कोलकाता, 11 जून। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के उपाध्यक्ष मुकुल राय ने पार्टी को अलविदा कहते हुए शुक्रवार को तृणमूल कांग्रेस का फिर दामन थाम लिया।
श्री राय तृणमूल कांग्रेस के संस्थापक सदस्यों में शामिल रहे हैं। उन्होंने 2017 में तृणमूल कांग्रेस से कुछ मसलों को लेकर नाराजगी के बाद भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली थी। पश्चिम बंगाल में भाजपा को मजबूती प्रदान करने में उनकी अहम भूमिका रही है।
पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों के बाद से ही वह नाराज चल रहे थे और आज तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी की मौजूदगी में अपनी पुरानी पार्टी में लौट आये। श्री राय के साथ ही उनके पुत्र एवं विधायक शुभ्रांशु राय भी तृणमूल में लौट आये।
सुश्री बनर्जी ने श्री राय की पार्टी में वापसी पर कहा, “ घर का लड़का, घर लौट आया।”
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के उपाध्यक्ष मुकुल राय शुक्रवार को एक नाटकीय घटनाक्रम में अपने पुत्र शुभ्रांशु राय के साथ पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस में लौट आये।
श्री राय ने तिलजला स्थित तृणमूल कांग्रेस मुख्यालय पर पार्टी सुप्रीमो ममता बनर्जी और सांसद एवं सुश्री बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी की मौजूदगी में तृणमूल में वापसी की।
सुश्री बनर्जी ने इस मौके पर कहा कि उनके श्री राय के साथ कभी मतभेद नहीं रहे। उन्होंने भाजपा की सदस्यता दमनात्मक परिस्थितियों में ग्रहण की थी।
उन्होंने कहा कि श्री राय तृणमूल में वही जिम्मेदारियों का निर्वहन करेंगे जो दायित्व वह पार्टी छोड़ने से पहले निभा रहे थे।
उन्होंने कहा कि कई अन्य लोग भी पार्टी में आयेंगे। श्री राय ने इस मौके पर कहा कि अब भाजपा में काम करना असंभव हो गया है।
अनुभवी राजनेता श्री राय ने सुश्री बनर्जी के दिशा-निर्देश में 2000 में तृणमूल कांग्रेस की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी थी। उन्होंने 2017 में सुश्री बनर्जी के साथ कुछ मतभेदों के कारण पार्टी छोड़ दी थी। वह भाजपा में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाये गये थे। उन्होंने भाजपा के टिकट पर पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव लड़ा था और 2021 में कृष्णानगर उत्तर सीट से जीत हासिल की है।
कोलकाता के ईस्टर्न मेट्रोपॉलिटन बाईपास स्थित तृणमूल भवन में इस मौके पर सुश्री बनर्जी के अलावा उनके भतीजे एवं सांसद अभिषेक बनर्जी, राज्य के कई मंत्री और पार्टी के नेता मौजूद थे।
श्री राय कई दिनों से भाजपा से अपने काे दूर रख रहे थे। भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष होने के बावजूद आठ जून को चुनाव के बाद की रणनीति बनाने संबंधी भाजपा उच्च कमान की ओर से बुलाई गयी पार्टी की बैठक में वह शामिल नहीं हुए थे।