राहुल गांधी के पास वीरता के लिए लगा पदकों का ढेर, खुद राहुल ने इन पदकों के बारे मे बताया attacknews.in

वायनाड (केरल), पांच दिसंबर। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने बृहस्पतिवार को कहा कि भाजपा और उसके कार्यकर्ताओं ने उनके खिलाफ देशभर में जो मुकदमे दर्ज कराए हैं उनसे वह डरे नहीं हैं बल्कि उन्हें तो वह ‘‘पदक’’ के समान मानते हैं।

राहुल ने कहा, ‘‘मेरे खिलाफ 15 से 16 मुकदमे हैं। जब आप सैनिकों को देखते हैं तो उनके सीने पर कई सारे पदक होते हैं।’’

राहुल ने कहा, ‘‘हर मुकदमा मेरे लिए पदक के समान है।’’

राहुल ने यहां वनयांबलम में कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (यूडीएफ) के एक कार्यक्रम को संबोधित किया।

उन्होंने चुटकी लेते हुए कहा, ‘‘इनकी संख्या जितनी अधिक होगी मैं उतना खुश होऊंगा।’’ उन्होंने कहा कि वह उनसे वैचारिक लड़ाई लड़ रहे हैं।

कांग्रेस नेता ने कहा कि वह नफरत से भरे भारत में यकीन नहीं रखते और इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि भाजपा चाहे कितनी बार भी उन्हें मनाने की कोशिश करे वह उस पर यकीन नहीं करेंगे।

उन्होंने कहा कि देश की ताकत महिलाओं, सभी धर्मों, समुदायों, अलग-अलग विचारधारा के लोगों के सम्मान में थी।

उन्होंने सामने मौजूद कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘हर बार जब भी आप मेरे खिलाफ मामला दर्ज कराएंगे मैं प्यार की बात करूंगा… मैं यह कभी नहीं भूलूंगा कि आपलोग मेरे साथ खड़े हैं। इसलिए जब भी वे मेरे खिलाफ कोई मुकदमा दर्ज कराते हैं तो वे मेरे सीने पर एक पदक जड़ते हैं।’’

पिछले साल राज्य में आई भीषण बाढ़ का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि कई लोग अपना घर, जीवन सबकुछ गंवा बैठे लेकिन इस त्रासदी में भी लोगों का सकारात्मक बर्ताव दिखा।

अब भी काफी कुछ पुननिर्माण कार्य होना बाकी है और प्रभावित लोगों तक सहयोग पहुंचाए जाने की आवश्यकता है।

राहुल ने कहा कि वह राज्य सरकार के सामने लगातार मुआवजे और पुनर्वास का मुद्दा उठाते रहे हैं और आगे भी ऐसा करते रहेंगे।

उन्होंने कहा कि यहां जरूरतमंदों की मदद के लिए हाथ बढ़ाने की संस्कृति रही है और इसे लेकर कोई दिखावा नहीं है जैसा कि देश के दूसरे हिस्सों में दिखता है।

मंहगाई पर रिजर्व बैंक ने लगाई मुहर: रेपो रेट में बदलाव नहीं,GDP 5% रहने का अनुमान,ब्याज सस्ता होने की उम्मीद हुई कम attacknews.in

मुंबई, पांच दिसंबर ।उद्योग एवं पूंजी बाजार की उम्मीदों को झटका देते हुये रिजर्व बैंक ने बृहस्पतिवार को मौद्रिक नीति समीक्षा में अपनी नीतिगत ब्याज दर में कोई बदलाव नहीं किया। आर्थिक वृद्धि की गति सुस्त पड़ने के बावजूद केंद्रीय बैंक ने महंगाई बढ़ने की चिंता में रेपो दर को 5.15 प्रतिशत के पूर्व स्तर पर बरकरार रखा। इससे पहले लगातार पांच बार रिजर्व बैंक ने रेपो दर में कुल मिलाकर 1.35 प्रतिशत की कटौती की।

रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता वाली छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने एक मत से रेपो दर को 5.15 प्रतिशत और रिवर्स रेपो दर को 4.90 प्रतिशत पर बनाये रखने के पक्ष में सहमति दी। मौद्रिक समीक्षा के लिये एमपीसी की तीन दिवसीय बैठक मंगलवार को शुरू हुई थी।

रेपो दर वह दर होती है जिस पर वाणिज्यिक बैंक अपनी त्वरित नकदी जरूरतों के लिये केंद्रीय बैंक से नकदी प्राप्त करते हैं जबकि रिवर्स रेपो दर के तहत केंद्रीय बैंक, प्रणाली में अतिरिक्त नकदी को नियंत्रित करने के लिये वाणिज्यिक बैंकों से नकदी उठाता है।

अर्थशास्त्रियों और बैंकों के साथ-साथ उद्योग जगत एवं निवेशकों को उम्मीद थी की सुस्त पड़ती आर्थिक वृद्धि को थामने के लिये रिजर्व बैंक रेपो दर में लगातार छठी बार कटौती कर सकता है। चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर छह साल के निम्न स्तर 4.5 प्रतिशत पर पहुंच गई। एक साल पहले इसी तिमाही में यह वृद्धि 7 प्रतिशत रही थी।

आर्थिक वृद्धि में गिरावट के विपरीत अक्टूबर माह में खुदरा मुद्रास्फीति 4.6 प्रतिशत पर पहुंच गई। यह पिछले 16 माह में सबसे ऊंची दर रही है। मुद्रास्फीति की यह दर रिजर्व बैंक के अनुमान से काफी ऊंची रही है।

हालांकि, मौर्दिक समीक्षा में कहा गया है कि आर्थिक वृद्धि को समर्थन देने के लिये जब तक जरूरी समझा जायेगा रिजर्व बैंक अपना रुख उदार बनाये रखेगा। केंद्रीय बैंक ने 2019-20 के लिये आर्थिक वृद्धि के अपने अनुमान को पहले के 6.1 प्रतिशत से घटाकर पांच प्रतिशत कर दिया। इस साल की शुरुआत से ही केंद्रीय बैंक आर्थिक वृद्धि के अनुमान को लगातार कम करता रहा है। चालू वित्त वर्ष की अप्रैल में पेश मौद्रिक समीक्षा में आर्थिक वृद्धि का अनुमान 7.2 प्रतिशत रखा गया था।

मौद्रिक नीति समीक्षा में हालांकि कहा गया है, ‘‘एमपीसी मानती है कि भविष्य की समीक्षाओं में नीतिगत बदलाव के लिये कदम उठाने की गुंजाइश बनी हुई है। बहरहाल, वृद्धि और मुद्रास्फीति की मौजूदा स्थिति को देखते हुये समिति समझती है कि इस समय रुकना ठीक रहेगा।’’

दास ने कहा, ब्याज दरों में कटौती के मामले में यह अस्थायी विराम है। एमपीसी इस मामले में फरवरी में बेहतर ढंग से निर्णय ले सकेगी। उस समय तक और आंकड़े सामने होंगे और सरकार भी 2020-21 का बजट पेश कर चुकी होगी।

दास ने कहा कि ब्याज दरों में लगातार कटौती करते रहने के बजाय समय अधिक महत्वपूर्ण होता है। उन्होंने कहा, ‘‘1.35 प्रतिशत की कटौती का पूरा असर आने दीजिये।’’

उन्होंने कहा कि इस समय जरूरत इस बात की है कि जो अड़चनें आ रही हैं उन्हें दूर करने के उपाय किये जायें, जिसकी वजह से निवेश रुका हुआ है।

रिजर्व बैंक ने कहा कि अक्टूबर में खुदरा मुद्रास्फीति का 4.6 प्रतिशत का आंकड़ा उसकी उम्मीद से काफी ऊंचा रहा है। यही वजह है कि बैंक ने चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही का मुद्रास्फीति का अपना अनुमान बढ़ाकर 5.1 – 4.7 प्रतिशत के बीच कर दिया। इससे पहले यह 3.5- 3.7 प्रतिशत रखा गया था।

नीति दरें यथावत, ब्याज सस्ता होने की उम्मीद हुयी कम:

चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में खुदरा मंहगाई के बढ़ने और आर्थिक विकास के 5.0 प्रतिशत पर आने का अनुमान को जताते हुये रिजर्व बैंक ने नीतिगत दराें को यथावत बनाये रखने का निर्णय लिया है जिससे घर, वाहन आदि के लिए सस्ते ऋण की उम्मीद लगाये लाेगों को निराश होना पड़ेगा।

रिजर्व बैंक ने लगातार पांच वार में रेपो दर में 1.35 प्रतिशत की कटौती कर चुका था और इस बार इस छठवीं बैठक में ब्याज दरों में कम से कम एक चाथाई फीसदी की कमी किये जाने की उम्मीद की जा रही थी क्योंकि चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में देश की आर्थिक विकास दर छह वर्ष के निचले स्तर 4.5 प्रतिशत पर आ गयी है।

केन्द्रीय बैंक की मौद्रिक नीति समिति की तीन दिवसीय बैठक में सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया गया। गुरूवार को बैठक के बाद जारी बयान में कहा गया है कि चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में खुदरा महंगाई बढ़कर 5.1 प्रतिशत से 4.7 प्रतिशत के बीच पहुंच सकती है।

समिति ने वैश्विक और घरेलू कारकों से आर्थिक विकास में आयी सुस्ती का हवाला देते हुये चालू वित्त वर्ष के विकास अनुमान को 6.1 प्रतिशत से घटाकर 5.0 प्रतिशत कर दिया है।

समिति ने रेपो दर को 5.15 प्रतिशत, रिवर्स रेपो दर को 4.90 प्रतिशत, मार्जिनल स्टैंडिंग फैसेलिटी दर (एमएसएफआर) 5.40 प्रतिशत, बैंक दर 5.40 प्रतिशत, नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) को 4.0 प्रतिशत और वैधानिक तरलता अनुपात (एसएलआर) को 18.50 प्रतिशत पर यथावत बनाये रखने का निर्णय लिया है। रेपो दर वह दर है जिस पर रिजर्व बैंक वाणिज्यिक बैंकों को ऋण देता है।

रिजर्व बैंक ने आर्थिक वृद्धि का अनुमान एक प्रतिशत से ज्यादा घटाकर पांच प्रतिशत किया:

भारतीय रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष के लिए देश की आर्थिक वृद्धि दर का अनुमान 6.1 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया है। इसकी प्रमुख वजह घरेलू और बाहरी मांग का कमजोर होना बताया गया है।

सरकारी आंकड़ों के अनुसार चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में देश की आर्थिक वृद्धि दर 4.5 प्रतिशत रही है। यह पिछले छह वर्ष का सबसे निचला स्तर है। इसकी प्रमुख वजह कृषि और विनिर्माण क्षेत्र का प्रदर्शन खराब रहना रहा है।

रिजर्व बैंक ने बृहस्पतिवार को जारी अपनी पांचवी द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में कहा, ‘‘ 2019-20 के लिए वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि दर का अनुमान घटाकर पांच प्रतिशत किया जाता है। अक्टूबर की मौद्रिक नीति में यह 6.1 प्रतिशत था।’’

रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में आर्थिक वृद्धि दर 4.9 से 5.5 प्रतिशत और 2020-21 की पहली छमाही में 5.9 से 6.3 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है।

समीक्षा रपट के अनुसार नीतिगत दर में कटौती का लाभ लोगों तक पहुंचने में सुधार आने और वैश्विक व्यापार तनाव के समाधान की उम्मीद के चलते वृद्धि की संभावना बेहतर हुई है। वहीं घरेलू मांग के सुधरने में देरी, भू-राजनैतिक तनाव और वैश्विक आर्थिक गतिविधियों में नरमी से नीचे जाने का जोखिम भी है।

रपट के अनुसार हालांकि, सकारात्मक पहलू यह है कि नीतिगत दर में फरवरी 2019 से लगातार कमी की गयी है और सरकार ने भी पिछले कुछ महीनों में राहत के कई कदम उठाए हैं। इससे घरेलू मांग और बाजार धारणा सुधरने की उम्मीद है।

मौद्रिक नीति पर विचार करने वाली छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति ने कहा कि हालांकि, आर्थिक गतिविधियां कमजोर बनी हुई हैं और उत्पादन एवं खपत का अंतर भी नकारात्मक बना हुआ है।

रपट में कहा गया है कि कारपोरेट वित्तपोषण के आंकड़े और बैंकों एवं वित्तीय संस्थानों द्वारा मंजूर की गयी परियोजनाओं से निवेश गतिविधियों में जल्द सुधार के संकेत दिखते हैं। लेकिन यह संकेत कितने टिकाऊ हैं इस पर करीबी नजर रखने की जरूरत है।

माॅब लिचिंग को रोकने के लिए कानून में होगा बदलाव attacknews.in

नयी दिल्ली 04 दिसंबर ।सरकार ने आज राज्यसभा में कहा कि भीड़ द्वारा पीट पीट कर हत्या (मॉब लिचिंग) रोकने के लिए भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और आपराधिक दंड संहिता (सीआरपीसी) की संबंधित धाराओं में बदलाव के लिए विचार विमर्श चल रहा है।

गृहमंत्री अमित शाह ने सदन में प्रश्नकाल के दौरान एक पूरक प्रश्न के उत्तर में बताया कि इस मामले में हाल में ही मुख्यमंत्रियों और राज्यपालों को पत्र लिखा गया है और संबंधित कानूनों में परिवर्तन करने के लिए सुझाव मांगें गये हैं। पत्र में कहा गया है कि इस मॉब लिचिंग को रोकने के लिए अनुभवी अधिकारियों और विशेषज्ञों से सलाह मशविरा किया जाना चाहिए।

हैदराबाद में महिला डाक्टर से गैंगरेप के बाद हत्या मामले में शीघ्र न्याय के लिए त्वरित अदालत गठित करने की घोषणा attacknews.in

हैदराबाद 04 दिसंबर ।तेलंगाना सरकार ने हैदराबाद के बाहरी इलाके में 27 नवंबर को एक डॉक्टर के साथ हुयी दुष्कर्म एवं हत्या की घटना की शीघ्र सुनवाई के लिए महबूबनगर में त्वरित अदालत गठित करने की घोषणा की है।

तेलंगाना सरकार ने महिला पशुचिकित्सक के गैंगरेप और हत्या मामले में चार आरोपियों के खिलाफ सुनवाई के लिए त्वरित अदालत गठित करने का बुधवार को आदेश दिया।

राज्य सरकार ने मामले की जल्द सुनवाई के लिए महबूबनगर जिले में प्रथम अतिरिक्त जिला और सत्र न्यायाधीश की अदालत को विशेष अदालत के रूप में नामित किया।

हैदराबाद के एक सरकारी अस्पताल में सहायक पशु चिकित्सक के तौर पर काम करने वाली युवती का जला हुआ शव 28 नवंबर को यहां शादनगर में एक पुलिया के नीचे से बरामद किया गया। सामूहिक दुष्कर्म के बाद गला दबाकर उसकी हत्या कर दी गई थी। इस संबंध में चार आरोपियों को 29 नवंबर को गिरफ्तार किया गया था।

इस घटना को लेकर देशभर में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं और महिलाओं की सुरक्षा को लेकर कई सवाल किये जा रहे हैं। सड़क से संसद तक विरोध दर्ज किये गये।

राज्य सभा सांसद जया बच्चन ,लोकसभा सांसद हेमा मालिनी और भाजपा की राज्यसभा सासंद रूपा गांगुली ने इस घटना के विरोध में सदन में जोरदार आवाज उठाई। उन्होंने मीडिया से बातचीत में ऐसे दरिंदों को शीघ्र फांसी की सजा और उसके क्रियान्वयन की मांग की थी।

इस घटना को लेकर देशभर में एक बार फिर महिलाओं की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल उठने लगे हैं। दिसंबर 2012 में क्रूरतम तरीके से दुष्कर्म की शिकार हुयी निर्भया को अब तक न्याय नहीं मिल पाया है जिसको लेकर भी लचर कानून-व्यवस्था पर सवालिया निशान लगाये जा रहे हैं।

सूडान में चीनी मिट्टी के कारखाने में भीषण विस्फोट से कई भारतीय श्रमिकों के चिथड़े उड़े,आधिकारिक रूप से 23 की मौत,130 से अधिक घायल attacknews.in

खार्तूम, चार दिसंबर । सूडान में चीनी मिट्टी के कारखाने में एक एलीपीजी टैंकर में विस्फोट होने से 23 लोगों की मौत हो गई जिसमें कई भारतीय भी शामिल हैं। हादसे में 130 से अधिक लोग घायल भी गए।उत्तरी खारतूम की एक सिरैमिक फैक्ट्री में भीषण विस्फोट में करीब 23 श्रमिकों की मौत हो गई है। आधिकारिक सूत्रों ने यह जानकारी दी है।

सूडान में भारतीय दूतावास ने मंगलवार को हुई घटना में भारतीयों के मारे जाने की सूचना दी। हालांकि उसने मृतकों की संख्या के बारे में नहीं बताया है।

दूतावास ने मंगलवार को अपनी वेबसाइट पर एक बयान में कहा, ‘‘अभी तक मिली रिपोर्टों के अनुसार भारतीय श्रमिकों समेत कई लोगों की मौत हुई और कई अन्य लोग घायल हुए हैं।’’

उसने बताया कि कारखाने में 50 से अधिक भारतीय श्रमिक काम करते हैं।

सूडान सरकार ने कहा कि घटना में 23 लोगों की मौत हो गई और 130 से अधिक लोग जख्मी हो गए। प्रारंभिक रिपोर्टों से पता चला है कि घटनास्थल पर सुरक्षा के लिए आवश्यक उपकरण नहीं थे।

सरकार ने कहा, ‘‘वहां पर ज्वलनशील पदार्थों का अनुचित तरीके से भंडार किया गया था जिससे आग फैल गई।’’

सूत्रों ने बताया कि यह विस्फोट उस समय हुआ जब एक गैस टैंकर से अन्य टैंकरों में ज्वलनशील तरल पदार्थ को उतारा जा रहा था और इसी दौरान एक जोरदार विस्फोट हुआ।

सूत्रों ने बताया कि इस हादसे में 23 लोगों की मौत हो गई है और लगभग 130 लोग गंभीर रूप से झुलस गए हैं।

खारतूम में भारतीय दूतावास ने एक एडवाइजरी जारी कर कहा कि इस हादसे में कई भारतीय नागरिक मारे गए हैं और कई झुलस गए हैं। इस बयान में कहा गया है कि घटना के वक्त फैक्ट्री में करीब 68 भारतीय थे।

प्रधानमंत्री अब्दल्लाह हामदोेक ने वाशिंगटन से जारी एक शोक संदेश में हताहतों के परिजनों के प्रति संवेदना व्यक्त की है और कहा है कि शुरूआती जांच में पता चला है कि वहां सुरक्षा के उपाय पुख्ता नहीं थे।
उन्होंने कहा कि इस ज्वलनशील पदार्थ के कारण आग ने काफी भयानक रूप ले लिया और फैक्ट्री पूरी तरह जलकर राख हो गई।

पाकिस्तान के मंत्री ने भारी मंहगाई का ठिकरा भारत के सिर फोड़ा,सभी सामानों की कीमतें आसमान छू रही हैं attacknews.in

इस्लामाबाद, 04 दिसंबर ।पाकिस्तानी सरकार ने कहा है कि भारत आौर पाकिस्तान के बीच व्यापार पर रोक देश में कीमत वृद्धि के कारणों में से एक है।एक वरिष्ठ मंत्री ने खाद्य पदार्थों की बढ़ती कीमतों के लिए भारत के साथ व्यापार रद्द होने को जिम्मेदार ठहराया है। पाकिस्तान में टमाटर के दाम 300 रुपये प्रति किलोग्राम पर पहुंच गए हैं।

वित्त एवं राजस्व मामलों में प्रधानमंत्री के सलाहकार डॉ अब्दुल हाफिज शेख और राजस्व मंत्री हम्माद अजहर ने मंगलवार को यहां एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि विशेष रूप से खाद्य सामग्रियों की कीमतों में वृद्धि भारत के साथ व्यापार के रूकने, मौसम संबंधी कारणों, बिचौलियों की भूमिका की वजह से हुआ है।

आर्थिक मामलों के मंत्री हमाद अजहर ने यह टिप्पणी की कि,खाद्य पदार्थों की बढ़यी कीमतों के लिए भारत के साथ व्यापार रद्द होना जिम्मेदार है, जब प्रधानमंत्री इमरान खान की आर्थिक मामलों की टीम के वरिष्ठ सदस्य ताजा आर्थिक हालात के बारे में मीडिया को संबोधित कर रहे थे।

डॉन अखबार की एक खबर के मुताबिक, अजहर ने कहा कि आसमान छूती कीमतें खासतौर से खाद्य महंगाई भारत के साथ व्यापार रद्द होने से पैदा हुई और इसमें मौसमी तत्व तथा बिचौलियों की भी भूमिका है।

उन्होंने कहा कि केंद्र सस्ता बाजार लगाने के लिए प्रांतीय सरकार के साथ इस मामले पर विचार कर रहा है। उन्होंने कहा कि महंगाई जनवरी-फरवरी से कम होना शुरू होगी।

यह टिप्पणियां तब आई हैं जब टमाटर के दाम 300 रुपये प्रति किलो पर पहुंच गए हैं जिससे लोग परेशान हो गए हैं क्योंकि यह उनके भोजन की अहम सामग्री है।

पाकिस्तान ने पांच अगस्त को भारत द्वारा जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा हटाए जाने के बाद उसके साथ कूटनीतिक संबंध कमतर कर दिए और व्यापार निलंबित कर दिया।

पूर्व प्रधानमंत्री देवगौड़ा के पोते सूरज ने जमकर उत्पात , मारपीट करके नबीहल्ली में दंगा फैलाया attacknews.in

बेंगलुरु, चार दिसंबर। पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवगौड़ा के पोते सूरज रेवन्ना और 150 अन्य पर हत्या की कोशिश एवं दंगा करने के आरोपों के तहत एक मामला दर्ज किया गया है। पुलिस ने बुधवार को यह जानकारी दी।

हासन जिले के नंबीहल्ली में मंगलवार रात कथित तौर पर यह घटना हुई थी।

कर्नाटक के पूर्व मंत्री एच डी रेवन्ना के बेटे सूरज रेवन्ना पर आरोप लगाया गया है कि उन्होंने बेंगलुरु से भाजपा के एक पार्षद आनंद होसुर सहित भगवा पार्टी के कुछ कार्यकर्ताओं के साथ मंगलवार रात मारपीट की।

हालांकि, एच डी रेवन्ना ने इन आरोपों को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि उनके बेटे मौके पर मौजूद नहीं थे और भाजपा पर झूठी शिकायत के साथ मामला दर्ज कराने का आरोप लगाया।

भाजपा कार्यकर्ता शिवानंद द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत के आधार पर चन्नारायपाटना ग्रामीण पुलिस थाने ने सूरज और अन्य के खिलाफ आईपीसी की धारा 307, 324 और 147 सहित अन्य धाराओं के तहत एक मामला दर्ज किया। ये धाराएं हत्या की कोशिश, गंभीर रूप से घायल करना और गैर कानूनन जमा होने तथा दंगा करने से जुड़ी हैं।

शिकायत के मुताबिक शिवानंद और चार अन्य अपने दोस्तों से बातचीत कर रहे थे, तभी सूरज रेवन्ना और 150 से 200 लोग वहां पहंचे और उन्हें अपशब्द कहा तथा उन्हें पीटा।

यह घटना नंबीहल्ली गांव में हुई , जो केआर पेट विधानसभा क्षेत्र की सीमा पर स्थित है जहां बृहस्पतिवार को उपचुनाव होने जा रहा है।

भाजपा कार्यकर्ता ने आरोप लगाया कि सूरज ने उन पर (जद-एस के) कायकर्ताओं को जद(एस) से भाजपा में लाने के लिये प्रलोभन देने की कोशिश करने का आरोप लगाया और अपने सहयोगियों को उनके टुकड़े-टुकड़े करने का निर्देश दिया।

जल्द ही सभी ने उन पर (भाजपा कार्यकर्ताओं पर) धारधार हथियारों और डंडों से हमला करना शुरू कर दिया।

शिवानंद ने शिकायत में कहा है कि लेकिन वे लोग घर में घुस गये और फिर भी उन्हें पीटा गया।

स्थानीय लोगों के हस्तक्षेप के बाद वे (आरोपी) वहां से गये। आरोपियों ने वहां से जाने से पहले दो कारें भी क्षतिग्रस्त कर दीं।

बाद में, पीड़ितों को सरकारी अस्पताल ले जाया गया जहां पुलिस ने उनके बयान दर्ज किए।

अपने बेटे के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज किए जाने पर प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए रेवन्ना ने दावा किया कि यह दुर्भावनापूर्ण इरादे के साथ दर्ज कराया गया।

रेवन्ना ने कहा, ‘‘पिछले एक महीने से केआर पेट विधानसभा क्षेत्र में रुपये बांटे जा रहे हैं। हमने रुपये बांटे जाने के खिलाफ चुनाव आयोग के पास एक शिकायत भी दर्ज कराई है।’’

उन्होंने आरोप लगाया कि आनंद होसुर (हम्पी नगर वार्ड) और अन्य लोग पिछले एक हफ्ते से अक्सर ही नंबीहल्ली जा रहे थे।

रेवन्ना ने कहा कि वह अपने बेटे के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी के विरोध में शुक्रवार को धरना देंगे।

Google के साथ-साथ इसकी मातृ कंपनी अल्फाबेट के भी CEO बने भारतीय मूल के सुंदर पिचाई attacknews.in

वाशिंगटन, चार दिसंबर । गूगल के सह-संस्थापकों लैरी पेज और सर्गेइ ब्रिन ने खुद को मातृ कंपनी अल्फाबेट के सक्रिय प्रबंधन से अलग कर लिया है। अब अल्फाबेट के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) का पद भारतीय मूल के सुंदर पिचाई संभालेंगे।

अल्फाबेट और गूगल के प्रबंधन में हुए इस फेरबदल से पिचाई दुनिया के सबसे शक्तिशाली सीईओ में से एक बन गये हैं।

अल्फाबेट ने मंगलवार को बताया कि पेज और ब्रिन क्रमश: सीईओ और अध्यक्ष का पद छोड़ रहे हैं। इसके बाद गूगल के मौजूदा सीईओ पिचाई (47) अब अल्फाबेट के सीईओ का पद संभालेंगे।

यह फेरबदल ऐसे समय हुआ है जब गूगल को कंपनी के वृहद आकार, सूचनाओं की गोपनीयता एवं सुरक्षा को लेकर कंपनी का रवैया तथा समाज पर संभावित प्रभाव को लेकर जांच के बढ़ते दबाव का सामना करना पड़ रहा है।

दोनों सह-संस्थापकों ने एक सार्वजनिक पत्र में कहा कि अब अल्फाबेट अच्छे से स्थापित हो चुकी है और गूगल समेत अन्य सहायक कंपनियां स्वतंत्र तरीके से प्रभावी परिचालन कर रही हैं, ऐसे में यह स्वाभाविक समय है कि प्रबंधन के स्वरूप को सरल बनाया जाये।

उन्होंने कहा, ‘‘हम उन लोगों में कभी नहीं रहे कि जब कंपनी को चलाने का बेहतर तरीका उपलब्ध हो, तब भी प्रबंधन में बने रहें। और अब अल्फाबेट तथा गूगल को दो अलग सीईओ के साथ एक अध्यक्ष की जरूरत नहीं है। आने वाले समय में सुंदर गूगल के साथ अल्फाबेट के भी सीईओ होंगे। वह गूगल का नेतृत्व करेंगे तथा अल्फाबेट के अन्य कारोबार में निवेश का प्रबंधन करेंगे।’’

दोनों सह-संस्थापक अल्फाबेट के निदेशक मंडल में बने रहेंगे।

पिचाई ने कहा कि इस बदलाव से अल्फाबेट की संरचना या उसके काम पर कोई असर नहीं पड़ेगा।

उन्होंने लिखा, ‘‘मैं गूगल पर अपना ध्यान केंद्रित करता रहूंगा और साथ ही कम्प्यूटिंग के दायरे को बढ़ाने, गूगल को हर किसी के लिए अधिक मददगार बनाने के अपने काम को करता रहूंगा।’’

उन्होंने अपने ईमेल में कहा, ‘‘साथ ही मैं अल्फाबेट और प्रौद्योगिकी के जरिए बड़ी चुनौतियों से निपटने के उसके दीर्घकालिक उद्देश्य को लेकर उत्साहित हूं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘सुंदर ने अल्फाबेट की स्थापना के वक्त, गूगल के सीईओ रहते हुए और अल्फाबेट के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स के सदस्य के नाते 15 वर्ष तक हमारे साथ निकटता से काम किया है। अल्फाबेट की स्थापना के बाद से अब तक हमने किसी और पर इतना भरोसा नहीं किया और उनके अलावा गूगल और अल्फाबेट का भविष्य में कोई इतने अच्छे तरीके से नेतृत्व नहीं कर सकता।’’

जमानत पर रिहा होकर चिदंबरम सीधे सोनिया गांधी से मिलने गये attacknews.in

नयी दिल्ली, चार दिसंबर । वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी चिदम्बरम को बुधवार को 100 दिनों से भी अधिक समय बाद तिहाड़ जेल से रिहा कर दिया गया।

जेल से बाहर आने पर कई कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने उनका स्वागत किया।

उससे पहले दिन में चिदम्बरम को उच्चतम न्यायालय ने आईएनएक्स मीडिया धनशोधन मामले में जमानत दी थी

जेल से बाहर आने के बाद सोनिया से मिले चिदंबरम

पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने आईएनएक्स मीडिया धनशोधन मामले में उच्चतम न्यायालय से जमानत मिलने के बाद बुधवार रात कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात की।

सूत्रों के मुताबिक चिदंबरम के सोनिया से मिलने के दौरान उनके पुत्र कार्ति चिदंबरम भी साथ थे।

गौरतलब है कि सर्वोच्च न्यायालय की न्यायमूर्ति आर. भानुमति की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने बुधवार को 74 वर्षीय पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री को जमानत दे दी।

सीबीआई ने 21 अगस्त को आईएनएक्स मीडिया धनशोधन मामले में उन्हें गिरफ्तार किया था। प्रवर्तन निदेशालय ने धनशोधन मामले में 16 अक्टूबर को उन्हें गिरफ्तार किया था।

चिदंबरम के खिलाफ रची गयी साजिश: कांग्रेस

पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम को आईएनएक्स मीडिया धनशोधन मामले में उच्चतम न्यायालय से जमानत मिलने के बाद कांग्रेस ने बुधवार को दावा किया कि चिदंबरम के खिलाफ ‘साजिश’ रची गई जिसका खुलासा भविष्य में होगा।

पार्टी के वरिष्ठ नेता अधीर रंजन चौधरी ने यह दावा भी किया कि चिदंबरम को गिरफ्तार करने के लिए सीबीआई के लोगों ने उनके घर में जाने के लिए ऐसे छलांग लगाई कि जैसे वह ‘ओसामा बिन लादेन के रिश्तेदार का घर’ हो।

उन्होंने संसद परिसर में संवाददाओं से कहा, “चिदंबरम हमारी पार्टी के लिए मूल्यवान व्यक्ति हैं। उनके खिलाफ साजिश रची गई थी। आज नहीं तो कल इसका ख्रुलासा होगा कि कैसे साजिश रची गई थी।” चौधरी ने दावा किया, ‘चिदंबरम इस सरकार की आलोचना करते थे। यही बात इस सरकार को पसंद नहीं थी। उनका मुंह बंद करने के लिए गिरफ्तार किया गया।’

चिदंबरम को जमानत मिलने के बाद पार्टी ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर कहा, ‘‘आखिरकार सच की जीत हुई। सत्यमेव जयते।’’ चिदंबरम के पुत्र और कांग्रेस सांसद कार्ति ने पिता को जमानत मिलने पर खुशी जताते हुए कहा कि आखिर 106 दिनों के बाद जमानत मिल गई। दूसरी तरफ, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने कहा, न्याय में देरी अन्याय है। यह काफी पहले ही मिलना चाहिए था।

भारतीय युवा कांग्रेस के अध्यक्ष श्रीनिवास बीवी ने कहा, ‘बदले की करवाई से कांग्रेस और चिदंबरम झुकने वाले नहीं हैं। हम जनता के मुद्दे उठाते रहेंगे और इस सरकार की जनविरोधी नीतियों को बेनकाब करते रहेंगे।” गौरतलब है कि सर्वोच्च न्यायालय की न्यायमूर्ति आर. भानुमति की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने बुधवार को 74 वर्षीय पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री को जमानत दी।

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने घूंघट और बुर्का प्रथा के खिलाफ अभियान शुरू किया attacknews.in

जयपुर, चार दिसंबर ।मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राजस्थान के कई हिस्सों में मौजूदा घूंघट प्रथा और बुर्का प्रथा की आलोचना करते हुए कहा कि यह बेतुकी है और इसके खिलाफ अभियान चलना चाहिए।

गहलोत बुधवार को अपने निवास पर आयोजित शबद-कीर्तन के अवसर पर उपस्थित जन समूह को संबोधित कर रहे थे।

उन्होंने कहा,‘ आप देखते हैं राजस्थान जैसे प्रदेश में घूंघट प्रथा है। एक महिला को आप घूंघट में कैद रखो यह कहां की समझदारी है?’

उन्होंने कहा,‘हिंदुस्तान के अधिकांश राज्यों में यह प्रथा नहीं है। राजस्थान में प्रथा है कहीं-कहीं पर और छोटी-मोटी प्रथाएं है तो मेरा मानना है कि समय आ गया है कि घूंघट हटाओ का अभियान चलना चाहिए। प्रदेश, देश की महिलाओं को आगे आना चाहिए और महिलाओं से ज्यादा पुरुष को आगे आना चाहिए।’

गहलोत ने कहा,‘ घूंघट हो या बुर्का हो … आधुनिक समाज में, दुनिया चांद तक पहुंच रही है, मंगल ग्रह पर जा रही है … तो (इसका) क्या तुक है।’

उन्होंने कहा कि गुरुनानक देव ने उस जमाने में महिलाओं के सशक्तिकरण की बात की, जो हमें संदेश देता है कि किस प्रकार से हम सब मिलकर उनकी सोच को आगे बढ़ाएं।

उन्होंने बताया कि सिख समाज में रीति रिवाजों से हुई शादियों के रजिस्ट्रेशन के उद्देश्य से मैंने राजस्थान आनंद मैरिज रजिस्ट्रेशन नियम 2019 के प्रारूप का अनुमोदन कर दिया है। इसके साथ ही राज्य में विभिन्न प्रतियोगी तथा शैक्षणिक परीक्षाओं में बैठने वाले सिख धर्म के अभ्यर्थियों को कड़ा, कृपाण व पगड़ी आदि धार्मिक प्रतीक धारण करने की छूट होगी। इसके लिए दिशा निर्देश भी जारी कर दिए गए हैं।

शिवसेना ने शरद पवार की तारीफों के पुल बांधते हुए भाजपा को दी चेतावनी:ये महाराष्ट्र है,फिर से पांव फिसला तो गिर पड़ोगे? attacknews.in

मुंबई, चार दिसंबर । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा साथ मिल कर काम करने की पेशकश किये जाने का शरद पवार द्वारा किए गए खुलासे के कुछ दिनों बाद शिवसेना ने हैरानी जताते हुए सवाल किया है कि राकांपा प्रमुख की ‘‘उपयोगिता एवं अनुभव’’ को समझने में भाजपा को पांच साल क्यों लग गए।

शिवसेना के मुखपत्र ‘सामाना’ में बुधवार को प्रकाशित एक संपादकीय में यह सवाल किया गया है कि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) से भाजपा क्या लाभ उठाने की कोशिश कर रही थी, जबकि (एनसीपी) को भगवा पार्टी के नेताओं ने ‘नेचुरली करप्ट पार्टी’ (स्वभाविक रूप से भ्रष्ट पार्टी) कह कर संबोधित किया था।

इसमें कहा गया है, ‘‘खास बात है यह कि पवार की पार्टी से 54 विधायकों के चुने जाने के बाद उनके (पवार के) अनुभव से (भाजपा को) साक्षात्कार हुआ।’’

संपादकीय में कहा गया है, ‘‘भाजपा की सभी कोशिशें सिर्फ शिवसेना को सत्ता में आने से रोकने के लिये थी। हालांकि, शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने सत्ता हासिल करने की भाजपा की योजना नाकाम कर दी।’’

सामना में भाजपा को यह भी चेतावनी दी गई है, ‘‘ ये महाराष्ट्र है। फिर से पांव फिसला तो गिर पड़ोगे।’’

पवार ने सोमवार को कहा था कि मोदी ने साथ मिल कर काम करने का प्रस्ताव दिया था लेकिन उन्होंने यह पेशकश खारिज कर दी थी।

राकांपा प्रमुख ने कहा था कि उन्होंने मोदी को यह स्पष्ट कर दिया कि यह संभव नहीं होगा।

इस पर प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए शिवसेना ने कहा, ‘‘हमें आश्चर्य है कि भाजपा को पवार की उपयोगिता एवं अनुभव को समझने में पांच साल क्यों लगे।’’

गौरतलब है कि 21 अक्टूबर को हुए राज्य विधानसभा चुनाव में भाजपा 105 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी। वहीं शिवसेना को 56, राकांपा को 54 और कांग्रेस को 44 सीटों पर जीत मिली।

सामना में इस बात का जिक्र किया गया है कि मोदी ने शुरूआत में एनसीपी को ‘नेचुरली करप्ट पार्टी ’ और विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने महाराष्ट्र के विकास में पवार के योगदान पर सवाल उठाये थे।

शिवसेना ने सवाल किया, ‘‘यदि यह सब सच था, तो राकांपा के अनुभव से भाजपा किस तरह का लाभ उठाना चाहती है?’’

इसमें कहा गया है, ‘‘ विधानसभा चुनाव के पहले पवार को प्रवर्तन निदेशालय ((ईडी) का नोटिस भेजकर दबाव बनाया गया। पार्टी के नेता प्रफुल्ल पटेल को भी जांच के लिए बुलाया गया। पटेल का यह मामला दो-तीन दशक पहले का है। लेकिन ‘ईडी’ ने यह चुनाव के दौरान ढूंढ़ निकाला और उस प्रकरण का उल्लेख भाजपा नेता लोकसभा चुनाव के दौरान करने लगे।’’

इसमें कहा गया है, ‘‘ विधानसभा चुनाव के बाद सरकार बनाने की यह भ्रष्ट तैयारी थी। लेकिन पवार दिल्ली (केंद्र सरकार) के दबाव की तरकीब के आगे नहीं झुके।’’

ईडी ने महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंक घोटाले में पवार के खिलाफ सितंबर में धन शोधन का एक मामला दर्ज किया था।

शिवसेना ने कहा, ‘‘पवार की तरह ही, उद्योगपति राहुल बजाज ने भी अपनी बात कही। देश के गृहमंत्री (अमित शाह) की उपस्थिति में बजाज ने कहा कि आपके शासन में खुलकर बोलने की और भयमुक्त होकर जीने की आजादी नहीं रही।’’

संपादकीय में कहा गया है, ‘‘ये हिम्मत के काम हमारे महाराष्ट्र में ही हुए क्योंकि हिम्मत से जीने का अनुभव महाराष्ट्र को दूसरे राज्यों से ज्यादा है।’’

305 करोड़ रुपये विदेशी मुद्रा लेने में दोषी पी चिदंबरम के खिलाफ INX मीडिया घोटाले का घटनाक्रम attacknews.in

नयी दिल्ली, चार दिसंबर ।उच्चतम न्यायालय ने आईएनएक्स मीडिया धन शोधन मामले में पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री पी. चिदंबरम को बुधवार को जमानत दे दी। इस मामले में घटनाक्रम इस प्रकार हैं :

  • 15 मई, 2017 : सीबीआई ने 2007 में विदेश से 305 करोड़ रुपये की रकम प्राप्त करने के लिए आईएनएक्स मीडिया समूह को विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) की मंजूरी में अनियमितता का आरोप लगाते हुए मामले में प्राथमिकी दर्ज की।

  • 16 फरवरी, 2018 : प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने इस संबंध में धन शोधन का मामला दर्ज किया। सीबीआई ने पूछताछ के लिए चिदंबरम को समन किया।

  • 30 मई, 2018 : चिदंबरम ने सीबीआई के भ्रष्टाचार मामले में अग्रिम जमानत याचिका का अनुरोध करते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय में याचिका दायर की।

  • 23 जुलाई, 2018 : प्रवर्तन निदेशालय के धन शोधन मामले में अग्रिम जमानत के लिए उन्होंने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की।

  • 25 जुलाई, 2018 : उच्च न्यायालय ने उन्हें दोनों मामलों में गिरफ्तारी से अंतरिम राहत दे दी।

  • 25 जनवरी, 2019 : उच्च न्यायालय ने दोनों मामलों में अग्रिम जमानत पर अपना फैसला सुरक्षित रखा।

  • 20 अगस्त, 2019 : उच्च न्यायालय ने अग्रिम जमानत याचिकाएं खारिज कीं। अदालत ने इस आदेश पर तीन दिन के लिये रोक लगाने का चिदंबरम का अनुरोध ठुकरा दिया। चिदंबरम उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर करने के लिये यह राहत चाहते थे।

  • 21 अगस्त, 2019 : सीबीआई मामले में चिदंबरम गिरफ्तार ।

  • 22 अगस्त, 2019 : चिदंबरम को चार दिन के लिए सीबीआई की हिरासत में भेजा गया, जो पांच सितंबर तक समय-समय पर बढ़ता रहा।

  • पांच सितंबर, 2019 : उच्चतम न्यायालय ने धन शोधन मामले में उन्हें अग्रिम जमानत से इनकार से संबंधित उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ उनकी याचिका खारिज की।

  • पांच अक्टूबर, 2019 : दिल्ली की अदालत ने निदेशालय को तिहाड़ जेल में उनसे पूछताछ करने और जरूरत पड़ने पर गिरफ्तार करने की इजाजत दी।

  • 16 अक्टूबर, 2019 : निदेशालय ने तिहाड़ जेल में ही चिदंबरम से पूछताछ की और उन्हें गिरफ्तार किया।

  • 17 अक्टूबर, 2019 : चिदंबरम को 24 अक्टूबर तक प्रवर्तन निदेशालय की हिरासत में भेजा गया।

  • 18 अक्टूबर, 2019 : सीबीआई ने आईएनएक्स मीडिया मामले में पी चिदंबरम एवं 13 अन्य के खिलाफ आरोपपत्र दायर किया।

  • 21 अक्टूबर, 2019 : सीबीआई की अदालत ने जांच एजेंसी के आरोप पत्र का संज्ञान लिया और 24 अक्टूबर तक पी चिदंबरम को तलब किया।

  • 22 अक्टूबर, 2019 : उच्चतम न्यायालय ने भ्रष्टाचार मामले में चिदंबरम को जमानत दी।

  • 24 अक्टूबर, 2019 : दिल्ली की अदालत ने चिदंबरम को आईएनएक्स मीडिया धन शोधन मामले में पूछताछ के लिये 30 अक्टूबर तक ईडी की हिरासत में भेजा।

  • 25 अक्टूबर, 2019 : सीबीआई ने आईएनएक्स मीडिया भ्रष्टाचार मामले में चिदंबरम को जमानत देने के उच्चतम न्यायालय के फैसले पर पुनर्विचार याचिका दायर की।

  • 30 अक्टूबर, 2019 : चिदंबरम ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए आईएनएक्स मीडिया धन शोधन मामले में अग्रिम जमानत के लिये दिल्ली उच्च न्यायालय में याचिका दायर की।

  • 30 अक्टूबर, 2019 : दिल्ली की अदालत ने धन शोधन मामले में 13 नवंबर तक चिदंबरम को न्यायिक हिरासत में भेज दिया।

  • 13 नवंबर, 2019 : दिल्ली की अदालत ने चिदंबरम की न्यायिक हिरासत 27 नवंबर तक बढ़ाई।

  • 15 नवंबर, 2019 : उच्च न्यायालय ने धन शोधन मामले में चिदंबरम को जमानत से इनकार किया।

  • 18 नवंबर, 2019 : चिदंबरम ने उनकी जमानत याचिका खारिज करने से संबंधित उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देते हुए उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की।

  • 21 नवंबर, 2019 : दिल्ली की अदालत ने ईडी को 22, 23 नवंबर को चिदंबरम से तिहाड़ में पूछताछ की अनुमति दी।

  • 27 नवंबर, 2019 : दिल्ली की अदालत ने चिदंबरम की न्यायिक हिरासत 11 दिसंबर तक बढ़ाई।

  • 28 नवंबर, 2019 : उच्चतम न्यायालय ने चिदंबरम की जमानत याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा।

  • चार दिसंबर, 2019 : उच्चतम न्यायालय ने आईएनएक्स धन शोधन मामले में चिदंबरम को जमानत से इनकार से संबंधित दिल्ली उच्च न्यायालय के 15 नवंबर के फैसले को निरस्त करते हुए उन्हें जमानत दे दी। चिदंबरम 21 अगस्त से 105 दिन तक हिरासत में रहे हैं

INX मीडिया घोटाले में जमानत पर बाहर आए चिदंबरम पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई यह लगाम कि,मीडिया को नहीं बोलूंगा और न ही गवाहों को धमकाउंगां attacknews.in

नयी दिल्ली, चार दिसंबर । आईएनएक्स मीडिया धन शोधन मामले में पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम को बुधवार को राहत प्रदान करते हुये उच्चतम न्यायालय ने उन्हें जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया। न्यायालय ने प्रवर्तन निदेशालय के इस दावे को स्वीकार नहीं किया कि वह साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ कर सकते हैं क्योंकि इस समय न तो वह राजनीतिक ताकत हैं और न ही सरकार में किसी पद पर आसीन हैं।

शीर्ष अदालत ने 74 वर्षीय कांग्रेस के इस वरिष्ठ नेता को जमानत पर रिहा करते हुये आदेश दिया कि वह इस मामले में अपने या अन्य सह-आरोपी के संबंध में कोई प्रेस इंटरव्यू या सार्वजनिक बयान नहीं देंगे।

न्यायमूर्ति आर भानुमति, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति ऋषिकेश राय की पीठ ने पूर्व वित्त मंत्री को जमानत देने से इंकार करने संबंधी दिल्ली उच्च न्यायालय का फैसला निरस्त कर दिया। पीठ ने कहा कि चिदंबरम को दो लाख रुपये का निजी मुचलका और इतनी ही राशि की दो जमानतें पेश करने पर रिहा किया जाये।

प्रवर्तन निदेशालय ने न्यायालय में दलील दी थी कि धन शोधन के मामले में एक गवाह चिदंबरम का सामना करने के लिये तैयार नहीं है क्योंकि दोनों एक ही राज्य के हैं।

निदेशालय की इस दलील के बारे में न्यायालय ने कहा कि इसके लिये चिदंबरम को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता जबकि ऐसी सामग्री सामने नहीं है जिससे यह संकेत मिलता हो कि उन्होंने या उनकी ओर से किसी ने गवाह को ‘रोका या धमकी दी’’ थी।

पीठ ने चिदंबरम को निर्देश दिया कि प्रवर्तन निदेशालय द्वारा इस मामले में आगे की आगे जांच के सिलसिले में बुलाये जाने पर वह पूछताछ के लिये उपलब्ध रहेंगे। पीठ ने कहा कि पूर्व वित्त मंत्री ‘‘साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ नहीं करेंगे और न ही गवाहों को धमकाने या प्रभावित करने’’ का प्रयास करेंगे। न्यायालय ने निचली अदालत के स्पष्ट आदेश के बगैर उन्हें देश से बाहर नहीं जाने का भी निर्देश दिया है।

चिदंबरम द्वारा साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ किये जाने की संभावना से इंकार नहीं किये जाने संबंधी प्रवर्तन निदेशालय की दलील के बारे में पीठ ने कहा, ‘‘मौजूदा स्थिति में अपीलकर्ता न तो राजनीतिक ताकत है और न ही सरकार में किसी पद पर है जिससे वह हस्तक्षेप करने की स्थिति में हो। इस स्थिति में पहली नजर में इस तरह के आरोप स्वीकार नहीं किये जा सकते।’’

शीर्ष अदालत ने कहा कि हालांकि आर्थिक अपराध गंभीर किस्म के होते हैं लेकिन जमानत संबंधी बुनियादी न्याय शास्त्र वही है कि आरोपी को जमानत देना नियम है और इससे इंकार अपवाद है ।

पीठ ने अपने 37 पेज के फैसले में कहा कि अदालत को जमानत याचिका पर विचार करते समय अपराध की गंभीरता को ध्यान में रखना जरूरी है लेकिन अपराध की गंभीरता का आकलन तो प्रत्येक मामले के तथ्यों और परिस्थितियों के आधार पर अदालत करेगी।

न्यायालय ने कहा कि अदालत द्वारा अपने फैसले के चुनिन्दा पैराग्राफ में अपना निष्कर्ष दर्ज करने के तरीके को वह अस्वीकार करता है। इन पैराग्राफ में की गयी टिप्पणियां कथित अपराध के संबंध में उनके नतीजे के स्वरूप को दर्शाती हैं।

जमानत याचिका पर विचार के दौरान जांच एजेन्सी द्वारा सीलबंद लिफाफे में पेश दस्तावेजों के अवलोकन के बारे में पीठ ने कहा कि वह पहले ही यह व्यवस्था दे चुकी है कि यह जांच की कार्यवाही सही दिशा में चलने के बारे में आश्वस्त होने के लिये अदालत पर निर्भर करेगा कि वह ऐसे दस्तावेजों का अवलोकन करे या नहीं।

न्यायालय ने कहा कि शुरू में वह सीलबंद लिफाफे में पेश दस्तावेजों के अवलोकन के पक्ष में नहीं थी लेकिन चूंकि उच्च न्यायालय ने इनका अवलोकन किया था, इसलिए शीर्ष अदालत के लिये इन पर गौर करना जरूरी हो गया था।

पीठ ने कहा कि उच्च न्यायालय द्वारा सीलबंद लिफाफे में पेश सामग्री के आधार पर अपना निष्कर्ष निकालना न्यायोचित नहीं था।

पीठ ने कहा कि रिकार्ड में मौजूद बयान और एकत्र की गयी सामग्री का संज्ञान लिया भी जाये तो अपीलकर्ता (चिदंबरम) की भूमिका को निचली अदालत में ही साबित करना होगा और यदि दोषी पाये गये तो अपीलकर्ता को सजा भुगतनी होगी।

न्यायालय ने इस तथ्य का भी जिक्र किया कि एक सह-आरोपी को उच्च न्यायालय ने जमानत दे रखी है जबकि अन्य आरोपी गिरफ्तारी से संरक्षण का लाभ उठा रहे हैं।

चिदंबरम को पहली बार आईएनएक्स मीडिया भ्रष्टाचार मामले में सीबीआई ने 21 अगस्त को गिरफ्तार किया था। इस मामले में उन्हें शीर्ष अदालत ने 22 अक्टूबर को जमानत दे दी थी।

इसी दौरान 16 अक्टूबर को प्रवर्तन निदेशालय ने आईएनएक्स मीडिया भ्रष्टाचार मामले से मिली रकम से संबंधित धन शोधन के मामले में चिदंबरम को गिरफ्तार कर लिया था।

धन की कमी भारतीय मूल की कमला हैरिस को अमेरिकी राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ने में आड़े आई , चुनावी दौड़ से बाहर हुई attacknews.in

वाशिंगटन, चार दिसंबर । भारतीय मूल की सीनेटर कमला हैरिस ने 2020 में अमेरिका में होने वाले राष्ट्रपति पद के चुनाव में डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवारों की दौड़ से अपना नाम अचानक वापस ले लिया। उन्होंने कहा कि उनके पास अपने अभियान को जारी रखने के लिए पर्याप्त धन नहीं है।

कैलिफोर्निया से सीनेटर (55) हैरिस राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प को चुनौती देने वाले लोगों में से ऐसी पहली हाई प्रोफाइल उम्मीदवार हैं जिन्होंने अपना नाम वापस लिया है।

हैरिस ने मंगलवार को एक ट्वीट किया, ‘‘अपने समर्थकों के प्रति आभार जताते हुए मैं बहुत खेद के साथ बताना चाहती हूं कि आज मैं अपना अभियान निलंबित कर रही हूं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन मैं स्पष्ट कर दूं कि मैं हर दिन लड़ती रहूंगी, यह अभियान भी उसी के लिए था…लोगों को, सभी लोगों को न्याय दिलाने के लिए।’’

हैरिस का ताल्लुक भारत और अफ्रीका दोनों से है। हाल के सप्ताहों में पोल में उनका प्रदर्शन खराब बताया जा रहा था।

सोमवार को जारी एक नये पोल में उनकी रेटिंग घटकर मात्र तीन प्रतिशत रह गई जो दिखाता है कि उनका अभियान आगे बढ़ने के लिए संघर्ष कर रहा है।

हैरिस डेमोक्रेटिक पार्टी की पहली बड़ी नेता थीं जिन्होंने गत जनवरी में राष्ट्रपति चुनाव की दौड़ में शामिल होने की घोषणा की थी। उस समय कार्यक्रम में 20,000 से अधिक समर्थक उमड़े थे।

उन्होंने पूर्व उपराष्ट्रपति जो बिडेन के खिलाफ डेमोक्रेटिक पार्टी की पहली डिबेट में अच्छा प्रदर्शन किया था लेकिन बाद की डिबेट में उनका प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा।

पिछली डिबेट में उनकी कांग्रेस सदस्य तुलसी गबार्ड से तीखी बहस हुई थी। गबार्ड भी डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार की दौड़ में शामिल है।

ऑनलाइन प्लेटफॉर्म मीडियम पर एक पोस्ट में हैरिस ने अपने अभियान को अचानक निलंबित करने के कारणों के बारे में बताया है।

उन्होंने कहा, ‘‘मैंने हर दृष्टिकोण से विचार किया और पिछले कुछ दिनों में मैंने अपने जीवन के सबसे कठिन फैसलों में से एक लिया। राष्ट्रपति पद के लिए अपने अभियान को जारी रखने के लिए मेरे पास आर्थिक संसाधन नहीं हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘मैं अरबपति नहीं हूं। मैं अपने अभियान का वित्तपोषण खुद नहीं कर सकती। जैसे-जैसे अभियान आगे बढ़ा मेरे लिए लिए धन जुटाना मुश्किल होता चला गया। इसलिए अपने समर्थकों के प्रति आभार जताते हुए बेहद खेद के साथ कहना चाहती हूं कि आज मैं अपना अभियान निलंबित कर रही हूं।’’

भारत से भागे विवादित स्वामी नित्यानंद ने इक्वाडोर के निकट द्वीप पर गठित किया हिन्दू राष्ट्र ‘ कैलाश ‘ attacknews.in

बेंगलुरु, चार दिसंबर । विवादित स्वामी नित्यानंद का बिदादी आश्रम लगभग खाली पड़ा है और वहां की व्यवस्था देखने वाले लोग नदारद हैं। नित्यानंद पर अवैध तरीके से बच्चों को कैद में रखने और बलात्कार का आरोप है।

बिदादी आश्रम में ही पहली बार विवादित धर्मगुरु का पहला कारनामा 2010 में सामने आया था। एक अभिनेत्री के साथ आपत्तिजनक स्थिति में उसका एक वीडियो वायरल हो गया था और इसके बाद करीब आठ साल तक वह गुमनामी में चला गया।

एक साल पहले वह अपने नए अवतार में प्रकट हुआ। इस बार वह भूरे रंग के कपड़े और शेर की खाल पहने हुए था। उसकी दाढ़ी मूंछ बढ़ी हुई थी। वह हाथ में त्रिशूल लिए था और गले में मनके की माला पहनी थी।

नित्यानंद के अहमदाबाद आश्रम – योगिनी सर्वज्ञपीठम में दो लड़कियों के गायब होने के बाद उसके खिलाफ पिछले महीने एक एफआईआर दर्ज हुई। उस पर बच्चों अपहरण और उनके जरिए गलत तरीके से आश्रम के अनुयायियों से चंदा जमा करने के आरोप लगे।

पुलिस उसकी तलाश कर ही रही थी कि खबर आई कि उसके इक्वाडोर के निकट एक द्वीप पर एक हिंदू राष्ट्र ‘कैलाश’ का गठन कर लिया है, जिसका अपना झंड़ा और राजनीतिक व्यवस्था है।

‘कैलाश’ की वेबसाइट के मुताबिक “यह सीमा रहित राष्ट्र है, जिसे दुनिया भर के बेदखल हिंदुओं ने बसाया है, जिन्हें उनके अपने देश में प्रामाणिक रूप से हिंदू धर्म का अभ्यास करने की अनुमति नहीं है।”

इसमें कहा गया है, “कैलाशा को न सिर्फ सनातन हिंदू धर्म की रक्षा और संरक्षण के लिए, और उसे पूरे विश्व से रूबरू कराने के लिए बनाया गया है, बल्कि इसके जरिए उत्पीड़न की ऐसी कहानी भी बताई जाएगी, जो अभी तक दुनिया को पता नहीं है।”

इस देश का अपना तिकोना झंडा है, जिस पर परमशिव और नंदी का चित्र है और इसे ‘ऋषभ ध्वज’ नाम दिया गया है। इसकी मुख्य भाषाएं अंग्रेजी, संस्कृत और तमिल हैं।

इस नए देश की सरकार में आंतरिक सुरक्षा, रक्षा, कोषागार, वाणिज्य, आवास, मानवीय सेवाएं और शिक्षा जैसे विभिन्न विभाग हैं।

इसबीच भारत में पुलिस को इस बारे में कोई भनक नहीं है कि नित्यानंद कहां है।

एक पुलिस अधिकारी ने बताया, “अभी हमें इतना पता है कि वह करीब एक साल से आश्रम में नहीं है।”

उन्होंने बताया कि बिदादी अब उसका मुख्यालय नहीं है।

उन्होंने बताया, “देश में उसके 10 से 15 आश्रमों में ये एक है। उसका मुख्य कामकाज तमिलनाडु और गुजरात में है।”

खबर है कि गुजरात पुलिस ने पिछले सप्ताह बिदादी आश्रम में उसकी तलाश की थी। हालांकि स्थानीय पुलिस को इस बारे में कोई जानकारी नहीं है।