कानपुर/नईदिल्ली ,21 जुलाई ।उत्तर प्रदेश में कानपुर के चौबेपुर के बिकरू गांव में दो जुलाई की रात आठ पुलिसकर्मियों की हत्या करने वाला दुर्दांत विकास दुबे का एक और आडियो वायरल हुआ है जिसमें उसने चौबेपुर थाने के एक सिपाही को बड़ा कांड करने की चेतावनी दी थी।
पुलिस सूत्रों ने मंगलवार को बताया कि विकास और चौबेपुर के सिपाही के बीच बातचीत का एक आडियो वायरल हुआ है जिसमें उसने पुलिस क्षेत्राधिकारी देवेन्द्र मिश्र और दबिश देने वाले पुलिसकर्मियों के सफाये की धमकी दी थी। इस आडियो से साफ हो गया है कि दबिश से पहले थाने से विकास के पास फोन गया था और उसे पुलिस कार्यवाही की सूचना दी गयी थी।
दुबे मुठभेड़: याचिकाकर्ता ने सेवानिवृत्त जजों के नामों की सूची सौंपी
इधर उत्तर प्रदेश में कानपुर के दुर्दांत अपराधी विकास दुबे और उसके गुर्गों की पुलिस-मुठभेड़ की स्वतंत्र जाँच की माँग कर रहे एक याचिकाकर्ता ने मंगलवार को उच्चतम न्यायालय में एक अर्जी सौंपी है जिनमें नये जाँच आयोग में शामिल किये जा सकने वाले पूर्व न्यायाधीशों के नाम प्रस्तावित हैं।
याचिकाकर्ताओं में से एक घनश्याम उपाध्याय ने अपनी अर्जी में उच्चतम न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश तीरथ सिंह ठाकुर और न्यायमूर्ति आर.एम. लोढ़ा के अलावा हाल ही में ही सेवानिवृत्त न्यायाधीश- न्यायमूर्ति आर. भानुमति, न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता, न्यायमूर्ति अनिल आर. दवे, न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ, न्यायमूर्ति एफ.एम.आई. कलीफुल्ला, न्यायमूर्ति ए.के. पटनायक, न्यायमूर्ति के.पी.एस. राधाकृष्णन, न्यायमूर्ति विक्रमजीत सेन और न्यायमूर्ति एच.एल. गोखले के नाम भी दिये हैं।
याचिकाकर्ता का कहना है कि उक्त प्रस्तावित नामों में से किसी भी सेवानिवृत्त न्यायाधीश का नाम विकास दुबे एवं उसके गुर्गों की पुलिस-मुठभेड़ की जाँच के लिए प्रस्तावित नये आयोग में जोड़ा जा सकता है।
गौरतलब है कि शीर्ष अदालत ने राज्य सरकार द्वारा गठित न्यायिक आयोग को पुनर्गठित करने के संकेत दिये थे। आयोेग में एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश और एक सेवानिवृत्त वरिष्ठ पुलिस अधिकारी को शामिल किया जाना है।
विकास दुबे मुठभेड़ मामले में न्यायिक आयोग को पुनर्गठित करेगा सुप्रीम कोर्ट:
इससे पहले कल उच्चतम न्यायालय ने कहा था कि, उत्तर प्रदेश के दुर्दांत अपराधी विकास दुबे के मुठभेड़ मामले की जांच के लिए राज्य सरकार की ओर से गठित न्यायिक आयोग को पुनर्गठित करेगा और इस बारे में बुधवार को आदेश जारी करेगा।
मुख्य न्यायाधीश शरद अरविंद बोबडे, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रमासुब्रमण्यम की खंडपीठ ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पेश हरीश साल्वे की दलीलें सुनने के बाद कहा कि वह राज्य सरकार की ओर से गठित जांच आयोग का पुनर्गठन करके उसमें शीर्ष अदालत के एक पूर्व न्यायाधीश और सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी को जोड़ेगी।
राज्य सरकार ने जांच आयोग के पुनर्गठन को लेकर हामी भरी, उसके बाद न्यायालय ने बुधवार को सुनवाई की तारीख मुकर्रर करते हुए श्री मेहता को संबंधित अधिसूचना का मसौदा उस दिन पेश करने का निर्देश दिया। खंडपीठ ने कहा कि वह मसौदा देखने के बाद आदेश जारी करेगी।
न्यायालय पेशे से वकील घनश्याम उपाध्याय, अनूप प्रकाश अवस्थी, विवेक तिवारी के अलावा गैर-सरकारी संगठन पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज (पीयूसीएल) तथा कुछ अन्य याचिकाकर्ताओं की याचिकाओं की संयुक्त सुनवाई कर रही थी।
विकास दुबे मुठभेड़ : न्यायालय ने जांच समिति में शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश को शामिल करने पर विचार करने को कहा
उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को उत्तर प्रदेश सरकार से कहा कि कुख्यात अपराधी विकास दुबे की मुठभेड़ की जांच के लिये गठित समिति में शीर्ष अदालत के एक पूर्व न्यायाधीश और सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी को शामिल करने पर विचार करे।
उत्तर प्रदेश सरकार ने उच्चतम न्यायालय को बताया कि वह जांच समिति के बारे में दिये गये सुझावों को शामिल करके नयी अधिसूचना का मसौदा 22 जुलाई को पेश कर देगी।
शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि एक अपराधी के खिलाफ इतने मामले दर्ज होने के बावजूद उसे जमानत मिलने से वह “स्तब्ध” है।
प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ उन याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी जिनमें दुबे और उसके कथित सहयोगियों की मुठभेड़ों की अदालत की निगरानी में जांच कराने का अनुरोध किया गया है। पीठ ने उत्तर प्रदेश सरकार से कहा कि उसे ‘‘कानून का शासन बनाये रखना होगा।’’
शीर्ष अदालत ने कहा, “एक राज्य के तौर पर आपको कानून का शासन बरकरार रखना होगा। ऐसा करना आपका कर्तव्य है।”
पीठ ने कहा कि वह शीर्ष अदालत के किसी पीठासीन न्यायाधीश को जांच समिति का हिस्सा बनने के लिए उपलब्ध नहीं करा सकती।
उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से सालिसटीर जनरल तुषार मेहता ने पीठ से कहा कि उन्हें इस मुद्दे पर आवश्यक निर्देश प्राप्त करने और उससे न्यायालय को अवगत कराने के लिये कुछ वक्त चाहि।
पीठ ने सॉलीसीटर जनरल से कहा कि अगर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री कोई बयान देते है और इसके बाद कुछ होता है तो आपको इस पर गौर करना होगा।
पीठ ने कहा, “हम इस बात से चकित हैं कि विकास दुबे जैसे व्यक्ति को इतने सारे मामलों के बावजूद जमानत मिल गई।”
पीठ ने कहा, “यह संस्थान की विफलता है कि जिस व्यक्ति को जेल की सलाखों के पीछे होना चाहिए, उसे जमानत मिली।”
कानपुर के चौबेपुर इलाके के बिकरू गांव में तीन जुलाई की मध्यरात्रि दुबे को गिरफ्तार करने गई पुलिस की टीम पर घात लगाकर हमला कर दिया गया था जिसमें डीएसपी देवेंद्र मिश्रा समेत आठ पुलिसकर्मियों की मौत हो गई थी।
पुलिस के मुताबिक दुबे की 10 जुलाई की सुबह हुई मुठभेड़ में मौत हो गई थी जब उसे उज्जैन से कानपुर ले जा रहा पुलिस वाहन भौती इलाके में दुर्घटनाग्रस्त हो गया था और उसने मौके से भागने की कोशिश की थी।
मुठभेड़ में दुबे के मारे जाने से पहले उसके सभी पांच कथित सहयोगियों को अलग-अलग मुठभेड़ में मार गिराया गया था।
बिकरू कांड के विकास का साथी जय गिरफ्तार
उधर कानपुर से खबर है कि ,उत्तर प्रदेश के कानपुर में दो जुलाई को आठ पुलिस वालों के हत्यारे और पुलिस मुठभेड़ में मारे गये विकास के साथी जय बाजपेई और उसके एक दोस्त को पुलिस ने रविवार देर रात गिरफ्तार कर लिया ।
पुलिस ने जय पर घटना के दो दिन पहले विकास दुबे को दो लाख रुपये और 25 कारतूस देने के आरोप समेत कई धाराओं में देर रात नजीराबाद थाने में मुकदमा दर्ज किया गया है ।