उज्जैन 24 मार्च । मास्टर प्लान 2035 के लिए टीएंडसीपी में जबसे दावे आपत्तियों का सिलसिला शुरू हुआ तबसे ही शहर की राजनीति में भूचाल आ गया है, जबकि यक़ीक़त यह है कि सांवराखेड़ी व जीवनखेड़ी की जमीन कभी सिंहस्थ में अधिसूचित थी ही नहीं ऐसा जानकार लोग बता रहे हैं तो दूसरी ओर एक पक्ष इस जमीन पर सिंहस्थ लगने की बात कर रहा ।
इसमें गौर करने वाला विषय यह है कि जानकारों के अनुसार जब उक्त जमीन सिंहस्थ अधिसूचित नहीं थी फिर इस जमीन हो लेकर इतना विवाद क्यो हो रहा है ? अगर उक्त जमीन आवासीय हो जाती है तो इससे शहर के मध्य में इंफ्रास्ट्रक्चर बढेगा व शहर का विकास होगा बड़ी कॉलोनियों, बाज़ार विकसित होंगे जिससे शहर में विकास की संभावनाएं बढ़ेगी ।
वही दूसरा पक्ष चाहता है कि,सिंहस्थ के लिए त्रिवेणी से लेकर मंगलनाथ तक क्षिप्रा से लगती जमीनों को बचाना जरूरी है
मंत्री डा मोहन यादव ने कहा:
3061 हेक्टेयर सिंहस्थ के लिए अधिसूचित भूमि में से एक इंच जमीन भी आवासीय नही होगी। – डॉ मोहन यादव
भ्रम यहां हो रहा है
सिंहस्थ भूमि को लेकर मास्टर प्लान में शहर की जनता के बीच विवाद के कारण भ्रम फैल गया है कि सिंहस्थ अधिसूचित भूमि को आवासीय या मिश्रित किया जा रहा है,वही हकीकत भी यह बतलाई जा रही है कि उक्त जमीन कभी सिंहस्थ अधिसूचित थी ही नहीं,इस भूमि का उपयोग सिंहस्थ में पार्किंग व अन्य कार्यो के लिए किया गया। इसके पूर्व जितने भी सिंहस्थ हुए है उनमें 1992, 2004, 2016 में सेटेलाइट टाउन बनाए गए थे उदाहरण स्वरूप क्रमशः सेठी नगर में, पंवासा में अस्थाई बनाए गए । इसी प्रकार उक्त दोनों जमीनों पर बने सैटेलाइट टाउन व पार्किंग सभी अस्थाई बनाए गए थे। ।
सिंहस्थ भूमि अभी कितनी हैं:
शहर में सिंहस्थ की कुल अधिसूचित भूमि 3061 हैक्टेयर है, इसमें से अधिकांश भूमि हर सिंहस्थ के उपयोग में नही आती,पिछले सिंहस्थ में भी भूखी माता क्षेत्र के कई पांडाल खाली पड़े थे । प्रति 12 वर्षो में होने वाले सिहंस्थ में शहर के चारो कोनो पर चार अस्थाई सेटेलाइट टाउन बनाए जाते है, फिर इसे में एक सैटेलाइट टाउन को लेकर इतना शोर मचा हुआ है?
इस मास्टर प्लान में सिहंस्थ अधिसूचित किसी भी सर्वे नंबर को आवासीय नहीं किया जा रहा ऐसा मध्यप्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री डा मोहन यादव ने कहा हैं ।
इस जीवनखेड़ी व सांवराखेड़ी बेल्ट की जमीन को लेकर शहर संगठित राजनीति ने इसे सिंहस्थ का बताया है।
इस पूरे मामले में बुधवार को उक्त जमीनों के किसानों ने भी ऐसे नेताओं के खिलाफ़ मोर्चा खोल दिया है जो उक्त जमीन को सिंहस्थ का बताकर जनता को बरगला रहे है ।
किसानों ने इन नेताओ के विरोध में पुतला दहन व चुनाव के बहिष्कार करने तक ऐलान भी कर दिया ।
शहर के विकास के द्वार बेसिक इंफ्रास्ट्रक्चर के डेवलोपमेन्ट से ही खुलते है । इससे ही रोजगार व विकास होता है । मास्टर प्लान में अगर भूमि आवासीय होती है तो वह शहर हित में है । जनसंख्या बढ़ रही है तो शहर का दायरा भी बढ़ना चाहिए क्योकि बेड़ियों में जकड़कर नही रख सकते शहर को, रही बात सिंहस्थ के मूल स्वरूप की उससे छेड़छाड़ नहीकी जा रही है –
R.G. पाठक, वरिष्ठ आर्किटेक्ट