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पश्चिम बंगाल में हड़ताली डाक्टरों ने बड़े पैमाने पर दिये इस्तीफे, हाईकोर्ट ने सरकार को हलफ़नामा दाख़िल करने को कहा, स्वास्थ्य व्यवस्था के हालात बिगडे attacknews.in

कोलकाता/ नईदिल्ली/ जयपुर , 14 जून । कलकत्ता उच्च न्यायालय ने हड़ताल कर रहे जूनियर डॉक्टरों के खिलाफ कोई आदेश जारी नहीं करने का फैसला करते हुए राज्य सरकार को एक सप्ताह के भीतर हलफनामा दायर करने के लिए कहा है। इसके अलावा न्यायालय ने सरकार को जल्द से जल्द से इस मौजूदा संकट का समाधान करने का सुझाव दिया है। 


डॉक्टरों की हड़ताल के कारण पूरे राज्य में मंगलवार से ही स्वास्थ्य सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हुईं हैं।


95 डाक्टरों ने दिये इस्तीफे:


 पश्चिम बंगाल में एक जूनियर डॉक्टर से मारपीट के बाद शुरू हुए विवाद और डॉक्टरों की हड़ताल के बीच कोलकाता के आर जी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के 95 वरिष्ठ डॉक्टरों ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से बिना शर्त माफी की मांग को लेकर शुक्रवार को इस्तीफा दे दिया। 


एनआरएस मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में राज्य में सोमवार से शुरू हुए इस विवाद के बाद अस्पताल के प्रिंसिपल के इस्तीफे के बाद सागर दत्ता अस्पताल के 18 वरिष्ठ डॉक्टरों और नॉर्थ बंगाल मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के कई डॉक्टरों ने गुरुवार को इस्तीफा दे दिया। इसी कड़ी में आर जी कर अस्पताल के 95 डॉक्टरों ने आज एक साथ इस्तीफा दे दिया। उन्हाेंने चेतावनी दी है कि मुख्यमंत्री बिना शर्त माफी मांगे अन्यथा वे एक साथ नौकरी छोड़ देंगे। 


हड़ताली डॉक्टर मुख्यमंत्री के चार घंटे के अल्टीमेटम और कार्रवाई करने करने की धमकियों के लिए उनसे बिना शर्त माफी की मांग कर रहे हैं। 


राज्य के सभी सरकारी अस्पतालों में ओपीडी मंगलवार से ही प्रभावित है। 


इस बीच डॉक्टरों के मंच ‘डॉक्टर्स फोरम’ ने जूनियर डॉक्टरों के साथ एकजुटता जताते हुए प्रदर्शन मार्च में हिस्सेदारी ली। बुद्धिजीवी और कलाकार भी डॉक्टरों के साथ खड़े हैं और सुश्री बनर्जी से सियालदह स्थित अस्पताल का दौरा करने की अपील की है। 


चिकित्सको ने मनाया काला दिवस

राजस्थान में  कोलकाता में मरीज के परिजनों के हमले में घायल चिकित्सक की मौत के विरोध में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के आह्वान पर राजस्थान में चिकित्सको ने शुक्रवार को काला दिवस मनाते हुये विरोध जताया।


राज्य के सभी सरकारी अस्पतालों में चिकित्सको ने विरोध स्वरूप काली पट्टी बांधकर विरोध जताया। राजधानी जयपुर के एसएमएस अस्पताल में डॉक्टरों ने हेलमेट पहनकर मरीज देखे। डॉक्टरों का कहना है कि सरकार का मजबूत कानून बनाकर चिकित्सकों की सुरक्षा सुनिश्चत करनी चाहिए।

डॉ.हर्षवर्धन डॉक्‍टरों के शिष्‍टमंडल से मिले: हमले की निंदा की –

नईदिल्ली में केन्‍द्रीय स्‍वास्‍थ्‍य और परिवार कल्‍याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन आज अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्‍थान(एम्‍स), सफदरजंग अस्‍पताल, डॉ. राममनोहर अस्‍पताल के रेजिडेंट डॉक्‍टरों के  एसोसिएशन, युनाइटेड रेजिडेंट एंड डॉक्‍टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया(यूआरडीए) तथा फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्‍टर्स एसोसिएशन (एफओआरडीए) के शिष्‍टमंडल से मिले।

शिष्‍टमंडल ने पश्चिम बंगाल में डॉक्‍टरों के साथ हुई हिंसा की घटनाओं के बारे में डॉक्‍टर हर्षवर्धन को बताया। 

डॉ. हर्षवर्धन ने गंभीर चिंता व्‍यक्‍त करते हुए कहा ‘मैं डॉक्‍टरों के साथ होने वाले अभद्र व्‍यवहार तथा उन पर हमले की घोर निंदा करता हूं, मैं इस बारे में पश्चिम बंगाल की मुख्‍यमंत्री से विचार विमर्श करूंगा।‘ पश्चिम बंगाल की मुख्‍यमंत्री सुश्री ममता बनर्जी को लिखे पत्र में आंदोलन को सद्भावपूर्ण रूप से समाप्‍त करने और डॉक्‍टरों को सुरक्षित कामकाजी माहौल सुनिश्चित करने का आग्रह ‍किया।

उन्‍होंने कहा कि डॉक्‍टरों की हड़ताल से देश भर में मरीजो को कठिनाई उठानी पड़ रही है और स्‍वास्‍थ्‍य सेवाओं पर प्रतिकूल असर पड़ा  है।

स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री ने कहा कि वह अस्‍पतालों को सुरक्षा प्रदान करने के बारे में गृहमंत्रालय से बातचीत करेंगे और इस विषय में राज्‍यों के मुख्‍यमंत्रियों और स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रियों से भी चर्चा करेंगे ताकि भविष्‍य में ऐसी घटनाओं को टाला जा सके और डॉक्‍टरों को सुरक्षित कामकाजी माहौल प्रदान किया जा सके। 

उन्‍होंने कहा कि राज्‍यों को सभी आवश्‍यक एहतियाती उपाय करने चाहिए ताकि माहौल शांतिपूर्ण रहे और डॉक्‍टर त‍था चिकित्‍सा संस्‍थान हिंसा और हमले के भय के बिना अपना कर्तव्‍य निभा सकें।

उन्‍होंने कहा कि केन्‍द्र और राज्‍य डॉक्‍टरों और मरीजों के लिए सुरक्षित तथा सद्भाव पूर्ण माहौल सुनिश्चित करेंगे।

सभी डॉक्‍टरों विशेषकर पश्चिम बंगाल के डॉक्‍टरों से अपील करते हुए डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि डॉक्‍टरों को साधारण और सांकेतिक तरीके से विरोध करना चाहिए। एक चिकित्‍सा पेशेवर के रूप में उनका कर्तव्‍य मरीजों के अधिकारों की रक्षा करना है। हड़ताल विरोध का बेहतर तरीका नहीं है। मरीजों को तत्‍काल और आपातकालीन स्‍वास्‍थ्‍य सेवा सुविधाओं से वंचित नहीं किया जाना चाहिए।

डॉ. हर्षवर्धन ने मरीजों तथा उनके परिवार के सदस्‍यों से भी आग्रह किया कि वे डॉक्‍टरों को काम करने और पेशेवर लक्ष्‍यों की प्राप्ति में समर्थन दें और हिंसा का सहारा न लें। उन्‍होंने कहा कि डॉक्‍टर समाज के अभिन्‍न अंग हैं और अक्‍सर तनावपूर्ण तथा कठिन स्थितियों में कार्य करते हैं। उन्‍होंने मरीजों और उनकी देखभाल करने वालों से संयम बरतने को कहा।

डॉ. हर्षवर्धन ने राज्‍य सरकारों से अपील की कि हिंसा की घटनाओं की जांच त्‍वरित रूप से की जानी चाहिए ताकि समयबद्ध रूप में अपराधियों पर मुकदमा चलाया जा सके।


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