चमोली/ देहरादून, 10 फरवरी ।उत्तराखंड के चमोली जनपद में बीते रविवार ग्लेशियर टूटने से हुई त्रासदी में गुमशुदा व्यक्तियों और अभी तक मिले शवों की संख्या में अंतर सामने आया है।
पुलिस मुख्यालय में बने कंट्रोल रूम द्वारा बुधवार शाम जारी आंकड़े के अनुसार, प्राकृतिक आपदा में अभी तक 197 लोग लापता हैं। लापता लोगों में से 33 लोगों के शव अलग-अलग स्थानों से बरामद किये जा चुके हैं। जिनमें से 10 लोगों की शिनाख्त हो गई है और 23 लोगों की शिनाख्त नहीं हो पायी है।
इसके विपरीत, आपदा नियंत्रण केन्द्र द्वारा इसी समय दी गई जानकारी के अनुसार, 34 शव बरामद हुये हैं, जिनमें 09 की शिनाख्त हुई है, जबकि 170 लापता व्यक्तियों की तलाश की जा रही है।
उत्तराखंड में आपदा प्रबंधन तंत्र को दुरुस्त किया गया
उत्तराखंड के केदारघाटी के प्रलयकारी हादसे से सबक लेते हुए बीते आठ वर्षों में राज्य के आपदा प्रबंधन तंत्र को काफी हद तक दुरुस्त कर लिया गया है। राहत और बचाव के लिए रिस्पॉस टाइम में सुधार किया गया। सिस्टम में संवेदनशीलता भी बढ़ी है।
हाल ही में हिमस्खलन से नंदादेवी बायोस्फियर क्षेत्र में आई आपदा में इसकी बानगी देखने को मिली है।
ग्लेशियर टूटना : ड्रोन और हेलीकॉप्टर से अत्याधुनिक ब्लॉक टनल जियोग्राफिकल स्कैनिंग
उत्तराखंड के चमोली जनपद में रविवार को ग्लेशियर टूटने से हुई तबाही में लापता व्यक्तियों की खोज के लिये राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ) सहित देश की विभिन्न एजेंसियां ड्रोन और हेलीकाप्टरों द्वारा अत्याधुनिक तकनीक ब्लॉक टनल जियोग्राफिकल स्कैनिंग की जा रही है।
एसडीआरएफ की डीआईजी रिद्विम अग्रवाल ने बताया कि इस तकनीक में ड्रोन और हॉलिकॉप्टर के जरिए ब्लॉक टनल का जियो सर्जिकल स्कैनिंग कराई जा रही है। जिसमें रिमोट सेंसिंग के जरिए टनल की ज्योग्राफिकल मैपिंग कर, टनल के अंदर मलवे की स्थिति के अलावा और भी कई तरह की जानकारियां स्पष्ट हो पाएंगे।
उन्होंने बताया कि इसके अलावा थर्मल स्कैनिंग या फिर लेजर स्कैनिंग के जरिए तपोवन में ब्लॉक टनल के अंदर फंसे कर्मचारियों के होने की कुछ जानकारियां भी एसडीआरएफ को मिल पाएगी।