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अटल बिहारी वाजपेयी

अटल बिहारी वाजपेयी की राजनीति शुरू करने वाले क्षेत्र बलरामपुर का हर बाशिंदा शोक में डूबा,घरों में चूल्हे तक नहीं जले Attack News

बलरामपुर (उ.प्र.), 17 अगस्त । देश के राजनीतिक क्षितिज पर करीब छह दशकों तक धूमकेतु के समान चमकने वाले दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का बलरामपुर से गहरा नाता रहा है। इसी सरजमीं से अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत करने वाले वाजपेयी की यादें यहां के बाशिंदों के जहन में अब भी ताजा हैं।

वाजपेयी ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत बलरामपुर से की थी और वर्ष 1957 में पहली बार यहीं से सांसद चुने गये थे। वर्ष 1962 के लोकसभा चुनाव में पराजित होने के बाद 1967 के चुनाव में वह फिर चुनाव जीते। वाजपेयी के देहांत पर बलरामपुर की भी जनता गम में डूबी है और हर तरफ उन्हीं की चर्चा हो रही है।

वाजपेयी के सहयोगी और पूर्व में चुनाव प्रचार के दौरान उनके कंधे से कंधा मिलाकर चलने वाले शिव रत्न लाल गुप्ता बताते हैं कि वाजपेयी ने दोस्ती के बीच कभी धर्म, जाति, ऊंच, नीच और वोटों की गणित को बाधा नहीं बनने दिया।

गुप्ता एक किस्सा बताते हैं कि वर्ष 1967 में लोकसभा और उत्तर प्रदेश विधानसभा दोनों का चुनाव एक साथ हो रहा था। वाजपेयी बलरामपुर से जनसंघ के लोकसभा प्रत्याशी और सूरज लाल गुप्ता विधानसभा उम्मीदवार थे। चुनाव प्रचार के दौरान वह उतरौला विधानसभा क्षेत्र के महदेया तालुकेदार हैदर अली के घर अपने साथियों सहित पहुंच गए। अपने घर पर वाजपेयी को देखकर गदगद अली खाने-पानी का इंतजाम करने लगे।

उन्होंने बताया कि महदेया गाँव में ब्राह्मणों तथा अन्य अगड़ी जातियों की खासी तादाद थी। हम लोगों को लगा कि मुस्लिम के घर खाना खाने पर जनसंघ का वोट खिसक जाएगा, जिससे दोनों प्रत्याशियों को नुकसान होगा। सूरज लाल गुप्ता के साथ जाकर हम लोगों ने वाजपेयी के पास जाकर चुपके से कहा कि आप ये क्या कर रहे हैं। मुसलमान के घर जलपान या भोजन करने की बात लोगों को पता लगी तो वोट खिसक जायेगा। यह सुनकर वाजपेयी ठहाका मारकर हंस पड़े और बोले कि जो खिसकना था वह पेट में खिसक गया अब वोट खिसके या फिर रहे।

गुप्ता ने बताया कि वाजपेयी ने बेझिझक होकर कहा कि हैदर अली के घर खाने से मैं मुसलमान थोडे़ ही बन जाऊँगा। बाद में यह संयोग रहा कि वाजपेयी चुनाव जीत गए जबकि सूरज लाल गुप्ता विधायक का चुनाव हार गए।

वाजपेयी के खास सहयोगियों में हसन दाऊद का नाम प्रमुख माना जाता है। वह उनके खास सिपहसालार थे। वर्ष 1957 में जब वाजपेयी पचपेड़वा क्षेत्र में चुनाव प्रचार के लिये निकले तो मोतीपुर गाँव में हसन दाऊद से मुलाकात हुई। दाऊद वाजपेयी से प्रभावित होकर बिना कोई परवाह किये उनके साथ निकल पड़े। दाऊद जनसंघ का दीपक बना गेरुआ झंडा लेकर आगे आगे चलते और अटल जी का गुणगान करते हुए दामन फैलाकर लोगों से वोट माँगते।

वाजपेयी के सहयोगी रहे पूर्व विघायक सुखदेव प्रसाद बताते हैं कि वाजपेयी जब विदेश मंत्री बने तो वे लोग उनसे मिलने दिल्ली पहुंचे। उनमें दाऊद भी शामिल थे। वाजपेयी के घर पहुँचने पर सुरक्षा कर्मियों ने हम लोगों को रोक दिया। वाजपेयी से मिलने के लिये बेचैन हो रहे दाऊद जोर-जोर से चिल्लाने लगे। वाजपेयी अपने आवास के बाहरी कमरे में बैठे थे। दाऊद की आवाज पहचान कर बाहर निकल आये और सुरक्षा कर्मियों से आने देने के लिये कहा। अंदर आते ही अटल जी ने दाऊद को गले लगा लिया । दोनों का आपसी प्रेम और स्नेह देखकर सबकी आँखे भर आयीं।

प्रसाद ने बताया कि वाजपेयी को कुछ देर बाद हवाई जहाज से विदेश दौरे पर जाना था। उन्होंने दाऊद से कहा कि मैं विदेश दौरे पर जा रहा हूं। तुम से बहुत बातें करनी हैं। इसलिये तुम मेरे साथ हवाई अड्डे तक चलो। दाऊद का परिवार भी वाजपेयी का भक्त है। उनके दुनिया से अलविदा कहने की जानकारी मिलने पर पूरा परिवार शोक में डूबा हुआ है। कल से दाऊद के घर चूल्हा नहीं जला है।attacknews.in

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