नयी दिल्ली, एक सितंबर । जैन मुनि तरुण सागर महाराज का शनिवार तड़के दिल्ली के राधापुरी जैन मंदिर में निधन हो गया। वह 51 वर्ष के थे।
भारतीय जैन मिलन के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा, ‘‘वह स्वस्थ नहीं चल रहे थे और उन्हें वैशाली के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। कुछ दिन पहले उन्होंने कृष्णा नगर के राधापुरी मंदिर आने का फैसला किया था जहां शनिवार तड़के करीब 3:18 बजे उनका निधन हो गया।’’
अधिकारी ने कहा, ‘‘हमें सुबह करीब 6 बजे उनके निधन के बारे में जानकारी मिली और फिर कई लोग उनके अंतिम दर्शन के लिए पहुंचे। जिस मंदिर में उनका निधन हुआ, वह श्रद्धालुओं से भरा हुआ था। हमने अपने समाज के एक नेता को खो दिया है।’’
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने जैन मुनि के निधन पर शोक जताया।
मोदी ने ट्वीट किया, ‘‘मुनि तरुण सागर जी महाराज के असमय निधन से बहुत दुखी हूं। उनके समृद्ध आदर्शों, करुणा और समाज के प्रति योगदान के लिए हम उन्हें हमेशा याद रखेंगे। उनकी नेक शिक्षाएं लोगों को प्रेरित करती रहेंगी। जैन समुदाय और उनके असंख्य अनुयायियों के साथ मेरी संवेदनाएं।’’
गृह मंत्री ने ट्वीट किया कि जैन मुनि के निधन से वह स्तब्ध हैं। उन्होंने कहा, ‘‘मैं उनके चरणों में अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं।’’
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने तरुण सागर महाराज के निधन पर शोक प्रकट किया।
उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘मुनि तरुण सागर जी महाराज के दुखद निधन की खबर सुनकर दुखी हूं। उनकी शिक्षा और आदर्श हमेशा मानव समाज को प्रेरित करते रहेंगे।’’
कांग्रेस पार्टी ने भी ट्वीट कर शोक जताया।
तरुण सागर जी महाराज परिचय
पूर्व नाम :
श्री पवन कुमार जैन
जन्म तिथि :
२६ जून, १९६७, ग्राम
गृह जिला:
(जि.दमोह ) म. प्र.
माता-पिता :
महिलारत्न श्रीमती शांतिबाई जैन एव श्रेष्ठ श्रावक श्री प्रताप चन्द्र जी जैन
लौकिक शिक्षा :
माध्यमिक शाला तक
गृह – त्याग :
८ मार्च , १९८१
शुल्लक दीक्षा :
१८ जनवरी , १९८२, अकलतरा ( छत्तीसगढ़) में
मुनि- दीक्षा :
२० जुलाई, १९८८, बागीदौरा (राज.)
दीक्षा – गुरु
यूगसंत आचार्य पुष्पदंत सागर जी मुनि
लेखन :
हिन्दी
बहुचर्चित कृति :
मृत्यु- बोध
मानद-उपाधि : ‘
प्रज्ञा-श्रमण आचार्यश्री पुष्पदंत सागरजी द्वारा प्रदत
प्रख्यायती :
क्रांतिकारी संत
कीर्तिमान :
आचार्य भगवंत कुन्दकुन्द के पश्चात गत दो हज़ार वर्षो के इतिहास मैं मात्र १३ वर्स की वय में जैन सन्यास धारण करने वाले प्रथम योगी |
:
रास्ट्र के प्रथम मुनि जिन्होंने लाल किले (दिल्ली) से सम्बोधन |
जी.टी.वी. के माध्यम से भारत सहित १२२ देशों में महावीर – वाणी ‘ के विश्व -व्यापी प्रसारण की ऐतिहासिक सुरुआत करने का प्रथम श्रेय |
मुख्य – पत्र :
अहिंसा – महाकुम्भ (मासिक)
आन्दोलन :
कत्लखानों और मांस -निर्यात के विरोध में निरंतर
अहिंसात्मक रास्ट्रीय आन्दोलन |
सम्मान :
६ फरवरी ,२००२ को म.प्र. शासन द्वारा’ राजकीय अतिथि ‘ का दर्जा |
२ मार्च , २००३ को गुजरात सरकार द्वारा ‘ राजकीय अतिथि ‘का सम्मान |
साहित्य :
तीन दर्जन से अधिक पुस्तके उपलब्ध और उनका हर वर्स लगभग दो लाख प्रतियों का प्रकाशन |
रास्ट्रसंत :
म. प्र. सरकार द्वारा २६ जनवरी , २००३ को दशहरा मैदान , इन्दोर में
संगठन :
तरुण क्रांति मंच .केन्द्रीय कार्यालय दिल्ली में देश भर में इकाईया
प्रणेता :
तनाव मुक्ति का अभिनव प्रयोग ‘ आंनंद- यात्रा ‘ कार्यक्रम के प्रणेता
पहचान :
देश में सार्वाधिक सुने और पढ़े जाने वाले तथा दिल और दिमाग को झकझोर देने वाले अद्भुत प्रवचन | अपनी नायाब प्रवचन शैली के लिए देशभर में विख्यात जैन मुनि के रूप में पहचान |
मिशन :
भगवान महावीर और उनके सन्देश ” जियो और जीने दो ” का विश्व व्यापी प्रचार-प्रसार एवम जीवन जीने की कला प्रशिक्षण |
कहा जाता है कि इन्होंने 8 मार्च 1981 में घर छोड़ दिया था।
इनकी शिक्षा-दीक्षा छत्तीसगढ़ में हुई है।
इनके प्रवचन की वजह से इन्हें ‘क्रांतिकारी संत’ का तमगा मिला हुआ है।
इन्हें 6 फरवरी 2002 को म.प्र. शासन द्वारा’ राजकीय अतिथि ‘ का दर्जा मिला।
2 मार्च 2003 को गुजरात सरकार ने उन्हें ‘राजकीय अतिथि’ के सम्मान से नवाजा।
‘तरुण सागर’ ने ‘कड़वे प्रवचन’ के नाम से एक बुक सीरीज स्टार्ट की है, जिसके लिए वो काफी चर्चित रहे हैं।attacknews.in