उज्जैन 30 अप्रैल । विराट गुरुकुल सम्मेलन के अंतिम दिन ज्ञान यज्ञ सत्र में बोलते हुए रायपुर विश्वविद्यालय के कुलपति श्री जी. डी. शर्मा ने कहा की गुरुकुल की शिक्षा नकारात्मक ऊर्जा को दूर कर सकारात्मकता को बढ़ावा देती है। देश के अनेक विश्वविद्यालयों के साथ-साथ विश्व में ज्ञान व सत्ता की खोज की जा रही है। सत्य सार्वभौमिक है, तो विज्ञान भी सार्वभौमिक ही है। चरक संहिता में 3,500 रोगों के उपचार की विधि बताई गई है, किंतु इन विधियों को वैज्ञानिकता का जामा परीक्षण के बाद ही पहनाया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि अनेक विश्वविद्यालयों ने च्वाइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम लागू किया है। इस देश में कोई भी वस्तु एकतरफा लागू नहीं की जा सकती, इसलिए शिक्षा को व्यक्ति की इच्छा पर छोड़ा जाना चाहिए।
उन्होंने बताया कि वैदिक गणित को लोकप्रिय बनाने के लिए कई विश्वविद्यालयों में प्रयोग किए जा रहे हैं। गुरुकुल के माध्यम से अनुशासन, चरित्र निर्माण एवं प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग करना सिखाया जा रहा है।
श्री शर्मा ने कहा कि आज यह प्रश्न सामने खड़ा है कि गुरुकुल शिक्षा व आधुनिक शिक्षा का समन्वय कैसे किया जाए। देश भर में 840 विश्वविद्यालय एवं 42,000 महाविद्यालय हैं। इनमें से कुछ महाविद्यालयों में गुरुकुल शिक्षा को अपनाया गया है, किंतु वह नगण्य है।
उन्होंने बताया कि विवेकानंद ने कहा था कि हिंदुस्तान ही विश्व को आध्यात्मिक ज्ञान दे सकता है। वर्तमान में देखा गया है कि हिंदुस्तान में वैदिक संस्कृति से पढ़े हुए बच्चों में कांशियसनेस की शक्ति उच्चता पर है। गुरुकुल शिक्षा पद्धति निश्चित रूप से श्रेष्ठ है और इसे बढ़ावा दिया जाना चाहिए।
ज्ञान यज्ञ सत्र में थाईलैंड से पधारे संस्कृतविद् डेविड, जिन्हें सुनील नाम दिया गया है, ने बताया की गुरुकुल की महिमा बहुत महान है। उन्होंने कहा कि भारत ही एकमात्र अग्रगामी देश था, जिसने विश्व में ज्ञान-विज्ञान के प्रकाश को फैलाया। वैदिककालीन समाज प्रीति मूलक समाज था। वैदिक काल में स्त्रियों को भी शिक्षा प्रदान की जाती थी। वर्तमान में नैतिक शिक्षा नहीं होने के कारण समाज में अपराध व हिंसा बढ़ रही है। गुरुकुल व्यवस्था को वर्तमान समाज में पुनः स्थापित करना आज के युग में आवश्यक प्रतीत हो रहा है।
उन्होंने कहा कि गुरुकुल सम्मेलन में आकर अत्यंत प्रसन्नता हो रही है। श्री सुनील ने कहा कि शिक्षा ही मानवता को उच्च शिखर तक ले जा सकती है।
हेमचंद्र आचार्य आश्रम साबरमती अहमदाबाद के गुरुकुल प्रमुख श्री दीप कोईराला ने संबोधित करते हुए कहा की गुरुकुल मुख्यधारा की शिक्षा कैसे बने इस विषय पर गहन चिंतन की आवश्यकता है। वर्तमान में नेपाल में 250 गुरुकुल तथा म्यानमार में 750 गुरुकुल हैं । इन सभी देशों के आचार्यों से संवाद कर यह बात ध्यान में आई है कि आचार्य एवं संचालकों में आत्मविश्वास की कमी है। ऋषिकालीन परंपरा के द्वारा संचालन पक्ष की कमी दूर की जा सकती है।
उन्होंने कहा कि गुरुकुल में अंग्रेजी की आवश्यकता है, तो अंग्रेजी भाषा का ज्ञान भी दिया जाना चाहिए। श्री कोईराला ने बताया कि गुरुकुल में 64 विद्या एवं 16 कलाओं की शिक्षा दी जाती है।
श्री कोईराला ने कहा कि आमतौर पर लोग समझते हैं कि गुरुकुल में युगानुकूल शिक्षा नहीं दी जाती है, जबकि वहां पर कंप्यूटर, अन्य टेक्नोलॉजी एवं गणित आदि की शिक्षा दी जा रही है। गुरुकुल में हम यह सिखाते हैं कि इंटरनेट का प्रयोग किस प्रकार करना है। आधुनिक का अर्थ पश्चात नहीं नूतन है। जो नए गुरुकुल खुल रहे हैं वे सभी आधुनिक गुरुकुल हैं।
भूटान से आए संस्कृतविद् श्री योगेंद्र भट्टाराई ने कहा कि वह दक्षिण भूटान में रहते हैं और वहां पर छोटे-छोटे गुरुकुलों का संचालन करते हैं। भारत में आकर एवं पढ़कर अपनी संस्कृति को बचाए हुए हैं। उन्होंने भारत सरकार से आशा की कि वह उनके देश में गुरुकुल शिक्षा एवं सांस्कतिक परंपराओं को बढ़ावा देने के लिए सहयोग करें।
कार्यक्रम में श्री बनवारीलाल जी ने भी सम्बोधित किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता स्वामी गोविन्द गिरी महाराज द्वारा की गई।attacknews.in