जिम्बाब्वे के नए राष्ट्रपति एमर्सन नांगाग्वा शुक्रवार को लेंगे शपथ Attack News 

हरारे। 23 नवम्बर ।जिम्बाब्वे में रॉबर्ट मुगाबे के उत्तराधिकारी के रूप में एमर्सन नांगाग्वा शुक्रवार को राष्ट्रपति पद की शपथ लेंगे। नांगाग्वा इस समय देश से बाहर हैं और राजधानी हरारे में स्वागत के लिए तैयार उनके समर्थक अपने नेता की वापसी का इंतजार कर रहे हैं।

दो हफ्ते पहले मुगाबे की पत्नी ग्रेस से मतभेद गहरा जाने पर नांगाग्वा उप राष्ट्रपति पद से बर्खास्त कर दिए गए थे। इसके बाद वह सुरक्षा कारणों से देश छोड़कर दक्षिण अफ्रीका चले गए थे। संसद के स्पीकर जैकब मुदेंदा ने बताया कि सत्तारूढ़ जानू-पीएफ पार्टी ने उन्हें जानकारी दी है कि राष्ट्रपति पद के लिए नांगाग्वा का नाम तय किया गया है।

मंगलवार को रॉबर्ट मुगाबे (93) के इस्तीफा देने से राष्ट्रपति पद खाली हुआ था। मुगाबे ने जनता, पार्टी और अंतरराष्ट्रीय बिरादरी के दबाव के बाद पद से इस्तीफा दिया था। उससे एक सप्ताह पहले सेना ने उनके अधिकार छीनते हुए उन्हें आवास में ही नजरबंद कर दिया था।

मुगाबे के इस्तीफे पर उनकी पार्टी ने कहा है कि वयोवृद्ध नेता को अब विश्राम की भूमिका में आ जाना चाहिए। पार्टी और देश उनके योगदान को कभी नहीं भूलेगा। जिंबाब्वे के सबसे नजदीकी सहयोगी चीन ने मुगाबे के इस्तीफे का स्वागत किया है।

कहा है कि जिंबाब्वे की आजादी और उसके निर्माण में मुगाबे का सबसे बड़ा योगदान है। चीन के वह अच्छे मित्र थे और रहेंगे।

इससे पहले मुगाबे के इस्तीफे से उत्साहित लोग इस बार बैंड-बाजे के साथ हरारे की सड़कों पर उतरे और अपनी खुशी का इजहार किया।

सेना के प्रतिकार से छिनी सत्ता-

ब्रिटिश सत्ता के विरुद्ध आंदोलन चलाकर जिंबाब्वे को आजाद कराने का श्रेय मुगाबे को है। 1980 में आजादी के बाद 37 साल तक मुगाबे देश की सत्ता पर काबिज रहे। बढ़ती उम्र के साथ उनकी सक्रियता कम होती गई।

इस बीच पत्नी ग्रेस (52) के पर्दे के पीछे से सरकार चलाने से विवाद पैदा होते रहे और देश की अर्थव्यवस्था बिगड़ती चली गई। इसी से पनप रहे जनाक्रोश के बीच उप राष्ट्रपति पद से नांगाग्वा की बर्खास्तगी हुई। कभी रक्षा मंत्री रहे नांगाग्वा के इस अपमान का प्रतिकार सेना ने मुगाबे को नजरबंद करके किया।