नयी दिल्ली, दो अगस्त । उच्चतम न्यायालय ने उन्नाव बलात्कार कांड पीड़ित के वाहन से ट्रक की टक्कर के मामले को रायबरेली से दिल्ली की अदालत में स्थानांतरित करने संबंधी अपने आदेश में शुक्रवार को संशोधन कर दिया क्योंकि इस घटना की जांच अभी पूरी नहीं हुयी है। इस दुर्घटना में बलात्कार पीड़ित और उसका वकील बुरी तरह जख्मी हो गये थे जबकि पीड़ित के दो परिजनों की इसमें मृत्यु हो गयी थी।
प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति अनिरूद्ध बोस की पीठ ने सीबीआइ्र की ओर से सालिसीटर जनरल तुषार मेहता के इस कथन का संज्ञान लिया कि पिछले रविवार को हुयी इस दुर्घटना की जांच अभी जारी है।
मेहता ने कहा कि चूंकि दुर्घटना संबंधी इस मामले की जांच अभी चल रही है, इसलिए कानूनी प्रावधानों के तहत इसका स्थानांतरण नहीं किया जा सकता है। उन्होंने पीठ से अनुरोध किया कि इसकी जांच पूरी होने तक इस मामले का स्थानांतरण विलंबित रखा जाये।
शीर्ष अदालत ने बृहस्पतिवार को जांच ब्यूरो को इस मामले की जांच का काम सात दिन के भीतर पूरा करने का आदेश देने के साथ ही उन्नाव कांड से संबंधित पांच मामले दिल्ली की अदालत में स्थानांतरित कर दिये थे।
उधर लखनऊ से खबर है कि, सड़क हादसे में गंभीर रूप से घायल हुई उन्नाव बलात्कार मामले की पीड़िता और उसके वकील की हालत शुक्रवार को छठे दिन स्थिर बनी हुई है।
किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के मीडिया प्रभारी डॉ. संदीप तिवारी ने शुक्रवार को बताया कि पीड़िता अब भी वेंटिलेटर पर है और उसे बुखार है लेकिन उसकी हालत स्थिर बनी हुई है। पीड़िता के वकील को अब वेंटिलेटर से हटा लिया गया है।
डॉ. तिवारी ने बताया कि पीड़िता को बृहस्पतिवार शाम वेंटिलेटर से कुछ समय के लिए हटाया गया था लेकिन उसकी हालत खराब होने के कारण उसे दोबारा वेंटिलेटर पर रख दिया गया। पीड़िता के गले में छोटा सा छेद करके :ट्रैकियोस्टोमी: टयूब से उसे ऑक्सीजन दी जा रही है। पीड़िता को बृहस्पतिवार रात से हल्का बुखार है, लेकिन उसकी हालत स्थिर है। पीड़िता अभी बेहोश है। डॉक्टरों की टीम 24 घंटे उसकी स्थिति पर नजर रखे हुए है।
उन्होंने बताया कि घायल वकील महेंद्र सिंह को बृहस्पतिवार शाम वेंटिलेटर से हटा दिया गया था और उन्हें भी गले में छेद करके :ट्रैकियोस्टोमी: टयूब से ऑक्सीजन दी जा रही है। उनकी तबियत स्थिर है।
डॉ. तिवारी ने बताया कि जब कोई भी मरीज चार दिन से ज्यादा वेंटिलेटर पर रहता है तो उसे ऑक्सीजन देने के लिये ट्रैकियोस्टोमी विधि का इस्तेमाल किया जाता है। इससे मरीज को पर्याप्त ऑक्सीजन भी मिलती रहती है और फेंफड़ों आदि की सफाई करने में भी आसानी होती है।
उन्होंने कहा, ‘‘हम पीड़िता और उसके वकील का इलाज करने में पूरी तरह से समर्थ है और केजीएमयू के सबसे अच्छे डाक्टरों की टीम दोनों का इलाज कर रही है।’’
उन्होंने कहा कि पीड़िता और वकीलों के परिजन की भी यह इच्छा है कि दोनों का इलाज लखनऊ में ही कराया जाए।।attacknews.in
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