सीधी, 16 फरवरी । मध्यप्रदेश के सीधी जिले के रामपुरनैकिन थाना क्षेत्र में आज सुबह बाणसागर बांध परियोजना से जुड़ी नहर में बस के गिरने के कारण 47 यात्रियों की मौत हो गयी और चालक और क्लीनर सहित सात लोगों को सुरक्षित बचा लिया गया है। राहत एवं बचाव कार्य देर शाम तक जारी रहा,बुधवार को फिर किया जाएगा शुरू।
मृतकाें में 24 पुरुष और 21 महिलाएं तथा दो बच्चे शामिल हैं। इनमें अधिकांश मृतक सीधी और सिंगरौली जिले के हैं और कुछ सतना जिले के निवासी बताए गए हैं। चालक बालेंदु विश्वकर्मा और क्लीनर दिग्विजय सहित सात लोगों को सुरक्षित बचा लिया गया। राहत एवं बचाव कार्य देर शाम तक जारी रहा। कुछ और लोगों के लापता होने की आशंका हैं, जिनकी तलाश की जा रही है। घटना की दंडाधिकारीय (मजिस्ट्रियल) जांच के आदेश दे दिए गए हैं।
बस में क्षमता से अधिक व्यक्ति सवार थे। बस की क्षमता 32 यात्रियों की थी और इसमें लगभग 60 यात्री सवार थे।
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार दुर्घटना स्थल सीधी जिला मुख्यालय से लगभग 80 किलाेमीटर दूर सरदा गांव में है। यहां से सतना जिला मुख्यालय लगभग एक सौ किलोमीटर दूर है। बस सुबह लगभग छह बजे सीधी से सतना के लिए रवाना हुयी थी और निर्धारित मार्ग के छुहिया घाटी में जाम के कारण बसचालक ने मार्ग बदल लिया और प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत निर्मित नहर के समानांतर चल रही सड़क पर आने के बाद यह हादसा हो गया और लगभग साढ़े सात बजे बस नहर में समा गयी।
सूत्रों ने बताया कि बाणसागर बांध जलाशय से जुड़ी इस नहर में 20 फीट से अधिक पानी भरा था। हादसे की सूचना के बाद सबसे पहले लगभग 40 किलोमीटर दूर स्थित बांध जलाशय से पानी छोड़ने का कार्य बंद कराया गया। इस वजह से नहर का जलस्तर कम हुआ और राहत एवं बचाव कार्य में तेजी लायी जा सकी। हादसे की सूचना मिलते ही रीवा संभाग आयुक्त राजेश जैन और कलेक्टर रवींद्र कुमार चौधरी भी दलबल के साथ मौके पर पहुंच गए।
सूत्रों ने कहा कि बस में मुख्य रूप से सीधी और सिंगरौली जिलों के यात्री सवार थे। यात्रियों में शामिल अनेक युवक युवती अपने अभिभावकों के साथ सतना जिले में आयोजित रेलवे और नर्सिंग की परीक्षा में शामिल होने जा रहे थे।
सूत्रों के अनुसार यह बस सतना जिला निवासी एक व्यक्ति के नाम पर पंजीकृत है और जबलानाथ परिहार ट्रेवल्स के नाम से संचालित थी। बस की क्षमता 32 यात्रियों की थी, लेकिन इसमें लगभग 60 लोगों के सवार होने की जानकारी सामने आयी है।
इस बीच प्रत्यक्षदर्शियों ने यह भी बताया है कि सीधी से सतना का मुख्य मार्ग छुहिया घाटी से हाेते हुए जाता है, लेकिन पिछले कुछ दिनों से छुहिया घाटी में वाहनों के अक्सर खराब हो जाने के कारण जाम की स्थिति बन रही है। इसलिए क्षेत्रीय वाहन चालक इस मुख्य मार्ग की बजाए छुहिया घाटी के पहले बगवार गांव से होते हुए नहर के समानांतर जाने वाले मार्ग से होकर सतना जाते हैं। आज भी बसचालक ने इसी मार्ग का चयन किया और तेज गति से जाते समय ब्रेकर पर बस अनियंत्रित होकर नहर में जा गिरी।
रात होने से रोका बचाव कार्य:
जिला कलेक्टर रवीन्द्र कुमार चौधरी ने बताया कि देर शाम सात बजे तक चले राहत एवं बचाव कार्य में 47 यात्रियों के शव निकाले गए हैं। इनमें 24 पुरुष और 21 महिलाएं तथा दो बच्चे शामिल हैं। इनमें अधिकांश मृतक सीधी और सिंगरौली जिले के हैं और कुछ सतना जिले के निवासी बताए गए हैं। वहीं, सात यात्रियों को सुरक्षित निकाल लिया गया है। बस का चालक लापता है।
उन्होंने बताया के अंधेरा होने की वजह से राहत एवं बचाव कार्य रोक दिया गया है। अभी कुछ और यात्रियों के लापता होने की आशंका हैं, जिनकी तलाश कल सुबह की जाएगी।
उधर, घटना की दंडाधिकारीय (मजिस्ट्रियल) जांच के आदेश दे दिए गए हैं। बस में क्षमता से अधिक यात्री सवार थे। बस की क्षमता 32 यात्रियों की थी और इसमें लगभग 60 यात्री सवार थे।
हादसे की यह थी प्रमुख वजह:
इस बीच सीधी से संवाददाता से प्राप्त समाचार के अनुसार बस सुबह सीधी जिला मुख्यालय से लगभग छह बजे रवाना हुयी थी और उसमें सीधी तथा सिंगरौली जिले के युवक युवती और उनके अभिभावक भी सवार थे, जो सतना जिला मुख्यालय पर आज आयोजित होने वाली रेलवे और नर्सिंग से संबंधित परीक्षा में शामिल होने जा रहे थे। रास्ते में एक घाटी पर जाम की स्थिति के कारण बस निर्धारित रुट की बजाए नहर के किनारे वाले मार्ग से ले जायी जा रही थी, तभी संभवत: किसी वाहन को आेवरटेक करने के दौरान वह अनियंत्रित होकर नहर में लगभग साढ़े सात से आठ बजे के बीच समा गयी।
कम से कम 30 फीट चौड़ी नहर में दुर्घटना के वक्त कम से कम 20 फीट ऊंचाई तक पानी भरा हुआ था। राहत एवं बचाव कार्य प्रारंभ कराने के लिए तत्काल प्रशासन सक्रिय हुआ और क्रेन इत्यादि भी बुलाने के साथ ही बाणसागर बांध जलाशय से पानी की निकासी बंद करायी गयी। बांध और हादसास्थल के बीच की दूरी लगभग 40 किलोमीटर बतायी गयी है। पानी की निकासी बंद होने के कुछ समय बाद नहर में जलस्तर घटा और तब बस निकालने के साथ ही मृतकों के शव निकाले गए।
सतना पुलिस ने बताया:
इस बीच पुलिस सूत्रों ने बताया कि बाणसागर बांध जलाशय से जुड़ी इस नहर में 20 फीट से अधिक पानी भरा था। हादसे की सूचना के बाद सबसे पहले लगभग 40 किलोमीटर दूर स्थित बांध जलाशय से पानी छोड़ने का कार्य बंद कराया गया। इस वजह से नहर का जलस्तर कम हुआ और राहत एवं बचाव कार्य में तेजी लायी जा सकी। हादसे की सूचना मिलते ही कलेक्टर रवींद्र कुमार चौधरी भी दलबल के साथ मौके पर पहुंचे।
सूत्रों ने कहा कि बस सुबह सीधी से सतना के लिए रवाना हुयी थी। सुबह लगभग आठ बजे छुहिया घाटी में जाम लगा होने के कारण बस अपने निर्धारित मार्ग के स्थान पर पास ही स्थित दूसरे मार्ग से सतना की ओर रवाना हुयी और बाणसागर बांध परियोजना की नहर में जा गिरी। यह मार्ग नहर से सटा हुआ था और बस असंतुलित होकर नहर में समा गयी। बस में सीधी और आसपास के जिलों के यात्री सवार होने की सूचना है। मृतकों की पहचान की जा रही है।
इसलिए बदला था रास्ता:
बाणसागर बांध जलाशय से जुड़ी इस नहर में 20 फीट से अधिक पानी भरा था। जलाशय से पानी छोड़ने का कार्य बंद कराने के बाद नहर का जलस्तर कम हुआ और राहत एवं बचाव और तेजी से प्रारंभ किए गए। हादसे की सूचना मिलते ही कलेक्टर रवींद्र कुमार चौधरी दलबल के साथ मौके पर पहुंचे।
सूत्रों ने कहा कि हादसा जिला मुख्यालय से लगभग 80 किलोमीटर दूर हुआ है और बस सुबह सीधी से रवाना हुयी थी और यह सतना जा रही थी। सुबह लगभग आठ बजे छुहिया घाटी में जाम लगा होने के कारण बस पास ही स्थित दूसरे मार्ग से सतना की ओर रवाना हुयी और बाणसागर बांध परियोजना की नहर में जा गिरी।
रीवा संभागायुक्त ने बताया:
रीवा संभाग आयुक्त राजेश जैन ने बताया कि नहर में घटनास्थल से बस को भी निकाल लिया गया है। कुल 37 लोगों की मृत्यु हुयी है, जिनमें से 16 महिलाएं, 20 पुरुष और एक बच्चा शामिल है। सात व्यक्ति शुरूआत में ही किसी तरह नहर से तैरकर निकल आए थे। उन्होंने कहा कि राहत एवं बचाव कार्य लगभग पूरा हो गया है। हालाकि इस आशंका के चलते कि, कहीं कुछ यात्री नहर में पानी के बहाव में बह तो नहीं गए, आसपास के संभावित क्षेत्रों में भी तलाशी की जा रही है।
श्री जैन ने कहा कि सीधी जिला मुख्यालय से लगभग 80 किलाेमीटर दूर हादसे की खबर मिलते ही पुलिस और प्रशासन का अमला पहुंच गया था। वे स्वयं सुबह नौ बजे घटनास्थल पर पहुंचे और राहत एवं बचाव कार्य की गति और बढ़वायी।