संयुक्त राष्ट्र, 26 जून । संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंतोनियो गुतारेस ने कहा है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) जैसी बहुपक्षीय व्यवस्थाओं के पास अधिकार तो हैं, लेकिन या तो उनमें इच्छाशक्ति की कमी है या फिर इच्छाशक्ति है ही नहीं।
महासचिव ने शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र घोषणापत्र अंगीकार किए जाने की 75वीं वर्षगांठ पर कहा कि देशों को सहयोग के मार्ग की पुनर्कल्पना करने की आवश्यकता है।
उन्होंने बृहस्पतिवार को एक एक डिजिटल संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘हमें संयुक्त राष्ट्र प्रणाली, अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थाओं और अन्य को साथ ला कर नेटवर्क किए गए बहुपक्षवाद की आवश्यकता है…हमें एक समावेशी बहुपक्षवाद की आवश्यकता है जहां युवाओं की आवाज को अधिक तवज्जो दी जा सके।’’
यह रेखांकित करते हुए कि 21वीं सदी में सरकारें केवल राजनीतिक और सत्ता रूपी हकीकत नहीं हैं, उन्होंने कहा, ‘‘हमें एक ऐसे प्रभावी बहुपक्षीय तंत्र की आवश्यकता है जो जरूरी होने पर वहां वैश्विक शासन के औजार के रूप में काम कर सके।’’
उन्होंने रेखांकित किया कि समस्या यह नहीं है कि बहुपक्षीय व्यवस्था के जरिए विश्व के समक्ष उत्पन्न चुनौतियों का सामना नहीं किया जा सकता, ‘‘बल्कि समस्या यह है कि आज की बहुपक्षीय व्यवस्था में व्यापक स्तर पर काम करने की इच्छा, महत्वाकांक्षा और इच्छाशक्ति का अभाव है।’’
गुतारेस ने कहा, ‘‘कुछ व्यवस्थाएं जिनके पास अधिकार हैं, उनमें या तो इच्छाशक्ति की कमी है या इच्छाशक्ति है ही नहीं, जैसा हाल में सुरक्षा परिषद के समक्ष उत्पन्न कठिनाइयों के मामले से पता चलता है।’’
उल्लेखनीय है कि कोविड-19 महामारी से निपटने में निष्क्रियता और नेतृत्व की कमी तथा महामारी से उत्पन्न वैश्विक स्वास्थ्य और मानवीय संकट पर एक भी प्रस्ताव अंगीकार करने में विफलता की वजह से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की काफी आलोचना होती रही है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बहुपक्षीय व्यवस्था में आवश्यक रूप से सुधार का आह्वान किया है जिससे कि अंतरराष्ट्रीय प्रणाली का समावेशी होना तथा सभी देशों की आवश्यकताओं का पूरा होना सुनिश्चित हो सके।
जनवरी 2021 से दो साल के लिए सुरक्षा परिषद के अस्थायी सदस्य के रूप में बैठने पर बहुपक्षीय प्रणाली में सुधार भारत की पांच महत्वपूर्ण प्राथमिकताओं में से एक है।
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि राजदूत टी एस त्रिमूर्ति ने कहा है कि संयुक्त राष्ट्र इस साल जब अपनी 75वीं वर्षगांठ मना रहा है तो ‘‘हमें यह स्पष्ट है कि संयुक्त राष्ट्र और असल में बहुपक्षीय प्रणाली को स्वयं ही बदलने की आवश्यकता है जिससे समकालीन सच्चाई दिखे और वे प्रभावी तथा विश्वसनीय रहें।’’