लखनऊ 10 जनवरी । उत्तर प्रदेश के सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के चार अपर जिला सूचना अधिकारियों को इलाहाबाद उच्च न्यायालय के एक आदेश के बाद उनके मूल पदों पर वापस भेज दिया गया है। यह सभी 2014 में पदोन्नति पाकर अपर जिला सूचनाधिकारी बने थे।
आधिकारिक सूत्रों ने रविवार को बताया कि क्षेत्रीय प्रचार संगठन के तहत जिला सूचना कार्यालय बरेली में चपरासी के रूप में सेवारत नरसिंंह, फीरोजाबाद में चौकीदार के पद पर तैनात दयाशंकर, मथुरा के सिनेमा ऑपरेटर कम प्रचार सहायक विनोद कुमार शर्मा और भदोही में सिनेमा ऑपरेटर कम प्रचार सहायक के रूप में सेवारत अनिल कुमार सिंंह को उन्हीं के दफ्तर में 2014 में सेवा अवधि के आधार पर अपर जिला सूचना अधिकारी बना दिया गया था।
उत्तर प्रदेश के सूचना एवं जनसंपर्क विभाग में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी से प्रमोशन पाकर अपर जिला सूचना अधिकारी बने चार कर्मचारियों को इलाहाबाद हाई कोर्ट से तगड़ा झटका लगा है।
पहले की समाजवादी पार्टी सरकार में नियमों के विपरीत जाकर दिए गए इस प्रमोशन को गलत मानते हुए हाई कोर्ट ने चारों कर्मचारियों को अपने मूल पद पर लौटने का आदेश दिया है,इनमें से तीन कर्मचारियों को चपरासी तो एक को चौकीदार के पद पर तैनाती लेने के निर्देश जारी किए गए हैं।
जानकारी के मुताबिक, नियम विरुद्ध इन पदोन्नति को इलाहाबाद हाई कोर्ट में चुनौती दी गई थी।कोर्ट के आदेश पर यूपी सरकार ने फिर से चारों अधिकारियों को चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के अपने मूल पद पर लौटने के आदेश जारी कर दिए। पदावनत किए गए कर्मचारी मथुरा, बरेली, फिरोजाबाद और भदोही में तैनात हैं।
उत्तर प्रदेश श्रमजीवी पत्रकार यूनियन ने इन पर प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया में वाद दायर कर दिया था।इसे संज्ञान में लेकर प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया ने उत्तर प्रदेश के सूचना निदेशक और मथुरा डीएम सहित 6 लोगों को नोटिस जारी कर हाल ही में जवाब तलब किया था।
जिला सूचना कार्यालय में तैनात जिन चार अपर जिला सूचना अधिकारियों को पदावनत किया गया है. उनमें बरेली के नरसिंह को चपरासी, फिरोजाबाद के दयाशंकर को चौकीदार, मथुरा के विनोद कुमार शर्मा को सिनेमा ऑपरेटर कम प्रचार सहायक (चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी) और भदोही (संत कबीर नगर) के अनिल कुमार सिंह को सिनेमा ऑपरेटर कम प्रचार सहायक (चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी) बना दिया गया ,अभी तक यह इन जिलों में अपर जिला सूचना अधिकारी के पद पर तैनात थे। इनको वर्ष 2014 में पदोन्नति मिली थी. शिकायत के बाद जांच में यह नियम विरुद्ध मानी गई।