नयी दिल्ली, 20 दिसंबर । दिल्ली की तीस हजारी अदालत ने उत्तर प्रदेश के उन्नाव बलात्कार एवं अपहरण मामले में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के निष्कासित विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को शुक्रवार को उम्रकैद की सजा सुनायी।
सत्र न्यायाधीश धर्मेश सिंह ने सेंगर को सोमवार को इस मामले में दोषी ठहराया था। अदालत ने इस मामले में एक अन्य आरोपी महिला शशि सिंह को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया था। शशि सिंह पर पीड़िता को बहला-फुसला कर विधायक के घर ले जाने का आरोप था।
सेंगर उत्तर प्रदेश में उन्नाव जिले की बांगरमऊ विधानसभा सीट से भाजपा के टिकट पर जीते थे। उनके खिलाफ एक लड़की के साथ बलात्कार और उसके अपहरण के मामले की सुनवाई यहां की तीस हजारी अदालत में चल रही थी। इसके अलावा सेंगर पर केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की विशेष अदालत में तीन मामले चल रहे हैं।
यह मामला 2017 का है जिसमें सेंगर के विरुद्ध पीड़िता के साथ दुष्कर्म का मामला दर्ज किया गया था। सीबीआई को यह मामला 2018 में हस्तांतरित किया गया था।
तीस हजारी अदालत में पांच अगस्त को इस मामले की सुनवाई शुरू हुई थी। दोनों आरोपियों के विरुद्ध नौ अगस्त को आरोप तय किए गए थे। इस मामले की चार माह से अधिक सुनवाई चली। अदालत ने दुष्कर्म पीड़िता को नाबालिग माना है।
सेंगर पर आरोप था कि नौकरी देने का वादा करके उसने अपने आवास पर पीड़िता के साथ दुष्कर्म किया। पीड़िता का अपहरण कर उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म भी किया गया।
पीड़िता और उसकी मां के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ के लखनऊ स्थित आवास के बाहर आत्मदाह करने की कोशिश के बाद इस मामले ने तूल पकड़ था और सेंगर के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गयी थी। इसके बाद पीड़िता के पिता की पुलिस हिरासत में मौत हो गयी थी। पीड़िता और उसके वकील इसी वर्ष सड़क हादसे में गंभीर रूप से घायल हो गये थे। ऐसे आरोप लगे थे कि इस दुर्घटना में सेंगर का हाथ है। इसके बाद उच्चतम न्यायालय के आदेश से उन्नाव कांड के नाम से चर्चित इस मामले की जांच लखनऊ से दिल्ली स्थानांतरित की गई थी।
अंतत: उन्नाव बलात्कार पीडिता को मिला न्याय:
उन्नाव की बलात्कार पीडिता को अंतत: अदालत से शुक्रवार को न्याय मिल गया ।
पीड़िता ने जब थाने में शिकायत दी तो पुलिस ने आरोपी के खिलाफ मामला दर्ज करने से इंकार किया । पीडिता के पिता को यातना दी गयी और मौत के घाट उतार दिया गया । चाचा को एक अन्य मामले में फंसाया गया और फिर पीडिता के परिवार वाले दुर्घटना का शिकार बने, जो स्पष्ट रूप से किसी साजिश का हिस्सा लगा । ऐसे में पीडिता का जीवन काफी कष्टमय बीता ।
भाजपा से निष्कासित विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को शुक्रवार को दिल्ली की एक अदालत ने आजीवन कारावास की सजा सुनायी । सेंगर पर 2017 में उन्नाव में नाबालिग से बलात्कार का दोष सिद्ध हुआ । इस घटना को लेकर पूरे देश में जबर्दस्त गुस्सा था और संसद के भीतर एवं बाहर विरोध प्रदर्शन हुआ ।
सेंगर उन्नाव जिले की बांगरमऊ सीट से विधायक थे । उसे 13 अप्रैल 2018 को गिरफ्तार किया गया था और उसके बाद भाजपा से निष्कासित कर दिया गया था ।
पीडिता ने आठ अप्रैल 2018 को लखनऊ में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आवास के सामने आत्मदाह का प्रयास किया था । वह उसके साथ बलात्कार के आरोपी विधायक के खिलाफ पुलिस की ओर से कोई कार्रवाई नहीं किये जाने का विरोध कर रही थी ।
पीडिता का आरोप था कि विधायक ने जून 2017 में अपने आवास पर उसका यौन शोषण किया । पीडिता का यह भी आरोप था कि उसके परिवार वालों को धमकी दी गयी ।
उन्नाव पुलिस ने कहा कि पीडिता का आरोप था कि 11 जून 2017 को दो युवक उसे उसके गांव से अपहरण कर ले गये थे । उसके बाद 20 जून को मामला दर्ज किया गया ।
पीडिता की शिकायत पर तीन लोगों के खिलाफ गैंगरेप और पाक्सो कानून के तहत मामला दर्ज किया गया क्योंकि जिस समय पीडिता के साथ बलात्कार हुआ था, वह नाबालिग थी ।
पुलिस ने बताया कि पीडिता के पिता और चाचा अपराधी थे । पिता के खिलाफ 28 मामले थे, जिनमें हत्या और लूट के मामले शामिल थे । चाचा के खिलाफ भी 15 मामले थे ।
पीडिता ने एक अंग्रेजी अखबार को दिये इंटरव्यू में बताया था कि 2017 में चार जून को उसे एक कमरे में ले जाया गया, जहां विधायक ने उसके साथ बलात्कार किया । बाद में उसे धमकाया गया कि अगर मुंह खोला तो पिता और परिवार वालों को मार डालेंगे । ‘मैंने मुंह नहीं खोला लेकिन कुछ दिन बाद 11 जून को मुझे विधायक के लोग अपहरण कर ले गये और कुछ दिन तक गैंगरेप किया । उसके बाद किसी को बेच दिया, जहां से मैं बरामद हुई थी ।’ सेंगर ने हालांकि इन आरोपों से इंकार किया था ।
पीडिता के पिता की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में बताया गया कि उनके शरीर पर घाव के 14 निशान पाये गये थे । दस अप्रैल को 2018 को छह पुलिसकर्मी निलंबित किये गये । विधायक के भाई अतुल सिंह को गिरफ्तार किया गया । बलात्कार के आरोप की जांच के लिए विशेष जांच टीम का गठन किया गया ।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय के निर्देश पर 12 अप्रैल 2018 को जांच सीबीआई को सौंपी गयी । सीबीआई ने अगले दिन सेंगर को गिरफ्तार कर लिया । उच्च न्ययालय के निर्देश पर पुलिस ने 14 अप्रैल को शशि सिंह को गिरफ्तार किया । शशि पर आरोप था कि वह ही पीडिता को बहला फुसलाकर सेंगर के आवास पर ले गयी थी ।
मई 2018 में सीबीआई ने सेंगर और अन्य के खिलाफ पीडिता के पिता को फर्जी मामले में फंसाने की साजिश के लिए मामला दर्ज किया और दो पुलिसकर्मियों को गिरफ्तार किया ।
उच्च न्यायालय के निर्देश पर सेंगर और शशि को उन्नाव जेल से सीतापुर जेल भेज दिया गया । उसके बाद सीबीआई ने सेंगर और अन्ल्य के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किये ।
जुलाई 2019 में पीडिता के चाचा को हत्या के प्रयास के एक मामले में दोषी ठहराया गया और उन्हें दस साल की कैद हो गयी । इस साल 28 जुलाई को पीडिता और उसके वकील रायबरेली के गुरूबक्शगंज क्षेत्र में सडक दुर्घटना में घायल हो गये । दुर्घटना में पीडिता की चाचियों की मौत हो गयी । वे जिस कार से जा रहे थे, उसे एक ट्रक ने टक्कर मार दी थी ।
पीडिता के चाचा ने आरोप लगाया कि दुर्घटना साजिश थी तो सेंगर के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया गया । इस मामले की जांच भी सीबीआई के पास गयी ।
इस मामले में तीस हजारी अदालत के जिला जज धर्मेश शर्मा ने शुक्रवार को सेंगर को उसके शेष जीवन काल के लिये आजीवन कारावास की सजा सुनायी ।