पोस्टमार्टम रिपोर्ट:उन्नाव बलात्कार पीड़िता की मौत का कारण बना गंभीर रूप से जल जाना

नयी दिल्ली, सात दिसंबर । उन्नाव दुष्कर्म पीड़िता की मौत गंभीर रूप से जलने की वजह से हुई। यह जानकारी सफदरजंग के वरिष्ठ चिकित्सक ने शनिवार को पोस्टमार्टम रिपोर्ट के हवाले से दी।

23 वर्षीय पीड़िता को गुरुवार तड़के बलात्कार के दो आरोपियों सहित पांच लोगों ने जला दिया था। करीब 90 प्रतिशत तक झुलस चुकी युवती को एयर एम्बुलेंस के जरिए दिल्ली लाया गया था और यहां सफदरजंग अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उपचार के दौरान शुक्रवार देर रात उसने दम तोड़ दिया था।

डॉक्टर ने कहा, ‘‘पोस्टमार्टम रिपोर्ट के मुताबिक पीड़िता की मौत गंभीर रूप से जलने की वजह से हुई।’’

डॉक्टर ने कहा, ‘‘ आज सुबह पीड़िता का पोस्टमार्टम किया गया, जिसके मुताबिक उसके शरीर पर किसी संक्रमण, जहर देने या गला घोंटने के कोई संकेत नहीं मिले हैं।’’

सफदरजंग अस्पताल के बर्न एवं प्लास्टिक सर्जरी विभाग के प्रमुख डॉ. शलब कुमार ने शुक्रवार को कहा था, ‘‘हमारी तमाम कोशिशों के बावजूद पीड़िता जिंदा नहीं बची। उसकी हालत शाम को खराब होने लगी और रात 11 बजकर 10 मिनट पर दिल का दौरा पड़ा। हमने उसे बचाने की कोशिश की लेकिन रात 11 बजकर 40 मिनट पर उसकी मौत हो गई।’’

एम्बुलेंस के जरिये पीड़िता का शव उत्तरप्रदेश के उन्नाव जिले स्थित उसके गांव ले जाया गया।

उन्नाव दुष्कर्म पीड़िता के भाई ने शनिवार को पत्रकारों से कहा, ‘‘उसकी बहन को तभी न्याय मिलेगा जब सभी आरोपियों को वहीं भेजा जाएगा ‘जहां वह चली गई’।’’

उन्होंने कहा, ‘‘ उसने मुझसे कहा भाई मुझे बचा लो। मैं दुखी हूं, मैं उसे बचा नहीं सका।’’

पीड़िता के भाई ने कहा, ‘‘आरोपियों को या तो मुठभेड़ में मार गिराया जाना चाहिए या फांसी देनी चाहिए। उन्हें जिंदा रहने का अधिकार नहीं है। हम यहां से उन्नाव जाएंगे। आरोपियों ने उसे जला तो पहले ही दिया और अब हम उसे दफन करेंगे।’’

उन्नाव पीड़िता की मौत उस दिन हुई जिस दिन हैदराबाद पशु चिकित्सक के साथ दुष्कर्म के चार आरोपियों को तेलंगाना पुलिस ने मुठभेड़ में मार गिराया।

उन्नाव दुष्कर्म पीड़िता को आग के हवाले तब किया गया जब वह अदालत में मामले की सुनवाई के लिए रायबरेली जा रही थी।

हैदराबाद एनकाउन्टर पर चीफ जस्टिस बोबडे का बयान:न्याय तुरंत नहीं होना चाहिये,प्रतिशोध में किये जाने पर न्याय अपनी विशेषता खो देता है attacknews.in

जोधपुर (राजस्थान), सात दिसंबर। हैदराबाद में पशु चिकित्सक से बलात्कार-हत्या की घटना और इसके चारों आरोपियों के पुलिस मुठभेड़ में मारे जाने के मद्देनजर प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे ने शनिवार को कहा कि न्याय कभी तुरंत नहीं होना चाहिए और जब यह प्रतिशोध बन जाता है तब यह अपनी विशेषता खो देता है।

साथ ही, सीजेआई ने स्वीकार किया कि देश में हुई हालिया घटनाओं ने नयी ताकत के साथ एक पुरानी बहस फिर से छेड़ दी है, जहां इसमें कोई संदेह नहीं है कि फौजदारी न्याय प्रणाली को आपराधिक मामलों के निपटारे में लगने वाले समय के प्रति अपनी स्थिति एवं रवैये पर अवश्य ही पुनर्विचार करना चाहिए।

यहां राजस्थान उच्च न्यायालय के नये भवन के उद्घाटन के दौरान न्यायमूर्ति बोबडे ने कहा, ‘‘न्याय कभी तुरंत नहीं होना चाहिए। न्याय को कभी प्रतिशोध का रूप नहीं लेना चाहिए। मेरा मानना है कि न्याय उस वक्त अपनी विशेषता खो देता है जब यह प्रतिशोध का रूप धारण कर लेता है।’’

हैदराबाद में एक महिला पशु चिकित्सक से बलात्कार और उसकी हत्या के सभी चारों आरोपियों के पुलिस के साथ मुठभेड़ में मारे जाने के तेलंगाना पुलिस के दावे के एक दिन बाद सीजीआई ने यह टिप्पणी की।

इस घटना ने 16 दिसंबर 2012 के निर्भया मामले की यादें ताजा कर दी। हैदराबाद की घटना को लेकर बलात्कार के दोषियों को शीघ्रता से सजा देने की मांग शुरू हो गई। पुलिस मुठभेड़ में आरोपियों के मारे जाने की घटना की समाज के कुछ हिस्सों में प्रशंसा की गई, जबकि अन्य ने ‘‘न्यायेतर कार्रवाई’’ को लेकर चिंता जताई।

कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने सीजेआई और अन्य वरिष्ठ न्यायाधीशों से यह सुनिश्चित करने का अनुरोध किया कि बलात्कार के मामलों का शीघ्रता से निपटारे के लिए एक तंत्र हो। उन्होंने कहा कि देश की महिलाएं तकलीफ में और संकट में हैं तथा वे न्याय की गुहार लगा रही हैं।

उन्होंने कहा कि ‘‘कानून का शासन’’ से शासित होने वाले एक गौरवशाली देश के रूप में भारत का दर्जा अवश्य ही यथाशीघ्र बहाल होना चाहिए। सरकार इस उद्देश्य के लिए धन प्रदान करेगी।

मंत्री ने कहा कि जघन्य अपराधों एवं अन्य की सुनवाई के लिए 704 त्वरित अदालतें हैं तथा सरकार यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) और बलात्कार के अपराधों से जुड़े मुकदमों की सुनवाई के लिए 1,123 समर्पित अदालतें गठित करने की प्रक्रिया में जुटी हुई है।

उन्होंने कहा, ‘‘महिलाओं से हिंसा से जुड़े कानून में हमने मौत की सजा का प्रावधान किया है और मुकदमे की सुनवाई दो महीने में पूरी करने सहित अन्य कठोर दंड के प्रावधान किए हैं।’’

सीजेआई ने इस बात पर जोर दिया कि एक संस्था के तौर पर न्यायपालिका को अवश्य ही न्याय तक सभी लोगों की पहुंच सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध होना चाहिए, जिसके लिए मौजूदा ढांचे को मजबूत किया जाए तथा विवादों का वहनीय, त्वरित एवं संतोषजनक समाधान के नये तरीके तलाशने चाहिए।

सीजेआई ने कहा कि इसके साथ-साथ ‘हमें बदलावों और न्यायपालिका के बारे में पूर्वधारणा से भी जरूर अवगत रहना चाहिए।’’

सीजेआई ने कहा, ‘‘हमें न सिर्फ मुकदमे में तेजी लाने के लिए तरीके तलाशने होंगे, बल्कि इन्हें रोकना भी होगा। ऐसे कानून हैं जो मुकदमे से पूर्व की मध्यस्थता मुहैया करते हैं।’’

उन्होंने कहा कि मुकदमा-पूर्व अनिवार्य मध्यस्थता पर विचार करने की जरूरत है।

उन्होंने कहा कि आश्चर्य है कि मध्यस्थता में डिग्री या डिप्लोमा का कोई पाठ्यक्रम उपलब्ध नहीं है।

प्रधान न्यायाधीश ने शीर्ष न्यायालय के चार वरिष्ठतम न्यायाधीशों द्वारा पिछले साल किए गये संवाददाता सम्मेलन को महज ‘खुद में सुधार करने का एक उपाय’ भर बताया।

गौरतलब है कि एक अभूतपूर्व कदम उठाते हुए शीर्ष न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति जे चेलमेश्वर, न्यायमूर्ति रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति एम बी लोकुर और न्यायमूर्ति कुरियन जोसफ ने 12 जनवरी 2018 को संवाददाता सम्मेलन किया था। इसमें उन्होंने कहा था कि शीर्ष न्यायालय में सबकुछ ‘ठीकठाक नहीं’ है और कई ऐसी चीज़ें हुई हैं जो अपेक्षित से कहीं कम हैं।

बाद में, उसी साल न्यायमूर्ति रंजन गोगोई तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) दीपक मिश्रा के सेवानिवृत्त होने पर इस शीर्ष पद पर नियुक्त हुए थे।

सीजेआई ने कहा, ‘‘मेरा मानना है कि इस संस्था (न्यायपालिका) को खुद में सुधार करना चाहिए और नि:संदेह यह उस समय किया गया, जब संवाददाता सम्मेलन किया गया था जिसकी काफी आलोचना हुई थी। यह खुद में सुधार करने के एक उपाय से ज्यादा कुछ नहीं था और मैं इसे उचित ठहराना नहीं चाहता।’’

उन्होंने कहा, ‘‘खुद में सुधार लाने के उपायों की न्यायपालिका में जरूरत है लेकिन उन्हें प्रचारित किया जाए या नहीं, यह बहस करने का विषय है।’’

सीजेआई ने कहा, ‘‘सभी न्यायाधीश प्रतिष्ठित थे और विशेष रूप से न्यायमूर्ति (रंजन) गोगोई ने काफी क्षमता का प्रदर्शन किया तथा न्यायपालिका का नेतृत्व किया।’

झारखंड में विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण में 20 सीटों पर 63 प्रतिशत मतदान attacknews.in

रांची 07 दिसंबर ।झारखंड में दूसरे चरण में आज बीस विधानसभा सीटों पर मतदान छिटपुट घटनाओं को छोड़कर शांतिपूर्वक सम्पन्न हो गया और इस दौरान करीब 63 प्रतिशत मतदाताओं ने वोट कर मुख्यमंत्री रघुवर दास और पूर्व मंत्री सरयू राय समेत 260 प्रत्याशियों के चुनावी भाग्य का फैसला इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) में बंद कर दिया।

राज्य निर्वाचन कार्यालय सूत्रों ने यहां बताया कि राज्य के 20 विधानसभा सीट में से बहरागोड़ा, घाटशिला (सु), पोटका (सु), जुगसलाई (सु), जमशेदपुर पूर्व, जमशेदपुर पश्चिम, सरायकेला (सु), चाईबासा (सु), मझगांव (सु), जगन्नाथपुर (सु), मनोहरपुर (सु), चक्रधरपुर (सु), खरसावां (सु), तमाड़ (सु), तोरपा (सु), खूंटी (सु), मांडर (सु), सिसई (सु), सिमडेगा (सु) और कोलिबेरा में छिटपुट घटनाओं को छोड़कर कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच शांतिपूर्ण ढंग से हुआ मतदान अपराह्न तीन बजे समाप्त हो गया जबकि जमशेदपुर पूर्व और जमशेदपुर पश्चिम में शाम पांच बजे मतदान समाप्त हुआ।

झारखंड में 18 सीटों पर कुल 59.27 प्रतिशत पड़े वोट:

झारखंड में दूसरे चरण की बीस विधानसभा सीटों में से अठारह पर आज अपराह्न तीन बजे मतदान समाप्त हो गया और इस दौरान सभी सीटों के लिए कुल 59.27 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने-अपने मताधिकार का प्रयोग किया।

राज्य कार्यालय सूत्रों ने यहां बताया कि इन बीस सीट पर कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच आज सुबह सात बजे मतदान शुरू हुआ। अपराह्न तीन बजे तक इन विधानसभा क्षेत्रों में कुल 59.27 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने-अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया है।

दूसरे चरण की 20 सीटों में से अठारह के लिए मतदान समाप्त हो गया है जबकि जमशेदपुर पूर्व और जमशेदपुर पश्चिम में शाम पांच बजे तक वोट डाले गए । वही दो सीटों पर अपराह्न तीन बजे तक जमशेदुपर पूर्व में 46.41 प्रतिशत और जमशेदपुर पश्चिम में 43.22 प्रतिशत मतदाताओं ने वोट किया था ।

वहीं, 18 सीटों पर मतदान समाप्त होने पर बहरागोड़ा में 66.38 प्रतिशत घाटशिला (सु) में 64.47 प्रतिशत, पोटका (सु) में 61 प्रतिशत, जुगसलाई (सु) में 59 प्रतिशत, सरायकेला (सु) में 56.77 प्रतिशत, चाईबासा (सु) में 62.28 प्रतिशत, मझगांव में 66.67 प्रतिशत, जगन्नाथपुर (सु) में 60.99 प्रतिशत, मनोहरपुर (सु) में 60.03 प्रतिशत, चक्रधरपुर (सु) में 62.72 प्रतिशत, खरसावां (सु) में 60.12 प्रतिशत, तमाड़ (सु) में 67.83 प्रतिशत, तोरपा (सु) में 59.11 प्रतिशत, खूंटी (सु) में 59.2 प्रतिशत, मांडर (सु) में 61.14 प्रतिशत, सिमडेगा (सु) में 59.07 प्रतिशत और कोलिबेरा में 56.5 प्रतिशत मतदान हुआ है।

जमशेदपुर पूर्व और जमशेदपुर पश्चिम विधानसभा क्षेत्र के मतदान केंद्रों पर सायं 5 बजे मतदान समाप्त होने तक मतदाताओं की लंबी कतार लगी रही । मतदाताओं में महिलाओं की संख्या भी अच्छी खासी थी। इस दौरान गुमला जिले के सिसई विधानसभा क्षेत्र में कुदरा पंचायत के बघनी गांव में मतदान केंद्र संख्या 36 पर आज सुरक्षा बल के जवानों और ग्रामीणों के बीच हुई झड़प में एक व्यक्ति की मौत तथा कई जवानों के घायल होने की सूचना है। इसके अलावा राज्य में कही से किसी अप्रिय घटना की सूचना नहीं है।

उल्लेखनीय है कि दूसरे चरण के मतदान वाली 20 विधानसभा सीटों की चुनावी दौड़ में 260 उम्मीदवार हैं। सबसे ज्यादा 20-20 प्रत्याशी जमशेदपुर पूर्व एवं जमशेदपुर पश्चिम सीट से जबकि सबसे कम सात सरायकेला सीट से चुनाव लड़ रहे हैं।

वित्त मंत्री सीतारमण ने आयकर में राहत के साथ अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए कई उपायों को लागू करने के दिये संकेत attacknews.in

नयी दिल्ली, 07 दिसंबर । वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को संकेत दिया कि सरकार आयकर में बदलाव कर सकती है।

सुश्री सीतारमण ने ‘हिंदुस्तान टाइम्स लीडरशिप समिट 2019’ को संबोधित करते हुए आज कहा कि सरकार अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए कई कदमों पर विचार कर रही है और आयकर में कमी करना भी इन्हीं में एक हो सकता है।

इस सवाल के जबाव में कि आम लोगों को कितनी जल्दी आयकर में कटौती का तोहफा मिल सकता है वित्त मंत्री ने कहा कि बजट तक का इंतजार कीजिए। आगामी वित्त वर्ष का बजट फरवरी में पेश किया जाना है।

देश की अर्थव्यवस्था में वर्तमान में सुस्ती की गिरफ्त में है। हाल में चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही के सकल घरेल उत्पाद(जीडीपी) के आंकड़े आए जिसमें अर्थव्यवस्था की रफ्तार जनवरी-मार्च 2013 के बाद के निचले स्तर 4.5 प्रतिशत पर रह गई।

गौरतलब है कि रिजर्व बैंक ने गुरुवार को चालू वित्त वर्ष की पांचवीं द्वैमासिक मौद्रिक नीति में 2019.20 के लिए जीडीपी अनुमान घटाकर पाँच प्रतिशत कर दिया है।

उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए सरकार निरंतर कदम उठा रही है। दूर-दराज के क्षेत्रों में खपत बढ़ाने के लिए सार्वजिनक क्षेत्र के बैंकों ने पिछले दो माह के दौरान पाँच लाख रुपये का ऋण वितरित किया है। बुनियादी सुविधा ढांचे पर जोर दिया जा रहा है जिससे श्रमिक वर्ग तक लाभ पहुंचाया जा सके। इसके अलावा पिछले कुछ माह के दौरान शेयर बाजार से लाभ पर प्रभार बढ़ोतरी का फैसला वापस लिया गया और कंपनी कर को घटाया गया। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का विलय करने समेत कई और निर्णय लिए गए जिससे कि अर्थव्यवस्था को गति दी जा सके।

वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के स्लैबों के बदलाव के संबंध में श्रीमती सीतारमण ने कहा कि इस पर कोई भी फैसला जीएसटी परिषद करेगी। मीडिया में ऐसी रिपोर्टें हैं कि जीएसटी की सबसे निचली दर पाँच प्रतिशत को बढ़ाने के साथ ही इसके दायरे में ऐसी वस्तुओं को लाया जा सकता है जिन पर फिलहाल जीएसटी नहीं है।

वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार सामाजिक दायित्वों पर भी पूरा जोर दे रही है। उसका लक्ष्य प्रत्येक नागिरक के पास अपना घर और बिजली पहुंचाने के साथ ही लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराने पर है।

यह पूछे जाने पर कि क्या आर्थिक गतिविधियों में तेजी लाने के अन्य उपाय किये जा सकते हैं, उन्होंने कहा, ‘‘यदि मैं हां कहती हूं, तब पूछा जाएगा कि कब। फिर पूछा जाएगा कि क्या हम बजट के काफी पास नहीं पहुंच गये हैं। अत: मैं हां नही कह सकती, पर मेरी इच्छा है कि मैं हां कह सकूं। इसके साथ ही मैं नहीं भी नहीं कहूंगी क्योंकि हम और उपायों पर काम कर रहे हैं।’’

लोगों के हाथों में अधिक धन रखने के लिये व्यक्तिगत आयकर की दरों को तर्कसंगत बनाने के बारे में पूछे जाने पर वित्त मंत्री ने कहा, ‘‘यह उन विभिन्न उपायों में से एक है, जिनके ऊपर हम विचार कर रहे हैं।’’ कार्पोरेट कर की दरों में कटौती के बाद यह मांग बढ़ रही है कि व्यक्तिगत आय पर कर भी घटाया जाए ताकि लोगों की क्रयशक्ति बढ़ सके और उपभोक्ता मांग में सुधार हो।

सीतारमण ने आश्वासन दिया कि करदाताओं को परेशान नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि सरकार का इरादा है कि कराधान प्रणाली और अधिक सरल बनने। वह विभिन्न प्रकार की छूटों को भी हटाना चाहती है।

उन्होंने कॉरपोरेट कर का उदाहरण देते हुए कहा, ‘‘अब ये कर अधिक सरल तथा छूटों से मुक्त व्यवस्था की ओर बढ़ रहे हैं। इस कारण व्यवस्था तंग किए जाने और नियम/कायदे की व्याख्या में मनमानी की शिकायतों से मुक्त हो रही है।’’

उन्होंने कहा कि सरकार ने करदाताओं को परेशानी से बचाने के लिये प्रत्यक्ष कर का बिना भौतिक उपस्थिति के विश्लेषण शुरू किया और इसे जल्दी ही अप्रत्यक्ष कर के मामले में भी शुरू किया जा सकता है।

सीतारमण ने माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के बारे में कहा कि जीएसटी दर की संरचना पर जीएसटी परिषद निर्णय करेगी। उन्होंने कहा कि ‘‘ अंतत: करों को और तार्किक तथा पूरी कर प्रणाली को और अधिक सरल बनना ही होगा।’’

उन्होंने कहा, ‘‘ जहां तक इस कर (जीएसटी) की बात है तो यह जटिल हो रहा है। इसका कारण है कि दरों को अव्यवस्थित ढंग से कम किया जा रहा है। यह इस लिए भी जटिल हो रही क्यों कि अब आप को यह आश्वस्त होना पड़ रहा कि आप जो कर रहे हैं उसमें सब कुछ सही है। इसमें एक प्रौद्योगिकी संचालित प्रणाली के तहत आप को पहले से ज्यादा सूचनाएं देने को कहा जा रहा है। लोग इतनी अधिक सूचनाएं मांगे जाने से उकता जाते हैं। ऐसे में हमारी समस्या दोनों तरफ से है।’

डेटा की प्रमाणिकता के बारे में कयासों पर पूछे जाने पर सीतारमण ने कहा, ‘‘इसमें कोई शक नहीं है कि हमें डेटा को पुन: विश्वसनीय बनाना होगा।’’

उन्होंने कहा कि सरकार इस बहस से अवगत है। उन्होंने कहा, ‘‘हमें बेहतर विश्वसनीयता की दिशा में काम करना होगा। हमें बिना अवरोध के डेटा उपलब्ध कराने की दिशा में काम करने की जरूरत है।’’

उन्होंने विभिन्न हलकों में हो रही अपनी आलोचना के बारे में कहा, ‘‘मैं इससे परेशान नहीं होती। मैं अमानुष नहीं हूं। कई बार मैं भी इससे प्रभावित हो जाती हूं, लेकिन मेरा मानना है कि यह हमारे काम का हिस्सा है। अत: मैं यह नहीं चाह सकती कि ऐसा न हो। ऐसा होगा ही, इसे होने दीजिये। मैं इसका सामना करती हूं।’’

राहुल गांधी ने विश्व पटल पर भारत को दिया नया नाम ” रेप राजधानी ” और नरेन्द्र मोदी पर हिंसा में विश्वास रखने का लगाया आरोप attacknews.in

कोझिकोड, 07 दिसंबर ।देश में महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराधों को लेकर गहरी चिंता जताये हुए पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने शनिवार को कहा कि भारत विश्व की ‘रेप राजधानी’ बन गया है।

श्री गांधी इन दिनों केरल में अपने संसदीय क्षेत्र वायनाड के तीन दिन के दौरे पर है। उन्होंने यहां जन सभा को संबोधित करते हुए कहा कि देश में महिलाओं के लिए कोई सुरक्षा नहीं है और हाल के दिनों में महिलाओं और बालिकाओं के खिलाफ जघन्य अपराधों के मामलों में तेजी से वृद्धि हुयी है।

उन्होंने प्रधानमत्री नरेंद्र मोदी पर बलात्कार के मामलों पर चुप्पी साधने का आरोप लगाया और कहा कि देशभर में हर रोज कोई न कोई बलात्कार का मामला सामने आ रहा है।

श्री गांधी ने कहा कि श्री मोदी केवल धर्म की बातें करने में व्यस्त हैं लेकिन उन्हें कुछ धार्मिक किताबें पढ़नी चाहिए।

उन्होंने श्री मोदी पर आरोप लगाते हुए कहा कि देश पर शासन करने वाले ही जब हिंसा में विश्वास रखते हैं तो ऐसे में जनता का कानून को अपने हाथ में लेना स्वाभाविक है।

कांग्रेस नेता ने कहा कि भारत पहले दुनिया को सही मार्ग पर चलने की राह दिखाता था लेकिन अब विश्वभर के देश सवाल कर रहे हैं कि भारत अपनी माताओं और बहनों को सुरक्षित रखने में क्यों नाकाम हो रहा है।

गौरतलब है कि 27 नवंबर को हैदराबाद में पशु चिकित्सक दिशा के साथ बलात्कार के पश्चात जला देने की घटना और गुरुवार को उन्नाव बलात्कार मामले की पीड़िता को जला देने की घटना ने देश को झकझोर दिया है। इन घटनाओं के बाद से देशभर में आक्रोश का माहैल है।

उन्नाव बलात्कार पीड़िता की मौत के बाद उत्तरप्रदेश में राजनीतिक पारा ऊपर चढ़ा और आम जनता का आक्रोश बढ़ा

लखनऊ 07 दिसम्बर।उत्तर प्रदेश के उन्नाव में पिछले गुरूवार को हुई घटना को लेकर पूरे राज्य में लोग गुस्से में हैं तो तेजी से घट रहे राजनीतिक घटनाक्रम में विपक्ष पूरी तरह से हमलावर हो गया है ।

राज्य की मुख्य विपक्षी समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ,कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा और बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती ने इस घटना को लेकर केंद्र और राज्य सरकार पर निशाना साधा है तो पीड़ित परिवार के सदस्यों ने आरोपियों को भी हैदराबाद के बलात्कारियों की तरह गोली मार देने की मांग की है ।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने युवती की मौत पर गहरा दुख व्यक्त किया है और श्रम मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य तथा प्राविधिक शिक्षा मंत्री कमला रानी वरूण को पीड़ित परिवार से मिलने भेजा है। श्री आदित्यनाथ ने कहा कि युवती को पूरा न्याय दिलाया जायेगा और अपराघियों को कड़ी सजा मिलेगी ।

इस बीच उन्नाव कांड के विरोध में यहां प्रदेश भारतीय जनता पार्टी के कार्यालय के सामने प्रदर्शन कर रहे कांग्रेस कार्यकर्ताओं पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया जिसमें कुछ लोगों को चोट आई । कांग्रेस के करीब एक सौ कार्यकर्ता भाजपा मुख्यालय के सामने जमा हो गये और केंद्र तथा राज्य सरकार के खिलाफ नारेबाजी करने लगे । पुलिस ने पहले उन्हें पार्टी के गेट से हटने को कहा। कांग्रेस कार्यकर्ता जब नहीं माने तो पुलिस ने लाठियां भांजी जिसमें कुछ कार्यकर्ताओं को चोट पहुंचीं है ।

बसपा प्रमुख मायावती ने उच्चतम न्यायालय से आग्रह किया कि वो केंद्र सरकार को निर्देश दे कि महिलाओं के साथ हो रहे अपराघ को रोकने के लिये सख्त कानून बनाये । उन्होंने कहा कि युवती की मौत दुखद है और उनकी संवेदना परिवार के साथ है । केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार इस मामले में कत्तई गंभीर नहीं दिख रही हैं । अपराधियों के खिलाफ सख्त कानून बनाये जाने की जरूरत है ।

सुश्री मायावती ने कहा कि उत्तर प्रदेश की राज्यपाल भी महिला हैं लिहाजा वो आज उनसे उन्नाव कांड को लेकर मिलना चाहती थीं और समय भी मांगा था लेकिन वो किसी कार्यक्रम के तहत शहर से बाहर हैं । इसलिये वो अपनी बात मीडिया के माध्यम से राज्यपाल आनंदीबेन पटेल के पास भेज रही हैं । राज्यपाल के पास बहुत से संवैधानिक अघिकार होते हैं जिसका इस्तेमाल वो कर सकती हैं।

कांग्रेस महासचिव ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से सवाल किया कि महिलाओं पर हो रहे अत्याचार और अपराध रोकने के लिये क्या किया गया । पीड़ित युवती ने खुद पर खतरा बताया था और सुरक्षा की मांग की थी लेकिन सुरक्षा नहीं दी गई । अब अपराघी उसके परिवार वालों को भी धमकी दे रहे हैं । परिवार के सदस्यों ने भी सुरक्षा की मांग की है जो अब तक नहीं दी गई है ।श्रीमती वाड्रा ने कहा कि उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था पूरी तरह से खत्म हो गई है और अपराधियों का राज हो गया है ।

सपा अघ्यक्ष अखिलेश यादव ने युवती की मौत पर आज विधान भवन के सामने दो मिनट का मौन रखा और धरने पर बैठ गये । उनके साथ धरने पर पार्टी के प्रदेश अघ्यक्ष नरेश उत्तम और पूर्व मंत्री राजेन्द्र चौधरी भी थे ।

उन्नाव बलात्कार पीड़िता को परिवार ने दफनाने का इसलिये निर्णय लिया कि,शैतानों ने पहले ही जला दिया अब इनका हश्र भी क्रूरता वाला हो attacknews.in

नयी दिल्ली, सात दिसम्बर । जिंदा जला दी गई उन्नाव बलात्कार पीड़िता के शुक्रवार देर रात सफदरजंग में दम तोड़ने के बाद से देश में दुख और गुस्से की लहर दौड़ गई है।

उन्नाव पीड़िता की परिवार के सदस्यों ने भी अपनी बेटी को हैदराबाद बलात्कार पीड़िता की तरह इंसाफ दिलाने की मांग की है। हैदराबाद बलात्कार मामले के चारों आरोपी पुलिस के साथ मुठभेड़ में मारे गए।

जहां एक ओर उत्तर प्रदेश सरकार पीड़िता को पर्याप्त सुरक्षा प्रदान ना करने को लेकर विपक्ष के निशाने पर है वहीं राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दोषियों को जल्द से जल्द सजा दिलाने का आश्वासन दिया है।

पोस्टमार्टम किए जाने के बाद पीड़िता का शव एम्बुलेंस में सड़क के रास्ते उन्नाव के बिहार इलाके स्थित उसके घर ले जाया गया ।

पीड़िता के भाई ने शनिवार को कहा कि उसकी बहन को तब न्याय मिलेगा जब उसके साथ क्रूरता करने वाले उन सभी आरोपियों का भी वही हश्र हो जो ‘‘उसकी बहन ने झेला।’’

उन्होंने पत्रकारों से कहा, ‘‘ उसने मुझसे मिन्नत की कि भाई मुझे बचा लो। मैं बहुत दुखी हूं कि मैं उसे बचा नहीं सका। हम यहां से बिहार (उन्नाव) जाएंगे। आरोपियों ने पहले ही उसे जला दिया है और अब हम उसे दफनाएंगे।’’

जिंदगी की जंग हार चुकी पीड़िता के बेहाल पिता ने न्‍याय और सरकारी मदद मिलने के सवाल पर कहा ” मुझे रुपया-पैसा-मकान कुछ नहीं चाहिये। मुझे इसका लालच नहीं है, बस जिसने मेरी बेटी को इस हालत में पहुंचाया है, उसे हैदराबाद मामले की तरह ही दौड़ा कर गोली मार देनी चाहिये या फिर तत्‍काल फांसी दी जानी चाहिये।”

कार्रवाई का आश्वासन देते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दुख जताते हुए कहा कि मुक़दमे को त्वरित अदालत में चलाकर अपराधियों को कड़ी सज़ा दिलाई जाएगी।

सरकार के एक प्रवक्ता ने कहा ‘‘ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उन्नाव पीड़िता के सन्दर्भ में कहा कि घटना दुर्भाग्यपूर्ण है, उसकी मौत अत्यंत दुखद है। उनके द्वारा परिवार के प्रति पूरी संवेदना व्यक्त की गयी। सभी अपराधी पुलिस के द्वारा गिरफ्तार किए जा चुके हैं। मामले को त्वरित अदालत में ले जाकर कड़ी सज़ा दिलाएंगे।’’

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी पीड़िता की मौत के बाद उसके परिजन से मुलाकात करने के लिए पहुंचीं ।

प्रियंका ने ट्वीट किया ” मैं ईश्वर से प्रार्थना करती हूं कि वह उन्नाव पीड़िता के परिवार को दुख की इस घड़ी में हिम्मत दे।”

उन्होंने कहा, ‘‘ यह हम सबकी नाकामी है कि हम उसे न्याय नहीं दे पाए। सामाजिक तौर पर हम सब दोषी हैं लेकिन यह उत्तर प्रदेश में खोखली हो चुकी कानून व्यवस्था को भी दिखाता है।’’

प्रियंका ने ट्वीट किया, ‘‘ उन्नाव की पिछली घटना को ध्यान में रखते हुए सरकार ने पीड़िता को तत्काल सुरक्षा क्यों नहीं दी? जिस अधिकारी ने प्राथमिकी दर्ज करने से मना किया, उस पर क्या कार्रवाई हुई? उत्तर प्रदेश में रोज-रोज महिलाओं पर जो अत्याचार हो रहा है, उसे रोकने के लिए सरकार क्या कर रही है?”

इस बीच, समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव विधान भवन के मुख्य द्वार के सामने शनिवार को धरने पर बैठ गए।

उन्होंने संवाददाताओं से बातचीत में इस घटना के लिए राज्य की योगी आदित्यनाथ सरकार को जिम्मेदार ठहराया और ऐलान किया कि इस घटना के खिलाफ रविवार को समाजवादी पार्टी प्रदेश के हर जिला मुख्यालय पर शोक सभा का आयोजन करेगी।

बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती ने पीड़िता की मौत के बाद कड़ी प्रतिक्रिया करते हुए ट्वीट किया, ‘‘ जिस उन्नाव बलात्कार पीड़िता को जलाकर मारने की कोशिश की गई, उसकी कल रात दिल्ली में हुई दर्दनाक मौत अति-कष्टदायक है। इस दुःख की घड़ी में बसपा पीड़ित परिवार के साथ है। उत्तर प्रदेश सरकार पीड़ित परिवार को समुचित न्याय दिलाने हेतु शीघ्र ही विशेष पहल करे, यही इंसाफ का तकाज़ा और जनता की मांग है।”

उन्होंने एक अन्य ट्वीट में कहा, ‘‘ साथ ही, इस किस्म की दर्दनाक घटनाओं को उत्तर प्रदेश सहित पूरे देश में रोकने हेतु राज्य सरकारों को चाहिए कि वे लोगों में कानून का खौफ पैदा करे तथा केन्द्र भी ऐसी घटनाओं को मद्देनजर रखते हुये दोषियों को निर्धारित समय के भीतर ही फांसी की सख्त सजा दिलाने का कानून जरूर बनाए।”

कांग्रेस की पार्टी प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने उत्तर प्रदेश सरकार पर हमला करते हुए कहा, ‘उन्नाव की बेटी के साथ जो हुआ वह साफ दर्शाता है कि उत्तर प्रदेश में अपराधियों के हौसले बुलंद हैं। इन्हें कहीं न कहीं राजनीतिक संरक्षण मिला हुआ है और यही वजह है ऐसी घटनाएं हो रही हैं।”

उन्होंने कहा, ‘मुख्यमंत्री कहते हैं कि उन्हें दुख और खेद है। उनके इस दुख और खेद में उनकी सरकार की नाकामी नजर आती है।’

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा, ‘‘ दुखद । बर्बरता की कोई सीमा ही नहीं रह गई है…उन्नाव ।’’

वहीं बलात्कार के दोषियों को दोषसिद्धि के बाद छह महीने के भीतर फांसी की सजा देने की मांग को लेकर तीन दिसम्बर से दिल्ली में अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठीं डीसीडब्ल्यू की प्रमुख स्वाति मालीवाल ने कहा, ‘‘मैं उत्तर प्रदेश और केन्द्र सरकार से अपील करती हूं कि मामले पर त्वरित कार्रवाई करे और सुनिश्चित करे कि दोषियों को एक महीने के अंदर फांसी की सजा दी जाए।’’

गौरतलब है कि उन्नाव जिले के बिहार थाना क्षेत्र के एक गांव की रहने वाली बलात्कार पीड़िता को गुरुवार तड़के बलात्कार के आरोपियों सहित पांच लोगों ने आग के हवाले कर दिया था। करीब 90 प्रतिशत तक झुलस चुकी युवती को एयर एम्बुलेंस के जरिए दिल्ली लाया गया था और वहां अस्पताल में भर्ती कराया गया था जहां शुक्रवार देर रात 11 बजकर 40 मिनट पर दम तोड़ दिया था।

भाजपा विधायक प्रह्लाद लोधी की विधायकी समाप्ति विधानसभा अध्यक्ष को पड़ेगी भारी,मध्यप्रदेश शासन की याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की attacknews.in

भोपाल 6 दिसम्बर ।मध्य प्रदेश के पवई से बीजेपी विधायक प्रहलाद लोधी की विधानसभा सदस्यता खत्म होने के मामले में कमलनाथ सरकार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका मिला है।

सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली मध्य प्रदेश सरकार की याचिका को खारिज कर दिया है।

बता दें कि हाईकोर्ट ने प्रहलाद लोधी की सजा पर रोक लगाते हुए उन्हें अंतरिम राहत दी थी. इसके खिलाफ राज्य शासन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी।

सुप्रीम कोर्ट ने सजा पर रोक के हाईकोर्ट के फैसले को सही बताते हुए राज्य शासन की याचिका को खारिज कर दिया है।

दरअसल, पन्ना जिले के पवई से विधायक प्रहलाद लोधी को मारपीट के मामले में भोपाल की एक स्पेशल कोर्ट ने दो साल की सजा सुनाई थी. इसके कारण प्रहलाद लोधी की विधानसभा सदस्यता पर खतरा मंडराने लगा था,वहीं, इस फैसले के बाद मध्य प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष ने प्रहलाद लोधी की सदस्यता खत्म होने के आदेश जारी किए थे,स्पेशल कोर्ट से मिली दो साल की सजा के खिलाफ प्रहलाद लोधी हाईकोर्ट पहुंच गए थे. हाईकोर्ट ने उनकी याचिका पर सुनवाई करते हुए सजा पर रोक लगा दी थी।

पन्ना की पवई विधानसभा सीट से बीजेपी विधायक प्रह्लाद लोधी सहित 12 लोगों को भोपाल की एक विशेष अदालत ने दो नवंबर को दो साल की जेल की सजा सुनाई थी. अदालत ने सभी को साढ़े तीन हजार रुपये जुर्माने भी लगाया था. हालांकि, सजा मिलने के बाद बीजेपी विधायक को जमानत भी मिल गई थी।

दरअसल, 2014 में पन्ना जिले की रैपुरा तहसील में नोनीलाल लोधी अवैध रेत खनन में लिप्त पाए गए थे. अवैध खनन को रोकने के लिए वहां तहसीलदार पहुंचे थे. इस दौरान वहां बीजेपी विधायक प्रह्लाद लोधी अपने समर्थकों के साथ पहुंच गए. कार्रवाई का विरोध करते हुए प्रह्लाद लोधी और उनके समर्थकों ने तहसीलदार के साथ मारपीट की और अभद्र व्यवहार किया था।

तहसीलदार की ओर से इस मामले में मुकदमा दर्ज करवाया गया था. पुलिस ने इस मामले में कार्रवाई करते हुए बीजेपी विधायक समेत 12 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया था. तहसीलदार के साथ मारपीट और अभद्रता करने के इस मामले में बीजेपी विधायक और उनके समर्थकों को 2 वर्ष जेल की सजा सुनाई गई थी.

विधायक लोधी के मामले में सुप्रीम कोर्ट का निर्णय कांग्रेस के मुंह पर तमाचाः राकेश सिंह

एक बार फिर से लोकतंत्र और न्याय की जीत हुई। पवई से विधायक प्रहलाद लोधी के मामले में कांग्रेस लगातार राजनीति कर रही थी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के निर्णय से आज कांग्रेस के मुंह पर करारा तमाचा पड़ा है। सुप्रीम कोर्ट ने उनकी याचिका को खारिज करके यह साबित कर दिया है कि भाजपा इस मामले में पहले दिन से जो बात कह रही थी, वह सही थी। यह बात भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष व सांसद श्री राकेश सिंह ने दिल्ली में मीडिया को संबोधित करते हुए कही।

देश की जनता से माफी मांगें विधानसभा अध्यक्ष

श्री सिंह ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष का रवैया अत्यंत निदंनीय रहा है। उन्होंने जिस तरह पार्टी की राजनीति की है, वह स्पीकर को यह नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि 2 तारीख को स्पेशल कोर्ट ने विधायक लोधी को सजा सुनाई और जमानत के साथ अपील करने के लिए समय भी दिया। लेकिन 4 तारीख को स्पीकर अचानक फैसला लेकर उनकी सदस्यता समाप्त कर देते हैं। इस मामले में हाईकोर्ट ने फैसले और दंडादेश पर स्थगन दे दिया। लेकिन विधानसभा अध्यक्ष एक महीना निकलने के बाद चुनाव आयोग को सीट रिक्त होने की अनुशंसा भेज देते है, जो दुर्भाग्यपूर्ण है।

श्री सिंह ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस सरकार की अपील को खारिज करते हुए साबित कर दिया कि प्रहलाद लोधी विधानसभा के सदस्य थे और रहेंगे। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब प्रदेश सरकार और विधानसभा अध्यक्ष को पूरे प्रदेश की जनता से माफी मांगना चाहिए।

पाकिस्तान में मेडिकल कॉलेज की हिन्दू छात्रा के साथ बलात्कार के बाद हत्या को न्यायिक आयोग ने झूठला दिया आत्महत्या बताकर attacknews.in

लाहौर, छह दिसंबर ।पाकिस्तान के दंत चिकित्सा महाविद्यालय के छात्रावास में रहस्यमयी परिस्थितियों में मृत पाई गई हिंदू छात्रा ने आत्महत्या की थी क्योंकि वह गंभीर तनाव से गुजर रही थी। मामले की जांच करने वाले न्यायिक आयोग ने यह बात कही।

आयोग की यह बात छात्रा की अंतिम पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के उलट है, जिसमें कहा गया था कि उसकी हत्या की गई।

गौरतलब है कि सिंध प्रांत में बीबी आसिफा दंत चिकित्सा महाविद्यालय की छात्रा नमृता चांदनी (25) के मित्रों ने उन्हें 16 सितंबर को मृत पाया था। चांदनी के गले में रस्सी बंधी हुई थी।

सिंध सरकार ने भारी आक्रोश के बाद अल्पसंख्यक समुदाय की छात्रा की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत की न्यायिक जांच का आदेश दिया था।

‘द न्यूज इंटरनेशनल’ की खबर के अनुसार, न्यायिक आयोग इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि “नमृता के एक दोस्त ने उसका शादी का प्रस्ताव ठुकरा दिया था, जिसकी वजह से वह गंभीर तनाव में थी।”

खबर के मुताबिक, “गंभीर तनाव, निराशा और हताशा के कारण नमृता ने आत्महत्या कर ली।”

साथ ही इसमें कहा गया है कि जांच और सबूतों की समीक्षा के दौरान न्यायिक आयोग को हत्या के संबंध में कुछ नहीं मिला।

खबर में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि आयोग ने नमृता की रहस्यमयी मौत के मामले की जांच पूरी कर 17 पन्नों की अपनी रिपोर्ट सिंध के गृह मंत्रालय को भेज दी है।

लरकाना के जिला एवं सत्र न्यायाधीश के नेतृत्व में आयोग ने लरकाना स्थित आसिफा बीबी दंत चिकित्सा महाविद्यालय के छात्रों, शिक्षकों और कर्मचारियों समेत गवाहों से पूछताछ की।

खबर में कहा गया है कि आयोग ने संदिग्ध लोगों और अन्य संबंधित सबूतों के साथ-साथ पुलिस जांच, पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट और नमृता के मोबाइल फोन तथा लैपटॉप के फोरेंसिक डाटा की भी समीक्षा की।

सात नवंबर को नमृता की अंतिम पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में खुलासा हुआ था कि हत्या से पहले उनका यौन उत्पीड़न किया गया। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के अनुसार उनकी मौत दम घुटने से हुई।

इससे पहले आई पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में कहा गया था कि यह आत्महत्या का मामला है। हालांकि इस पर चिकित्सा कानून से जुड़े कई लोगों ने सवाल उठाए थे।

कराची में स्वास्थ्य विभाग के चिकित्सा कानून विशेषज्ञों और अधिकारियों ने माना कि पहले की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में कई खामियां थीं और कई तथ्य छूट गए थे।

हैदराबाद मुठभेड़ में हत्या के बाद आरोपियों के परिवार के हाल बेहाल attacknews.in

हैदराबाद, छह दिसंबर ।बलात्कार और हत्या के चारों आरोपियों के परिवार शुक्रवार कथित पुलिस मुठभेड़ में अपने परिजन के मारे जाने की खबर पाकर स्तब्ध रह गये। एक दुखी पिता ने सवाल किया कि क्या उसका बेटा ऐसे बर्ताव के लायक था।

मोहम्मद आरिफ (26), जोल्लू शिवा (20),जोल्लू नवीन (20) और चिंटाकुंटू चेन्नकेशावुलू (20) को 25 वर्षीय एक पशुचिकित्सक के साथ कथित रूप से बलात्कार करने, उसकी हत्या करने और उसके शव को जला डालने को लेकर 29 नवंबर को गिरफ्तार किया गया था।

ये सभी आरोपी शुक्रवार सुबह पुलिस मुठभेड़ में मारे गये। उन्होंने पुलिस का हथियार छीन लिया था, उस पर गोलियां चलायी थीं और भागने का प्रयास किया था।

मुख्य आरोपी मोहम्मद आरिफ की मां अवाक थी और उसने बस इतना कहा कि मेरा बेटा नहीं रहा।

आरिफ के पिता ने पहले कहा था कि उसके बेटे ने यदि गुनाह किया है तो वह कड़ी से कड़ी सजा के लायक है।

चेन्नकेशावुलू की गमगीन पत्नी रेणुका ने कहा, ‘‘ मुझसे कहा गया कि मेरे पति को कुछ नहीं होगा और वह जल्द लौट आएगा। अब मुझे नहीं पता कि मैं क्या करूं। मुझे भी उसी जगह ले जाइए जहां मेरे पति को मार डाला गया और मुझे भी मार डालिए।’’

चेन्नेशावुलू की हाल ही में शादी हुई थी।

शिवा के पिता जोल्लू रामप्पा ने कहा कि हो सकता है कि उसके बेटे ने अपराध किया हो लेकिन वह ऐसी परिणति के लायक नहीं था।

मीडियाकर्मियों के सवालों के जवाब में उसने कहा, ‘‘कई लोगों ने बलात्कार एवं हत्याएं की हैं लेकिन उन्हें इस तरह नहीं मारा गया। उनके साथ भी ऐसा ही बर्ताव क्यों नहीं किया गया।’’

स्थानीय लोगों का कहना है कि चारों आरोपी कम पढ़े-लिखे और आर्थिक रूप से कमजोर परिवार से थे लेकिन वे अच्छा कमाते थे, खर्चीली जिंदगी जीते थे एवं शराब एवं अन्य चीजों पर पैसे खर्च करते थे।

आरिफ (26) ट्रक ड्राइवर बनने से पहले एक स्थानीय पेट्रोल पंप पर काम करता था। वह तेलंगाना के नारायणपेट जिले के जाकलर गांव का था। चिंटाकुंटू चेन्नकेशावुलू (20) भी उसी गांव का था और ट्रक ड्राइवर था।

अन्य आरोपी जोल्लू नवीन क्लीनर का काम करता थे और वह उसी जिले के गुडिगंडला गांव के रहने वाला थे।

उन्हें जानने वाले लोग बताते हैं कि चेन्नकेशावुलू को गुर्दे की बीमारी थी।

मकथल नामक एक व्यक्ति ने कहा, ‘‘(उनके) माता-पिता उन्हें नियंत्रित नहीं कर सके क्योंकि वे पढे-लिखे नहीं हैं। वे लोग भले ही अच्छा कमाते थे लेकिन उनकी कोई जवाबदेही नहीं थी। वे कम उम्र से ही शराब पीने लगे थे।’’

लोकसभा में स्मृति ईरानी को कांग्रेस सांसद आस्तीन की बांह चढ़ाकर मारने आये घटनाक्रम से हंगामें के बाद सदन स्थगित attacknews.in

नयी दिल्ली 06 दिसंबर । महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी के साथ लोकसभा में शून्यकाल के दौरान कांग्रेस के दो सदस्यों की कथित अभद्रता को लेकर कई सदस्यों ने उन पर कड़ी कार्रवाई की माँग की तथा उनके माफी माँगने के लिए निर्धारित समय तक नहीं आने के कारण सदन की कार्यवाही दिन भर के लिए स्थगित कर दी गयी।

इसी मुद्दे पर दो बार के स्थगन के बाद सदन की कार्यवाही दोपहर बाद 2.30 बजे जैसे ही शुरू हुई संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने आरोप लगाया कि श्रीमती ईरानी के साथ अभद्रता करने वाले कांग्रेस के टी.एन. प्रतापन और डीन कोरयाकोस जानबूझ कर सदन में नहीं आये हैं। उन्होंने कहा “सुबह जो घटना हुई उसे लेकर सभी सदस्य और विशेषकर महिला सदस्यों में आक्रोश है। कांग्रेस दोनों सदस्यों को सदन में बुलाया जाना चाहिये या उन्हें निलंबित करना चाहिये।”

बलात्कार की घटनाओं पर लोकसभा में सत्ता पक्ष तथा विपक्ष के बीच जमकर तकरार:

उन्नाव और हैदराबार की बलात्कार घटनाओं पर लोकसभा में शून्यकाल में चर्चा के दौरान राजनीतिक पारा इतना चढ गया कि सत्तापक्ष एवं विपक्ष के बीच हाथापायी के इशारे किये गये जिससे अध्यक्ष ओम बिरला को महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी को बात पूरी करने से पहले ही रोककर दोनों पक्षों में बीच-बचाव करना पड़ा।

अध्यक्ष ने आवश्यक दस्तावेज रखवाने के बाद शून्यकाल आरंभ करने की घोषणा की। इसके कुछ ही देर बाद कुछ सदस्यों ने अलग अलग मुद्दे उठाये। कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने उन्नाव का मामला उठाते हुए कहा कि पूरे देश में सामूहिक बलात्कार के मामलों को लेकर भयंकर रोष होने के बावजूद इस जघन्य अपराध पर अंकुश नहीं लग पा रहा है।

उन्होंने कहा कि उन्नाव बलात्कार कांड में चार दिन पहले जमानत पर बाहर निकल कर आये आरोपी की इतनी हिम्मत बढ़ गयी कि उसने पीड़िता को गांव से खींच कर जिंदा जला दिया। उसे भाग कर कहीं शरण लेनी पड़ी। उसका 95 प्रतिशत शरीर जल गया है। ये क्या हो रहा है ?

अभद्रता करने वाले कांग्रेस सदस्य सदन में आकर माँगें माफी: सत्ता पक्ष

लाेकसभा में सत्ता पक्ष ने कांग्रेस सदस्य टी.एम. प्रतापन तथा डीन कोरियाकोस पर महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी से अभद्रता करने का आरोप लगाते हुए शुक्रवार को हँगामा किया किया और माँग की कि दोनों सदस्य सदन में आकर बिना शर्त माफी माँगें।

पीठासीन सभापति मीनाक्षी लेखी ने भोजनावकाश के बाद जैसे ही सदन की कार्यवाही शुरू की सत्ता पक्ष के सदस्यों ने अपने स्थान पर खड़े होकर यह मामला उठाया और आरोप लगाया कि शून्यकाल के दौरान श्री प्रतापन तथा श्री कोरियाकोस ने श्रीमती ईरानी की सीट के सामने आकर अास्तीन ऊपर कर उन्हें धमकाया।

संसदीय कार्यमंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि यह धमकाने वाली स्थिति थी जबकि श्रीमती ईरानी एक सदस्य के रूप में अपनी बात कह रही थीं। कांग्रेस सदस्यों का धमकी भरे अंदाज में उनके सामने जाकर अपनी बात कहना गलत है इसलिए दोनों सदस्यों को सदन में आकर बिना शर्त माफी माँगनी चाहिए।

कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि जब यह मामला हुआ उस समय वह सदन में नहीं थे और उन्हें इसकी कोई जानकारी नहीं है। वह सदस्यों से बात करेंगे और इस बारे में उनसे सारी स्थिति को लेकर जानकारी हासिल करेंगे।

श्रीमती ईरानी की पीछे वाली सीट पर बैठी भाजपा की संगीता देव ने कहा कि कांग्रेस के दोनों सदस्य अास्तीन चढ़ाकर मारने के अंदाज में महिला एवं बाल विकास मंत्री के पास आए। उन्होंने एक महिला सदस्य को अत्यंत गलत और धमकी भरे अंदाज में अपनी बात कही है। इस बीच सत्ता पक्ष के सदस्यों ने हँगामा शुरू कर दिया जिस पर श्रीमती लेखी ने सदन की कार्यवाही दोपहर बाद ढाई बजे तक स्थगित कर दी।

भारत ने इक्वाडोर के द्वीप पर नया राष्ट्र बनाने वाले स्वामी नित्यानंद को दुनियाभर के देशों से शरण नहीं देने को कहा attacknews.in

नयी दिल्ली, 06 दिसंबर । सरकार ने आज इस बात की पुष्टि की कि मंगलवार को नाईजीरिया के पास समुद्र में समुद्री डाकुओं ने एक मालवाहक पोत को अगुवा कर लिया है और उसमें सवार चालक दल के 18 भारतीय सदस्यों को एक टापू पर बंधक बना कर रखा है।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने यहां नियमित ब्रीफिंग में कहा कि तीन दिसंबर को नाईजीरिया के पास गहरे समुद्र में समुद्री डाकुओं ने मालवाहक पोत नावे कॉन्स्टेलेशन पर हमला करके उसे अगुवा कर लिया है। समुद्री डाकुओं ने नाईजीरिया के बोनी टापू पर उन्हें बंधक बना रखा है।

नित्यानंद के बारे में सभी देशों को सूचना भेजी

विदेश मंत्रालय ने भगोड़े संन्यासी नित्यानंद के बारे में दुनिया भर में अपने मिशनों के माध्यम से सभी देशों को जानकारी दे दी है और उसे शरण नहीं देने का अनुरोध किया है।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने यहां कहा कि विदेश मंत्रालय के पास इस मामले के दो पहलू हैं। एक पासपोर्ट का मामला है जो अक्टूबर 2008 में बना था और 2018 में खत्म होना था लेकिन विदेश मंत्रालय ने शिकायत मिलने पर मियाद खत्म होने से काफी पहले ही पासपोर्ट रदद् कर दिया था। बाद में जब उसने दोबारा पासपोर्ट बनवाने की कोशिश की तो पुलिस रिपोर्ट नकारात्मक होने के कारण नहीं जारी किया गया।

ज्ञातव्य है कि स्वामी नित्यानंद ने इक्वाडोर के निकट द्वीप पर हिन्दू राष्ट्र कैलाश गठित किया है ।

मोदी-आबे वार्षिक बैठक 15-17 दिसंबर को पूर्वोत्तर में

भारत-जापान 14वीं वार्षिक शिखर बैठक 15 से 17 दिसंबर के बीच होगी जिसमें शामिल होने के लिए जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे भारत आएंगे।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने बताया कि 14वीं भारत जापान वार्षिक शिखर बैठक 15 से 17 दिसंबर को होगी। बैठक के स्थान के बारे में बाद में जानकारी दी जाएगी।

CBI ने मेडिकल कॉलेज में नामांकन घोटाले में दिल्ली,लखनऊ में मारे छापे,हाईकोर्ट के जजों के यहां भी छापामारी attacknews.in

नयी दिल्ली, 06 दिसम्बर ।केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की टीम एक निजी मेडिकल कॉलेज में नामांकन घोटाले को लेकर दिल्ली एवं लखनऊ के कुछ ठिकानों पर सुबह से छापे मार रही है।

सीबीआई सूत्रों ने शुक्रवार को यहां बताया कि जांच एजेंसी ने एक निजी मेडिकल कॉलेज के नामांकन में हुई अनियमितताओं को लेकर भारतीय दंड संहिता (अाईपीसी) और भ्रष्टाचार निरोधक कानून की विभिन्न धाराओं के तहत एक मुकदमा दर्ज किया है और इसी सिलसिले में आरोपियों के लखनऊ और दिल्ली स्थित आवासीय परिसरों पर छापे मारे जा रहे हैं।

सूत्रों ने बताया कि दिल्ली से गयी सीबीआई की एक टीम सुबह आठ बजे से ही छापे मार रही है और खबर लिखे जाने तक यह कार्रवाई जारी थी। छापे के दौरान सीबीआई को घपले से जुड़े कुछ दस्तावेज प्राप्त हुए हैं।

यह मामला लखनऊ में कानपुर रोड स्थित प्रसाद इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज का है। यह मेडिकल कॉलेज एक समाजवादी पार्टी के नेता बी पी यादव और पलाश यादव का है। वर्ष 2017 में मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) ने मेडिकल संस्थान का निरीक्षण किया था।

इस मामले के आरोपियों में उच्च न्यायालय के एक न्यायाधीश एवं एक पूर्व न्यायाधीश भी शामिल हैं और इनके अावासीय परिसरों पर भी छापे मारे जा रहे हैं।

अधिकारियों ने शुक्रवार को बताया कि उच्चतम न्यायालय के आदेश पर एजेंसी द्वारा प्राथमिकी दर्ज किए जाने के बाद तड़के छापेमारी की कार्रवाई आरंभ हुई।

उन्होंने बताया कि आठ स्थानों पर छापेमारी कर रही सीबीआई की टीम उच्च न्यायालय के एक न्यायाधीश के आवास पर भी गई थी।

जांच एजेंसी को इस साल के शुरू में तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई को एक पत्र लिखने के बाद मामला दर्ज करने की अनुमति मिली। इस पत्र में एजेंसी ने कहा था कि उसने तत्कालीन पूर्व प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, जिनके संज्ञान में न्यायाधीश द्वारा कदाचार का मामला लाया गया था, के निर्देश पर न्यायाधीश और अन्य के खिलाफ प्रारंभिक जांच की थी।

रेलवे ने 32 अधिकारियों को संदिग्ध निष्ठा,अक्षमता,अवांछित आचरण के कारण जबरन सेवानिवृत्त किया attacknews.in

नयी दिल्ली, छह दिसंबर ।रेलवे ने एक बिरले कदम के तहत ‘जनहित में’ 50 साल से अधिक उम्र के अपने 32 अधिकारियों को अक्षमता, संदिग्ध निष्ठा और अवांछित आचरण के चलते समय से पहले सेवानिवृत कर दिया है। उसने समय समय पर की जाने वाली समीक्षा के तहत यह कदम उठाया है।

रेलवे ने एक बयान में यह जानकारी दी।

हाल में पहली बार रेलवे ने 2016-17 में ऐसा ही कदम उठाया था और चार अधिकारियों को समय से पहले सेवानिवृत कर दिया था।

रेलवे ने कहा कि इस कदम का लक्ष्य सभी स्तरों पर कार्यकुशलता में सुधार लाना और प्रशासनिक मशीनरी को मजबूत बनाना है।

उसने कहा, ‘‘समीक्षा समिति की सिफारिशें संबंधित सक्षम अधिकारियों को सौंपी गयी जिन्होंने उसे मंजूरी दी। 1780 अधिकारियों पर समीक्षा के लिए विचार किया गया जिनमें से 32 को सेवानिवृत करने की अनुशंसा की गयी।’’

अधिकारियों ने बताया कि उनमें से 22 निदेशक और उससे ऊपर के अधिकारी थे।

अधिकारियों ने कहा कि एक निश्चित उम्र हासिल करने वालों की समय समय पर समीक्षा सरकारी कर्मचारी सेवा नियमावली के तहत की जाती है लेकिन बिरले ही उन्हें समय से पूर्व सेवानिवृत किया जाता है।

रेलवे ने कहा, ‘‘ रेलवे बोर्ड में समूह ए के अधिकारियों की आखिरी समीक्षा 2016-17 में की गयी थी और 1824 अधिकारियों की सेवाओं की समीक्षा की गयी थी। उनमें से चार अधिकारी समय से पहले सेवानिवृत कर दिये गये थे। यह भी पाया गया था कि कई ऐसे अधिकारियों, जिनकी समीक्षा होनी है, की समीक्षा नहीं की गयी।’’

उसने कहा कि यह प्रक्रिया कनिष्ठ प्रशासनिक ग्रेड और अराजपत्रित कर्मियों के लिए जोनल रेलवे में अब भी चल रही है।

बृहस्पतिवार को राज्यसभा में एक प्रश्न के उत्तर में कार्मिक राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा था कि पिछले पांच सालों में 96 वरिष्ठ अधिकारियों समेत 220 भ्रष्ट सरकारी अधिकारियों को समय से पहले सेवानिवृत कर दिया गया।

उबर में होने वाले बलात्कार की कतार लगी, 450से अधिक मामले सामने आए attacknews.in

सैन फ्रांसिस्को, छह दिसम्बर (एएफपी) ।अमेरिका में वर्ष 2017 और 2018 के बीच उबर को यौन उत्पीड़न की करीब 6,000 शिकायतें मिली है, जिनमें से 450 से अधिक मामले बलात्कार के हैं।

यह पहली बार है जब उबर ने इस तरह के आंकड़े जारी किए हैं। इनमें दो वर्ष में कम्पनी से जुड़े 19 जानलेवा मामलों का भी खुलासा हुआ है। उत्पीड़न की बढ़ती शिकायतों के कारण उबर और उसकी प्रतिद्वंद्वी ‘लिफ्ट’ पर लगातार इनसे निपटने का दबाव बनाया जा रहा है।

कंपनी को वर्ष 2017 और 2018 में बलात्कार की 464 शिकायतें और बलात्कार के प्रयास की 587 शिकायतें मिली।

उत्पीड़न के अन्य मामले बिना सहमति के छूने और चुंबन से संबंधित हैं।

रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘ उबर ने 2017 से 2018 के बीच पांच सबसे गंभीर श्रेणी के यौन उत्पीड़न मामलों में 16 प्रतिशत गिरावट देखी। सभी पांच श्रेणियों में गिरावट दर्ज की गई है।’’

उबर की रिपोर्ट के अनुसार 2017 में जानलेवा शारीरिक उत्पीड़न के 10 और 2018 में नौ मामले सामने आए।

उबर ने कहा कि मारे गए लोगों में आठ सवारियां, सात चालक और चार तीसरे पक्ष यानी आसपास के लोग थे।