लखनऊ 23 अगस्त। उत्तर प्रदेश रोडवेज के 280 ड्राइवर कंडक्टर जांच के घेरे में आ गए हैं। एसटीएफ द्वारा 11 लोगों को गिरफ्तार करके फर्जी टिकट रैकेट का खुलासा होने के बाद यह सभी रडार पर आए हैं। इनकी धरपकड़ को रोडवेज मुख्यालय से अनुमति मांगी जा रही है।
एसटीएफ ने मथुरा से अलीगढ़ तक ऑपरेशन चलाकर 11 लोगों को गिरफ्तार करके रोडवेज में फर्जी टिकट के रैकेट का खुलासा किया था। गिरफ्तार लोगों से पूछताछ में जो नेटवर्क सामने आया है उससे एसटीएफ के अफसर भी हैरान रह गए।
2010 से यह गोलमाल चल रहा:
अगर किसी बस में 20 सवारियां होती थीं तो केवल पांच के पास ही असली टिकट होता था, बाकी को नकली थमा दिया जाता था। इतना ही नहीं टिकटिंग मशीन से टिकट निकालने की बजाए रूट चार्ट का प्रिंट निकालकर यात्रियों से कह देते थे कि मशीन खराब है प्रिंट सही नहीं आ रहा है।
ड्राइवर कंडक्टरों की मिलीभगत रोडवेज के प्रबंध निदेशक ने एसटीएफ के अफसरों को जो रिपोर्ट दी थी, उसके मुताबिक यह गिरोह ड्राइवर कंडक्टरों से मिलकर गोलमाल कर रहा है।
एसटीएफ के अफसरों का कहना है कि पहले चरण में जो बसों की संख्या के आधार पर ड्राइवर कंडक्टर की सूची तैयार की गई है।
इस सूची में 280 चालक परिचालक जांच के घेरे में हैं। इन सभी से पूछताछ की जानी है। एसटीएफ के एसपी आलोक प्रियदर्शी ने बताया कि इस गिरोह का नेटवर्क रोडवेज के कई रूट पर है। सभी जगह जांच की जा रही है। किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा।
एसटीएफ के अफसरों का कहना है कि 2010 से लेकर 2018 तक रोडवेज के जो भी अधिकारी रहे हैं उनसे भी जानकारी ली जाएगी। पूरा रैकेट चलता रहा मगर किसी को पता नहीं चला। जबकि चेकिंग टीमों का गठन किया जाता है।
फर्जी टिकट रैकेट के सरगना मथुरा निवासी देवेंद्र पहलवान के रोडवेज के अफसरों से गहरे रिश्ते हैं। देवेंद्र खुद रोडवेज में है, लेकिन कभी ड्यूटी नहीं गया। बताया जाता है कि देवेंद्र लखनऊ तक रोडवेज के अफसरों के पास आता जाता रहता था।attacknews.in