देहरादून/नयी दिल्ली, सात फरवरी ।उत्तराखंड के चमोली जिले में जोशीमठ के पास तपोवन क्षेत्र में ऋषि गंगा पावर प्रोजेक्ट पर एक बड़ा ग्लेशियर गिरने से बांध टूटने से अलकनंदा में भारी तबाही हुई ।ग्लेशियर टूटने और बाढ़ आने से यहां विनाश के निशान इस आपदा की कहानी खुद ही बयां कर रहे हैं।
बांध के आसपास बड़ी संख्या में लोग कार्यरत थे तथा गंगा किनारे भी काफी लोगों के जान माल के नुकसान की भी भारी आशंका है।
उत्तराखंड के चमोली जिले के जोशीमठ में रविवार को नंदादेवी ग्लेशियर के एक हिस्से के टूट जाने से धौली गंगा नदी में विकराल बाढ़ आई और पारिस्थितिकीय रूप से नाजुक हिमालय के हिस्सों में बड़े पैमाने पर तबाही हुई।
भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) के एक प्रवक्ता ने तपोवन-रेनी में एक विद्युत परियोजना प्रभारी को उद्धृत करते हुए कहा कि परियोजना में काम करने वाले 150 से अधिक मजदूरों की मौत की आशंका है। उन्होंने बताया कि सात शव बरामद किये गए हैं।
राज्य के पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार ने स्थिति को नियंत्रण में बताते हुए कहा कि बिजली परियोजना पूरी तरह से बह गई है।
पहाड़ों के किनारे पानी के तेज बहाव में आने से रास्ते में आने वाले घर भी बह गए। अधिक आबादी वाले क्षेत्रों सहित नीचे की ओर स्थित मानव बस्तियों में नुकसान होने की आशंका है। कई गांवों को खाली कराया गया है और लोगों को सुरक्षित क्षेत्रों में पहुंचाया गया है।
घटना का अवलोकन करने के बाद मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बताया कि इस आपदा में प्रारम्भिक अनुमान के अनुसार लगभग 125 लोग लापता हैं। रैणी क्षेत्र के पांच लोगों को भी इसमें अपनी जान गवानी पडी है। अब तक सात लोगों के शव बरामद किये जा चुके हैं।
श्री त्रिवेन्द्र ने रविवार को चमोली के जोशीमठ के रैणी क्षेत्र में ग्लेशियर टूटने से उत्पन्न हुई भीषण आपदा के तुरन्त बाद आपदा स्थल का निरीक्षण कर स्थिति का जायजा लिया। घटना स्थल से लौटने के बाद सचिवालय स्थित मीडिया सेन्टर में उन्होंने कहा कि जोशीमठ क्षेत्र में ग्लेशियर फटने की सूचना मिलते ही जिला प्रशासन एवं एसडीआरएफ की टीम राहत एवं बचाव कार्यों के लिए घटना स्थल पर पहुंची हुयी है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वह गढ़वाल कमिश्नर रविनाथ रमन एवं डीआईजी गढ़वाल नीरू गर्ग के साथ प्रभावित क्षेत्रों में पहुंचे। उन्होंने जिलाधिकारी चमोली से पूरी जानकारी ली।
मुख्य सचिव ओम प्रकाश एवं आपदा प्रबंधन सचिव एस.ए.मुरूगेशन ने आपदा प्रबन्धन केन्द्र सचिवालय में मौजूद रहकर लगातार स्थिति पर नजर रखी तथा आवश्यक दिशा निर्देश भी जिलाधिकारियों को दिये। उन्होंने कहा कि इस आपदा से रैणी के समीप स्थित ऋषिगंगा जल विद्युत परियोजना को भारी नुकसान के साथ ही तपोवन स्थित एनटीपीसी की विद्युत परियोजना का भी कुछ नुकसान हुआ है। उन्होंने कहा कि मृतको के आश्रितों को तात्कालिक रूप में चार-चार लाख रुपये की आर्थिक सहायता मंजूर की गई है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारा पहला उदेद्श्य जान माल की सुरक्षा का है। ऋषिगंगा व एनटीपीसी द्वारा उन्हे हुए नुकसान का आकलन किया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने बताया कि इस क्षेत्र में एक बड़ा तथा चार छोटे पुलों को नुकसान पहुंचा है। इससे प्रभावित लगभग 11 गांवों को आवश्यक सहायता आदि उपलब्ध कराने के लिये आर्मी हेलीपैड एवं एसडीआरएफ के जवानों के साथ ही आर्मी एवं राज्य सरकार के हेलीकाप्टरों की व्यवस्था के साथ ही आवश्यक चिकित्सा सुविधा के लिये डाक्टरो की भी व्यवस्था की गई है।
श्री त्रिवेंद्र ने बताया कि रैणी के निकट नीति घाटी को जोडने वाले जिन सड़कों एवं पुलों को हुए नुकसान से जिन गांवों का सड़क से सम्पर्क टूट गया है। उनमें गहर, भंग्यूल, रैणी पल्ली, पैंग, लाता, सुराईथोटा, तोलमा, फगरासु आदि गांव शामिल है, तथा पुलों में रैणी मे जुगजू का झूला पुल, जुवाग्वाड-सतधार झूलापुल, भग्यूल-तपोवन झूलापुल तथा पैंग मुरण्डा पुल बह गया है। रैणी मे शिवजी और जुगजू मे मां भगवती मंदिर भी आपदा मे बह गए है।
श्री त्रिवेंद्र ने कहा कि अब स्थिति नियंत्रण में है। खतरे वाली बात नहीं है। विद्युत परियोजना की सुरंग में मलबा अंदर तक जमा है और सुरंग तक पहुंचना अत्यंत कठिन था। मशीन का सुरंग में जाना मुश्किल था, इसलिए आईटीबीपी के जवान रोप के सहारे वहां पहुंचे। सुरंग में 35-40 फीट गाद जमा है। करीब 250 मीटर लंबी इस सुरंग में अपने हौसले के जरिये जवान 150 मीटर तक पहुंच चुके हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि एनडीआरएपफ की टीम दिल्ली से आई है। कल और जवान आएंगे। आर्मी, पैरा मिलिट्री फोर्स और हमारे डाॅक्टर आपदा स्थल पर तैनात किए गए हैं। ऐरियल सर्वे कर उन्होंने स्वयं स्थिति का जायजा लिया। किसी भी प्रकार की जरूरत पड़ने पर वहां आर्मी, वायुसेना और राज्य के हेलीकाॅप्टर तैनात कर दिए हैं। उन्होंने कहा कि हमारी मेडिकल टीम हर परिस्थिति के लिए तैयार है और 90 जवानों को भी वहां पहुंचा दिया गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को जब खबर लगी तो उन्होंने उनसे फोन पर बात कर चिंता व्यक्त की और कहा कि मदद की जरूरत पड़ने पर वे मदद के लिए तैयार हैं। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री श्री मोदी ने मृतक आश्रितो को 02-02 लाख रूपये की आर्थिक सहायता प्रदान करने की घोषणा भी की है।
श्री त्रिवेंद्र ने बताया कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द के साथ ही गृहमंत्री अमित शाह, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी, बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार, सीडीएस जनरल विपिन रावत आदि ने भी हरसंभव सहयोग का आश्वासन दिया। उन्होंने बताया कि पतंजलि योगपीठ के आचार्य बालकृष्ण ने सहयोग का आश्वासन देते हुए कहा कि वे अनाथ बच्चों को गोद लेने के लिए तैयार हैं और हर स्थिति में सरकार के साथ हैं। शान्तिकुंज एवं विवेकानन्द अस्पताल पीपलकोटी ने भी सहयोग का आश्वासन दिया है। उन्होंने इस भीषण आपदा से उत्पन्न स्थिति के सम्बन्ध में अफवाह फैलने से बचाने में योगदान देने के लिए मीडिया को भी धन्यवाद दिया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हर जरूरत की पूर्ति करने की पूरी व्यवस्था हमारे पास है। हमारे पास रेस्क्यू टीम, मेडिकल, हेलीकाॅप्टर, एक्सपर्ट पर्याप्त मात्रा में है। सरकार का पूरा ध्यान जिनका जीवन बचा सकते हैं, उनकी ओर है। उन्होंने बताया कि रूद्रप्रयाग के करीब पानी स्वच्छ है। उन्होंने कहा कि आपदा की सूचना मिलते ही श्रीनगर जल विद्युत परियोजना के बांध से पानी खाली कर दिया गया था। साथ ही गंगा व अलकनंदा के किनारे तुरंत हाई अलर्ट जारी कर दिया गया था।
इससे पूर्व मुख्यमंत्री ने सचिवालय स्थित आपदा प्रबन्धन केन्द्र का भी निरीक्षण किया तथा शासन के उच्चाधिकारियों के साथ आपदा से उत्पन्न स्थिति पर विचार विमर्श किया। उन्होंने निर्देश दिये कि आपदा प्रभावित क्षेत्र में राहत एवं बचाव कार्यो की निरन्तर निगरानी की जाय। उन्होंने कहा कि इसके लिये वांछित धनराशि की अविलम्ब व्यवस्था सुनिश्यित की जाय।
बैठक में अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, सचिव अमित नेगी, एस.ए मुरूगेशन, आयुक्त गढ़वाल रविनाथ रमन, डीआइजी, डिजास्टर रिद्धिम अग्रवाल, महानिदेशक सूचना डाॅ. मेहरबान सिंह बिष्ट आदि उपस्थित थे।
दूसरी ओर, जोशीमठ के रैणी क्षेत्र में आई इस भीषण आपदा में बचाव व राहत कार्यो के सम्बन्ध मेंआईटीबीपी के कमांडेंट शेंदिल कुमार ने बताया कि आईटीबी के 250 जवान रेस्क्यू स्थल पर पहुंच कर रेस्क्यू ऑपरेशन कर रहे हैं। जिसमें मेडिकल ऑफिसर सहित आठ ऑफिसर भी शामिल है। एनटीपीसी पाॅवर हाऊस के आस पास के ईलाके में कार्य कर रहे हैं। दस से 15 लोग टनल में कहीं फंसे हैं, अभी अनुमान है कि ये लोग जिंदा है। इनको निकालने के प्रयास किये जा रहे हैं। गौचर में आईटीबीपी की आठवीं बटालियन की दो टीमें जिसमें 90 जवान हैं, घटना स्थल के लिए निकल चुके हैं।
इसके अलावा गौचर एवं देहरादून में एक-एक कम्पनी आदेश की प्रतीक्षा कर रही है। उत्तरकाशी में मातली एवं महिडाण्डा में भी एक-एक कम्पनी इस टास्क के लिए तैयार है। इसके अलावा स्पेशलिस्ट माउंटयरिंग एवं स्कीइंग इंस्ट्टीयूट औली की दो टीमे तपोवन एरिया में पहुंच चुकी है।
सेना के कर्नल एस. शंकर ने बताया कि जोशीमठ से सेना के 40 जवानों का एक दल तपोवन पहुंच गया है। एक दल जोशीमठ में है। दो सैन्य दल औली से जोशीमठ के लिए रिलीफ ऑपरेशन के लिए आ चुके हैं। रूद्रप्रयाग में दो सैन्य दल तैयार रखे गये है। एक इंजिनियरिंग टास्क फोर्स जोशीमठ से तपोवन पहुंच गया है। दो मेडिकल ऑफिसर एवं दो एम्बुलेंस तपोवन पहुंच चुके हैं। आर्मी का हैलीपैड सिविल एडमिनिस्ट्रेशन के लिए चालू है। कम्यूनिकेशन के लिए सिविल लाईन चालू है। बरेली से दो हैलीकाॅप्टर भी जोशीमठ पहुंच गये हैं।
आईटीबीपी के एक प्रवक्ता ने कहा कि रेनी गांव के पास एक पुल ढहने के कारण कुछ सीमा चौकियों के साथ सम्पर्क ‘‘पूरी तरह से टूट’’ गया है।
पौड़ी, टिहरी, रुद्रप्रयाग, हरिद्वार और देहरादून सहित कई जिलों के प्रभावित होने की आशंका है और इन जिलों को हाई अलर्ट पर रखने के साथ ही आईटीबीपी और राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) को राहत और बचाव कार्यो में लगाया गया है।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उत्तराखंड के चमोली में हिमखंड टूटने के कारण अचानक आई बाढ़ की स्थिति पर गहरी चिंता व्यक्त की और लोगों की सुरक्षा की कामना की।
राष्ट्रपति भवन ने कोविंद के हवाले से ट्वीट किया, ‘‘उत्तराखंड में जोशीमठ के पास ग्लेशियर टूटने के करण क्षेत्र में हुए नुकसान को लेकर काफी चिंतित हूं। लोगों की सुरक्षा और कुशलता की कामना करता हूं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘पूरा विश्वास है कि वहां राहत एवं बचाव कार्य अच्छे ढंग से चल रहा होगा।’’
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, ‘‘मैं उत्तराखंड में दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति की लगातार निगरानी कर रहा हूं। भारत उत्तराखंड के साथ खड़ा है, सभी की सुरक्षा के लिए प्रार्थना करता है।’’
इससे पहले दिन में खबर आयी थी कि ऋषि गंगा पर परियोजना में लगे 150 मजदूर प्रभावित हुए हैं।
राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल डीआईजी रिद्धिम अग्रवाल ने कहा, ‘‘बिजली परियोजना के प्रतिनिधियों ने मुझे बताया कि वे परियोजना स्थल पर अपने लगभग 150 कर्मियों से संपर्क नहीं कर पा रहे हैं।’’
अधिकारी ने कहा कि गंगा की सहायक नदी धौली गंगा में पानी सामान्य से दो से तीन मीटर ऊपर बह रहा है।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से बात की और उन्हें ग्लेशियर के फटने और उससे उत्पन्न बाढ़ की स्थिति से निपटने के लिए हरसंभव सहयोग का आश्वासन दिया।
शाह ने कई ट्वीट करके कहा कि एनडीआरएफ की टीमों को प्रभावित लोगों के बचाव और राहत कार्यों के लिए तैनात किया गया है जबकि बल के अतिरिक्त जवानों को दिल्ली से हवाई मार्ग से रवाना किया जा रहा है।
उन्होंने कहा, ‘‘उत्तराखंड में प्राकृतिक आपदा की सूचना के संबंध में मैंने मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत, आईटीबीपी के महानिदेशक और एनडीआरएफ के महानिदेशक से बात की है। सभी संबंधित अधिकारी लोगों को सुरक्षित करने के लिए युद्ध स्तर पर काम कर रहे हैं। एनडीआरएफ की टीमें बचाव कार्यों के लिए रवाना की गई हैं। देवभूमि को हर संभव मदद प्रदान की जाएगी।’’
शाह ने कहा कि केंद्र सरकार उत्तराखंड की स्थिति पर लगातार नजर रखे हुए है।
उन्होंने कहा, ‘‘एनडीआरएफ की कुछ और टीमों को दिल्ली से हवाई मार्ग से उत्तराखंड भेजा जा रहा है। हम वहां के हालात पर लगातार नजर बनाए हुए हैं।’’
गृह मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने कहा कि एनडीआरएफ की चार टीमें (लगभग 200 कर्मी) को हवाई मार्ग से देहरादून भेजा गया है और ये टीमें वहां से जोशीमठ जाएंगी।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रावत ने लोगों से पुराने बाढ़ के वीडियो के जरिए अफवाह न फैलाने की भी अपील की।
उन्होंने कहा कि गंगा की एक अन्य सहायक नदी अलकनंदा में जल स्तर सामान्य से एक मीटर ऊपर है, लेकिन प्रवाह धीरे-धीरे कम हो रहा है। उन्होंने कहा कि संबंधित सभी जिलों को सतर्क कर दिया गया है और लोगों को गंगा के पास नहीं जाने के लिए कहा गया है।
रावत ने ट्वीट किया, ‘‘मैंने अपने सभी कार्यक्रमों को रद्द कर दिया है और स्थिति का सीधे तौर जायजा लेने के लिए प्रभावित क्षेत्र में पहुंच गया हूं। सरकार के सभी स्तरों पर चमोली जिला प्रशासन की मदद की जा रही है। घबराने की कोई बात नहीं है। मैं सभी से अफवाहों पर यकीन नहीं करने की अपील करता हूं।’’
उन्होंने एक अन्य ट्वीट में कहा, ‘‘वर्तमान में कोई अतिरिक्त जल प्रवाह नहीं देखा जा रहा है और कहीं भी बाढ़ की स्थिति नहीं है। जल सैलाब नंदप्रयाग से आगे निकल गया है और नदी सामान्य स्तर से एक मीटर ऊपर बह रही है। अलकनंदा के किनारे स्थित गांवों में कोई नुकसान नहीं हुआ है।’’
उन्होंने ट्वीट में कहा, ‘‘राज्य के मुख्य सचिव, आपदा प्रबंधन विभाग और मेरी टीम नियंत्रण केंद्र में मौजूद है और वास्तविक समय के आधार पर स्थिति की निगरानी कर रही है और उन्हें निर्देश दिया गया है कि वे उत्पन्न स्थिति से निपटने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएं।’’
इससे पहले रावत ने ट्वीट कर कहा था, ‘‘राहत की खबर ये है कि नंदप्रयाग से आगे अलकनंदा नदी का बहाव सामान्य हो गया है। नदी का जलस्तर सामान्य से अब एक मीटर ऊपर है लेकिन बहाव कम होता जा रहा है। राज्य के मुख्य सचिव, आपदा सचिव, पुलिस अधिकारी एवं मेरी समस्त टीम आपदा कंट्रोल रूम में स्थिति पर लगातार नज़र रख रही है।’’
उत्तराखंड के डीजीपी ने ऊर्जा संयंत्र के नुकसान और लापता लोगों की दी जानकारी:
इससे पहले चमोली जिले में हिमखंड (ग्लेशियर) टूटने के कारण रविवार को आई विकराल बाढ़ के बाद उत्तराखंड के पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार ने कहा कि तपोवन-रैणी क्षेत्र में स्थित ऊर्जा परियोजना में काम करने वाले करीब 50-100 कर्मी लापता हैं।
कुमार ने बताया कि राज्य आपदा मोचन बल के कर्मी प्रभावित इलाकों तक पहुंच चुके हैं। उन्होंने बताया कि यहां कम से कम दो लोगों के शव मिले हैं जबकि कई घायलों को बचाया गया है।
उन्होंने कहा कि तपोवन-रैणी स्थित ऊर्जा संयंत्र पूरी तरह से बह गया है।
राज्य के पुलिस प्रमुख ने कहा, ‘‘अब स्थिति नियंत्रण में है। श्रीनगर में एक बांध है जिसने पानी के तेज प्रवाह को नियंत्रित कर लिया है। ऊर्जा संयंत्र को नुकसान पहुंचा है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हमारा शुरुआती आकलन है कि ऊर्जा परियोजना तथा इसके इर्द-गिर्द काम कर रहे करीब 50 से 100 लोग लापता हैं।’’
कुमार ने बताया कि बचाव दल जोशीमठ से करीब 20 मिनट की दूरी पर स्थित घटनास्थल पर तत्काल पहुंच गए और उन्होंने कुछ घायलों को बचाया है। दो शव भी मिले हैं।
उन्होंने कहा कि तस्वीर शाम तक साफ हो पाएगी।
ग्लेशियर टूटने से अलकनंदा नदी का जल स्तर बढ़ा:
सुबह ग्लेशियर टूटने से अलकनन्दा नदी का जल स्तर बढ़ने के साथ ही अनिष्ट की आशंका को देखते हुए हरिद्वार जिले तक के गंगा किनारे की बस्तियों को खाली कराया गया ।
राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (एसडीआरएफ) के प्रवक्ता ने बताया कि पोस्ट जोशीमठ से हेड कांस्टेबल मंगल सिंह ने कहा कि जोशीमठ थाने में 10:55 बजे सूचना मिली की रैणी गांव में ग्लेशियर टूट गया है। जिसके बाद राहत और बचाव कार्य के लिए दो टीम मौके को रवाना किया गया । धौल गंगा (अलकनन्दा) में पानी बहाव इतना तेज था कि वह डेढ़ घण्टे में चमोली को पार कर चुका था ।
पुलिस ने इस प्राकृतिक आपदा के बाद हरिद्वार जिले सहित सभी संबंधित जिलों में अलर्ट जारी किया तथा गंगा के किनारे बस्तियों को खाली कराया गया । मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने आपदा प्रबंधन सचिव और चमोली के जिलाधिकारी से इस बारे में पूरी जानकारी ली तथा वह लगातार पूरी स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं। चमोली जिला प्रशासन, एसडीआरएफ के अधिकारी और कर्मचारी मौके पर पहुंच गये हैं। लोगों से गंगा नदी के किनारे नहीं जाने की अपील की गई है।
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि सुबह लगभग 10 बजे यह प्राकृतिक आपदा आई। जिससे 13.3 मेगावाट की ऋषिगंगा जल विद्युत परियोजना का बांध नष्ट हो गया। इस परियोजना से वर्ष 2016 में भी उत्पादन बन्द हो चुका है। वर्ष 2020 में ही इसे पुनः शुरू किया गया था। परियोजना के अधिकारी के अनुसार, 50 से अधिक लोग लापता हैं। सूत्रों ने बताया कि अलकनन्दा पर बने टिहरी बांध परियोजना को कोई क्षति नहीं हुई है।
मुख्य सचिव ने दी जानकारी:
मुख्य सचिव ओमप्रकाश ने मीडिया से बातचीत करते हुए बताया इस घटना में कम से कम 100 से 150 लोगों के हताहत होने की आशंका है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि इस घटना के बाद टिहरी बांध से पानी रोक दिया गया है जबकि श्रीनगर बांध परियोजना से पानी पूरी तरह छोड़ दिया गया है और सभी गेट खोल दिए गए हैं ताकि पहाड़ों से आ रहा पानी बांध को क्षति ना पहुंचा सके।
मुख्यमंत्री ने दी जानकारी:
मुख्यमंत्री ने बताया कि अलकनंदा नदी के मार्ग से सभी परियोजनाएं जिसमें रेल के कार्य के अलावा चार धाम सड़क मार्ग पर योजना के कार्य भी रोक दिए गए हैं। इसके अलावा गंगा नदी में राफ्टिंग को भी रोक दिया गया है आसपास के कैंप खाली करा लिए गए हैं ।
उन्होंने बताया कि एसडीआरएफ की टीम में पहुंच चुकी हैं। केंद्र से राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) की टीम आवश्यकता पड़ने पर लगाई जा सकती है। इस घटना के बाद उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश में अलर्ट जारी कर दिया गया है। चमोली, रुद्रप्रयाग, कर्णप्रयाग, ऋषिकेश और हरिद्वार में सभी घाट खाली करा लिए गए है तथा आसपास रहने वाले लोगों को सुरक्षित स्थान पर जाने को कहा गया है तथा नदी के तटों पर बसी बस्तियों को खाली कराया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि पहाड़ों पर भारी बारिश के बाद ग्लेशियर के सात पहाड़ धौली गंगा में गिरने से वहां का बांध टूट गया। जिस पर काम चल रहा था और वहां पर कार्यरत करीब डेढ़ सौ लोग लापता है जिनमें में अधिकांश गंगा में आ रहे मलबे पर बह गए हैं जिनके बचने की संभावना बहुत कम है।
मुख्यमंत्री ने भी भारी जानमाल के नुकसान की आशंका व्यक्त की है, हालांकि उन्होंने कहा कि चमोली तक आते-आते गंगा नदी में जल का प्रवाह काफी कम हो चुका है और आगे स्थिति अब नियंत्रण में है।
ऐसा था तबाही का मंजर जब चमोली में ग्लेशियर टूटने से कम से कम 150 लोगों के मरने की रिपोर्ट आई:
ग्लेशियर टूटने और बाढ़ आने से यहां विनाश के निशान इस आपदा की कहानी खुद ही बयां कर रहे हैं।
प्राप्त रिपोर्टों के अनुसार ग्लेशियर के टूटने के कारण 13.3 मेगावाट ऋषिगंगा जल विद्युत परियोजना पूरी तरह से ध्वस्त हो गई और अलकनंदा नदी में जलस्तर बढ़ने से बाढ़ आ गयी।
पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) अशोक कुमार ने कहा कि ऋषिगंगा पावर परियोजना में काम करने वाले कई लोग बह गए, गाद और मलबे में फंसे लोगों को बचाया जा रहा है। पुलिस और राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ) की टीमें घटना स्थल पर पहुंच गई हैं। बाढ़ का पानी कर्णप्रयाग तक पहुंच गया है। उन्होंने कहा कि हम जानमाल के नुकसान को रोकने के लिए हरस्तर पर सर्वश्रेष्ठ प्रयास कर रहे हैं।
डीजीपी ने कहा कि तपोवन बांध में फंसे हुए 16 लोगों को पुलिस ने बाहर निकाल लिया है और उन्हें सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया गया है। उन्होंने कहा कि यह आपदा आज सुबह 10 बजकर 45 मिनट पर आयी और चमोली में दो बांध को इससे नुकसान पहुंचा है। आपदा के बाद राज्य का आपदा तंत्र राहत बचाव अभियान के लिए जुट गया है।
श्री कुमार ने कहा कि नदी किनारे स्थित कई घरों और झोपड़ियां तेज बहाव में बह गई हैं और बाढ़ के रास्ते में आने वाले कई पेड़ बह गए हैं।
ऋषि गंगा और अलकनंदा के बढ़ते जल स्तर को कम करने के लिए देश के सबसे ऊंचे टिहरी बांध से पानी का प्रवाह फिलहाल रोक दिया गया है। श्रीनगर बांध से पानी का बहाव तेजी से बढ़ने और तेज जल प्रवाह के मद्देनजर नदी के किनारों के सभी गांवों और निचले इलाकों को तुरंत खाली करवा लिया गया है।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत मौके पर पहुंच गये हैं और लोगों से अनुरोध किया कि वे आपदा की वीडियो साझा करके अफवाह न फैलाएं।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने भी फोन पर मुख्यमंत्री से स्थिति की जानकारी ली है।
श्री मोदी ने ट्वीटर पर कहा, “पूरा भारत उत्तराखंड के साथ खड़ा है और राष्ट्र सभी की सुरक्षा के लिए प्रार्थना करता है। वरिष्ठ अधिकारी लगातार और एनडीआरएफ की तैनाती, बचाव कार्य और राहत कार्यों के बारे में जानकारी दे रहे है। ”
श्री शाह ने मुख्यमंत्री रावत को हर संभव मदद का आश्वासन दिया और अधिकारियों को देहरादून से जोशीमठ तक एनडीआरएफ की चार टीमों को हेलीकॉप्टर से भेजने का निर्देश दिया।
एक रिपोर्ट में बताया गया कि राष्ट्रीय आपदा माेचन बल की मौके पर पहुंची गयी और युद्धस्तर पर राहत और बचाव कार्य शुरू किया गया
चमोली पुलिस ने लोगाें को चेतावनी दी है कि वह बाढ़ वाले सभी इलाकाें से सुरक्षित स्थानों पर पहुंच जाएं। हालांकि श्रीनगर में बाढ़ का पानी सामान्य स्तर पर पहुंच गया है।
गौरतलब है कि वर्ष 2013 में बादलों के फटने से रुद्रप्रयाग जिले के बाद मंदाकनी नदी में विनाशकारी बाढ़ आने से सैंकड़ों लोगों की जान चली गयी थी।
राज्य सरकार ने किसी तरह की आपातकालीन स्थिति के मद्देनजर मदद के लिए 1070, 1905 और 9557444486 पर संपर्क साधने को कहा है।।