जोधपुर 24 अप्रेल। जेल में बंद विवादित कथावाचक आसाराम के खिलाफ 25 अप्रैल को फैसला आएगा। जोधपुर सेंट्रल जेल में स्थित टाडा की विशेष अदालत फैसला सुनाएगी। उन पर दुष्कर्म का आरोप है। जिस कोर्ट में आसाराम के खिलाफ निर्णय दिया जाएगा उसका निर्माण ऑपरेशन ब्लू स्टार के बाद वर्ष 1985 में सिख आतंकियों के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए किया गया था। वर्ष 1984 में अमृतसर स्थित स्वर्ण मंदिर से आतंकियों को खदेड़ने के लिए सात दिनों तक अभियान चलाया गया था।
बता दें कि जरनैल सिंह भिंडरांवाले समेत कई खालिस्तानियों ने स्वर्ण मंदिर में शरण ले रखी थी। जोधपुर सेंट्रल जेल के पूर्व जेलर हिम्मत सिंह ने बताया कि जोधपुर जेल में उस वक्त 364 कैदी बंद थे। उनका मुकदमा वार्ड नंबर 2 में चला था।
‘हिन्दुस्तान टाइम्स’ के अनुसार, इस अदालत ने वर्ष 1988 में काम करना बंद कर दिया था, क्योंकि पंजाब सरकार ने मामलों को वापस ले लिया था। इसके बाद सभी 364 कैदियों को रिहा कर दिया गया था।
टाडा से जुड़े मामलों की होती थी सुनवाई:
जोधपुर सेंट्रल जेल में स्थित इस कोर्ट में टाडा से जुड़े मामलों की सुनवाई होती थी। इस कानून को पंजाब में आतंकी घटनाएं बढ़ने के बाद अमल में लाया गया था।
हिम्मत सिंह ने बताया कि कोर्ट रूम 30X30 का है और जेल के मुख्य द्वार के बाएं तरफ तकरीबन 25 मीटर की दूरी पर स्थित है। आसाराम का बैरक वहां से कुछ ही दूरी पर है।
उनके अनुसार, कोर्ट ने जब काम करना बंद किया तो अदालत कर्मचारियों के लिए बनाए गए ऑफिस को दो बैरक में बांट दिया गया था। आसाराम को उनमें से एक बैरक में कैद कर रखा गया है। काले हिरण का शिकार करने के मामले में दोषी करार दिए जाने के बाद बॉलीवुड के सुपरस्टार सलमान खान को बैरक नंबर दो में कैद रखा गया था।
हिम्मत सिंह बोले, ‘कोर्टरूम में जज के बैठने के लिए एक मंचनुमा आसन के साथ ही दो कठघरा भी बनाया गया था। मैं जब सेवानिवृत्त हुआ था तो उस वक्त वर्ष 1988 में कोर्ट के बंद होने के बाद इन दोनों को छोड़ कर हर चीज को हटा दिया गया था।’
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, विशेष जज मधुसूदन शर्मा बुधवार (25 अप्रैल) को छह कर्मचारियों के साथ इस कोर्ट में पहुंचेंगे। इस मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए आसपास के इलाकों में सुरक्षा के विशेष बंदोबस्त किए गए हैं, ताकि कानून-व्यवस्था को बनाए रखा जा सके।attacknews.in