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नाटककार, अभिनेता गिरीश कर्नाड का अंतिम संस्कार धार्मिक परम्पराओं का पालन किये बिना किया गया , ऐसा इसलिए किया गया attacknews.in

बेंगलुरु, 10 जून । प्रख्यात नाटककार, अभिनेता, निर्देशक एवं ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित गिरीश कर्नाड का लंबी बीमारी के बाद सोमवार को यहां उनके आवास पर निधन हो गया। 

साहित्य, रंगमंच एवं सिनेमा जगत पर अपनी अमिट छाप छोड़ने वाले कर्नाड 81 वर्ष के थे।

अपने विचारों को खुल कर प्रकट करने को लेकर निशाने पर रहे बहुआयामी व्यक्तित्व और बहुमुखी प्रतिभा के धनी कर्नाड के परिवार में पत्नी सरस्वती, बेटे रघु कर्नाड (पत्रकार एवं लेखक) और बेटी राधा हैं।

रघु ने बताया कि उनके पिता फेफड़ों से संबंधित बीमारी से पीड़ित थे। 

रघु ने यहां संवाददाताओं को बताया, ‘‘उनका निधन आज सुबह किसी वक्त हुआ और हमें इसकी जानकारी सुबह करीब साढ़े आठ बजे हुई। जैसा कि आप सब को पता है कि वह कुछ समय से बीमार चल रहे थे। उन्हें फेफड़े संबंधी बीमारी थी-जिससे अंतत: उनकी मौत हुई।’’ 

उन्होंने कहा, “मैं उनके सभी प्रशंसकों का शुक्रगुजार हूं और हमें उम्मीद है कि उनकी याद कर्नाटक के हर व्यक्ति के जहन में लंबे वक्त तक रहेगी।” 

पद्मश्री एवं पद्म भूषण से सम्मानित कर्नाड मौजूदा युग के सबसे महत्त्वपूर्ण साहित्यकारों में से एक थे जिन्होंने अपनी मातृभाषा कन्नड़ में अपनी मौलिक कृतियों से भारतीय साहित्य को समृद्ध किया था।

उन्होंने कई नाटक एवं फिल्में लिखीं, उनमें अभिनय किया और निर्देशन किया जिन्हें आलोचकों की खूब वाहवाही मिली। उनके नाटक ‘‘नागमंडल’’, ‘‘ययाति’’ और ‘‘तुगलक’’ ने उन्हें काफी ख्याति दिलाई जिनका कन्नड़ से अंग्रेजी एवं अन्य भारतीय भाषाओं में अनुवाद किया गया। 

कर्नाड हिंदी एवं कन्नड़ सिनेमा में एक प्रसिद्ध चेहरा थे। उन्होंने ‘‘संस्कार”, “निशांत”, “मंथन” जैसी समानांतर फिल्मों से लेकर “टाइगर जिंदा है” और “शिवाय” जैसी व्यावसायिक फिल्मों में अपने अभिनय का जादू बिखेरा। 

कर्नाड का अंतिम संस्कार शहर के ‘कलपली विद्युत शवदाहगृह’ में दोपहर में किया गया। 

कर्नाड की इच्छाओं का ध्यान रखते हुए उनके परिवार ने अंतिम संस्कार के दौरान किसी भी धार्मिक परंपरा का पालन नहीं करने या राजकीय सम्मान स्वीकार नहीं करने का निर्णय किया। 

कर्नाटक के मंत्रियों – डी के शिवकुमार, आर वी देशपांडे और बी जयश्री एवं सुरेश हेबलिकर समेत फिल्म एवं रंगमंच की कई हस्तियों ने श्रद्धांजलि दी। 

परिवार ने उन्हें श्रद्धांजलि देने की चाह रखने वाले उनके प्रशंसकों एवं पदाधिकारियों से सीधे श्मशान घाट आने को कहा था क्योंकि वह अंतिम संस्कार को निजी रखना चाहते थे।

मुख्यमंत्री कार्यालय ने कर्नाड के सम्मान में सोमवार को छुट्टी घोषित करते हुए एक बयान में तीन दिवसीय राजकीय शोक की भी घोषणा की। 

सीएमओ ने घोषणा की कि कर्नाड को राजकीय सम्मान दिया जाएगा जो पूर्व में ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्त करने वालों को दिया जाता रहा है। हालांकि, कर्नाड एवं उनके परिवार की इच्छाओं का सम्मान करते हुए राजकीय सम्मान नहीं दिया गया।

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद एवं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कर्नाड के निधन पर शोक प्रकट किया और कहा कि उन्हें उनके काम के लिए उन्हें आने वाले कई वर्षों तक याद किया जाएगा। 

कोविंद ने कहा कि कर्नाड के निधन से भारत की सांस्कृतिक दुनिया गरीब हो गई। 

मोदी ने कहा कि कर्नाड को सभी माध्यमों के जरिए अपना बहुमुखी अभिनय दिखाने के लिए याद किया जाएगा। 

कर्नाड के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कर्नाटक के मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी ने कहा कि हमने एक सांस्कृतिक दूत खो दिया।

कर्नाड का जन्म 1938 में महाराष्ट्र में डॉ रघुनाथ कर्नाड और कृष्णबाई के घर हुआ था। 

बाद में उनका परिवार कर्नाटक के सिरसी एवं धारवाड़ आकर बस गए थे जहां उनका आगे का जीवन बीता और परिवार के नाट्य कला के प्रति झुकाव ने साहित्यिक जगत में उनके भविष्य की नींव रखी।

महाराष्ट्र में नेताओं ने पार्टी विचारधारा से ऊपर उठते हुए कर्नाड को श्रद्धांजलि दी। 

मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने ट्वीट किया, “प्रख्यात अभिनेता, लेखक एवं ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित गिरीश कर्नाड के निधन के साथ ही हमने भारतीय सिनेमा खासकर रंगमंच की एक महान हस्ती को खो दिया। वह मराठी रंगमंच से भी जुड़े हुए थे। मेरी विनम्र श्रद्धांजलि..उनके परिवार, दोस्तों एवं प्रशंसकों के प्रति गहरी संवेदनाएं।” 

राकांपा अध्यक्ष शरद पवार ने कहा कि कर्नाड के निधन की खबर दुखी करने वाली है।

कांग्रेस की महाराष्ट्र इकाई के प्रमुख अशोक चव्हाण ने कहा कि कर्नाड एक संवेदनशील कलाकार थे जो सामाजिक मुद्दों के प्रति जागरुक थे। 

शिवसेना ने भी उन्हें श्रद्घांजलि दी। 

पार्टी के प्रवक्ता मनीषा कायंदे ने साहित्य के क्षेत्र में एक अलग पहचान स्थापित करने के लिए कर्नाड की प्रशंसा की।

वह ‘नव्या’ साहित्य अभियान का हिस्सा भी रहे।

उनके नाटक ‘‘नागमंडल’’, ‘‘ययाति’’ और ‘‘तुगलक’’ ने उन्हें काफी ख्याति दिलाई।

फिल्मों की बात करें तो ‘संस्कार’ एवं ‘वामशा वृक्ष’ काफी लोकप्रिय रहीं। 

कर्नाड सलमान खान की ‘‘टाइगर जिंदा है’’ और अजय देवगन अभिनीत ‘‘शिवाय’’ जैसी व्यावसायिक फिल्मों में भी दिखाई दिए।

उन्होंने मालगुडी डेज में स्वामी के पिता और इंद्रधनुष में अप्पू के पिता का किरदार निभाया था। उन्होंने दूरदर्शन के प्रसिद्ध विज्ञान कार्यक्रम “टर्निंग प्वाइंट” को भी प्रस्तुत किया था। 

राजनीतिक कथनों में निर्भीकता दर्शाने वाले और अपने विचारों से समझौता न करने वाले कर्नाड रंगमंच की उन 600 हस्तियों में शुमार थे जिन्होंने लोकसभा चुनाव से पहले ‘‘भाजपा और उसकी सहयोगी पार्टियों को सत्ता से बाहर करने की लोगों से की गई अपील वाले पत्र पर हस्ताक्षर किए थे।’’ 

उन्होंने नोबेल पुरस्कार विजेता वी एस नायपॉल के भारत के मुस्लिमों पर विवादित विचारों की आलोचना की थी।

कर्नाटक सरकार के टीपू जयंती मनाने के निर्णय के बाद उत्पन्न विवाद पर कर्नाड ने कहा था कि 18वीं सदी के शासक अगर मुस्लिम की जगह हिंदू होते तो उन्हें भी छत्रपति शिवाजी की तरह सम्मान मिलता। कर्नाड की इस पर खासी आलोचना हुई थी। 

गौरी लंकेश हत्याकांड की जांच करने वाले विशेष जांच दल के अनुसार वह उस दक्षिणपंथी समूह के भी निशाने पर थे जिसने पत्रकार की कथित रूप से हत्या की थी।attacknews.in

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