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उत्तरप्रदेश की 13 लोकसभा सीटों पर ऐसा है प्रत्याशियों का मिजाज और भाजपा के लिए नरेन्द्र मोदी- योगी आदित्यनाथ की प्रतिष्ठा दांव पर attacknews.in

लखनऊ, 19 मई । उत्तर प्रदेश में सातवें और अंतिम चरण में रविवार को 13 लोकसभा सीटों पर होने वाले चुनाव में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है।

बिहार से सटी पूर्वांचल की इन सीटों में वाराणसी ,गोरखपुर और गाजीपुर अहम है जहां से क्रमश: श्री मोदी, भारतीय जनता पार्टी उम्मीदवार और भोजपुरी अभिनेता रवि किशन तथा रेल राज्य मंत्री मनोज सिन्हा उम्मीदवार हैं।

इस चुनाव में समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) गठबंधन के तहत चुनाव लड़ रही है जबकि भाजपा का अपना दल से तालमेल है। पिछले चुनाव में सपा और बसपा ने अलग-अलग चुनाव लड़ा था जिसका लाभ भाजपा को मिला था ।

वर्ष 2014 के आम चुनाव में इन सभी सीटों पर भाजपा और उसके सहयोगी दलों के उम्मीदवारों की जीत हुई थी। पिछले चुनाव में गोरखपुर से भाजपा के योगी आदित्यनाथ निर्वाचित हुए थे, लेकिन उनके मुख्यमंत्री बनने के बाद हुए उपचुनाव में भाजपा यहां से पराजित हो गई थी।

वाराणसी में श्री मोदी का कांग्रेस के अजय राय तथा गठबंधन की शालिनी यादव से मुख्य मुकाबला है। पिछले चुनाव में श्री मोदी पांच लाख 81 हजार से अधिक वोट लाकर आम आदमी पार्टी (आप) के उम्मीदवार अरविंद केजरीवाल को पराजित किया था। श्री केजरीवाल को दो लाख नौ हजार से अधिक वोट मिले थे। कांग्रेस के अजय राय को 75 हजार 614 , बसपा के अजय प्रकाश जायसवाल को 60579 तथा सपा के कैलाश चौरसिया को 45 हजार 291 वोट मिले थे। श्री मोदी ने खुद चुनाव प्रचार और रोड शो किया है जबकि कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी यहां रोड शो कर मुकाबले को रोचक बना दिया है। गठबंधन के शीर्ष नेताओं ने भी अपने उम्मीदवारों के लिए ऐड़ी चोटी का जोर लगा दिया है। प्रधानमंत्री के पक्ष में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और अनेक केन्द्रीय मंत्रियों ने चुनाव प्रचार किया है।

गोरक्षपीठ को लेकर चर्चित गोरखपुर सीट पर 2018 में हुए उपचुनाव में भाजपा के उपेन्द्र दत्त शुक्ला पराजित हो गये थे और समाजवादी पार्टी (सपा) के उम्मीदवार प्रवीण कुमार निषाद ने जीत दर्ज की थी। बहुजन समाज पार्टी(बसपा) ने इस चुनाव में सपा का समर्थन किया था। श्री निषाद को चार लाख 56 हजार से अधिक और श्री शुक्ला को चार लाख 34 हजार से अधिक मत आये थे। कांग्रेस की सुरहीला करीम की जमानत जब्त हो गई थी । श्री निषाद इस चुनाव से पहले सपा छोड़कर भाजपा में शामिल हो गये थे। सपा ने इस बार यहां से राम भुआल निषाद को प्रत्याशी बनाया है जबकि कांग्रेस के मधूसुदन त्रिपाठी मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने के प्रयास में जुटे हैं। याेगी आदित्यनाथ इस सीट से 1998 से लगातार पांच बार सांसद रहे हैं और यह सीट गोरक्षपीठ से जुड़ी रही है , जिसके कारण भी मुख्यमंत्री की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। इससे पहले 1989 से 1996 तक लगातार तीन बार भाजपा के महंत अवैद्यनाथ निर्वाचित हुए थे।

गाजीपुर सीट भाजपा उम्मीदवार मनोज सिन्हा चलते महत्वपूर्ण बन गयी है। श्री सिन्हा का इतिहास इस सीट पर एक बार जीतने और दूसरी बार हारने का रहा है। वह सबसे पहले 1996 में निर्वाचित हुए थे ,लेकिन 1998 में सपा के ओम प्रकाश सिंह से हार गये थे। वर्ष 1999 में श्री सिन्हा फिर यहां से जीत गये लेकिन 2004 के चुनाव में वह सपा के अफजाल अंसारी से हार गये । वर्ष 2009 में इस सीट से सपा के राधे मोहन सिंह चुने गये थे जबकि 2014 में श्री सिन्हा फिर भाजपा के टिकट पर विजयी हुए । सपा-बसपा गठबंधन की ओर से इस बार अफजाल अंसारी चुनाव मैदान में हैं जबकि कांग्रेस ने यहां अजीत कुशवाहा को प्रत्याशी बनाया है।

महराजगंज सीट पर 1991 से 1998 तक भाजपा का कब्जा था और इसके बाद 2004 और 2014 के चुनावों में भी उसके उम्मीदवार जीतने में सफल रहे। भाजपा के पंकज चौधरी 1991,1996 और 1998 में निर्वाचित हुये थे। वर्ष 1999 के चुनाव में इस सीट पर सपा के अखिलेश सिंह चुने गये थे लेकिन इसके बाद 2004 में हुये चुनाव में भाजपा के पंकज चौधरी ने फिर इस पर कब्जा कर लिया था। वर्ष 2009 के चुनाव में लम्बे अंतराल के बाद कांग्रेस के हर्षवर्धन जीतने में कामयाब रहे थे । पिछले चुनाव में भाजपा के पंकज चौधरी ने 471000 से अधिक वोट लाकर बसपा के काशीनाथ शुक्ला को पराजित किया था। इस चुनाव में सपा और बसपा अलग-अलग चुनाव लड़ी थी और दोनों पार्टियों को दो-दो लाख से अधिक वोट मिले थे। इस बार भाजपा ने पंकज चौधरी को, कांग्रेस ने सुप्रिया श्रीनेत को तथा सपा ने पूर्व सांसद अखिलेश सिंह को उम्मीदवार बनाया है।

देवरिया सीट पर भाजपा ने लम्बे समय तक प्रतिनिधित्व किया है। पिछले चुनाव में यहां से चार लाख 96 हजार से अधिक वोट लाकर चुनाव जीतने वाले कलराज मिश्र को भाजपा ने इस बार अधिक उम्र के कारण उम्मीदवार नहीं बनाया है। यहां से पार्टी के पुराने नेता रमापतिराम त्रिपाठी को टिकट दिया है, जिनका मुकाबला बसपा के विनोद कुमार जायसवाल और कांग्रेस के नियाज अहमद से मुख्य रुप से है। पिछले चुनाव में बसपा के नियाज अहमद को दो लाख 31 हजार और सपा के बालेश्वर यादव को डेढ़ लाख से अधिक वोट मिले थे। कांग्रेस उम्मीदवार सभा कुंवर 37752 वोट ला पाये थे।

परिसीमन के बाद कुशीनगर लोकसभा क्षेत्र का गठन किया गया है। पिछले चुनाव में इस सीट पर भाजपा के राजेश पांडेय तीन लाख 70 हजार से अधिक वोट लाकर निर्वाचित हुये थे। बसपा के संजय मिश्र को यहां एक लाख 32 हजार से अधिक तथा सपा के श्री राधेश्याम सिंह को एक लाख 11 हजार से अधिक मत मिले थे। कांग्रेस के रतनजीत प्रताप नारायण सिंह दो लाख 84 हजार से अधिक वोट लाकर दूसरे स्थान पर रहने में कामयाब रहे थे। इस बार के चुनाव में भाजपा ने राजेश पाण्डे का टिकट काटकर विजय कुमार दूबे को उम्मीदवार बनाया है । कांग्रेस ने रतनजीत प्रताप नारायण सिंह को उम्मीदवार बनाया है जबकि गठबंधन ने नथुनी प्रसाद कुशवाह को प्रत्याशी बनाया है ।

कभी वामपंथियों की गढ़ रही घोसी लोकसभा सीट पर 2014 के चुनाव भाजपा के हरिनारायण राजभर विजयी हुए थे और पार्टी ने इस बार फिर उन्हें उम्मीदवार बनाया है। गठबंधन की ओर से अतुल राय जबकि कांग्रेस ने पूर्व सांसद बालकृष्ण चौहान को चुनाव मैदान में उतारा है। पिछले चुनाव में श्री राजभर को तीन लाख 79 हजार से अधिक वोट आये थे जबकि बसपा प्रत्याशी दारा सिंह को दो लाख 33 हजार और सपा प्रत्याशी राजीव कुमार राय को एक लाख 65 हजार से अधिक मत मिले थे। पिछले चुनाव में बाहुबली मुख्तार अंसारी को एक लाख 66 से अधिक वोट मिले थे ।

सलेमपुर सीट पर 2014 में भाजपा के रविन्द्र कुशवाहा निर्वाचित हुए थे और पार्टी ने इस बार भी उन्हें उम्मीदवार बनाया है। गठबंधन की ओर से बसपा के प्रदेश अध्यक्ष आर एस कुशवाहा तथा कांग्रेस ने पूर्व सांसद राजेश मिश्र को चुनाव मैदान में उतारा है। पिछले चुनाव में श्री कुशवाहा को तीन लाख 92 हजार से अधिक जबकि बसपा के रविशंकर सिंह को एक लाख 59 हजार तथा सपा के हरिवंश सहाय कुशवाहा को एक लाख 58 हजार से अधिक वोट आये थे। इस सीट पर कांग्रेस के भोला पाण्डेय 41 हजार से अधिक वोट ला सके थे।

पूर्व प्रधानमंत्री चन्द्रशेखर को लेकर चर्चित रही बलिया सीट पर 1977 के जनता लहर में वह लोकदल के टिकट पर निर्वाचित हुए थे। इसके बाद 1989 से 2004 तक इस सीट पर अलग-अलग दलों के उम्मीदवार के रुप में उनका कब्जा रहा। पिछले चुनाव में भाजपा के भरत सिंह ने तीन लाख 59 हजार से अधिक वोट लाकर सपा उम्मीदवार नीरज शेखर को पराजित कर दिया था। इस बार भाजपा ने भरत सिंह को टिकट नहीं दिया है और उसने सांसद वीरेन्द्र सिंह को उम्मीदवार बनाया है। गठबंधन की ओर से यहां से सनातन पाण्डे उम्मीदवार हैं ।

मिर्जापुर सीट पर भाजपा की सहयोगी अपना दल की उम्मीदवार अनुप्रिया पटेल चुनाव मैदान में हैं। गठबंधन ने रामचरित्र निषाद को तथा कांग्रेस ने ललितेश त्रिपाठी को चुनाव मैदान में उतारा है। वर्ष 2014 के चुनाव अनुप्रिया पटेल ने चार लाख 36 हजार से अधिक वोट लेकर बसपा के समुद्र बिंद को पराजित किया था। मिर्जापुर सीट पर 1984 के बाद हुए चुनाव में अधिकतर सपा और बसपा का ही कब्जा रहा है। वर्ष 1991 और 1998 में इस सीट पर भाजपा का कब्जा रहा था।

बांसगांव सीट पर भाजपा ने कमलेश पासवान को फिर से उम्मीदवार बनाया है जबकि गठबंधन ने सदल प्रसाद को उम्मीदवार बनाया है। पिछले चुनाव में श्री पासवान निर्वाचित हुए थे जबकि सदल प्रसाद दूसरे स्थान पर रहे थे और सपा को तीसरा स्थान मिला था।

राॅबट्सगंज सीट पर भाजपा ने सांसद छोटे लाल खरवार का टिकट काटकर यह सीट अपना दल के लिए छोड़ दी है,जहां से पकौड़ी लाल उम्मीदवार हैं । पकौड़ी लाल 2009 के चुनाव में सपा के टिकट पर निर्वाचित हुए थे । गठबंधन ने इस बार भाईलाल कोल को तथा कांग्रेस ने भगवती प्रसाद चौधरी को उम्मीदवार बनाया है। पिछले चुनाव में इस सीट पर भाजपा के छोटेलाल खरवार निर्वाचित हुए थे।

चंदौली सीट पर भाजपा ने महेन्द्र नाथ पाण्डे को उम्मीदवार बनाया है जबकि सपा-बसपा गठबंधन ने संजय चौहान को चुनाव मैदान में उतारा है । कांग्रेस ने पूर्व मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा की पत्नी शिवकन्या कुशवाहा को उम्मीदवार बनाया है । इस सीट पर पिछले चुनाव में श्री पाण्डे भाजपा के टिकट पर चार लाख 14 हजार से अधिक वोट लाकर निर्वाचित हुए थे । चंदौली सीट पर 1991 से 1998 तक भाजपा के आनंद रतन मौर्य का कब्जा था,लेकिन 1999 में हुए चुनाव में यहां से सपा के जवाहर लाल जायसवाल निर्वाचित हुए थे । वर्ष 2004 में इस सीट पर बसपा के कैलाश नाथ सिंह यादव विजयी हुए थे जबकि इसके बाद 2009 में हुए चुनाव में सपा ने कब्जा कर लिया था। वर्ष 1977 में इस सीट पर लोकदल का तथा 1980 में जनता पार्टी का कब्जा था। वर्ष 1984 में इस सीट पर कांग्रेस के चन्द्र त्रिपाठी निर्वाचित हुए थे।

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