उज्जैन 28 अप्रैल। डॉ.मोहनराव भागवत ने कहा है कि वेदों, उपनिषदों का अध्ययन करना विज्ञान की प्रगति के लिये आवश्यक है। शिक्षा का एक उद्देश्य जीविका है, लेकिन शिक्षा का अन्तिम उद्देश्य जीविका नहीं जीवन है। समग्र शिक्षा में आजीविका के साथ-साथ जीवन की शिक्षा दी जानी चाहिये। शिक्षा की गुरूकुल पद्धति शिक्षा की आत्मा है। शिक्षा के इस प्रयोजन का प्रचार-प्रसार करना चाहिये। इस बात पर भी समग्र विचार होना चाहिये कि आज के सन्दर्भ में गुरूकुल शिक्षा कैसी हो। शास्त्रों में समयानुकूल सुधार की आवश्यकता है। गुरूकुल शिक्षा के कितने रूप हो सकते हैं। शिक्षा की स्वायत्तता कायम रहे, सरकार के मुखापेक्षी न रहें, गुरूकुल शिक्षा के क्षेत्र में शोध एवं अनुसंधान की प्रवृत्ति विकसित करना होगी। शिक्षा ही मनुष्य का समग्र एवं सर्वांगीण विकास करती है। व्यक्ति अपने विचार से नर से नारायण बन सकता है। अविद्या की उपासना हमें केवल अंधकार की ओर ले जाती है। विद्या के द्वारा अमृत प्राप्त करना श्रेयस्कर है।
डॉ.मोहनराव भागवत ने यह बात आज सान्दीपनि वेदविद्या प्रतिष्ठान में तीन दिवसीय विराट अन्तर्राष्ट्रीय गुरूकुल सम्मेलन के शुभारंभ समारोह अवसर पर मुख्य वक्ता के रूप में सम्बोधित करते हुए कही।
इसके पूर्व डॉ.मोहनराव भागवत, प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान, केन्द्रीय मानव संसाधन मंत्री श्री प्रकाश जावड़ेकर, सामाजिक न्याय मंत्री श्री थावरचन्द गेहलोत, केन्द्रीय मानव संसाधन राज्य मंत्री श्री सत्यपालसिंह ने दीप प्रज्वलन कर उद्घाटन समारोह का शुभारंभ किया।
शिक्षा ज्ञान, कौशल एवं संस्कार प्रदान करती है –मुख्यमंत्री श्री चौहान
मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि गुरूकुल शिक्षा पद्धति पर चिन्तन-मनन कर आज एक नये अध्याय का प्रारम्भ किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि आदिगुरू शंकराचार्य ने कहा है कि जो मुक्ति दिलाये, वहीं शिक्षा है। विवेकानन्द ने कहा है कि शिक्षा वही है, जो मनुष्य का इंसान बनाये। शिक्षा ज्ञान, कौशल एवं संस्कार प्रदान करती है। मुख्यमंत्री ने कहा कि आजादी के बाद भी कई भारतीयों ने मैकाले का काम करते हुए आधा-अधूरा ज्ञान दिया।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी शिक्षा की दिशा बदलने का प्रयास कर रहे हैं। भारतीय दर्शन में सृष्टि के कण-कण में भगवान की उपस्थिति मानी गई है। वसुधैव कुटुम्बकम, सत्यमेव जयते, जियो और जीने दो, प्राणियों में प्रेम हो, विश्व का कल्याण हो, यही भारतीय दर्शन है। बौद्धिकता की अग्नि में दग्ध मानवता को शान्ति के मार्ग पर भारतीय दर्शन ही ले जायेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि विराट गुरूकुल सम्मेलन से निकलने वाले निष्कर्षों को राज्य सरकार लागू करने का प्रयास करेगी।
उन्होंने कहा कि जानापाव इन्दौर में गुरूकुल प्रारम्भ किया जायेगा। प्रदेश के गुरूकुलों का चिन्हांकन किया जायेगा, गुरूकुल शिक्षण संस्था भारतीय शिक्षण मण्डल के सहयोग से स्थापित किये जायेंगे। सृजनशील शिक्षा के रूप में इसके शोध एवं प्रोत्साहन का प्रयास किया जायेगा।
शिक्षा को और सार्थक बनाया जा रहा है –केन्द्रीय मानव संसाधन मंत्री श्री जावड़ेकर
कार्यक्रम में केन्द्रीय मानव संसाधन मंत्री श्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि शिक्षा को और सार्थक बनाये जाने के प्रयास किये जा रहे हैं। गुरूकुलों एवं आधुनिक शिक्षा के बीच समन्वय करने के प्रयास किये जायेंगे। वर्तमान में गुरूकुल शिक्षा पद्धति का प्रचार-प्रसार करने के लिये अच्छा कार्य हो रहा है। इस शाखा को शिक्षा पद्धति में उचित स्थान दिया जायेगा।
उन्होंने कहा कि हमारे संगीत व शिल्पकला में गुरू-शिष्य परम्परा का प्रचलन हमेशा से रहा है। वर्तमान में शिक्षा के अधिकार अधिनियम में जो कानून बनाया गया है, उसमें यह इनपुट बेस्ड है, इसे बदलना चाहिये। शिक्षा क्या है, यह अच्छे इंसान की निर्मिति है। शिक्षा पद्धति में वेल्यू एडिशन की आवश्यकता महसूस की जा रही है।
उन्होंने कहा कि हमने तय किया है कि वेल्यू एजुकेशन एवं फिजिकल एजुकेशन को शिक्षा नीति में स्थान मिले। शिक्षा नीति में परिवर्तन के लिये वेब साइट पर मांगे गये सुझावों को अच्छा प्रतिसाद मिला है और 34 हजार व्यक्तियों ने अपने सुझाव इसमें दिये हैं।
उन्होंने कहा कि मानव संसाधन विभाग ने ‘सबको शिक्षा, अच्छी शिक्षा’ नारा दिया है। श्री जावड़ेकर ने कहा कि भारत में जो भी अच्छा है, उसे भारतबोध नामक पाठ से पाठ्यक्रम में शामिल किया जायेगा। उन्होंने कहा कि वेद एक जीवनदृष्टि है, जो हमें सिखाता है कि क्यों जियें और कैसे जियें।
सत्यपाल सिंह ने कहा:
मानव संसाधन राज्य मंत्री श्री सत्यपाल सिंह ने कहा कि हमारे देश में भगवान राम और कृष्ण के आदर्शों का सम्मान होता है। उन्होंने कहा कि शिक्षा का उद्देश्य क्या है, क्या वर्तमान शिक्षा पद्धति सर्वांगीण विकास कर सकती है, इस पर विचार-मंथन आवश्यक है।
श्री सिंह ने कहा कि गुरूकुल शिक्षा पद्धति आज के लिये प्रासंगिक है। यदि हम लोग चाहते हैं कि देश में अच्छे नागरिकों का निर्माण हो तो हमें वैदिक शिक्षा पद्धति की ओर आना ही होगा।
इस अवसर पर गोविन्ददेव गिरीजी महाराज ने कहा कि विदेशियों ने हमारी शिक्षा पद्धति को नष्ट कर हमारी प्रज्ञा का नाश किया है। गुरूकुल शिक्षा पद्धति से भारतीय शिक्षा के गौरव को पुनर्स्थापित करना होगा।
राहुल बोधिजी महाराज ने कहा कि ऑक्सफोर्ड से पहले हमारे देश में नालन्दा, विक्रमशिला और तक्षशिला जैसे विश्वविद्यालय काम कर रहे थे और इनकी शिक्षण पद्धति सर्वोत्कृष्ट थी। आज हमें यदि शिक्षा के क्षेत्र में आधुनिकता को आध्यात्मिकता के साथ आगे बढ़ना है तो गुरूकुल प्रथा को अपनाना होगा।
सन्त राजकुमार दासजी महाराज ने कहा कि भगवान बुद्ध ऋषि परम्परा में सदैव सम्माननीय रहे हैं। भारत के पुराने वैभव को प्राप्त करने और स्वयं को विश्वगुरू के रूप में स्थापित करने के लिये गुरूकुल शिक्षा पद्धति की आवश्यकता है।
महामण्डलेश्वर विश्वेश्वरानन्द महाराज ने कहा कि भारतवर्ष में अब अनुकूल समय आ गया है कि गुरूकुल शिक्षण पद्धति को अपनाया जाये। शिक्षा को कमजोर करते गये तो हमारा भला नहीं होगा।
कनकश्रृंगार एवं सर्वांग पुस्तिका का विमोचन
शुभारम्भ समारोह में अतिथियों द्वारा कनकश्रृंगार शीर्षक से स्मारिका का प्रकाशन किया गया। इसमें गुरूकुल शिक्षण प्रणाली के बारे में आलेखों का संग्रह किया गया है। विमोचन सुश्री स्मिता भवालकर एवं प्रेरणा दीदी द्वारा करवाया गया।
इसी तरह 14 विद्या एवं 64 कलाओं पर आधारित सर्वांग पुस्तिका का विमोचन किया गया। कार्यक्रम में कु.योगिनी तांबे ने गुरूकुल पर आधारित गीत प्रस्तुत किया। कार्यक्रम के अन्त में आभार सान्दीपनि वेदविद्या प्रतिष्ठान के अध्यक्ष श्री सच्चिदानन्द जोशी द्वारा प्रकट किया ।attacknews.in