Home / व्यक्तित्व / 60 साल बाद अपने पहले उपन्यास चन्ना के विमोचन के 14 दिन बाद प्रख्यात लेखिका कृष्णा सोबती का निधन attacknews.in

60 साल बाद अपने पहले उपन्यास चन्ना के विमोचन के 14 दिन बाद प्रख्यात लेखिका कृष्णा सोबती का निधन attacknews.in

नयी दिल्ली, 25 जनवरी । हिंदी की प्रख्यात लेखिका एवं निबंधकार कृष्णा सोबती का 93 वर्ष की उम्र में शुक्रवार को निधन हो गया।

सोबती के मित्र एवं राजकमल प्रकाशन के प्रबंध निदेशक अशोक माहेश्वरी ने बताया कि लेखिका ने आज सुबह दिल्ली के एक अस्पताल में अंतिम सांस ली। वह पिछले दो महीने से अस्पताल में भर्ती थीं।

उन्होंने बताया, “वह फरवरी में 94 साल की होने वाली थीं, इसलिए उम्र तो बेशक एक कारण था ही। पिछले एक हफ्ते से वह आईसीयू में भी थीं।”

उनका अंतिम संस्कार शुक्रवार शाम चार बजे निगम बोध घाट पर किया गया ।

माहेश्वरी ने बताया, “बहुत बीमार होने के बावजूद वह अपने विचारों एवं समाज में जो हो रहा है उसको लेकर काफी सजग थीं।”

उन्होंने  बताया, “कृष्णा जी हमारे समय के सबसे संवेदनशील एवं सजग लेखकों में से एक थीं। उन्होंने साहित्य के क्षेत्र में अपनी खुद की पहचान एवं गरिमा बनाई।”

उनकी नयी किताब “चन्ना” का 11 जनवरी को नयी दिल्ली पुस्तक मेले में विमोचन किया गया था।

उन्होंने बताया, “असल में यह उनका पहला उपन्यास था जो 60 साल पहले लिखा गया था। लेकिन कुछ असहमतियों की वजह से वह कभी प्रकाशित नहीं हुआ था।”

1925 में जन्मी सोबती को नारीवाद एवं लैंगिक पहचान के मुद्दों पर लिखने के लिए जाना जाता है।

‘‘मितरो मरजानी” “जिंदगीनामा” और “सूरजमुखी अंधेरे के” उनकी प्रसिद्ध कृतियों में शामिल हैं।

उन्हें साहित्य अकादमी, ज्ञानपीठ पुरस्कारों जैसे प्रतिष्ठित पुरस्कारों से नवाजा गया था और पद्म भूषण की भी पेशकश की गई थी जिसे उन्होंने अस्वीकार कर दिया था।

लेखक-कवि अशोक वाजपेयी ने कहा कि साहित्य में अपने योगदान के माध्यम से वह “भारतीय लोकतंत्र की संरक्षक’’ थीं।

वाजपेयी ने कहा, “भारतीय साहित्य के लिए उन्होंने जो किया वह बेजोड़ है। उनके काम के जरिए उनका सामाजिक संदेश बिलकुल स्पष्ट होता था, अगर हम एक लेखक को लोकतंत्र एवं संविधान का संरक्षक कह सकते हैं, तो वह सोबती थीं।”

उन्होंने कहा, “वह जीवन भर बराबरी एवं न्याय के लिए लड़ती रहीं। वह सिर्फ हिंदी की ही नहीं बल्कि समस्त भारतीय साहित्य की प्रख्यात लेखिका थीं।”

कवि अशोक चक्रधर ने उनके निधन को “विश्व साहित्य के लिए क्षति” करार देते हुए कहा कि वह ‘‘महिला सम्मान के लेखन की अगुआ थीं।”

चक्रधर ने कहा , “उनकी ‘मितरो मरजानी’ ने भारतीय साहित्य में लेखन की एक नयी शैली स्थापित की। उन्हें जानना मेरी खुशकिस्मती है। और उनका निधन हमारे देश के लिए ही नहीं बल्कि पूरे विश्व के लिए क्षति है।”

attacknews.in

About Administrator Attack News

Dr.Sushil Sharma Admin/Editor

Check Also

शास्त्रीय संगीत सम्राट पंडित जसराज का पार्थिव शरीर मुंबई लाया गया, गुरुवार को राजकीय सम्मान के साथ होगा अंतिम संस्कार attacknews.in

मुंबई, 19 अगस्त । विश्व प्रसिद्ध शास्त्रीय संगीत सम्राट पंडित जसराज का पार्थिव शरीर बुधवार …

संगीत का मेवाती घराना हो गया सूना : आखिरी मजबूत स्तंभ संगीत मार्तंड पंडित जसराज ने अमेरिका में ली आखिरी सांस attacknews.in

नयी दिल्ली, 17 अगस्त । महान शास्त्रीय गायकJason पंडित जसराज का अमेरिका में दिल का …

अलविदा: महेन्द्र सिंह धोनी के सुनहरे कैरियर की कुछ सुर्खियां जो इतिहास में दर्ज हो गई attacknews.in

नयी दिल्ली, 16 अगस्त ।महेंद्र सिंह धोनी ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कह दिया । …

राहत इंदौरी की दास्ताँ : एक फनकार,अनेक कलाकार बनकर गरीबी से उठा राहत उल्लाह कैसे बन गया सबका चहेता राहत इंदौरी attacknews.in

मुंबई, 11 अगस्त ।उर्दू शायरी को नया आयाम दिलाने वाले महशूर शायर और गीतकार राहत …

कोई अभी अभी वह जगह खाली कर गया जो केवल मुशायरे की थी,मुशायरा लूटने वाले शायर राहत इंदौरी का 70 वर्ष की आयु में निधन attacknews.in

इंदौर/नईदिल्ली , 11 अगस्त ।मध्यप्रदेश के इंदौर में 01 जनवरी 1950 को जन्मे जाने माने …