नयी दिल्ली, तीन नवंबर । भारत सरकार के पास वोडाफोन मामले में अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता न्यायाधिकरण के फैसले के खिलाफ अपील करने को लेकर दिसंबर के अंतिम सप्ताह तक का समय है। न्यायाधिकरण ने ब्रिटेन की दूरसंचार कंपनी वोडाफोन समूह से भारतीय आयकर कानून में पिछली तिथि से प्रभावी एक संशोधन के तहत 22,100 करोड़ रुपये की वसूली के दावे को खारिज कर दिया है।
वित्त सचिव अजय भूषण पांडे ने कहा कि सरकार निर्णय के खिलाफ अपील करने से पहले सभी पहलुओं पर गौर कर रही है। उन्होंने पूर्व वित्त मंत्री अरूण जेटली के उस वादे पर कुछ कहने से इनकार किया कि पूर्व की तिथि से संबंधित मामलों में सरकार मध्यस्थता मंचों के निर्णयों का सम्मान करेगी।
पांडे ने कहा, ‘‘हम विभिन्न पहलुओं पर अभी गौर कर रहे हैं और उचित समय पर निर्णय किया जाएगा।’’
अपील करने की समय सीमा के सावाल पर उन्होंने कहा, ‘‘प्रत्येक मध्यस्थता आदेश में अपील करने के लिये 90 दिनों का समय होता है। इसीलिए हमारे पास निर्णय लेने के लिये समय है। हम उपयुक्त समय पर निर्णय करेंगे।’’
नरेंद्र मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में वित्त मंत्री रहे दिवंगत अरूण जेटली ने कई मौकों पर कहा था कि भाजपा सरकार पूर्व की तिथि से कर कानून का उपयोग कर कोई नई मांग नहीं करेगी। उन्होंने यह भी कहा था कि उन मामलों में मध्यस्थता निर्णय का सम्मान किया जाएगा जहां कंपनियों ने पहले की तिथि से कर कानून के जरिये कर मांग के पिछली सरकार के आदेश को चुनौती दी है।
वोडाफोन ने भारतीय आयकर कानून में 2012 के पूर्वक से प्रभावी संशोधन के जरिये भारत में अपने निवेश पर कर की मांग को मध्यस्थता न्यायाधिकरण में चुनौती दी थी। इस कानून से सरकार को पूर्व की तथि से कर लगाने का अधिकार मिला था। इसके तहत वोडाफोन के हच्चिसन व्हामपोआ के 2007 में मोबाइल फोन कारोबार में 67 प्रतिशत हिस्सेदारी 11 अरब डॉलर में अधिग्रहण सौदे को लेकर कर की मांग की गयी थी।
कंपनी ने नीदरलैंड-भारत द्वपिक्षीय निवेश संधि (बीआईटी)के तहत 7,990 करोड़ रुपये पूंजी लाभ कर (ब्याज और जुर्माना समेत 22,100 करोड़ रुपये) की मांग को चुनौती दी थी।
मध्यस्थ्ता न्यायाधिकरण ने कहा था कि उच्चतम न्यायालय के फैसले के बावजूद भारत का वोडाफोन से कर की मांग करना द्विपक्षीय निवेश संरक्षण संधि के तहत निष्पक्ष और समान व्यवहार की गारंटी का उल्लंघन है।
निर्णय के तहत सरकार को वोडाफोन को कानूनी खर्चे का 60 प्रतिशत और मध्यस्थ नियुक्त करने पर खर्च 6,000 यूरो में से आधे का भुगतान करना होगा।
सूत्रों के अनुसार कानूनी खर्च के मामले में सरकार को करीब 75 करोड़ रुपये देने पड़ सकते हैं।