न्यूयॉर्क/संयुक्त राष्ट्र , 20 सितंबर । संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन ने कहा है कि यूएन महासभा के अगले सप्ताह होने वाले 74वें सत्र में भारत की भागीदारी एवं पहुंच अभूतपूर्व रहेगी और इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी के ठोस एवं वास्तविक परिणाम नजर आएंगे।
अकबरुद्दीन ने संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन में बृहस्पतिवार को संवाददाताओं से कहा कि विभिन्न मंचों पर सप्ताह भर में मोदी, विदेश मंत्री एस जयशंकर और विदेश राज्य मंत्री वी मुरलीधरन से 75 राष्ट्र प्रमुख एवं विदेश मंत्री मुलाकात करेंगे।
इन बैठकों में या तो प्रधानमंत्री और उनके समकक्ष या विदेश मंत्री और उनके समकक्ष एक ही कमरे में वार्ता करेंगे और कम से कम 30 मिनट के लिए अहम मामलों पर चर्चा करेंगे।
अकबरुद्दीन ने कहा, ‘‘इसलिए मैं कहता हूं कि यह अभूतपूर्व होगा। हमने पहले कभी संयुक्त राष्ट्र सत्र में इतने देशों के साथ इस प्रकार वार्ता नहीं की।’’
उन्होंने रेखांकित किया कि देशों का एक बड़ा समूह मिलकर भारत के साथ वार्ता करना चाहता है।
अकबरुद्दीन ने कहा, ‘‘इससे पहले संयुक्त राष्ट्र में हमने मंत्री स्तर पर जी4 या ब्रिक्स जैसी बहुपक्षीय बैठकें की हैं, लेकिन पहले कभी ऐसा नहीं हुआ कि देशों का समूह मिलकर भारत के साथ काम करना चाहता है।’’
उन्होंने कहा कि सभी वार्ताएं कार्योन्मुखी हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘संयुक्त राष्ट्र को कभी कभी मजाक में ‘टॉक शॉप’ (अपने कारोबार, काम या मकसद पर चर्चा करना) कहा जाता है। बातचीत करना महत्वपूर्ण है। मुझे नहीं लगता कि हमें ‘टॉक शॉप’ का उपहास उड़ाना चाहिए। बातचीत करना महत्वपूर्ण है। इससे भी महत्वपूर्ण यह है कि हमें बातचीत को आगे ले जाने की आवश्यकता है…इस बार आप खासतौर पर इस यात्रा के ठोस, वास्तविक एवं कार्येान्मुखी परिणाम देखेंगे जिन पर हम वैश्विक स्तर पर हमारे साझेदारों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं।’’
मोदी पांच साल में पहली बार आम बहस को संबोधित करेंगे। वह 23 सितंबर से 27 सितंबर तक कई द्विपक्षीय एवं बहुपक्षीय बैठकों में व्यस्त रहेंगे।
वह नौ उच्च स्तरीय शिखर सम्मेलनों और बहुपक्षीय बैठकों को संबोधित करेंगे।
अकबरुद्दीन ने कहा कि मोदी ‘‘अपनी इस सोच से अवगत कराएंगे कि वह बहुपक्षीय परिदृश्य में भारत को कहां देखते हैं’’।
मोदी ह्यूस्टन से 22 सितंबर की शाम को न्यूयॉर्क आएंगे। वह ह्यूस्टन में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के साथ एक बड़ी सभा को संबोधित करेंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ न्यूजीलैंड की प्रधानमंत्री जैसिंडा अर्डर्न, मार्शल आइलैंड्स की राष्ट्रपति हिल्डा हेइन और जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल 23 सितंबर की सुबह संयुक्त राष्ट्र महासभा चैंबर में उच्च स्तरीय जलवायु सम्मेलन में शुरुआत में बोलने वाले वक्ताओं में शामिल होंगी।
इस सम्मेलन में बोलने के लिए 63 से अधिक देशों को आमंत्रित किया गया है।
इसके तत्काल बाद मोदी ‘यूनीवर्सल हेल्थ कवरेज’ पर अब तक की पहली उच्च स्तरीय बैठक को संबोधित करेंगे।
इसके बाद मोदी आतंकवाद के निपटने पर चर्चा के लिए ‘स्ट्रैटेजिक रिस्पॉंसेज टू टेरेरिस्ट एंड वायलेंट एक्ट्रीमिस्ट नैरेटिव्स’ विषय पर ‘लीडर्स डायलॉग’ को संबोधित करेंगे।
अकबरुद्दीन ने कहा कि मोदी ने आतंकवाद से निपटने पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन की अपील की है और वह इस बैठक में भी इसकी वकालत करेंगे। आतंकवाद की चुनौतियों से निपटना भारत की विदेश नीति के लिए हमेशा महत्वपूर्ण रहेगा क्योंकि ‘‘हमारे लोगों ने बहुत सहा है। हम चाहते हैं कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय इन मामलों से निपटने के लिए मिलकर काम करे।’’
भारत 24 सितंबर को हिंद-प्रशांत द्वीप के नेताओं की बैठक में भाग लेगा।
मोदी को 25 सितंबर को ‘ब्लूमबर्ग ग्लोबल बिजनेस फोरम’ को संबोधित करने के लिए भी आमंत्रित किया गया है।
प्रधानमंत्री मोदी संयुक्त राष्ट्र महासभा के वार्षिक सत्र को 27 सितंबर को संबोधित करेंगे और करीब एक सप्ताह के न्यूयॉर्क प्रवास के दौरान उनका कई द्विपक्षीय और बहुपक्षीय बैठकों का कार्यक्रम है। उनकी 23 से 25 सितंबर के बीच ट्रम्प के साथ भी द्विपक्षीय वार्ता हो सकती है
सैयद अकबरुद्दीन ने कहा कि यदि पाकिस्तान अगले सप्ताह यहां होने वाले संयुक्त राष्ट्र महासभा के सत्र में कश्मीर मामला उठाकर अपना स्तर ‘‘नीचे गिराता’’ है तो भारत का स्तर और ऊंचा उठेगा।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने 27 सितंबर को न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) के सत्र में कश्मीर मुद्दे को उठाने की बात कही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संबोधन देने का कार्यक्रम भी उसी दिन है।
पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा है कि प्रधानमंत्री खान यूएनजीए में अपने संबोधन के दौरान अंतरराष्ट्रीय समुदाय के समक्ष इस मुद्दे को जबरदस्त ढंग से उठाएंगे।
यहां एक संवाददाता सम्मेलन में अकबरुद्दीन से पूछा गया कि क्या उन्हें संयुक्त राष्ट्र महासभा के सत्र के दौरान कश्मीर मुद्दे के सामने आने की उम्मीद है, और यदि ऐसा है, तो भारत इससे कैसे निपटेगा।
इस पर अकबरुद्दीन ने कहा, ‘‘आप जो मुझसे कह रहे हैं, वह इससे कहीं अधिक होगा, खासकर एक देश की तरफ से तो बहुत अधिक होगा। यदि ऐसा है तो हमारी प्रतिक्रिया क्या होगी? यह हर देश पर निर्भर करता है कि वह वैश्विक मंच पर किस रूप में पहुंचना चाहता है। कुछ ऐसे होंगे जो अपना स्तर गिराएंगे। उनके प्रति हमारी प्रतिक्रिया होगी कि हम और ऊंचे उठेंगे। वह नीचे गिरेंगे लेकिन हमारा स्तर तो ऊपर उठेगा।’’
अकबरुद्दीन ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के 74 वें सत्र में प्रधानमंत्री मोदी के संबोधन की खास बातें और प्राथमिकताओं के बारे में भी बताया।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री की बहुपक्षीय और द्विपक्षीय व्यस्तताओं और बैठकों के ढेर सारे उदाहरण इस बात को रेखांकित करते हैं कि भारत का कद कितना ऊंचा होगा।
उन्होंने कहा, ‘‘वे जो करना चाहते हैं, वह उनकी इच्छा है। हमने उन्हें अतीत में आतंकवाद को मुख्यधारा में लाने की कोशिश करते हुए देखा है। और अब जो आप मुझे बता रहे हैं, वह यह है कि वे नफरत फैलाने वाले भाषण को मुख्यधारा में लाना चाहते हैं। वे ऐसा करना चाहते हैं तो यह उनकी मर्जी है। वह जो जहर उगल रहे हैं, यह बहुत लंबे समय तक काम नहीं करने वाला है।’’
गौरतलब है कि 5 अगस्त को भारत ने जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को खत्म कर दिया, जिसके बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव काफी बढ़ गया है।
कश्मीर पर भारत के कदम पर त्वरित प्रतिक्रिया करते हुए, पाकिस्तान ने भारत के साथ राजनयिक संबंधों को कमतर कर दिया और भारतीय उच्चायुक्त को निष्कासित कर दिया।
पाकिस्तान कश्मीर मुद्दे का अंतरराष्ट्रीयकरण करने की कोशिश कर रहा है, लेकिन भारत ने यह बार-बार कहा है कि अनुच्छेद 370 को हटाना उसका ‘‘आंतरिक मामला’’ है। भारत ने पाकिस्तान से वास्तविकता को स्वीकार करने और भारत विरोधी बयानबाजी को बंद करने के लिए कहा है।
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