चमोली/देहरादून, 09 फरवरी। उत्तराखंड के चमोली जनपद में रविवार सुबह ग्लेशियर टूटने से आई जल आपदा में लापता कुल 206 व्यक्तियों में से 32 शव बरामद हो गये हैं जबकि 174 लापता लोगों की तलाश जारी है।
राज्य आपदा नियंत्रण केन्द्र की ओर से जारी बुलेटिन के अनुसार बरामद 32 शवों में से सात की शिनाख्त हो चुकी है, जबकि 25 अज्ञात हैं। अभी तक मिली श्रमिकों और ग्रामीणों की सूची के अनुसार 174 व्यक्तियों की तलाश लगातार जारी है।
उत्तराखंड के चमोली जिले में ऋषिगंगा घाटी में आई बाढ़ में मरने वालों की संख्या मंगलवार को 32 तक पहुंच गई जबकि एनटीपीसी की क्षतिग्रस्त तपोवन—विष्णुगाड जलविद्युत परियोजना की सुरंग में फंसे 30—35 लोगों को बाहर निकालने के लिए सेना, राष्ट्रीय आपदा मोचन बल(एनडीआरएफ) , भारत तिब्बत सीमा पुलिस (आइटीबीपी)और राज्य आपदा प्रतिवादन बल (एसडीआरएफ)का संयुक्त बचाव और राहत अभियान युद्धस्तर पर जारी रहा ।
रविवार को ऋषिगंगा घाटी में पहाड़ से गिरी लाखों मीट्रिक टन बर्फ के कारण ऋषिगंगा और धौलीगंगा नदियों में अचानक आई बाढ में अभी करीब 172 अन्य लोग लापता हैं ।
एसडीआरएफ के अधिकारियों ने बताया कि अभी तक 32 व्यक्तियों के शव विभिन्न एजेंसियों द्वारा अलग—अलग स्थानों से बरामद हो चुके हैं । एसडीआरएफ ने कहा कि उनके तलाशी दस्ते रैंणी, तपोवन, जोशीमठ, रतूडा, गौचर, कर्णप्रयाग, रूद्रप्रयाग क्षेत्रों में अलकनंदा नदी में शवों की तलाश कर रहे हैं ।
सोमवार शाम को आपदाग्रस्त तपोवन क्षेत्र पहुंचे मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मंगलवार सुबह क्षेत्र का हवाई सर्वेंक्षण किया और हादसे में घायल हुए लोगों से अस्पताल में मुलाकात की और उनका हालचाल जाना ।
ऋषिगंगा और तपोवन बिजली परियोजनाओं में काम करने वाले और आसपास रहने वाले करीब आधा दर्जन लोग आपदा में घायल हुए हैं ।
तपोवन में संवाददाताओं से बातचीत करते हुए मुख्यमंत्री रावत ने कहा कि इस समय प्राथमिकता सुरंग के अंदर फंसे लोगों तक पहुंचने और ज्यादा से ज्यादा लोगों का जीवन बचाना है । एनटीपीसी की सुरंग में बचाव और राहत कार्यों के संचालन में भारी मलबे तथा उसके घुमावदार होने के कारण आ रही मुश्किलों के बावजूद उसका आधे से ज्यादा रास्ता अब तक साफ किया जा चुका है और अधिकारियों को उम्मीद है कि जल्द ही वहां फंसे लोगों से संपर्क हो सकेगा।
अलकनंदा में जीव-जंतुओं पर आफत
ग्लेशियर और डैम के टूटने की घटना के बाद अलकनंदा नदी के पानी में कैमिकल, गाद और सीमेंट मिट्टी के घुलमिल जाने से बड़ी संख्या में मछलियों की जान गई है। रुद्रप्रयाग में ही एक टन से अधिक मछलियों के मरने की जानकारी मिली है जबकि चमोली जिले के साथ ही श्रीनगर तक मछलियों के मरने का सिलसिला जारी रहा।
बीती रात से अलकनंदा नदी का जल स्तर बढ़ने लगा, किंतु यह मलबे, सीमेंट और कैमिकलयुक्त पानी से नदी का रंग भी बदल गया। रात गुरजने के बाद जैसे ही सुबह हुई तो अलकनंदा नदी में बड़ी मात्रा में नदी किनारे मछलियों के ढेर लगने शुरू हो गए। देखते ही लोग अनेक स्थानों पर मछलियां इकट्टा करते हुए उठाने लगे।
उत्तराखंड में आपदा के उद्गम स्थल तक पहुंचने में मुश्किलें
चमोली आपदा को लेकर जांच में जुटी वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के वैज्ञानिकों को आपदा के उद्गम स्थल तक पहुंचने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के निदेशक डॉ. कालाचांद साईं ने बताया कि फिलहाल संस्थान के पांच वैज्ञानिकों की दो टीमें आपदा से जुड़े तमाम वैज्ञानिक पहलुओं पर अध्ययन कर रही हैं। उन्होंने कहा कि जहां से आपदा की शुरुआत हुई, वहां का रास्ता बड़ा दुर्गम है। ऐसे में वैज्ञानिकों को आपदा के उद्गम स्थल तक जाने की जरूरत पड़ी तो हेलीकॉप्टर मुहैया कराया जाएगा, ताकि वैज्ञानिकों की टीमें उस इलाके का हवाई सर्वेक्षण कर आपदा से जुड़े तमाम पहलुओं का अध्ययन कर सकें।