नई दिल्ली 12 नवम्बर । संगठित अपराधियों, माफिया और नेताओं के बीच के संबंधों की जांच के लिए 1993 में गठित एन एन वोहरा समिति की रिपोर्ट से जुड़े महत्वपूर्ण रिकॉर्ड गायब हो गए हैं। आरटीआई आवेदन दायर किए जाने के बाद यह सवाल खड़ा हुआ ।attacknews
पूर्व केंद्रीय सूचना आयुक्त शैलेश गांधी के अनुसार इस संदर्भ में सूचना हासिल करने के लिए उनकी ओर से दायर आरटीआई आवेदन केंद्रीय गृह मंत्रालय के कई विभागों में दो वर्षों तक घूमता रहा और हर विभाग उन्हें यही कहा कि उनके पास ऐसी कोई जानकारी नहीं है।
गांधी ने सभी संलग्नकों और नोट शीट के साथ समिति की रिपोर्ट मांगी थी। केंद्रीय सूचना आयोग ने मंत्रालय की आंतरिक सुरक्षा इकाई को निर्देश दिया था कि आवेदन जिस विभाग में है उससे सूचना एकत्र की जाए और यह सूचना गांधी को प्रदान की जाए।
इस निर्देश के बावजूद संबंधित विभाग ने जवाब दिया कि उसके पास सिर्फ रिपोर्ट है, लेकिन कोई संलग्नक और नोट शीट उपलब्ध नहीं है।
साल 1993 के मुंबई विस्फोटों के बाद इस समिति का गठन तत्कालीन गृह सचिव एन एन वोहरा के नेतृत्व में किया था। वोहरा फिलहाल जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल हैं।
इस समिति को यह जिम्मेदारी सौंपी गई थी कि उन अपराधियों-माफिया के गिरोहों की गतिविधियों के बारे में जानकारी एकत्र की जाए जिन्होंने सरकारी अधिकारियों और नेताओं से संबंध बना लिए हैं या इनके द्वारा उनको संरक्षण दिया जा रहा है।
समिति में रॉ, खुफिया ब्यूरो और सीबीआई के अधिकारी भी बतौर सदस्य शामिल थे। इसने अक्तूबर, 1993 में अपनी रिपोर्ट सौंपी थी।
गांधी ने कहा, ‘‘मैंने नवंबर, 2015 में आरटीआई आवेदन दायर किया था। आवेदन को एक विभाग से दूसरे विभाग में हस्तांतरित किया जा रहा है। हर विभाग मुझे यही बता रहा था कि उसके पास सूचना उपलब्ध नहीं है।’’
गांधी ने पिछले साल केंद्रीय सूचना आयोग में अपील दायर की। आयोग के आदेश के बाद आंतरिक सुरक्षा विभाग ने दावा किया कि उसे 13 पृष्ठों की रिपोर्ट मिली है लेकिन संलग्नक और दूसरे विवरण उपलब्ध नहीं हैं जिनकी मांग गांधी ने की थी।