संयुक्त राष्ट्र 14 मार्च । मसूद अजहर को ग्लोबल टेररिस्ट यानी वैश्विक आतंकी घोषित करवाने की भारत की मुहिम को चीन ने झटका दिया है।अब कम से कम छह महीने तक मसूद अजहर को ग्लोबल टेररिस्ट घोषित नहीं किया जा सकेगा. क्या होता है ग्लोबल टेररिस्ट?
मसूद अजहर को घोषित करवाने के लिए भारत यूएनएससी में चार बार कोशिश कर चुका है. लेकिन वो पास नहीं हो सका. इससे पहले भारत 2009, 2016 और 2017 में भी ऐसे प्रस्ताव ला चुका है
कौन है मसूद अजहर?
मसूद अजहर, जैश-ए-मोहम्मद नाम के आतंकी संगठन का मुखिया है। वो खुद को धार्मिक गुरु और मौलाना बताता है।मसूद पाकिस्तान के बहावलपुर का रहने वाला है।वो एक अमीर परिवार से ताल्लुक रखता है।उसके पिता सरकारी स्कूल में प्रधानाध्यापक थे।उसने कराची के जामिया उलूम-ए-इस्लामी से तालीम ली।पढ़ाई पूरी करने के बाद वो इसी यूनिवर्सिटी में पढ़ाने लगा।उसने कुछ किताबें भी लिखीं और एक धार्मिक मैग्जीन का संपादक भी रहा।
इसके बाद वो कट्टरपंथ के रास्ते पर बढ़ गया।वो अल कायदा और तालिबान के संपर्क में आ गया।उसने आंतकवाद प्रभावित कई अफ्रीकी देशों की भी यात्रा की।वह कई बार सोमालिया भी गया। बताया जाता है कि मसूद ने पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर में अपने ट्रेनिंग कैंप शुरू किए जिनमें जिहादियों को ट्रेनिंग दी जाती है।पाकिस्तान के बहावलपुर और दूसरी कई जगहों पर उसके मदरसे भी चलते हैं।1994 में अजहर श्रीनगर आया।वहां पुलिस ने उसे आतंकी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप में जेल में बंद कर दिया।
अजहर को जेल से छुड़वाने के लिए बहुत सी कोशिशें हुईं. 1995 में छह विदेशी पर्यटकों का अपहरण कर लिया गया और अजहर की रिहाई की मांग भारत सरकार से की गई. ऐसा न करने पर पांच पर्यटकों को मार दिया और एक पर्यटक आतंकियों के कब्जे से भाग निकला।1999 में इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट आईसी 814 को हाइजैक कर लिया गया।इसमें 155 यात्री सवार थे. इसके बदले अजहर मसूद को रिहा करवा लिया गया।
रिहा होने के बाद से ही अजहर लगातार भारत विरोधी आतंकी गतिविधियों में सक्रिय रहने लगा।मुंबई हमले से लेकर पुलवामा हमले तक में मसूद अजहर का नाम मुख्य साजिशकर्ता के तौर पर आता है।
क्या है वैश्विक आतंकी घोषित होना?
किसी भी व्यक्ति को वैश्विक आतंकी घोषित करने का फैसला यूएन सुरक्षा परिषद करती है. इसमें अमेरिका, चीन, फ्रांस, ब्रिटेन और रूस स्थाई सदस्य हैं और दस अस्थाई सदस्य होते हैं।किसी को वैश्विक आतंकी घोषित करने के लिए सभी स्थाई सदस्यों की सहमति जरूरी होती है।संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद समिति प्रस्ताव 1267, जिसे आइएसआइएल (दाएश) और अलकायदा अनुमोदन सूची भी कहा जाता है, में उस व्यक्ति का नाम दर्ज करना होता है।
इस सूची में नाम आने के बाद वह व्यक्ति वैश्विक आतंकी घोषित हो जाता है. इसमें तीन कार्रवाई प्रमुख हैं.
संपत्ति जब्त- ऐसे व्यक्ति की संपत्ति जिस देश में होगी उसी देश द्वारा तुरंत जब्त की जाएगी,साथ ही यह सुनिश्चित किया जाएगा कि वैश्विक आतंकी घोषित किए गए व्यक्ति को किसी तरह की वित्तीय मदद कहीं से न मिल रही हो।
यात्रा करने पर प्रतिबंध– सभी देश ऐसे व्यक्ति का अपनी सीमाओं में प्रवेश रोकेंगे. वो जिस देश में होगा वहां उसे किसी तरह की यात्रा नहीं करने दी जाएगी।
हथियारों का प्रतिबंध– सभी देश ऐसे व्यक्ति को किसी भी तरह के हथियार मुहैया करवाए जाने पर प्रतिबंध लगाएंगे।सभी हथियारों की आपूर्ति और खरीद-फरोख्त रोकी जाएगी।इसमें छोटे हथियारों से एयरक्राफ्ट तक शामिल हैं।हथियार बनाने में काम आने वाले सामान और तकनीकी सहायता देना भी प्रतिबंधित होता है.
कैसे आता है प्रस्ताव?
सुरक्षा परिषद के सदस्य देशों में से कोई देश इसका प्रस्ताव लाता है।बाकी सदस्य देश इस पर अपना मत रखते हैं।स्थाई सदस्यों के पास वीटो पावर होता है।मतलब ऐसे प्रस्ताव पर पांचों स्थाई सदस्यों का सहमत होना जरूरी है. अगर ऐसा नहीं हुआ तो प्रस्ताव पास नहीं होता।प्रस्ताव आने के बाद 10 कार्य दिवसों तक इस पर आपत्तियां मांगी जाती हैं. अगर कोई स्थाई सदस्य आपत्ति दर्ज नहीं करवाता तो प्रस्ताव पास हो जाता है। 27 फरवरी को फ्रांस, ब्रिटेन और अमेरिका ने मसूद अजहर को ग्लोबल टेररिस्ट घोषित करने का प्रस्ताव रखा।13 मार्च को इसके 10 कार्य दिवस पूरे हो रहे थे,लेकिन चीन ने वीटो कर दिया और यह प्रस्ताव कम से कम छह महीने के लिए रुक गया,यह आपत्ति तीन महीने और बढ़ाई जा सकती है. इसके बाद फिर से प्रस्ताव लाया जा सकता है.
क्या जरूरी है कि ऐसा होगा?
आदर्श परिस्थितियों के मुताबिक तो ऐसा होना जरूरी है लेकिन कई दफा ऐसा नहीं होता है,जैसे दाउद इब्राहिम और हाफिज सईद दोनों को ग्लोबल टेररिस्ट घोषित किया हुआ है,फिर भी हाफिज सईद और दाउद इब्राहिम दोनों पाकिस्तान में हैं,दाउद इब्राहिम के कई बार विदेश जाने की भी खबरें आती रहती हैं।यह उस देश पर निर्भर करता है कि वह इन प्रतिबंधों को किस तरह मानता है।
चीन के अड़॔गें से भारत निराश:
चीन ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में आतंकवदी संगठन जैश-ए-मुहम्मद के सरगना अजहर मसूद को ब्लैक लिस्ट किए जाने के प्रस्ताव पर एक बार फिर रोक लगा दी।चीन के इस कदम पर भारत ने निराशा जताई ।
भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा, “हम हर कोशिश करेंगे ताकि हमारे नागरिकों पर हमला करने वाले आतंकवादियों को सजा मिल सके और जनता को न्याय.” वहीं भारत ने उन सारे देशों को शुक्रिया किया जिन्होंने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में उसके प्रयासों का समर्थन किया.
चीन ने अजहर मसूद को ब्लैक लिस्ट किए जाने के प्रस्ताव पर रोक लगाते हुए कहा कि उसे इस मुद्दे को समझने के लिए वक्त चाहिए. हालांकि इसके पहले अमेरिका ने चीन को चेतावनी देते हुए कहा था कि उसका रुख क्षेत्रीय स्थिरता एवं शांति के लिए खतरा हो सकता है.
चीन इसके पहले भी मसूद पर प्रतिबंध लगाने वाले तीन प्रस्तावों को रोक चुका है. सुरक्षा परिषद में अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस की ओर से जैश प्रमुख पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव पेश किया गया था. अगर यह प्रस्ताव पारित हो जाता तो मसूद को अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी घोषित किया जाता और उसकी सारी संपत्ति जब्त कर उस पर ट्रैवल बैन भी लग जाता,अजहर मसूद का संगठन जैश-ए-मुहम्मद साल 2001 से ही संयुक्त राष्ट्र की आतंकवादी सूची में शामिल है।
attacknews.in