वर्षों से लोग समूहों में एकत्र होकर पूजा करते आ रहे थे।
राज्य सरकार के मंत्री ए इद्रकरन रेड्डी ने लोगों से इस महीने चतुर्थी उत्सव और मुहर्रम कोविड-19 दिशानिर्देशों का पालन करते हुए आयोजित करने की अपील की थी।
कोरोना वायरस महामारी के मद्देनजर लोगों के अपने घरों में रहने और राज्य सरकार द्वारा सामुदायिक उत्सव पर लगाये गये प्रतिबंध के कारण इस बार आंध्र प्रदेश में विनायक चतुर्थी का पर्व मनाने में पारंपरिक उत्साह की कमी नजर आई।
राज्य में लगी पाबंदियों के परिणामस्वरूप लोगों ने अपने घरों में उत्सव मनाया।
गलियों में पंडाल नहीं लगाये गये थे जहां विभिन्न आकारों में भगवान गणेश की मूर्तियां आम तौर पर नौ दिनों के उत्सव के लिए स्थापित की जाती थीं।
कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए लगाई गई पाबंदियों के कारण मंदिरों में विनायक के दर्शन के लिए कुछ ही लोगों को दर्शन की अनुमति दी गई थी।
महाराष्ट्र में कोरोना महामारी के बीच गणेश उत्सव शुरू
महाराष्ट्र के पुणे और अन्य हिस्सों में शनिवार को 10 दिवसीय गणेश उत्सव शुरू हो गया लेकिन कोरोना वायरस (कोविड-19) महामारी के कारण इस बार पहले जैसी रौनक नहीं है।
महाराष्ट्र सरकार ने ‘गणेशोत्सव’ समारोहों को लेकर दिशानिर्देश जारी किये हैं कि भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित करने और विसर्जित करने के दौरान लोगों की भीड़ एकत्रित नहीं होनी चाहिए।
दिशानिर्देशों के तहत इस वर्ष सार्वजनिक (कक्युनिटी) मंडलों की तरफ से स्थापित प्रतिमा की ऊंचाई चार फीट और आम लोगों की तरफ से स्थापित प्रतिमा की ऊंचाई दो फीट तक सीमित होनी चाहिए।
कोरोना वायरस महामारी के कारण इस वर्ष इस उत्सव के प्रति लोगों में उत्साह और जज्बा अपेक्षाकृत कम है। इस वर्ष महामारी के कारण फूल विक्रेता, मिठाई विक्रेता, सजावट का सामाने बेचने वाले, आभूषण विक्रेता और ट्रांसपोर्टर को बहुत नुकसान झेलना पड़ रहा है।
मुंबई के सबसे प्रसिद्ध गणेशोत्सव मंडल ‘लालबागचा राजा’ महामारी के कारण इस वर्ष प्रतिमा स्थापित नहीं कर रहा है। अमीर मंडलों में से एक माने जाने वाले वडलाजा के जीएसबी सेवा समिति ने अगले वर्ष फरवरी में होने वाले उत्सव ‘माघ सुध चतुर्थी’ का समारोह स्थगित कर दिया है।
इस वर्ष शहर में पंडालों की सजावट नहीं हो रही है और मंडलों की तरफ से सांस्कृतिक कार्यक्रमों की जगह कोरोना वायरस को लेकर जागरूकता कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं।
मुंबई और आसपास के जिलों में पिछले कुछ दिनों से भारी बारिश हो रही है लेकिन फिर भी लोग ‘गणपति बप्पा मोरया’ के जयकारे के साथ अपने घरों से निकलकर भगवान गणेश की प्रतिमा लाने गये। इस बीच कुछ इलाकों में भगवाण गणेश की प्रतिमा के स्वागत में पटाखे भी फोड़े गये।
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने भी अपने आधिकारिक आवास ‘वर्षा’ में भगवान गणेश की प्रतिमा का स्वागत किया। कुछ हस्तियों और राजनीतिक नेताओं ने भी अपने-अपने घरों में गणेश प्रतिमा स्थापित की हैं।
उत्सव के मद्देनजर सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है। स्थानीय पुलिस के अलावा रैपिड एक्शन फोर्स (आरएएफ), स्टेट रिजर्व पुलिस फोर्स (एसआरपीएफ) की तीन कंपनियां तैनात की गई हैं।
इस बीच किसी तरह की अप्रिय घटना को रोकने के लिए त्वरित प्रतिक्रिया दल, बम निरोधक दस्ते और आतंकवाद-रोधी सेल को अलर्ट पर रखा गया है। पुलिस 5,000 सीसीटीवी कैमरों की मदद से शहर की निगरानी करेगी। इसके अलावा हवाई निगरानी के लिए ड्रोन का भी इस्तेमाल किया जाएगा।