प्रयागराज 08 मार्च । नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के विरोध में प्रदर्शन के दौरान हिंसा के आरोपियों की होर्डिंग्स लगाने के मामले में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने नाराजगी जाहिर की है।
राज्य सरकार ने लखनऊ में 19 दिसंबर को हुई हिंसा में सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वाले लोगों के होर्डिंग्स लगाए थे। इस मामले में उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश गोविंद माथुर ने स्वतः संज्ञान लिया।
छुट्टी होने के बावजूद रविवार को चीफ जस्टिस माथुर और जस्टिस रमेश सिन्हा की बेंच ने इस पर सुनवाई की। बेंच ने कहा कथित सीएए विरोधी प्रदर्शनकारियों के पोस्टर लगाने की सरकार की कार्रवाई अन्यायपूर्ण है। यह संबंधित लोगों की निजी आजादी पर अतिक्रमण है।
गौरतलब है कि पिछले साल 19 दिसंबर को जुमे की नमाज के बाद लखनऊ के चार थाना क्षेत्रों में हिंसा फैली थी। ठाकुरगंज, हजरतगंज, केसरबाग और हसनगंज में तोड़फोड़ करने वालों ने कई गाड़ियां भी जला दी थीं। राज्य सरकार ने नुकसान की भरपाई उपद्रवियों से कराने की बात कही थी।
इसके बाद पुलिस ने फोटो-वीडियो के आधार पर 150 से ज्यादा लोगों को नोटिस भेजे। जांच के बाद प्रशासन ने 57 लोगों को सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का दोषी माना। इनसे करीब 88 लाख रुपए के नुकसान की भरपाई कराने की बात कही गई।
जिला प्रशासन ने पांच मार्च की रात को 57 आरोपियों के नाम, पते और तस्वीर वाले होर्डिंग लगा दिए। तोड़-फोड़ वाले इलाकों में यह कार्रवाई की गई थी।
होर्डिंग्स में हसनगंज, हजरतगंज, केसरबाग और ठाकुरगंज इलाकों के 57 लोगों से 88,62,537 रुपए वसूलने की बात भी कही गई थी। लखनऊ के डीएम अभिषेक प्रकाश ने कहा था कि अगर तय वक्त पर इन लोगों ने जुर्माना नहीं भरा, तो इनकी संपत्ति की कुर्की की जाएगी।