संयुक्त राष्ट्र, एक मई । पाकिस्तान में सक्रिय जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर को आखिरकार बुधवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने वैश्विक आतंकवादी घोषित कर दिया।
अजहर का आतंकवादी समूह 2000 में अस्तित्व में आया था। उसने भारत में पुलवामा आतंकवादी हमले सहित कई आतंकवादी हमलों की जिम्मेदारी ली है। जम्मू-कश्मीर के पुलवामा जिले में 14 फरवरी को सीआरपीएफ के काफिले पर किए हमले की जिम्मेदारी भी जैश ने ली थी, जिसमें 40 जवान शहीद हो गए थे।
अजहर से जुड़े मुख्य घटनाक्रम इस प्रकार हैं:-
2009: भारत ने अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने के लिए एक प्रस्ताव पेश किया, जिससे उसके विश्व में कहीं भी यात्रा करने पर प्रतिबंध लग जाता, उसकी संपत्ति पर रोक लग जाती और उस पर हथियार संबंधी पांबदी भी लागू होती। लेकिन चीन ने इस कदम को रोक लगा दी।
2016: भारत ने एक बार फिर पी3 (अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस) के समर्थन के साथ संयुक्त राष्ट्र की 1267 प्रतिबंध समिति में अजहर पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव पेश किया।
2017: पी3 देशों ने भी ऐसा ही एक प्रस्ताव पेश किया। लेकिन सुरक्षा परिषद में वीटो प्राप्त चीन ने फिर इस प्रस्ताव को पारित नहीं होने दिया।
27 फरवरी 2019: अमेरिका, ब्रिटेन फ्रांस ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने के लिए एक नया प्रस्ताव पेश किया।
13 मार्च 2019: जैश प्रमुख को काली सूची में डालने के प्रयास को एक बार फिर चीन ने पूरा नहीं होने दिया। अजहर को एक वैश्विक आतंकवादी घोषित कराने का पिछले 10 वर्ष में यह चौथा प्रयास था।
28 मार्च 2019: अमेरिका ने फ्रांस और ब्रिटेन के समर्थन से पाकिस्तान में सक्रिय आतंकवादी समूह के प्रमुख को काली सूची में डालने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सीधे एक मसौदा प्रस्ताव पेश किया।
3 अप्रैल 2019: अमेरिका की जैश प्रमुख को वैश्विक आतंकवादी घोषित कराने के लिए ‘‘मौजूद सभी साधनों’’ का इस्तेमाल करने की धमकी पर चीन ने कहा कि वॉशिंगटन मामले को उलझा रहा है और यह दक्षिण एशिया में शांति एवं स्थिरता के लिए सही नहीं है।
30 अप्रैल 2019: चीन ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र द्वारा अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने की प्रक्रिया में ‘‘कुछ प्रगति’’ हुई है और उसे उम्मीद है कि यह विवादस्पद मुद्दा ‘‘ठीक तरह से हल’’ होगा ।
1 मई 2019: चीन के अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस के प्रस्ताव पर से रोक हटाने के बाद 1267 प्रतिबंध समिति ने अजहर को एक वैश्विक आतंकवादी घोषित कर दिया
मंगलवार को सामने आया था चीन का रुख:
पाकिस्तानी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र द्वारा वैश्विक आतंकवादी घोषित किया जाएगा या नहीं इसपर संस्था की प्रतिबंध परिषद की बैठक में बुधवार को फैसला हो गया ।
गौरतलब है कि इस मामले में बार-बार वीटो का इस्तेमाल करने वाले चीन की तरफ से इसबार कोई व्यावधान पैदा नहीं करने के संकेत मिल रहेथे ।
परिषद की 1267 अलकायदा प्रतिबंध कमेटी की यहां बैठक हुई है जिसमें अजहर के मुद्दे पर चर्चा होने के साथ ही बैठक में फैसला हो गया ।
बीजिंग ने मंगलवार को कहा था कि संयुक्त राष्ट्र द्वारा अजहर को वैश्विक अतंकवादी घोषित करने का यह विवादित मुद्दा ‘अच्छी तरह सुलझ’ जाएगा।
अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस की ओर से जैश प्रमुख अजहर पर प्रतिबंध लगाने के ताजा प्रस्ताव पर चीन ने मार्च में वीटो लगा दिया था। इससे पहले जैश ने फरवरी में जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर हुए हमले की जिम्मेदारी ली थी। अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने की यह पिछले 10 साल में चौथी कोशिश थी।
सबसे पहले 2009 में भारत ने प्रस्ताव रखा था। फिर 2016 में भारत ने अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस के साथ मिलकर संयुक्त राष्ट्र की 1267 प्रतिबंध परिषद के समक्ष दूसरी बार प्रस्ताव रखा।
इन्हीं देशों के समर्थन के साथ भारत ने 2017 में तीसरी बार यह प्रस्ताव रखा।
इन सभी मौकों पर चीन ने वीटो का इस्तेमाल कर ऐसा होने से रोक दिया था।
गौरतलब है कि चीन ने मंगलवार को कहा था कि जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र द्वारा वैश्विक आतंकी घोषित कराने के जटिल मुद्दे का उचित समाधान निकाला जाएगा, लेकिन उसने कोई समयसीमा नहीं बताई।
कुछ दिन पहले यहां पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान से चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग की मुलाकात के बाद चीन का यह रुख सामने आया है।
चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने मीडिया ब्रीफिंग में कहा था , ‘‘मैं केवल इतना कह सकता हूं कि मुझे भरोसा है कि उचित तरीके से इसका समाधान निकलेगा।’’
वह इन खबरों के बारे में पूछे गये सवालों का जवाब दे रहे थे कि चीन ने अजहर को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की 1267 अल कायदा प्रतिबंध समिति के तहत सूचीबद्ध करने के फ्रांस, ब्रिटेन और अमेरिका के एक ताजा प्रस्ताव पर तकनीकी रोक हटाने पर सहमति जता दी है।
इस बार अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस ने मुद्दे को सीधे संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में ले जा कर बीजिंग पर दबाव बढ़ा दिया है।
अजहर के मुद्दे पर विभिन्न प्रश्नों का उत्तर देते हुए गेंग ने कहा, ‘‘1267 समिति में इस मुद्दे को सूचीबद्ध करने के संबंध में हमने कई बार अपना रुख स्पष्ट किया है और मैं केवल दो बिंदुओं पर जोर देना चाहता हूं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘पहला तो हम 1267 समिति में संवाद और परामर्श के माध्यम से सूचीबद्ध मुद्दे के समाधान का समर्थन करते हैं और मेरा मानना है कि इसमें अधिकतर सदस्यों की आम-सहमति है। दूसरा यह कि समिति में संबंधित परामर्श चल रहा है और इसमें कुछ प्रगति हुई है। तीसरा, मेरा मानना है कि सभी पक्षों के संयुक्त प्रयासों के साथ इस मुद्दे को उचित तरीके से हल किया जा सकता है।’’
चीन के तकनीकी पाबंदी एक मई को हटाने की खबरों पर गेंग ने कहा, ‘‘सूचीबद्ध करने के मुद्दे पर चीन अब भी संबंधित दलों के साथ प्रयास कर रहा है और 1267 समिति के तहत सभी संबंधित पक्षों के साथ संपर्क में हैं। मेरा विश्वास है कि सभी पक्षों के संयुक्त प्रयासों से उचित समाधान निकाल लिया जाएगा।’’
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