लखनऊ, दो सितम्बर । उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर में हाल में एक प्राथमिक स्कूल में मध्याह्न भोजन योजना के तहत बच्चों को नमक—रोटी खिलाये जाने की खबर छापने वाले पत्रकार और ग्राम प्रधान के प्रतिनिधि समेत कई लोगों के खिलाफ सरकार की छवि खराब करने के ‘कुत्सित प्रयास’ का मुकदमा दर्ज किया गया है।
मामले में आरोपी पत्रकार ने खुद पर लगे आरोपों को गलत बताते हुए कहा है कि खबर में कुछ भी बनावटी नहीं है और उन पर मुकदमा दर्ज किया जाना पत्रकारिता पर हमला है।
पुलिस विभाग के एक वरिष्ठ अफसर ने सोमवार को बताया कि एक हिन्दी दैनिक अखबार के स्थानीय पत्रकार पवन कुमार जायसवाल, सिऊर गांव के प्रधान के प्रतिनिधि राजकुमार पाल तथा अन्य अज्ञात लोगों के खिलाफ साजिश रचने, सरकारी काम में बाधा डालने, झूठी बातों को तथ्य के तौर पर पेश करने और धोखाधड़ी कर सरकार की छवि खराब करने के ‘कुत्सित प्रयास’ के आरोप में अहिरौरा थाने में मुकदमा दर्ज किया गया है।
यह मुकदमा पिछली 31 अगस्त को खण्ड शिक्षाधिकारी प्रेम शंकर राम की तहरीर पर दर्ज किया गया है। मुकदमे में आरोप लगाया गया है कि पत्रकार पवन ने सोची—समझी साजिश के तहत स्कूल में वीडियो तैयार किया ताकि सरकार को बदनाम किया जा सके।
इस बीच, आरोपी पत्रकार ने इस मामले में अपना पक्ष रखते हुए कहा कि वह दिल्ली के एक अखबार में संवाददाता हैं। उन्हें स्कूल में मध्याह्न भोजन वितरण में कई खामियों की सूचना मिली थी। यह भी पता चला था कि स्कूल में बच्चों को कभी—कभी नमक—रोटी और नमक—चावल भी दिये जाते हैं।
पवन ने बताया ‘गत 22 अगस्त को मुझे किसी ने फोन करके बुलाया तो मैं वहां खबर के मकसद से पहुंचा और अपर बेसिक शिक्षा अधिकारी बृजेश कुमार सिंह को इस बारे में जानकारी देते हुए खुद के स्कूल जाने की बात बतायी। मैंने दोपहर 12 बजकर 7 मिनट पर पहला वीडियो बनाया और अपने साथियों को इस बारे में बताया, जिन्होंने जिलाधिकारी को घटना से अवगत कराया।’
उन्होंने कहा कि जिलाधिकारी ने खबर प्रसारित होने से पहले मामले की जांच करायी और कई कर्मियों को निलम्बित भी किया। बाद में मामला हाई प्रोफाइल हो गया और खुद को बचाने के लिये मुझ पर कई मुकदमे दर्ज करा दिये गये। यह पत्रकारिता पर हमला है। आप खबर देखकर खुद ही जांच सकते हैं। उसमें कुछ भी बनावटी नहीं है। मैंने अधिकारियों को सबकुछ बताया था।
इस बीच, समाजवादी पार्टी ने स्कूल प्रशासन की गड़बड़ी उजागर करने वाले पत्रकार पर मुकदमा दर्ज किये जाने का विरोध करते हुए प्राथमिकी रद्द किये जाने की मांग की है।
पार्टी ने ट्वीट किया ‘मिर्जापुर में बच्चों के निवाले छीनने वालों का काला सच उजागर करने वाले पत्रकार पवन जायसवाल पर मुकदमा स्वतंत्र एवं निडर पत्रकारिता पर प्रहार है। सत्ता का अहंकार भरा ये कदम भ्रष्टाचार के संकल्प को सिद्ध करता है।समाजवादी पार्टी मांग करती है कि मुकदमा रद्द किया जाए।’ गौरतलब है कि गत 22 अगस्त को मिर्जापुर के जमालपुर विकास खण्ड स्थित सिऊर प्राथमिक विद्यालय की इस घटना का वीडियो वायरल होने के बाद जिला प्रशासन ने इसकी जांच करायी थी और प्रथम दृष्ट्या दोषी पाये जाने पर दो शिक्षकों मुरारी और अरविंद कुमार त्रिपाठी को निलम्बित किया था।
अब इसी मामले का खुलासा करने वाले पत्रकार तथा अन्य लोगों पर दर्ज मुकदमे में आरोप लगाया गया है कि ग्राम प्रधान के प्रतिनिधि राजकुमार को जानकारी थी कि घटना के दिन स्कूल में सिर्फ रोटी ही बनी है मगर उसने सब्जी का इंतजाम कराने के बजाय पत्रकार पवन जायसवाल को बुलाया, जिसने रसोइयों द्वारा बच्चों को केवल रोटी नमक खिलाते हुए वीडियो बना लिया और उसे एक इलेक्ट्रॉनिक मीडिया एजेंसी को भेज दिया।
उस वीडियो में एक महिला बच्चों को रोटी दे रही है और एक व्यक्ति उनकी थाली में नमक परोस रहा है।
मध्याह्न भोजन योजना के तहत परिषदीय स्कूलों में बच्चों को मेन्यू के हिसाब से दाल, चावल, रोटी, सब्जी, फल और दूध दिये जाने की व्यवस्था है, ताकि उन्हें बेहतर पोषण मिल सके।
इस योजना को इस तरह से तैयार किया गया है कि हर बच्चे को प्रतिदिन न्यूनतम 450 कैलोरी मिले। इसमें रोजाना 12 ग्राम प्रोटीन भी शामिल होना चाहिये। हर बच्चे को साल में कम से कम 200 दिन ऐसा भोजन दिया जाना चाहिये।
मिर्जापुर के प्राथमिक स्कूल की इस घटना से प्रदेश सरकार की आलोचना हुई थी।
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा था कि मिर्जापुर के स्कूल में मध्याह्न भोजन योजना के तहत रोटी और नमक दिया जा रहा है। भाजपा सरकार के जमाने में प्रदेश का यह हाल है।