नयी दिल्ली/कोलकाता , 15 जून। जूनियर डॉक्टरों के संयुक्त फोरम ने ममता बनर्जी की अपील के बाद कहा: मुख्यमंत्री ने कोई ईमानदार पहल नहीं की, प्रदर्शन जारी रहेगा।उधर केंद्र ने पश्चिम बंगाल में राजनीतिक हिंसा और वहां चल रही डॉक्टरों की हड़ताल पर राज्य सरकार से अलग-अलग रिपोर्ट मांगी है। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
केंद्र ने शनिवार को यह कदम उठाया।
राज्य में पिछले चार बरसों में राजनीतिक हिंसा में लगभग 160 लोग मारे गए हैं।
गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने शनिवार को बताया कि पश्चिम बंगाल में राजनीतिक हिंसा रोकने के लिए उठाए गए कदमों पर और दोषियों को न्याय के दायरे में लाने के लिए इस तरह की घटनाओं की जांच के संबंध में राज्य सरकार से एक रिपोर्ट मांगी गई है।
अधिकारी ने बताया कि पश्चिम बंगाल में डॉक्टरों की चल रही हड़ताल पर भी एक अन्य विस्तृत रिपोर्ट मांगी गई है।
राज्य में डॉक्टरों की हड़ताल से चिकित्सा सेवाएं चरमरा गई हैं।
राजनीतिक हिंसा पर मांगी रिपोर्ट:
केन्द्र ने पश्चिम बंगाल में राजनीतिक हिंसा की बढती घटनाओं पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए राज्य सरकार से इनपर काबू पाने और इनकी जांच के लिए उठाये गये कदमों के बारे में रिपोर्ट देने को कहा है।
गृह मंत्रालय ने राज्य सरकार को आज एक परामर्श जारी कर पिछले चार वर्षों में 2016 से 2019 के बीच चुनाव संबंधी और राजनीतिक हिंसा की बढती घटनाओं का हवाला देते हुए कहा है ,“ पिछले कुछ वर्षों से निरंतर जारी हिंसा की घटनाएं गहरी चिंता का विषय है। ”
मंत्रालय ने कहा है कि राज्य सरकार की इससे पहले भेजी गयी एक रिपोर्ट में राजनीतिक हिंसा के बारे में दिये गये आंकड़ों से पता चला है कि वर्ष 2016 से 2019 तक राजनीतिक हिंसा की घटनाओं का सिलसिला लगातार चला आ रहा है। यह इस बात का संकेत है कि राज्य में कानून व्यवस्था बहाल करने वाली मशीनरी फेल हो गयी है और वह लोगों में सुरक्षा की भावना पैदा करने में भी विफल रही है। इसे देखते हुए केन्द्र सरकार पश्चिम बंगाल की स्थिति को लेकर चिंतित है।
राज्य सरकार की पहले की रिपोर्ट का हवाला देते हुए मंत्रालय ने कहा है कि राज्य में वर्ष 2016 में राजनीतिक हिंसा की 509 घटनाएं वर्ष 2018 में बढकर 1035 हो गयी और वर्ष 2019 में अब तक 773 घटनाएं हो चुकी हैं। राज्य में वर्ष 2016 में 36 लोगों की मौत हुई , 2018 में यह आंकडा 96 पहुंच गया और इस साल अब तक 26 लोगों की मौत हो चुकी हैं।
परामर्श में कहा गया है कि राज्य सरकार राजनीतिक हिंसाओं की घटनाओं पर काबू पाने और इनकी जांच के लिए किये गये उपायों तथा कदमों में बारे में गृह मंत्रालय को रिपोर्ट भेजे।
हड़ताली डाक्टरों ने ममता बनर्जी से मुलाकात के लिए किया इंकार:
पश्चिम बंगाल के सरकारी अस्पतालों में अपने सहयागियों पर हमलों के खिलाफ डॉक्टरों की हड़ताल के चौथे दिन शनिवार को भी अस्पतालों के बाह्य रोगी विभाग (ओपीडी) का कामकाज बंद रहा।
हड़ताल कर रहे डॉक्टर लगातार पर्याप्त सुरक्षा की मांग कर रहे हैं। समस्या का समाधान निकालने के लिए पांच वरिष्ठ डॉक्टरों ने शुक्रवार शाम मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मुलाकात की।
पश्चिम बंगाल में हड़ताली डाक्टरों ने अपने रुख में कोई बदलाव नहीं करते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से शनिवार शाम पांच बजे नबन्ना में होने बाली बातचीत में हिस्सा लेने से इन्कार कर दिया और इससे संकेत मिलते हैं कि सुश्री बनर्जी को ही अब एनआरएस मेडिकल कालेज आना पड़ेगा तथा इस संकट का समाधान खोजना होगा।
हड़ताली जूनियर डाक्टरों की जनरल बाडी मीटिंग के बाद उनके एक प्रतिनिधि ने पत्रकारों से कहा,“ हम नबन्ना में बंद कमरे में होने वाली बातचीत के पक्ष में नहीं है और हमारी छह सूत्री मांगों पर विचार करने के लिए मुख्यमंत्री को एनआरएस ही आना होगा। हम भी चाहते हैं कि अस्पताल में कामकाज जल्द से जल्द शुरू हो और हम भी मरीजों की हालत को लेकर काफी चिंतित हैं।”
बैठक के बाद डॉक्टरों ने बताया कि सुश्री बनर्जी ने मुद्दे पर चर्चा करने के लिए जूनियर डॉक्टरों को शनिवार शाम पांच बजे राज्य सचिवालय नाबन्ना आमंत्रित किया है। हड़ताली जूनियर डॉक्टरों ने हालांकि इस अामंत्रण को अस्वीकार कर दिया जिससे डॉक्टरों और राज्य सरकार के बीच जारी गतिरोध के जल्द समाप्त होने की उम्मीदों को झटका लगा है।
जूनियर डॉक्टरों ने घोषणा की है कि वे शनिवार शाम पांच बजे राज्य सचिवालय में मुख्यमंत्री से मुलाकात नहीं करेंगे। उन्होंने कहा, “सुश्री बनर्जी राज्य की संरक्षक हैं और उन्हें यहां आना चाहिए। हम बातचीत के लिए तैयार हैं और हम समाधान निकालने के लिए भी तैयार हैं।”
कोलकाता में डॉक्टरों ने राज्य में हड़ताल समाप्त करने के लिए सुश्री बनर्जी से बिना शर्त माफी मांगने की मांग की है और साथ में छह शर्तें भी रखी है।
जूनियर डॉक्टरों के संयुक्त मंच के प्रवक्ता डॉ अरिंदम दत्ता ने कहा, “मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गुरुवार को एसएसकेएम अस्पताल में जिस तरह से हमें संबोधित किया उसके लिए हम उनसे बिना शर्त माफी चाहते हैं। उन्होंने जो कहा, उन्हें वह नहीं कहना चाहिए था।
बंगाल सरकार ने 10 सूत्री अधिसूचना जारी की
पश्चिम बंगाल सरकार ने हड़ताली डाक्टरों के दबाव के चलते 10 सूत्री मांगों पर शनिवार को एक अधिसूचना जारी की जिसमें पूरे राज्य में काम करने वाले डाक्टरों की सुरक्षा को सुनिश्चित करने की बात कही गयी है।
अतिरिक्त मुख्य सचिव ने इस अधिसूचना में कहा है कि डाक्टरों और मरीज पार्टी के बीच होने वाले विवादाें में पुलिस मध्यस्थता करेगी और डाक्टरों की सुरक्षा के लिए हमेशा सतर्क रहेगी। इसके अलावा सभी अस्पताल परिसर में महत्वपूर्ण स्थानों पर क्लोज सर्किट कैमरे लगेंगे।
डाक्टरों की देशव्यापी हड़ताल जारी:
दिल्ली के कई सरकारी अस्पतालों के डॉक्टर ने कोलकाता के अपने हड़ताली सहयोगियों के साथ एकजुटता व्यक्त करने के लिए शनिवार को विरोध प्रदर्शन किया। ये डाक्टर शुक्रवार की देशव्यापी हड़ताल में शामिल नहीं हो सके थे।
केंद्र सरकार द्वारा संचालित लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल और आरएमएल अस्पताल के डॉक्टरों के अलावा दिल्ली सरकार के संजय गांधी मेमोरियल अस्पताल और डीडीयू अस्पताल के डॉक्टरों ने काम का बहिष्कार किया और विरोध प्रदर्शन किया।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) और रेजिडेंट डॉक्टरों के विभिन्न संघों (आरडीए) के आह्वान पर शुक्रवार को दिल्ली के अधिकतर अस्पताल के डाक्टर पश्चिम बंगाल के हड़ताली डॉक्टरों के समर्थन में देशव्यापी आंदोलन में शामिल हुए थे।
फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट्स डॉक्टर्स एसोसिएशन (फोर्डा) के अध्यक्ष सुमेध संदनशिव ने कहा कि कई अस्पताल शुक्रवार को विरोध प्रदर्शन में शामिल नहीं हो सके क्योंकि उन्होंने प्रोटोकॉल के अनुसार सरकार को 24 घंटे की अग्रिम सूचना नहीं दी थी। इसलिए, वे शनिवार को बंद का आयोजन कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि इन अस्पतालों के आईसीयू और आपातकालीन सेवा चालू है।
शहर के इन अस्पतालों में आपातकालीन सेवाओं को छोड़कर बाह्य रोगी विभागों (ओपीडी), नियमित सर्जरी थिएटर सेवाओं और वार्ड निरीक्षण बंद है, जहां डॉक्टर शनिवार को सांकेतिक हड़ताल पर है।
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