कृष्णनगर, 27 अप्रैल। हिंदुत्व उभार और स्थानीय मुद्दों पर राष्ट्रीय मुद्दों के हावी होने के बीच पश्चिम बंगाल में सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस ने नदिया जिले के कृष्णनगर में कड़े मुकाबले के लिए कमर कस ली है।
भाजपा ने कृष्णनगर को लक्ष्य बनाया है जो कि 15वीं सदी के बंगाली संत चैतन्य महाप्रभु की धरती है। भाजपा पिछले लोकसभा चुनाव में मिले वोट प्रतिशत और 2018 के विधानसभा चुनावों में बनाई अपनी पैठ के आधार पर भरोसा कर रही है। यह सीट राज्य की उन कुछ चुनिंदा सीटों में से एक है जिस पर पार्टी ने कभी जीत हासिल की है।
1999 के आम चुनाव में भाजपा के सत्यव्रत मुखर्जी ने तब हाल में बनी तृणमूल कांग्रेस के साथ गठबंधन में यह सीट जीती थी। वह तब अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में मंत्री भी बने थे और राज्य में पार्टी का नेतृत्व भी किया था।
भाजपा ने इस बार भारतीय फुटबाल टीम के पूर्व कप्तान कल्याण चौबे को मैदान में उतारा है जिनकी नजर यह सीट तृणमूल कांग्रेस से अपने खाते में करने पर है। यह क्षेत्र दक्षिण बंगाल में आता है जिसे मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का गढ़ माना जाता है।
इस बार इस सीट पर चतुष्कोणीय मुकाबला हो रहा है।
जिला कलेक्ट्रेट के बाहर चाय की एक दुकान पर चाय पी रहे एक व्यक्ति ने कहा, ‘‘भाजपा का उम्मीदवार एक बाहरी है। यदि उन्होंने जलू बाबू (सत्यब्रत मुखर्जी को स्थानीय तौर पर इसी नाम से जाना जाता है) को उतारा होता तो उनके लिए यह सीट जीतना आसान होता।’’
यह सुनते ही दिन का अखबार पढ़ रहे एक व्यक्ति ने कहा, ‘‘भाजपा ने प्रज्ञा ठाकुर जैसे किसी को टिकट दिया है। लोग अब सब कुछ जानते हैं और सब कुछ देखते हैं। आप उन्हें मूर्ख नहीं बना सकते।’’
कृष्णनगर नगर और आसपास के क्षेत्रों में ईसाइयों की अच्छी जनसंख्या है और सड़कों पर औपनिवेशिक काल के गिरजाघर हैं। यद्यपि जिला हिंदू बहुल है जहां मुस्लिमों की थोड़ी बहुत जनसंख्या है।
धुबुलिया बस स्टैंड पर एक दुकानदार ने कहा, ‘‘यह हिंदू मुस्लिम का मामला नहीं है, यह हिंसा से छुटकारा पाने का है जो हमने पिछले कुछ वर्षों में झेला है। हमने पूर्व में माकपा को वोट किया लेकिन अब महसूस करते हैं कि तृणमूल को केवल भाजपा ही रोक सकती है।’’
माकपा का हालांकि कहना है कि भाजपा कहीं भी मुकाबले में नहीं है, यह सब ‘‘मीडिया द्वारा बनाया गया है’’ और तृणमूल कांग्रेस से माकपा ही मुकाबला कर सकती है।
माकपा उम्मीदवार शांतनू झा ने कहा, ‘‘यह कल्पना की बात है कि मुकाबला तृणमूल कांग्रेस और भाजपा के बीच है। लोगों को उनके बीच झूठी लड़ाई समझनी होगी। आप देख सकते हैं जो भूमिका मुकुल रॉय निभा रहे हैं, वह तृणमूल कांग्रेस में नम्बर दो थे और अब भाजपा में यहां सर्वोच्च नेता हैं, क्या यह कहीं और होता है?’’
हालांकि भाजपा के चौबे इसको लेकर आश्चस्त हैं कि वह चुनाव जीतेंगे क्योंकि वह केवल ‘‘भाजपा है जिसमें तृणमूल कांग्रेस को रोकने की क्षमता है।’’
उन्होंने कहा,‘‘लोग सत्ताधारी पार्टी द्वारा की जाने वाली हिंसा से छुटकारा पाना चाहते हैं और यह काम भाजपा ही कर सकती है। यह केवल दो पार्टियों के बीच लड़ाई नहीं है बल्कि यह हमारे लोकतांत्रिक अधिकारों को बरकरार रखने की लड़ाई है।’’
कांग्रेस ने इंताज अली शाह को अपना उम्मीदवार बनाया है। शाह ने कहा, ‘‘लोगों का जो भी फैसला होगा मैं उसे स्वीकार करूंगा लेकिन मैं चाहता हूं कि चुनाव निष्पक्ष हो। हमने छपरा में कई बूथों की संवेदनशीलता का मुद्दा चुनाव आयोग से उठाया है। हमें उम्मीद है कि वे उसे देखेंगे।’’
वहीं तृणमूल कांग्रेस उम्मीदवार महुआ मोइत्रा ने अपनी जीत का भरोसा जताते हुए कहा,‘‘भाजपा ने यह सीट अपने दम पर कभी नहीं जीती। वे एक बार यह सीट ममता बनर्जी के समर्थन से जीते थे। यहां तक की उनके सबसे बड़े उम्मीदवार (सत्यव्रत मुखर्जी) को दो बार तपस पॉल और माकपा के ज्योतिर्मयी सिकदर ने हराया। 2014 में मोदी लहर में वे तीसरे नम्बर पर थे।’’
पिछले लोकसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस उम्मीदवार तपस पॉल ने दूसरी बार सीट पर जीत दर्ज की थी और 35 प्रतिशत वोट हासिल किये थे। उन्होंने माकपा के शांतनु झा को हराया था जिन्हें करीब 29 प्रतिशत वोट मिले थे जबकि भाजपा को करीब 26 प्रतिशत वोट मिले थे। कांग्रेस को मात्र छह प्रतिशत वोट मिले थे।
कृष्णनगर में मतदान चौथे चरण में 29 अप्रैल को होगा।
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